Friday, 30 August 2013

देशी. भाभी. की. चुदाई

यह बात चार साल पहले की है जब मैं मास्टर डिग्री के फाइनल इयर में पढ़ रहा था। मैं पेयिंग गेस्ट रहता था। जहाँ पर रहता था, वहाँ सबसे मेरे अच्छे ताल्लुकात बन गए थे।

मेरे कमरे के सामने एक युवा नवविवाहित जोड़ा रहता था। भाभी का क्या कहना, देखने से ही तन बदन में आग सी लग जाती थी ! क्या मस्त मस्त चूचियाँ थी, मस्त मस्त चूतड़ थे !

मैं अक्सर अपनी खिड़की से उनको देख कर मुठ मारा करता था और सोचा करता था कि काश एक बार मौका मिल जाए तो जिंदगी बन जाए।

मैं अकसर उनके घर शाम को चला जाता था, भैया के साथ बातचीत होती थी, तब भाभी पानी का गिलास लेकर आती थी तो उनके हाथ को छूने का मौका मिल जाता था।

हुआ यों कि होली का त्योहार था, भैया को तीन दिन पहले ऑफ़िस के काम से कोलकाता जाना पड़ गया और मेरा भी घर जाने का प्रोग्राम बन गया था तो मैं उस दिन शाम को भैया-भाभी से मिलने के लिए चला गया।

तब भाभी बोली- तेरे भैया तो कोलकाता चले गये हैं मुझे यहाँ अकेली को छोड़ कर !

तो मैंने उसी समय पॉइंट मार दिया- मैं भी बहुत अकेला महसूस करता हूँ, हर रात काटने को आती है, ना ही नींद आती है।
तो भाभी फट से बोली- जब सुबह सुबह मैं काम कर रही होती हूँ तो तुम्हारी खिड़की हल्की सी खुली होती है, तुम मुझे देखते हो?

मैं घबरा गया और खड़ा हो गया, मेरे छोटे उस्ताद भी अपनी पोज़िशन में खड़े थे, भाभी ना जाने कब से नोट कर रही थी मेरी हरकतों को !

मैं हकलाते हुए बोला- नहीं तो भाभी !

भाभी बोली- बनो मत, मैं पागल नहीं हूँ।

तो मैंने बोल दिया भाभी को- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, आपको गले लगाने का मन करता है।

तो भाभी बोली- चलो ठीक है, इस होली पर मिल लेना गले जी भर कर !

मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मैंने मौका ताड़ते हुए भाभी को बोला- एक ग्लास पानी मिलेगा?

तो भाभी रसोई की तरफ चल पड़ी, मैं दरवाजे के पीछे छिप कर खड़ाअ हो गया। जब भाभी पानी लेकर आई तो मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और हड़बड़ाहट में भाभी घूम गई, उनके हाथ से पानी मेरे ऊपर गिर गया तो भाभी बोली- आज ही होली मन गई ये तो !
deshi sexy bhabhi

मैंने बोला- हाँ जी, तो मेरी हग?

और इतना कहते ही मैं भाभी को अपने बाहों में क़ैद कर लिया, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थी तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ पड़ी और मैंने उनकी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया। शुरू में तो उन्होंने बहुत रोका पर मैं रुकने वाला कहाँ था।

धीरे धीरे वो भी गर्म होने लगी और उनकी आँखें बंद होने लगी। मेरे हाथ उनके कूल्हों को सहलाने लगे, मेरा हथियार उसकी जाँघों में घुस रहा था, भाभी उसको महसूस कर रही थी और वो मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी।

मैं उनको अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर ले गया और उनके ब्लाऊज के ऊपर से उनके उभारों को मसलने लगा। धीरे धीरे मैंने उसके ब्लाऊज़ के हुक खोले, ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी एक चूची को बार निकाला और चूसने लगा।

मैं छोटे बच्चे की तरह उनके निप्पल को चूसे जा रहा था और एक हाथ से उनकी साड़ी पर से उनकी जांघें सहलाने लगा। भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही।

थोड़ी देर बाद मैंने भाभी का ब्लाउज़ और ब्रा बिल्कुल उतार दी तो भाभी ने मेरी पैन्ट का हुक खोल कर जिप भी खोल दी और मेरे कच्छे में से मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया।

भाभी बोली- साला पूरा खड़ा हो गया है !

