Wednesday, 7 August 2013

चाचीजान की गरमी

मेरा नाम इम्तियाज़ है। बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 19 साल की थी और मैं इंजीनियरिंग के पहले साल में बंगलौर में पढ़ रहा था। मैं बनारस का रहने वाला हूँ। मेरे एक्जाम समाप्त हो गए थे तो कुछ दिनों की छुट्टियों में घर आया था। हमारा संयुक्त परिवार है, मेरे परिवार के अलावा मेरे चाचा एवं चाची भी साथ में ही रहते थे। मेरे चाचा पेशे से सैनेटरी वेयर के थोक विक्रेता थे, उन्होंने काफी पैसा कमा रखा था। उनकी शादी को कई साल हो गए थे लेकिन अभी तक कोई संतान नहीं थी। चाची की उम्र 29 साल की थी, वो पास के ही एक गाँव की हैं ! थी तो देहाती पर मस्त चीज थी, उनकी जवानी पूरे शवाब पर थी, झक्क गोरा बदन और कंटीले नैन नक्श और गदराये बदन की मालकिन थी, चाचा चाची ऊपर की मंजिल में रहते थे।
जब चाचा दुकान और मेरे अब्बू अपने दफ्तर चले जाते थे तो मैं और चाची दिन भर ऊपर बैठ कर गप्पें हांका करते थे। चाची का नाम आरज़ू है। सच कहूँ तो वो मुझे अपना दोस्त मानती थी। वो मेरे सामने बड़े ही सहज भाव से रहती थी, अपने कपड़े भी मेरे सामने ठीक से नहीं पहनती थी, उनके वक्ष की आधी दरार हमेशा दिखती रहती थी, कभी कभी तो सेक्स की बात भी कर लेती थी। जब भी मुझे अकेली पाती थी तो हमेशा द्वीअर्थी बात बोलती थी, जैसे बछड़ा भी दूध देता है, तेरा डंडा कितना बड़ा है? तुझे स्पेशल दवा की जरुरत है, आदि !
दिन भर मेरे कालेज और बंगलौर के किस्से सुनती रहती थी।
जब मेरे बंगलौर जाने के कुछ शेष रह गए तो एक दिन चाची ने कहा- हम भी बंगलौर घूमने जाना चाहते हैं।
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं ! आप दोनों मेरे साथ ही इस शनिवार को चलिए, मैं आप दोनों को पूरी सैर करवा दूँगा।
चाची ने अपनी इच्छा चाचा को बताई तो चाचा तुरंत मान गए। मैंने उसी समय इन्टरनेट से तीन टिकट एसी फर्स्ट क्लास में बुक करवा लिए। शनिवार को हमारी ट्रेन थी, शनिवार को सुबह हम तीनों ट्रेन से बंगलौर के लिए रवाना हुए। अगले दिन शाम सात बजे हम सभी बंगलौर पहुँच गए। मैंने उनको एक बढ़िया होटल में कमरा दिला दिया। उसके बाद मैं वापस अपने होस्टल आ गया। होस्टल आने पर पता चला कि कालेज के गैर शिक्षण कर्मचारी अपनी वेतनवृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं और इस दौरान कालेज बंद रहेगा। मेरे अधिकाँश मित्रों को यह बात पता चल गई थी इसलिए सिर्फ 25-30 प्रतिशत छात्र ही कालेज आये थे।
मैं अगले दिन करीब 11 बजे अपने चाचा के कमरे पर गया, वहाँ वे दोनों नाश्ता कर रहे थे। चाची ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा दिया। मैंने देखा कि चाचा कुछ परेशान हैं।
पूछने पर पता चला कि जिस कम्पनी का उन्होंने फ्रेंचाइजी ले रखा है उस कम्पनी ने दुबई में जबरदस्त सेल ऑफ़र किया है, अब चाचा की परेशानी यह थी कि अगर वो वापस चाची को बनारस छोड़ने जाते और वहाँ से दुबई जाते तो तब तक सेल समाप्त हो जाती और अगर साथ में लेकर दुबई जा नहीं सकते थे क्योंकि चाची का कोई पासपोर्ट वीजा था ही नहीं।
मैंने कहा- अगर आप दुबई जाना चाहते हैं तो आप चले जाएँ क्योंकि मेरा कालेज अभी एक सप्ताह बंद रह सकता है। मैं चाची को या तो बनारस पहुँचा दूँगा या फिर आपके वापस आने तक यहीं रहेगी। आप दुबई से यहाँ आ जाना और फिर घूम फिर कर चाची के साथ वापस बनारस चले जाना।
चाचा को मेरा सुझाव पसंद आया।
चाची ने भी कहा- हाँ जी, आप बेफिक्र हो कर जाइए और वापस यहीं आइयेगा। तब तक इम्तियाज़ मुझे बंगलौर घुमा देगा। आपके साथ मैं दोबारा घूम कर वापस आपके साथ ही बनारस जाऊँगी।
चाचा को चाची का यह सुझाव भी पसंद आया।
लैपटॉप पर इन्टरनेट खोल कर देखा तो उसी दिन के दो बजे की फ्लाईट में सीट खाली थी। चाचा ने तुरंत सीट बुक की और हम तीनों एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े। दो बजे चाचा की फ्लाईट ने दुबई की राह पकड़ी और मैंने एवं चाची ने बंगलौर बाज़ार की।
चाची के साथ लंच किया, घूमते घूमते हम मल्टीप्लेक्स आ गए। शाम के सात बज गए थे, चाची ने कहा- काफी महीनों से मल्टीप्लेक्स में सिनेमा नहीं देखा, आज देखूँगी।
मैंने देखा कि कोई नई पिक्चर आई थी, इसलिए सारी टिकट बिक चुकी थी। उसके किसी हाल में कोई एडल्ट टाइप की इंग्लिश पिक्चर की हिंदी वर्सन लगी हुई है, फिल्म चार सप्ताह से चल रही थी इसलिए अब उसमें कोई भीड़ नहीं थी।
मैंने दो टिकट सबसे कोने के लिए और हम हाल के अन्दर चले गए। मुझे सबसे ऊपर की कतार वाली सीट दी गई थी और उस पूरी कतार में दूसरा कोई भी नहीं था। हमारी कतार के पीछे सिर्फ दीवार थी, मैंने जानबूझ कर ऐसी सीट मांगी थी। मेरा आगे वाले तीन कतार के बाद कोने पर एक लड़का और लड़की अकेले थे, उस कतार में भी उसके अलावा कोई नहीं था। उससे अगली कतार में दूसरे कोने पर एक और जोड़ा था, इस तरह से उस समय 300 दर्शकों की क्षमता वाले हाल में सिर्फ 20-22 दर्शक रहे होंगे। पता नहीं इतने कम दर्शकों के लिए फिल्म क्यों लगा रखी थी।
चाची मेरे दाहिने ओर बैठी, चाची के दाहिने दीवार थी। तुरंत ही फिल्म चालू हो गई।
फिल्म शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे बाद के चौथे कतार में बैठे लड़के एवं लड़की ने होठों से चूमाचाटी करना चालू कर दिया। हालांकि बंगलौर के सिनेमा घरों में इस तरह के नजारे आम बात हैं, हर शो में कुछ लड़के लड़की सिर्फ इसलिए ही आते हैं।
चाची ने उस जोड़े की तरफ मुझे इशारा करके कहा- हाय देख तो इम्तियाज़ ! कैसे खुलेआम चूम रहे हैं।
मैंने कहा- चाची, यहाँ आधे से अधिक सिर्फ इसलिए ही आते हैं। सिनेमा हाल ऐसे काम के लिए बेस्ट हैं। तुम उस कोने पर बैठे उस जोड़े को तो देखो, वो भी यही काम कर रहे हैं। अभी तो सिर्फ एक दुसरे को किस कर रहे हैं, आगे देखना क्या क्या करते हैं। तुम ध्यान मत देना इन सब पर ! सब मस्ती करते हैं, यही तो जिन्दगी है।