मैंने अपनी पैंट और कच्छा एकदम से उतारा और बिना कुछ कहे अपना सात इन्च का लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी।

मैंने भाभी के बाकी के सारे कपड़े उतार दिए।

कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड दो इन्च अंदर चला गया। पर मैं एकदम कराह उठा क्योंकि यह मेरी पहली चुदाई थी।

उनके होंटों को मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। कुछ देर में मेरा दर्द खत्म हो चुका था।

मौका सम्भालते हुए मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था। और अब भाभी भी कराह रही थी।

वो बोली- तुम्हारे भैया कभी कभी ही सेक्स करते हैं, आज तक मुझे प्रेगनेन्ट नहीं कर सके ! उनका घुसते ही छूट जाता है और मैं ऐसे ही रह जाती हूँ ! प्लीज़ आज मेरी जी भरकर मारो, मेरी प्यास बुझा दो !

हम दोनों सिसकारियाँ भर रहे थे !

मैं तो चुदाई में जुटा हुआ था गरम खून है तो जिसके किए कब से तड़फ़ रहा था, उसको कैसे छोड़ता। मैं भाभी को जी भरकर प्यार कर रहा था, उनकी आँखों में आंसू थे पता नहीं दर्द के, या आनन्द के या अपने पति से बेवफ़ाई के गम के !

कुछ देर तक मैं ऐसे ही उन्हें पेलता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता रहा।

कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी, जोरदार चुदाई में भाभी एक बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूँ?

भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही कर दो !

और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी।

उस रात मैं भाभी के पास ही रुक गया क्योंकि दोनों ही थक कर चूर हो चुके थे। फिर रात को भाभी को कई बार ठोका । उनकी बुर सूज कर मोटी हो गई थी। इस तरह हमारा से सिलसिला चार दिन तक चलता रहा। मुझे तो जन्नत मिल गई थी।

इसके बाद मैं मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बन चुकी है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं।

अब भाभी मुंबई जा चुकी है भैया के साथ, और यह लंड आज भी उनको याद करके सलामी देता है, अब मेरी उमर 26 साल हो चुकी है उसके बाद मुझे कभी मौका नहीं मिला कि किसी के साथ सेक्स कर पाऊँ।

You Also Like ज़िन्दगी के अजीब रंग | प्यार से चुदाई | प्यारा दोस्त और दीदी -2 | प्यारा दोस्त और दीदी -1यहाँ भी चुदी और वहाँ भी-1यहाँ भी चुदी और वहाँ भी-2 | मेरी चुदासभाई ने गांड में लंड दियासगी बहन की चूतअंकल ने मम्मी को रंडी बनायाअंकल की नाजायज़ बीवी बनीमेरे भाई का Birthday | वर्जिन सोनिया की चुदाई | बालों वाली चूत  आंटी की चूत | चुदासी भाभी की चूत में बेलन | पापा ने चुदना सिखाया  अपार्टमेन्टमेरी बेटी  मेरी चुदने की इच्छाबुर में कीड़े रेंग रहे हैं  |  लड़की को उत्तेजित करने का तरीकाGrand मस्ती | बोस की बेटी की चुदाई  | मोना आंटी और उनकी चूचियाँ  मेरी पहली चुदाई | भाभी का प्यारदीदी की चूचियों का रस | रूही की चुदाईभाभी की बहन पूनम   आपी की चूत   | नौ रातो की बेवफाई   | सर की बीवी | ममेरी बहन की चुदाई | जीजाजी, दीदी. और. मैं | चूत मम्मी की और चुदाई बेटी की | अलका. भाभी. को. माँ. बनायाभतीजी की चुदाई | गाँव में चुदाई | पड़ोस में रहने वाली भाभी | अवैध संबंध | मेरी साली सीमा | भाई. की. नीयत  |  आई. लव. यू  |  भाभी की चुदाई | लड़की को क्लास में चोदा  |  मुँहबोली बहन | देशी भाभी की चुदाई | चाचीजान की गरमी  |  भइया का अधूरा काम   गाण्ड मारने की विधि | भइया का अधूरा काम