चाची- तूने भी कभी मस्ती की या नहीं इस तरह से सिनेमा हाल में?
मैंने कहा- अभी तक तो नहीं की लेकिन अब के बाद पता नहीं !
तुरंत ही फिल्म में सेक्सी सीन आने शुरू हो गए, चाची ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- हाय राम, जरा देखो तो यह कैसी सिनेमा है।
मैंने कहा- चाची, यह बंगलौर है, यहाँ सब इसी तरह की फिल्में लगती हैं, चुपचाप आराम से ऐसी फिल्मों के मज़े लो ! बनारस में ये सब देखने को नहीं मिलेगा।
वो पूरी फिल्म सेक्स पर ही आधारित थी, चाची अब गर्म हो रही थी, वो गर्म गर्म साँसें फेंक रही थी, उसका बदन ऐंठ रहा था, शायद वो पहली बार किसी हाल में एडल्ट फिल्म देख रही थी।
मैंने पूछा- क्यों चाची? पहले कभी देखी है ऐसी मस्त फिल्म?
चाची- नहीं रे ! कभी नहीं देखी।
मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके पीछे से ले जाकर उनके कंधे पर रख दिया। मैंने देखा कि चाची अपने हाथ से अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से सहला रही हैं, शायद सेक्सी सीन देख कर उनकी चूत गीली हो रही थी। मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, मैंने भी अपना बायाँ हाथ अपने लंड पर रख दिया। मैंने धीरे धीरे चाची के पीठ पर हाथ फेरा, उन्होंने कुछ नहीं कहा, वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी। मैंने उनकी पीठ पर से हाथ फेरना छोड़ दाहिने हाथ से उनके गले को लपेटा और अपनी तरफ उसे खींचते हुए लाया। चाची मेरी तरफ झुक गई।
मैंने पूछा- क्यों चाची, मज़ा आ रहा है फिल्म देखने में?
चाची ने शर्माते हुए कहा- धत्त ! मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है।
मैंने कहा- क्यों ? इसमें शर्माना कैसा? तुम और चाचा तो ऐसा करते होंगे न? तेरे एक हाथ जहाँ हैं न उससे तो लगता है कि मज़े आ रहे हैं तुम्हें !
चाची- हाय राम, बड़ा बेशर्म हो गया है तू रे बंगलौर में रह कर ! बड़ा देखता है यहाँ-वहाँ कि कहाँ हाथ हैं, कहाँ नहीं?
मैंने चाची के कान को अपने मुँह के पास लाया और कहा- जानती हो चाची? ऐसी फिल्म देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है।
चाची ने अपने होंठ मेरे होंठों के पास लगभग सटाते हुए कहा- क्या होने लगता है?
मैंने अपने लंड को घिसते हुए कहा- वही, जो तुझे हो रहा है ! मन करता है कि यहीं निकाल दूँ !
चाची- सिनेमा हाल में निकालते हो क्या?
मैंने- कई बार निकाला है, आज तुम हो इसलिए रुक गया हूँ।
चाची- आज यहाँ मत निकाल, बाद में निकाल लेना।
थोड़ी देर में फिल्म की नायिका ने अपनी चूची मसलवा रही थी, हम दोनों और गर्म हो गए तो मैंने चाची के कान में अपने होंठ सटा कर कहा- देख चाची, साली की चूची क्या मस्त हैं ! नहीं?
चाची- ऐसी तो सबकी होती हैं।
मैंने- तुम्हारी क्या ऐसी ही चूची हैं?
चाची- और नहीं तो क्या?
मैंने- तुम्हारी चूची छूकर देखूँ क्या?
चाची- हाँ, छू कर देख ले।
मैंने अपना दाहिना हाथ से उनकी चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा। उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपनी चूचियाँ दबवाने लगी। मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया, फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनके बड़े बड़े चुच्चों को मसलने लगा, वो मस्त हुई जा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं- अपनी ब्लाउज खोल दो ना ! तब मज़े से दबाऊँगा।
उसने कहा- यहाँ?
मैंने कहा- और नहीं तो क्या? साड़ी से ढके रहना, यहाँ कोई नहीं देखने वाला।
वो भी गर्म हो चुकी थी, उन्होंने ब्लाउज खोल दिया, लगे हाथ ब्रा भी खोल दिया और अपने नंगी चूची को अपनी साड़ी से ढक लिया। मैंने मज़े ले लेकर नंगी चूचियों को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया।
मैं जो चाहता था वो मुझे करने दे रही थी, मुझे पूरी आजादी दे रखी थी। मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उनके हाथ को अपने लंड पर रख दिया और धीरे से कहा- देखो ना ! कितना खड़ा हो गया है।
चाची ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया।
अब मैंने देख लिया कि चाची पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जाकर नाभि को सहलाने लगा, धीरे धीरे मैंने अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभि के नीचे उनके साड़ी के अन्दर डाल दिया। चाची थोड़ी चौड़ी हो गई जिससे मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके। मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उनकी पेंटी मिल गई, मैंने उनकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया।
ओह क्या चूत थी ! एकदम घने बाल ! पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी। मैं काफी देर तक उनकी चूत को सहलाता रहा और वो मेरे लंड को दबा रही थी। मैंने अपने दाहिने हाथ की एक उंगली उनकी चूत के अन्दर घुसा दी।वो पागल सी हो गई।
उन्होंने आसपास देखा तो कोई भी हमारे पास नहीं था, उन्होंने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आई, फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से लाकर अपनी चूत पर रख कर बोली- अब आराम से कर, जो करना है।
अब मैं उनकी चूत को आराम से मसल रहा था, उन्होंने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था। मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर ली।
उन्होंने मेरे कान में कहा- तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना, मैं भी तेरा सहलाऊँ।