Saturday, 17 August 2013

Friday, 16 August 2013

Sexy Big Boobs Girls

Nude Sexy Big Boobs Actress

sexy nude boobs model
nude actress

nude sexy actress boobs
nude model

nude sexy boobs model
Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |Nude Sexy Big Boobs Model |
nude sexy boobs model

nude sexy boobs model

nude sexy boobs model
nude cute girls sex model

nude porn star

nude sexy model

nude sexy cute girls

nude model boobs

Deshi Sexy Nude Girls

Thursday, 8 August 2013

Wednesday, 7 August 2013

चाचीजान की गरमी

मेरा नाम इम्तियाज़ है। बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 19 साल की थी और मैं इंजीनियरिंग के पहले साल में बंगलौर में पढ़ रहा था। मैं बनारस का रहने वाला हूँ। मेरे एक्जाम समाप्त हो गए थे तो कुछ दिनों की छुट्टियों में घर आया था। हमारा संयुक्त परिवार है, मेरे परिवार के अलावा मेरे चाचा एवं चाची भी साथ में ही रहते थे। मेरे चाचा पेशे से सैनेटरी वेयर के थोक विक्रेता थे, उन्होंने काफी पैसा कमा रखा था। उनकी शादी को कई साल हो गए थे लेकिन अभी तक कोई संतान नहीं थी। चाची की उम्र 29 साल की थी, वो पास के ही एक गाँव की हैं ! थी तो देहाती पर मस्त चीज थी, उनकी जवानी पूरे शवाब पर थी, झक्क गोरा बदन और कंटीले नैन नक्श और गदराये बदन की मालकिन थी, चाचा चाची ऊपर की मंजिल में रहते थे।
जब चाचा दुकान और मेरे अब्बू अपने दफ्तर चले जाते थे तो मैं और चाची दिन भर ऊपर बैठ कर गप्पें हांका करते थे। चाची का नाम आरज़ू है। सच कहूँ तो वो मुझे अपना दोस्त मानती थी। वो मेरे सामने बड़े ही सहज भाव से रहती थी, अपने कपड़े भी मेरे सामने ठीक से नहीं पहनती थी, उनके वक्ष की आधी दरार हमेशा दिखती रहती थी, कभी कभी तो सेक्स की बात भी कर लेती थी। जब भी मुझे अकेली पाती थी तो हमेशा द्वीअर्थी बात बोलती थी, जैसे बछड़ा भी दूध देता है, तेरा डंडा कितना बड़ा है? तुझे स्पेशल दवा की जरुरत है, आदि !
दिन भर मेरे कालेज और बंगलौर के किस्से सुनती रहती थी।
जब मेरे बंगलौर जाने के कुछ शेष रह गए तो एक दिन चाची ने कहा- हम भी बंगलौर घूमने जाना चाहते हैं।
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं ! आप दोनों मेरे साथ ही इस शनिवार को चलिए, मैं आप दोनों को पूरी सैर करवा दूँगा।
चाची ने अपनी इच्छा चाचा को बताई तो चाचा तुरंत मान गए। मैंने उसी समय इन्टरनेट से तीन टिकट एसी फर्स्ट क्लास में बुक करवा लिए। शनिवार को हमारी ट्रेन थी, शनिवार को सुबह हम तीनों ट्रेन से बंगलौर के लिए रवाना हुए। अगले दिन शाम सात बजे हम सभी बंगलौर पहुँच गए। मैंने उनको एक बढ़िया होटल में कमरा दिला दिया। उसके बाद मैं वापस अपने होस्टल आ गया। होस्टल आने पर पता चला कि कालेज के गैर शिक्षण कर्मचारी अपनी वेतनवृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं और इस दौरान कालेज बंद रहेगा। मेरे अधिकाँश मित्रों को यह बात पता चल गई थी इसलिए सिर्फ 25-30 प्रतिशत छात्र ही कालेज आये थे।
मैं अगले दिन करीब 11 बजे अपने चाचा के कमरे पर गया, वहाँ वे दोनों नाश्ता कर रहे थे। चाची ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा दिया। मैंने देखा कि चाचा कुछ परेशान हैं।
पूछने पर पता चला कि जिस कम्पनी का उन्होंने फ्रेंचाइजी ले रखा है उस कम्पनी ने दुबई में जबरदस्त सेल ऑफ़र किया है, अब चाचा की परेशानी यह थी कि अगर वो वापस चाची को बनारस छोड़ने जाते और वहाँ से दुबई जाते तो तब तक सेल समाप्त हो जाती और अगर साथ में लेकर दुबई जा नहीं सकते थे क्योंकि चाची का कोई पासपोर्ट वीजा था ही नहीं।
मैंने कहा- अगर आप दुबई जाना चाहते हैं तो आप चले जाएँ क्योंकि मेरा कालेज अभी एक सप्ताह बंद रह सकता है। मैं चाची को या तो बनारस पहुँचा दूँगा या फिर आपके वापस आने तक यहीं रहेगी। आप दुबई से यहाँ आ जाना और फिर घूम फिर कर चाची के साथ वापस बनारस चले जाना।
चाचा को मेरा सुझाव पसंद आया।
चाची ने भी कहा- हाँ जी, आप बेफिक्र हो कर जाइए और वापस यहीं आइयेगा। तब तक इम्तियाज़ मुझे बंगलौर घुमा देगा। आपके साथ मैं दोबारा घूम कर वापस आपके साथ ही बनारस जाऊँगी।
चाचा को चाची का यह सुझाव भी पसंद आया।
लैपटॉप पर इन्टरनेट खोल कर देखा तो उसी दिन के दो बजे की फ्लाईट में सीट खाली थी। चाचा ने तुरंत सीट बुक की और हम तीनों एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े। दो बजे चाचा की फ्लाईट ने दुबई की राह पकड़ी और मैंने एवं चाची ने बंगलौर बाज़ार की।
चाची के साथ लंच किया, घूमते घूमते हम मल्टीप्लेक्स आ गए। शाम के सात बज गए थे, चाची ने कहा- काफी महीनों से मल्टीप्लेक्स में सिनेमा नहीं देखा, आज देखूँगी।