मैंने जींस की ज़िप खोल दी, लंड डण्डे की तरह खड़ा था, चाची ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी।मैं भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वो सिसकारी भर रही थी। मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था।
मैंने कहा- चाची, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार कर माल निकालना ही पड़ेगा।
चाची- आज मैं मार देती हूँ तेरी मुठ ! मुझसे मुठ मरवाएगा?
मैंने कहा- तुम्हें आता है लंड की मुठ मारना?
चाची- मुझे क्या नहीं आता? तेरे चाचा का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ। सिर्फ हाथ से ही नही... किसी और से भी..
मैंने कहा- किसी और से कैसे?
चाची- तुझे नहीं पता कि लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?
मैंने कहा- पता है मुझे ! मुंह से ना?
चाची- तुझे तो सब पता है।
मैंने कहा- तुम चाचा का लंड अपने मुंह में लेकर चूसती हो?
चाची- हाँ रे, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको !
मैंने कहा- तुम चाचा का माल भी पीती हो?
चाची- बहुत बार ! एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है।
मैंने- तुम तो बहुत एक्सपर्ट हो, मेरी भी मुठ मार दो आज अपने हाथों से ही सही !
चाची ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो। चाची सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरी मुठ मारने लगी। पहली बार कोई महिला मेरी मुठ मार रही थी, मैं ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया, धीरे से बोला- हाय चाची, मेरा निकलने वाला है।
चाची ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा, सारा माल मैंने चाची की साड़ी में ही गिरा दिया।
फिर मैं चाची की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा, चाची भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, उनका माल भी निकलने लगा, उन्होंने तुरंत अपनी चूत में से मेरी उंगली निकाली और साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला।
दो मिनट बाद अचानक बोली- इम्तियाज़, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में !
मैंने कहा- क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है?
चाची- नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे !
मैंने- क्या काम है मुझसे?
चाची- वही जो अभी यहाँ कर रहे हो, वहाँ आराम से करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है चलो।
और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।
कमरे में आते ही चाची ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। चाची ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।
वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।
चाची- इम्तियाज़, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !
मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति चाची की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी चचीजान के हाथों में थमा दिया।
चाची मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप ! कितना बड़ा लंड है रे !
मैंने आरज़ू की चूचियों का दबाते हुए कहा- आरज़ू, तू बड़ी मस्त है ! चाचा को तो खूब मज़े देती होगी तू !
आरज़ू- तू भी ले न मज़े ! तू चाचा का भतीजा है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! और तू मुझे सिर्फ आरज़ू कह ना ! चाची क्यों पुकारता है मुझे. अब से तू मेरा दूसरा खसम है !
मैंने- हाँ आरज़ू ! क्यों नहीं !
आरज़ू- हाय, कितना अच्छा लगता है जब तू मुझे मेरे नाम से बुलाता है, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?
मैंने- अब तक एक भी नहीं आरज़ू डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।
मैंने आरज़ू की ब्रा को खोला और चूचियों को नंगी करके आज़ाद कर दिया। इसकी चूचियाँ तो ऐसी थी कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों की चूचियाँ भी वैसी नहीं देखी, एकदम चिकनी और गोरी, एक तिल का भी दाग नहीं था !
मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। आरज़ू सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा।
आरज़ू पागल सी हो रही थी।
मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार साल से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।
आरज़ू जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया।
आरज़ू बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
मैंने कहा- सच बता आरज़ू, चाचा से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?
आरज़ू- तेरे चाचा से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे !
मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?
आरज़ू- जब मैं स्कूल में थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे चाचा से हो गई।
मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?
आरज़ू- हाँ ! लेकिन सब से प्यारा मर्द !
मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। आरज़ू ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।
वो दर्द में मारे बिलबिला गई।
बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !
लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।
70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !
मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?
आरज़ू हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर !
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, माल निकलने वाला है।
आरज़ू- निकाल दे ना वहीं अन्दर !
अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर आरज़ू की चूत में अपना लंड घुसा दिया। आरज़ू कराह उठी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।
मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- आरज़ू नहाएगी?
आरज़ू- हाँ रे, चल !
मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटी और हम दोनों बाथरूम में आ गए। वहाँ मैंने आरज़ू को बाथटब में डाल दिया, फिर शावर को टब की ओर घुमाया और चला दिया। अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था। मैं आरज़ू के ऊपर लेट गया, अब हम ठण्डे पानी में एक दूसरे के आगोश में थे, मेरे होंठ उसके होंठों को चूम रहे थे। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों से खेल रहा था, और दूसरा हाथ उसकी चूत के छेद में उंगली कर रहा था।
और वो भी खाली नहीं थी, वो मेरे लंड को दबा रही थी। दस मिनट तक ठण्डे पानी में एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया, मैंने उसकी टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20 मिनट तक आराम से चोदता रहा। इस दौरान मेरे और उसके होंठ कभी अलग नहीं हुए।
अचानक मेरे लंड ने माल निकलना चालू किया तो मैं उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होंठों का दबाव उसके होंठों पर और ज्यादा बढ़ गया। जब मैं उसके होंठों को छोड़ा तो उसने कहा- कितनी देर तक चोदते हो, मेरी जान, तुम्हें पता है मेरा दो बार माल निकल चुका था इस चुदाई में ! मैं कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होंठों से ताला लगा दिया था।
मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरे लंड का करिश्मा?
आरज़ू- मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज ! अब चल कुछ खा पी लें ! अभी तो पूरी रात बाकी है।
मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया। थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी, मैं तौलिया लपेट कर बाहर आया और खाना मेज पर रखवा कर वेटर को वापस किया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैंने आरज़ू को आवाज दी तो आरज़ू नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने भी तौलिया खोल दिया। फिर हम दोनों ने जम कर चिकन-पुलाव खाया और बीयर पी। आरज़ू पहले भी बियर पीती थी, चाचा पिलाता था। मेरे कहने पर उसने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली। उसके बाद मैंने उसकी कम से कम 10-12 बार चुदाई की।
कभी उसकी चूत की चुदाई, तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुँह की चुदाई, कभी चूची की चुदाई !
साली आरज़ू भी कम नहीं थी, एकदम रंडी की तरह रात भर चुदवाती रही, सारी रात मैंने उसे लूटा। सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई की, तब जाकर आरज़ू को थकान हुई। तब बोली- इम्तियाज़, अब मैं थक गई हूँ, अब बाथरूम चल ना !
मैं उसे उठा कर बाथरूम ले गया, बाथरूम में संडास की दो सीट थे. एक देसी और एक विदेशी ! उसे देसी सीट पसंद थी, मैं विदेशी सीट पर बैठ गया और संडास करने लगा। वो मेरे सामने ही देसी सीट पर बैठ कर संडास करने लगी। मुझे उसकी संडास की खुशबू भी अच्छी लग रही थी।
मैंने कहा- आरज़ू, तेरी गांड मैं धोऊंगा आज.
उसने कहा- ठीक है. मैं भी तेरी गांड धोउंगी .
संडास कर के हम दोनों उठे, मैंने उसे सर नीचे करके गांड उठाने कहा। उसने ऐसा ही किया. इससे उसकी गांड खुल गई मैंने पानी से अच्छे से उसके गांड में लगे पैखाने को अपने हाथ से साफ़ किया, फिर मैंने भी वही पोजीशन बनाई, उसने भी मेरी गांड को अपने हाथ से साफ़ किया।
फिर हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे। टब में एक बार उसकी चुदाई की।
फिर वापस कमरे में आकर नाश्ता मंगवाया और नाश्ता करके हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे।
हम दोनों नंगे थे, उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया, लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया। मैं आरज़ू के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड़ दिया।
तभी चाचा का फोन आया लेकिन मैंने आरज़ू की चुदाई बंद नहीं की, आरज़ू ने मुझसे चुदवाते हुए अपने खाविन्द यानि मेरे चाचा से बात की।
उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं, फिर आरज़ू से पूछा कि क्या तुम इम्तियाज के साथ बंगलौर घूमी या नहीं।
आरज़ू ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा- उसे फुर्सत ही नहीं मिलती है। जब आप आयेंगे तभी मैं आपके साथ घूमूंगी। तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ।
फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाई और जला कर कश लेते हुए कहा- क्यों इम्तियाज? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?
मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा- क्यों नहीं आरज़ू डार्लिंग ! लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज !
आरज़ू ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा- तू भी तो कम हरामी नहीं है, पक्का मादरचोद है तू ! मौका मिले तो अपनी माँ-बहन को भी चोद डालेगा तू !
मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली ! एकदम सही पहचाना मुझे ! तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू मेरे घर पर चाची बन के आई थी। अब जाकर मौका मिला है तुझे चोदने का।
आरज़ू- हाय मेरे हरामी राजा, पहले क्यों नहीं बताया, इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता।
मैंने कहा- सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान !
तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था, अब मैं उसके बदन पर निढाल सा पड़ा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी।