मैंने देखा कि कोई नई पिक्चर आई थी, इसलिए सारी टिकट बिक चुकी थी। उसके किसी हाल में कोई एडल्ट टाइप की इंग्लिश पिक्चर की हिंदी वर्सन लगी हुई है, फिल्म चार सप्ताह से चल रही थी इसलिए अब उसमें कोई भीड़ नहीं थी।
मैंने दो टिकट सबसे कोने के लिए और हम हाल के अन्दर चले गए। मुझे सबसे ऊपर की कतार वाली सीट दी गई थी और उस पूरी कतार में दूसरा कोई भी नहीं था। हमारी कतार के पीछे सिर्फ दीवार थी, मैंने जानबूझ कर ऐसी सीट मांगी थी। मेरा आगे वाले तीन कतार के बाद कोने पर एक लड़का और लड़की अकेले थे, उस कतार में भी उसके अलावा कोई नहीं था। उससे अगली कतार में दूसरे कोने पर एक और जोड़ा था, इस तरह से उस समय 300 दर्शकों की क्षमता वाले हाल में सिर्फ 20-22 दर्शक रहे होंगे। पता नहीं इतने कम दर्शकों के लिए फिल्म क्यों लगा रखी थी।
चाची मेरे दाहिने ओर बैठी, चाची के दाहिने दीवार थी। तुरंत ही फिल्म चालू हो गई।
फिल्म शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे बाद के चौथे कतार में बैठे लड़के एवं लड़की ने होठों से चूमाचाटी करना चालू कर दिया। हालांकि बंगलौर के सिनेमा घरों में इस तरह के नजारे आम बात हैं, हर शो में कुछ लड़के लड़की सिर्फ इसलिए ही आते हैं।
चाची ने उस जोड़े की तरफ मुझे इशारा करके कहा- हाय देख तो इम्तियाज़ ! कैसे खुलेआम चूम रहे हैं।
मैंने कहा- चाची, यहाँ आधे से अधिक सिर्फ इसलिए ही आते हैं। सिनेमा हाल ऐसे काम के लिए बेस्ट हैं। तुम उस कोने पर बैठे उस जोड़े को तो देखो, वो भी यही काम कर रहे हैं। अभी तो सिर्फ एक दुसरे को किस कर रहे हैं, आगे देखना क्या क्या करते हैं। तुम ध्यान मत देना इन सब पर ! सब मस्ती करते हैं, यही तो जिन्दगी है।
चाची- तूने भी कभी मस्ती की या नहीं इस तरह से सिनेमा हाल में?
मैंने कहा- अभी तक तो नहीं की लेकिन अब के बाद पता नहीं !
तुरंत ही फिल्म में सेक्सी सीन आने शुरू हो गए, चाची ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- हाय राम, जरा देखो तो यह कैसी सिनेमा है।
मैंने कहा- चाची, यह बंगलौर है, यहाँ सब इसी तरह की फिल्में लगती हैं, चुपचाप आराम से ऐसी फिल्मों के मज़े लो ! बनारस में ये सब देखने को नहीं मिलेगा।
वो पूरी फिल्म सेक्स पर ही आधारित थी, चाची अब गर्म हो रही थी, वो गर्म गर्म साँसें फेंक रही थी, उसका बदन ऐंठ रहा था, शायद वो पहली बार किसी हाल में एडल्ट फिल्म देख रही थी।
मैंने पूछा- क्यों चाची? पहले कभी देखी है ऐसी मस्त फिल्म?
चाची- नहीं रे ! कभी नहीं देखी।
मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके पीछे से ले जाकर उनके कंधे पर रख दिया। मैंने देखा कि चाची अपने हाथ से अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से सहला रही हैं, शायद सेक्सी सीन देख कर उनकी चूत गीली हो रही थी। मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, मैंने भी अपना बायाँ हाथ अपने लंड पर रख दिया। मैंने धीरे धीरे चाची के पीठ पर हाथ फेरा, उन्होंने कुछ नहीं कहा, वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी। मैंने उनकी पीठ पर से हाथ फेरना छोड़ दाहिने हाथ से उनके गले को लपेटा और अपनी तरफ उसे खींचते हुए लाया। चाची मेरी तरफ झुक गई।
मैंने पूछा- क्यों चाची, मज़ा आ रहा है फिल्म देखने में?
चाची ने शर्माते हुए कहा- धत्त ! मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है।
मैंने कहा- क्यों ? इसमें शर्माना कैसा? तुम और चाचा तो ऐसा करते होंगे न? तेरे एक हाथ जहाँ हैं न उससे तो लगता है कि मज़े आ रहे हैं तुम्हें !
चाची- हाय राम, बड़ा बेशर्म हो गया है तू रे बंगलौर में रह कर ! बड़ा देखता है यहाँ-वहाँ कि कहाँ हाथ हैं, कहाँ नहीं?
मैंने चाची के कान को अपने मुँह के पास लाया और कहा- जानती हो चाची? ऐसी फिल्म देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है।
चाची ने अपने होंठ मेरे होंठों के पास लगभग सटाते हुए कहा- क्या होने लगता है?
मैंने अपने लंड को घिसते हुए कहा- वही, जो तुझे हो रहा है ! मन करता है कि यहीं निकाल दूँ !
चाची- सिनेमा हाल में निकालते हो क्या?
मैंने- कई बार निकाला है, आज तुम हो इसलिए रुक गया हूँ।
चाची- आज यहाँ मत निकाल, बाद में निकाल लेना।
थोड़ी देर में फिल्म की नायिका ने अपनी चूची मसलवा रही थी, हम दोनों और गर्म हो गए तो मैंने चाची के कान में अपने होंठ सटा कर कहा- देख चाची, साली की चूची क्या मस्त हैं ! नहीं?
चाची- ऐसी तो सबकी होती हैं।
मैंने- तुम्हारी क्या ऐसी ही चूची हैं?
चाची- और नहीं तो क्या?
मैंने- तुम्हारी चूची छूकर देखूँ क्या?
चाची- हाँ, छू कर देख ले।