और फिर अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि चाचा दुबई से वापस नहीं आ गए।

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गाण्ड मारने की विधि

इस विधि में लड़की की गाण्ड की बात की गई है लेकिन अगर आप लड़के की गाण्ड मारना चाहते हैं तो भी यही विधि लागू होगी क्योंकि गाण्ड दोनों की एक जैसी होती है।

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ज़रूरी बातें :
गाण्ड मारने से पहले कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना होगा। अगर इन बातों का ध्यान रखा गया तो लड़की को भी उतना ही मज़ा आएगा जितना आपको और वो आपसे बार बार गाण्ड मरवाने की कोशिश करेगी। अगर इन ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया तो हो सकता है आप गाण्ड कभी मार ही नहीं पाएँगे !

लड़की की मंज़ूरी
सबसे पहले यह बहुत ज़रूरी है कि लड़की गाण्ड मरवाने के लिए राज़ी हो। इसके लिए आपको उसे यह भरोसा दिलाना होगा कि आप ज़बरदस्ती नहीं करेंगे और अगर किसी भी वक़्त वो मना करती है तो आप रुक जएँगे। लड़की को ज़्यादा दर्द नहीं होना चाहिए। दर्द को कम करने का तरीक़ा इस विधि में आगे बताया गया है।

गाण्ड की बनावट

भगवान ने गाण्ड को संभोग के लिया नहीं बनाया इसलिए इसकी बनावट, पोज़िशन और प्रक्रिया ऐसी है कि आदमी का लिंग आसानी से उस में प्रवेश नहीं कर सकता (जैसा की चूत में कर सकता है)। इसके लिए आप को गाण्ड की बनावट के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
गाण्ड का काम शरीर से मल बाहर निकलना है। इसके मुँह की तरफ दो छल्लेदार मांसपेशियाँ (रिंग मसल्स) होते हैं जो कि अपनी इच्छा से खोले या बंद किए जा सकते हैं। एक छल्ला बिल्कुल मुँह पर होता है और दूसरा करीब पौन इंच अंदर की तरफ होता है। इन मांसपेशियों को आप अपनी गाण्ड में महसूस कर सकते हैं। अपनी बीच की उंगली पर तेल या क्रीम लगा कर अपनी गाण्ड में डालने की कोशिश करें। जो बाहर की मांसपेशी है वो अपने आप सिमट कर सिकुड़ जाएगी क्योंकि उसका काम है बाहर की चीज़ को अंदर जाने से रोकना ! अपने आप को थोड़ा रिलॅक्स करो और गाण्ड की मांसपेशी को ढीला करो तो आपकी उंगली थोड़ा अंदर चली जाएगी। अब आप दूसरी मांसपेशी को महसूस कर सकेंगे जो कि आपकी उंगली को और अंदर नहीं जाने देगी। इस मांसपेशी को भी आप ढीला कर सकते हैं और थोड़ी कोशिश के बाद आपकी उंगली इसके भी पार हो जाएगी। जब दूसरी मांसपेशी पार कर ली तो फिर कोई और रुकावट नहीं होगी और आपकी उंगली आसानी से अंदर जा सकती है।
गाण्ड की ये मान्सपेशियाँ काफ़ी मज़बूत होती हैं और इनको आसानी से पार नहीं किया जा सकता। ख़ास तौर से अगर लड़की की मर्ज़ी ना हो तो। दूसरी बात यह भी है कि उंगली के मुक़ाबले में लंड का घेरा (साइज़) ज़्यादा होता है, इस कारण भी गाण्ड के अंदर डालना मुश्किल होता है।
गाण्ड की एक ख़ासियत है कि चूत की तरह इसमें कोई तरल (लिक्विड) चीज़ का प्रवाह नहीं होता। जब लड़की सेक्स की लिए उत्सुक होती है तो उसकी चूत में अपने आप गीलापन होता है जिससे लंड का प्रवेश आसान हो जाता है। यह प्रकृति का तरीक़ा है क्योंकि चूत को बनाया ही इस काम के लिए है। गाण्ड में कोई प्राकृतिक चिकनाहट नहीं होती इसलिए वो हमेशा सूखी सी रहती है। ऐसी हालत में लंड के प्रवेश से ना केवल लड़की को दर्द होगा बल्कि पुरुष को भी मज़ा नहीं आएगा। कुछ देर के बाद लंड में भी दर्द हो सकता है तो चुदाई का मज़ा किरकिरा हो सकता है।

गाण्ड की इन मांसपेशियों के इर्द गिर्द बहुत सी चेतना-नसें(नर्व-एंडिंग्स) होती हैं जिनमें रक्त संचार होता है। इस कारण गाण्ड मरवाने के दौरान लड़की को भी बहुत मज़ा आता है, शर्त यह है कि उसे दर्द ना हो।
गाण्ड ठीक से ना मारी जाए तो लड़की को बहुत दर्द होता है।

गाण्ड की बनावट से यह साफ हो गया है कि:
1) गाण्ड में कोई बाहर की चीज़ आसानी से अंदर नहीं जा सकती।
2) गाण्ड के अंदर कुछ भी डालने के लिए गाण्ड की मांसपेशियाँ को ढीला करना ज़रूरी है।
3) गाण्ड की मांसपेशियों को लड़की अपनी मर्ज़ी से ढीली या टाइट कर सकती है।
4) गाण्ड को बाहरी चिकनाहट की ज़रूरत होती है।
5) गाण्ड में नर्व एंडिंग्स होती हैं जिससे लड़की को गाण्ड मरवाने मैं मज़ा आता है। (यही कारण है कि दुनिया में इतने पुरुष समलिंगी होते हैं और खुशी खुशी गाण्ड मरवाते हैं)

गाण्ड की तैयारी
क्योंकि भगवान ने गाण्ड को संभोग के लिए नहीं बनाया है तो यह आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि आप उसे इस काम के लिए तैयार करें। यह तैयारी तुरन्त नहीं हो सकती। इसमें 2-3 दिन से लेकर 6-7 दिन तक लग सकते हैं। जितनी आराम से तैयारी करेंगे, लड़की को आप पर उतना ही भरोसा बढ़ेगा और आपको भी उतना ही सुख गाण्ड मारने में मिलेगा। इसलिए जल्दबाज़ी मत करें।




गाण्ड की सफाई
अगर लड़की ने मंज़ूरी दे दी है और वो गाण्ड मरवाने का अनुभव करना चाहती है तो अपने आप वो अपनी गाण्ड को अच्छी तरह से साफ करके आएगी। गाण्ड अगर गंदी होगी तो सारा मज़ा खराब हो जाएगा। सबसे मज़ेदार तरीक़ा है जब आप दोनों एक साथ स्नान करो और इस दौरान एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाओ और साफ करो।
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ज़रूरी सामान
साफ बिस्तर
1-2 सख़्त तकिये
1-2 छोटे तौलिए
1 मोटी मोमबत्ती (1.5 – 2.0 इंच चौड़ी, 6-8 इंच लंबी)
1 ट्यूब के-वाइ जेली / नारियल तेल (तेल से जेली बेहतर है)

ताडालफिल टॅबलेट (गाण्ड मारने के लिए लंड सख़्त होना बहुत ज़रूरी है। अगर आपका लंड शिथिल है या पूरी तरह खड़ा नहीं है तो एक ताडालफिल या सिल्डेनफिल टॅबलेट सियलिस/वियागरा लें सकते हैं जैसे फ़ोर्ज़ेस्ट 10 या फ़ोर्ज़ेस्ट 20. जिनको हृदय रोग या रक्त चाप की बीमारी है उन्हें यह गोली नहीं लेनी चाहिए। इस गोली का असर 24 से 36 घंटे तक रहता है। गाण्ड मारने से 15-20 मिनट पहले ले सकते हैं। कभी भी एक गोली से ज़्यादा ना लें !)
के वाइ जेली की ट्यूब रु 90/- और फ़ोर्ज़ेस्ट (रु 200/- की 4) किसी भी केमिस्ट की दुकान पर मिल जाएगी।

शुरुआत

ध्यान रखो कि आपकी उंगली के नाख़ून बढ़े हुए नहीं हैं और ठीक तरह से कटे हुए हैं। नाख़ून के किनारे तेज़ नहीं होने चाहिए, उन्हें ठीक से फ़ाइल कर लो। अगर नाख़ून बढ़े होंगे तो जब उंगली लड़की की गाण्ड में डालोगे तो उसे लग सकता है।
लड़की को गाण्ड की बनावट के बारे में और रिंग मसल्स को किस तरह से ढीला या टाइट कर सकते हैं, के बारे में बताओ।

अब प्यार से लड़की के कपड़े उतारो और एक साफ बिस्तर पर पीठ के बाल लिटा दो। उसकी टाँगों को मोड़ दो और थोड़ा खोल दो। अब उसके चूतड़ों के नीचे 1-2 सख़्त तकिये रख कर उसके चूतड़ उपर की तरफ उठा दो जिससे उसकी चूत और गाण्ड साफ दिखाई दे। खुद भी पूरी तरह नंगे हो जाओ। अब उससे प्यार भारी बातें करो और पूरे शरीर को सहलाओ, खास तौर से उसके गाल, गर्दन, स्तन, चूचुक, पेट, जांघें और टाँगें !