मैंने अपना दाहिना हाथ से उनकी चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा। उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपनी चूचियाँ दबवाने लगी। मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया, फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनके बड़े बड़े चुच्चों को मसलने लगा, वो मस्त हुई जा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं- अपनी ब्लाउज खोल दो ना ! तब मज़े से दबाऊँगा।
उसने कहा- यहाँ?
मैंने कहा- और नहीं तो क्या? साड़ी से ढके रहना, यहाँ कोई नहीं देखने वाला।
वो भी गर्म हो चुकी थी, उन्होंने ब्लाउज खोल दिया, लगे हाथ ब्रा भी खोल दिया और अपने नंगी चूची को अपनी साड़ी से ढक लिया। मैंने मज़े ले लेकर नंगी चूचियों को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया।
मैं जो चाहता था वो मुझे करने दे रही थी, मुझे पूरी आजादी दे रखी थी। मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उनके हाथ को अपने लंड पर रख दिया और धीरे से कहा- देखो ना ! कितना खड़ा हो गया है।
चाची ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया।
अब मैंने देख लिया कि चाची पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जाकर नाभि को सहलाने लगा, धीरे धीरे मैंने अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभि के नीचे उनके साड़ी के अन्दर डाल दिया। चाची थोड़ी चौड़ी हो गई जिससे मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके। मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उनकी पेंटी मिल गई, मैंने उनकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया।
ओह क्या चूत थी ! एकदम घने बाल ! पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी। मैं काफी देर तक उनकी चूत को सहलाता रहा और वो मेरे लंड को दबा रही थी। मैंने अपने दाहिने हाथ की एक उंगली उनकी चूत के अन्दर घुसा दी।वो पागल सी हो गई।
उन्होंने आसपास देखा तो कोई भी हमारे पास नहीं था, उन्होंने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आई, फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से लाकर अपनी चूत पर रख कर बोली- अब आराम से कर, जो करना है।
अब मैं उनकी चूत को आराम से मसल रहा था, उन्होंने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था। मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर ली।
उन्होंने मेरे कान में कहा- तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना, मैं भी तेरा सहलाऊँ।
मैंने जींस की ज़िप खोल दी, लंड डण्डे की तरह खड़ा था, चाची ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी।मैं भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वो सिसकारी भर रही थी। मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था।
मैंने कहा- चाची, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार कर माल निकालना ही पड़ेगा।
चाची- आज मैं मार देती हूँ तेरी मुठ ! मुझसे मुठ मरवाएगा?
मैंने कहा- तुम्हें आता है लंड की मुठ मारना?
चाची- मुझे क्या नहीं आता? तेरे चाचा का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ। सिर्फ हाथ से ही नही... किसी और से भी..
मैंने कहा- किसी और से कैसे?
चाची- तुझे नहीं पता कि लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?
मैंने कहा- पता है मुझे ! मुंह से ना?
चाची- तुझे तो सब पता है।
मैंने कहा- तुम चाचा का लंड अपने मुंह में लेकर चूसती हो?
चाची- हाँ रे, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको !
मैंने कहा- तुम चाचा का माल भी पीती हो?
चाची- बहुत बार ! एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है।
मैंने- तुम तो बहुत एक्सपर्ट हो, मेरी भी मुठ मार दो आज अपने हाथों से ही सही !
चाची ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो। चाची सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरी मुठ मारने लगी। पहली बार कोई महिला मेरी मुठ मार रही थी, मैं ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया, धीरे से बोला- हाय चाची, मेरा निकलने वाला है।
चाची ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा, सारा माल मैंने चाची की साड़ी में ही गिरा दिया।
फिर मैं चाची की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा, चाची भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, उनका माल भी निकलने लगा, उन्होंने तुरंत अपनी चूत में से मेरी उंगली निकाली और साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला।