कुछ देर तक उसकी चूत और गाण्ड को हाथ ना लगाएँ। थोड़ी देर में लड़की की चूची सख़्त हो जाएगी और वो अपनी टाँगें और खोल देगी। अब उसकी चूत को प्यार से सहलाना शुरू करो जिससे वो उत्तेजित हो जाए और चूत में से पानी का रिसाव होने लगे।

Tuesday, 6 August 2013

भइया का अधूरा काम

मेरा नाम हिमांशु है, मैं जयपुर में रहता हूँ। मैं आपको अपने सेक्स की पहली कहानी बताने जा रहा हूँ।

यह बात आज से दो साल पहले की है, तब मेरी उमर 20 वर्ष थी। मुझे रोज जिम जाने की आदत थी। मैं रोज 6 बजे उठकर जिम जाता था जिसके कारण मेरा शरीर काफ़ी गठीला हो गया था। मेरे पास वाले घर में दो भाभियाँ रहती थी, बड़ी वाली भाभी की शादी दो साल पहले और छोटी वाली भाभी रोशनी की छः महीने पहले हुई थी। बड़ी वाली भाभी धमाल थी तो छोटी वाली डबल धमाल थी, काफ़ी खूबसूरती के साथ साथ क्या तो फ़िगर था उनका !

मैं तो उनको देख कर पागल सा हो गया था। बड़े बड़े चूचे, भारी चूतड़, गोरा रंग और तो और शरीर में कहीं भी फ़ालतू चर्बी नहीं थी। उनको देखते ही उनकी चुदाई को मन करता, दिल चाहता कि उनको पकड़ कर रगड़ दूँ अपने लन्ड से !

मेरी यह इच्छा एक दिन पूरी होने को आई। एक मैं रात को अपने घर की छत पर घूम रहा था, मेरे हाथ में मेरा मोबाईल था, उसमें नंगी फ़िल्में थी चुदाई की जो मैं देख रहा था घर वालों से छिप कर। मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया जो भाभी के घर से जुड़ी हुई थी। अचानक किसी के आने की आहट हुई, जिसके डर से मेरा मोबाईल भाभी के घर में गिर गया। मैं देखने लगा कि कौन है, पर वो मेरा सिर्फ़ वहम था वहाँ कोई नहीं था। मैं मोबाईल को लेने के लिये भाभी के घर की छत पर कूदा। उनका घर दो मंजिला था और मेरी छत तीसरी मंजिल की थी। मैं उनकी सीढ़ियों की छोटी छत से धीरे से कूद कर उनकी छत पर गया।

वहाँ मैंने देखा की गद्दे बिछे पड़े हैं और मेरा मोबाइल गद्दे पर पडा है, पास ही भाभी लेटी हुई है एक ढीले से गाउन में वो गद्दे पर लेटी हुई थी।

मैंने मोबाईल उठाया यह सोचकर कि भाभी सो रही है। भाभी के शरीर को देखकर मेरा मन उन्हें पकड़ कर चोद देने का था पर मैं भाभी की एक फोटो चुपचाप खींचकर चला आया। रात को मैंने छत पर ही सोने का मन बनाया और सोने लगा।

देर रात मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी भाभी के घर से ! मैंने देखा कि भईया भाभी को चोद रहे थे। मैं चुपके से उनकी चुदाई देख रहा था, थोड़ी देर बाद भईया झड़ गये और घड़ी में टाइम देखकर बोले- मुझे जाना है, आधे घण्टे बाद की गाड़ी है दिल्ली की ! मुझे निकलना होगा अभी इसी वक्त !

और जाने लगे। भाभी अभी तक शान्त नहीं हुई थी पर वो भईया को नहीं रोक सकी, भईया चले गये।

भईया के जाने के बाद भाभी सोने लगी, मैं उन्हें देख रहा था तभी मेरे मोबाइल की लो बैट्री की टोन बजी तो भाभी उठ गई। उनकी नजर मेरे मोबाइल पर पड़ी, मैं झट से पीछे हट गया। थोड़ी देर बाद मैं वापिस देखने लगा तब भाभी ने मुझे पकड़ लिया और मुझे अपने पास बुलाया, मैं बहाने बनाने लगा पर उन्होंने मेरी फ़ोटो खेचने वाली हरकत पापा को बताने की धमकी दी और मुझे उनके पास जान पड़ा।

वो मुझे डाँटने लगी कि किसी को इस तरह नहीं देखना चाहिये। मैंने उनसे माफ़ी मांगी पर वो मुझे माफ़ नहीं कर रही थी। उन्होंने मुझे माफ़ करने की शर्त रखी कि जो काम भइया अधूरा छोड़कर, उसे पूरा करो !

मैं समझ नहीं पाया कि वो क्या कहना चाहती थी।

मैंने उन्हें कहा- मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आप क्या कहना चाहती हो?

तब उन्होंने मुझे चांटा मारा और कहा- जो काम मोबाइल में देखते हो, उसे मेरे साथ करो।

मैंने झट से उन्हें धक्का दिया और नीचे गिरा दिया।

उन्होंने मुझे कहा- यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- मैं मोबाइल में रेप देख रहा था, आपके साथ भी वो ही करूँ?