दो मिनट बाद अचानक बोली- इम्तियाज़, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में !
मैंने कहा- क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है?
चाची- नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे !
मैंने- क्या काम है मुझसे?
चाची- वही जो अभी यहाँ कर रहे हो, वहाँ आराम से करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
कमरे में आते ही चाची ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। चाची ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।
वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।
चाची- इम्तियाज़, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !
मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति चाची की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी चचीजान के हाथों में थमा दिया।
चाची मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप ! कितना बड़ा लंड है रे !
मैंने आरज़ू की चूचियों का दबाते हुए कहा- आरज़ू, तू बड़ी मस्त है ! चाचा को तो खूब मज़े देती होगी तू !
आरज़ू- तू भी ले न मज़े ! तू चाचा का भतीजा है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! और तू मुझे सिर्फ आरज़ू कह ना ! चाची क्यों पुकारता है मुझे. अब से तू मेरा दूसरा खसम है !
मैंने- हाँ आरज़ू ! क्यों नहीं !
आरज़ू- हाय, कितना अच्छा लगता है जब तू मुझे मेरे नाम से बुलाता है, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?
मैंने- अब तक एक भी नहीं आरज़ू डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।
मैंने आरज़ू की ब्रा को खोला और चूचियों को नंगी करके आज़ाद कर दिया। इसकी चूचियाँ तो ऐसी थी कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों की चूचियाँ भी वैसी नहीं देखी, एकदम चिकनी और गोरी, एक तिल का भी दाग नहीं था !
मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। आरज़ू सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा।
आरज़ू पागल सी हो रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार साल से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।
आरज़ू जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया।
आरज़ू बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
मैंने कहा- सच बता आरज़ू, चाचा से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?
आरज़ू- तेरे चाचा से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे !
मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?
आरज़ू- जब मैं स्कूल में थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे चाचा से हो गई।
मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?
आरज़ू- हाँ ! लेकिन सब से प्यारा मर्द !
मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। आरज़ू ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।
वो दर्द में मारे बिलबिला गई।
बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !
लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।
70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !
मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?
आरज़ू हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर !
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, माल निकलने वाला है।
आरज़ू- निकाल दे ना वहीं अन्दर !
अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर आरज़ू की चूत में अपना लंड घुसा दिया। आरज़ू कराह उठी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।
मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- आरज़ू नहाएगी?
आरज़ू- हाँ रे, चल !
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटी और हम दोनों बाथरूम में आ गए। वहाँ मैंने आरज़ू को बाथटब में डाल दिया, फिर शावर को टब की ओर घुमाया और चला दिया। अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था। मैं आरज़ू के ऊपर लेट गया, अब हम ठण्डे पानी में एक दूसरे के आगोश में थे, मेरे होंठ उसके होंठों को चूम रहे थे। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों से खेल रहा था, और दूसरा हाथ उसकी चूत के छेद में उंगली कर रहा था।
और वो भी खाली नहीं थी, वो मेरे लंड को दबा रही थी। दस मिनट तक ठण्डे पानी में एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया, मैंने उसकी टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20 मिनट तक आराम से चोदता रहा। इस दौरान मेरे और उसके होंठ कभी अलग नहीं हुए।