वो बोली- जो करना है करो, पर प्यार से करो ! नीचे आवाज ना पहुँचे !

मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उन्हें चूमने लगा। तभी भाभी मेरे होंटों को चूस चूस कर चुम्बन करने लगी, वो चूमाचाटी का पूरा मजा ले और दे रही थी।

उन्होंने मेरे लण्ड को मसलना शुरु कर दिया।

मैंने अब अपनी पैन्ट उतार दी, मेरा कच्छा तम्बू की तरह खड़ा था। मैंने उसे भी उतार दिया, मेरा 7 इन्च का काला कोबरा बाहर था। भाभी ने मोबाइल की लाइट में उसे देखा तो वो खुशी के मारे उसे जोर जोर से रगड़ने लगी।

मैंने भाभी का गाउन उतार दिया, वो पूरी तरह नंगी हो गई। मैंने मोबाइल की टॉर्च चालू की तो देखा भाभी का नंगा शरीर !

मेरा लन्ड हिचकोले खाने लगा, बड़े बड़े बोबे और उनकी गोरी चूत मेरे शरीर में बिजली पैदा कर रही थी, बस यह बिजली उनको देने के लिये प्लग जोड़ना बाकी था, मैंने भाभी की जाँघों को पकड़ा, उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनके बोबे दबा दबा कर चूसने लगा। हम दोनों की सांसें तेज हो गई। अब भाभी ने मेरे लन्ड को पकड़ लिया, मुँह में ले लिया और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।

तब ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में हूँ। मैं भी उन्हें और ज्यादा गर्म करने के लिये चूत चाटने लगा। वो मचलने लगी, मैं उनकी चूत चाट रहा था, वो मेरा लण्ड ! हम दोनों गर्म हो चुके थे, दोनों आहें भर रहे थे- आ आआ आ आह ओह ओह येह !

तब मैंने उनके चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और अपना लन्ड उनकी चूत के दरवाजे पर टिका दिया। उनकी चूत भैया से चुदने के बाद भी ज्यादा ढीली नहीं पड़ी थी पर गीली जरुर थी। मैंने एक झटका मारा, वो चिल्ला पड़ी। मेरा लन्ड 2 इन्च तक अन्दर चला गया, मैंने अपने हाथ से उनका मुंह बन्द कर दिया। मैंने अगले तीन झटकों में पूरा लौड़ा उनकी चूत में पेल दिया और धीरे धीरे झटके देने लगा। अब मैंने अपना हाथ उनके मुँह से हटा दिया तो वो आहे भरने लगी- आआ अह आह ओह येएह ओ येह आअह !

वो इस तरह की आवाजें निकाल रही थी, मेरा लण्ड धीरे धीरे गियर बदलने लगा, उनकी आहें बढ़ने लगी और उन्होंने मुझे जकड़ लिया अपनी बाहो में और वो अकड़ने लगी।

मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है और थोड़ी देर बाद वो झड़ गई। मैंने चुदाई जारी रखी, मेरे लौड़े की नसें मुझे पूरा मजा दे रही थी। दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया, मैंने अपना सारा लन्ड-रस उनकी चूत में ही छोड़ दिया और मैं उन्हीं के ऊपर लेट गया और थोड़ी देर बाद उनके बगल में लेट गया।

मैंने अपनी टांगें उनकी जांघों के बीच फ़ंसा दी और अपने हाथों से उनके चूतड़ों को पकड़ कर सो गया।

सुबह मोबाईल के अलार्म से नीन्द खुली तो देखा कि भाभी मुझसे चिपकी हुई है, मेरा मुँह उनके बोबो में और हाथ जांघों में था। तभी छत के दरवाजे को किसी ने खटखटाया, मैंने भाभी को उठाया, मैं घबरा कर उनके बाथरूम में अपने कपड़े लेकर भाग गया और भाभी ने गाउन पहन कर दरवाजा खोला तो वहाँ पर बड़ी भाभी दरवाजे पर खड़ी थी, वो बोली- इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में?

भाभी बोली- गहरी नीन्द में थी मैं, इसलिये देर हो गई दरवाजा खोलने में !

कह कर दोनों नीचे चली गई। उसके बाद मैं भी चुपचाप अपने घर चला आया छत के रास्ते !

उसके कुछ दिन बाद भाभी ने मुझे बताया कि उनको मासिक नहीं हुआ, लगता है कि वो मां बनने वाली है जिसका बाप मैं हूँ।

मैंने उनसे पूछा- आपको यकीन है कि यह मेरा ही बच्चा है?

उन्होंने कहा- तुम्हारे भईया अभी बच्चा नहीं चाहते तो वो हमेशा बाहर पानी गिराते हैं, उस दिन भी उन्होंने बाहर निकाल लिया था पर तूने चोद कर पानी अन्दर ही छोड़ दिया था जिससे मुझे गर्भ ठहर गया। अब उन्हें समझाना पड़ेगा कि पानी अन्दर गिर गया होगा।

आज उन्हें एक लड़का है जिसका बाप मैं हूँ और आज भी जब कभी भी मुझे मौका मिलता है मैं भाभी की चुदाई करता हूँ पर अब कोन्डोम लगा कर।

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