अचानक मेरे लंड ने माल निकलना चालू किया तो मैं उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होंठों का दबाव उसके होंठों पर और ज्यादा बढ़ गया। जब मैं उसके होंठों को छोड़ा तो उसने कहा- कितनी देर तक चोदते हो, मेरी जान, तुम्हें पता है मेरा दो बार माल निकल चुका था इस चुदाई में ! मैं कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होंठों से ताला लगा दिया था।
मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरे लंड का करिश्मा?
आरज़ू- मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज ! अब चल कुछ खा पी लें ! अभी तो पूरी रात बाकी है।
मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया। थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी, मैं तौलिया लपेट कर बाहर आया और खाना मेज पर रखवा कर वेटर को वापस किया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैंने आरज़ू को आवाज दी तो आरज़ू नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने भी तौलिया खोल दिया। फिर हम दोनों ने जम कर चिकन-पुलाव खाया और बीयर पी। आरज़ू पहले भी बियर पीती थी, चाचा पिलाता था। मेरे कहने पर उसने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली। उसके बाद मैंने उसकी कम से कम 10-12 बार चुदाई की।
कभी उसकी चूत की चुदाई, तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुँह की चुदाई, कभी चूची की चुदाई !
साली आरज़ू भी कम नहीं थी, एकदम रंडी की तरह रात भर चुदवाती रही, सारी रात मैंने उसे लूटा। सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई की, तब जाकर आरज़ू को थकान हुई। तब बोली- इम्तियाज़, अब मैं थक गई हूँ, अब बाथरूम चल ना !
मैं उसे उठा कर बाथरूम ले गया, बाथरूम में संडास की दो सीट थे. एक देसी और एक विदेशी ! उसे देसी सीट पसंद थी, मैं विदेशी सीट पर बैठ गया और संडास करने लगा। वो मेरे सामने ही देसी सीट पर बैठ कर संडास करने लगी। मुझे उसकी संडास की खुशबू भी अच्छी लग रही थी।
मैंने कहा- आरज़ू, तेरी गांड मैं धोऊंगा आज.
उसने कहा- ठीक है. मैं भी तेरी गांड धोउंगी .
संडास कर के हम दोनों उठे, मैंने उसे सर नीचे करके गांड उठाने कहा। उसने ऐसा ही किया. इससे उसकी गांड खुल गई मैंने पानी से अच्छे से उसके गांड में लगे पैखाने को अपने हाथ से साफ़ किया, फिर मैंने भी वही पोजीशन बनाई, उसने भी मेरी गांड को अपने हाथ से साफ़ किया।
फिर हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे। टब में एक बार उसकी चुदाई की।
फिर वापस कमरे में आकर नाश्ता मंगवाया और नाश्ता करके हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे।
हम दोनों नंगे थे, उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया, लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया। मैं आरज़ू के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड़ दिया।
तभी चाचा का फोन आया लेकिन मैंने आरज़ू की चुदाई बंद नहीं की, आरज़ू ने मुझसे चुदवाते हुए अपने खाविन्द यानि मेरे चाचा से बात की।
उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं, फिर आरज़ू से पूछा कि क्या तुम इम्तियाज के साथ बंगलौर घूमी या नहीं।
आरज़ू ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा- उसे फुर्सत ही नहीं मिलती है। जब आप आयेंगे तभी मैं आपके साथ घूमूंगी। तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ।
फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाई और जला कर कश लेते हुए कहा- क्यों इम्तियाज? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?
मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा- क्यों नहीं आरज़ू डार्लिंग ! लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज !
आरज़ू ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा- तू भी तो कम हरामी नहीं है, पक्का मादरचोद है तू ! मौका मिले तो अपनी माँ-बहन को भी चोद डालेगा तू !
मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली ! एकदम सही पहचाना मुझे ! तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू मेरे घर पर चाची बन के आई थी। अब जाकर मौका मिला है तुझे चोदने का।
आरज़ू- हाय मेरे हरामी राजा, पहले क्यों नहीं बताया, इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता।
मैंने कहा- सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान !
तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था, अब मैं उसके बदन पर निढाल सा पड़ा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी।

और फिर अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि चाचा दुबई से वापस नहीं आ गए।

 You Also Like ज़िन्दगी के अजीब रंग | प्यार से चुदाई | प्यारा दोस्त और दीदी -2 | प्यारा दोस्त और दीदी -1यहाँ भी चुदी और वहाँ भी-1यहाँ भी चुदी और वहाँ भी-2 | मेरी चुदासभाई ने गांड में लंड दियासगी बहन की चूतअंकल ने मम्मी को रंडी बनायाअंकल की नाजायज़ बीवी बनीमेरे भाई का Birthday | वर्जिन सोनिया की चुदाई | बालों वाली चूत  आंटी की चूत | चुदासी भाभी की चूत में बेलन | पापा ने चुदना सिखाया  अपार्टमेन्टमेरी बेटी  मेरी चुदने की इच्छाबुर में कीड़े रेंग रहे हैं  |  लड़की को उत्तेजित करने का तरीकाGrand मस्ती | बोस की बेटी की चुदाई  | मोना आंटी और उनकी चूचियाँ  मेरी पहली चुदाई | भाभी का प्यारदीदी की चूचियों का रस | रूही की चुदाईभाभी की बहन पूनम   आपी की चूत   | नौ रातो की बेवफाई   | सर की बीवी | ममेरी बहन की चुदाई | जीजाजी, दीदी. और. मैं | चूत मम्मी की और चुदाई बेटी की | अलका. भाभी. को. माँ. बनायाभतीजी की चुदाई | गाँव में चुदाई | पड़ोस में रहने वाली भाभी | अवैध संबंध | मेरी साली सीमा | भाई. की. नीयत  |  आई. लव. यू  |  भाभी की चुदाई | लड़की को क्लास में चोदा  |  मुँहबोली बहन | देशी भाभी की चुदाई | चाचीजान की गरमी  |  भइया का अधूरा काम   गाण्ड मारने की विधि | भइया का अधूरा काम