Monday, 9 September 2013

भाई. की. नीयत

एक दिन की बात है, मैं अपने कमरे में चैट करते हुए सिगरेट के कश का आनन्द ले रही थी, तभी मम्मी ने मेरे कमरे में प्रवेश किया और मुझे सिगरेट पीते हुए देख लिया और डांटने लगी लेकिन तभी पापा मेरे कमरे में आये और मेरी बजाए मम्मी को ही डांट दिया।

इस पर मम्मी चुप होकर वहाँ से चली गई। इसके बाद तो मुझे घर में रोकने वाला कोई नहीं था, मैंने अब पूरे घर में कहीं भी और कैसे भी घूमती।

जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि मेरे घर में मेरे, मम्मी-पापा के अलावा मेरा एक भाई यश भी है। इस आजादी के कारण मैं पूरे घर में नाइटी में घूमती, मेरे इस रूप को देखकर मेरे भाई की नीयत बिगड़ने लगी, वो मेरे रूप सौन्दर्य को घूर-घूर कर देखता, मुझे छूने के बहाने ढूंढता।

मैं उसकी हरकतें भाप गई, चूँकि मैंने भी कई दिनों से किसी के साथ सेक्स नहीं किया था तो मैं भी उसको बढ़ावा देने लगी। जैसे उसके सामने झुकना, उसके सामने कपड़े बदलना।

मैं जब भी कपड़े बदलती तो उसकी पैंट में एक उभार सा आ जाता। मैंने यह बात वाणी को बताई तो वो बोली कि वो भी मेरे भाई यश से चुदना चाहती है क्योंकि मेरा भाई एक बलिष्ट शरीर का मालिक है और लड़कियाँ उन हृष्ट-पुष्ट लड़कों से चुदना ज्यादा पसंद करती है जो उन्हें पूरा आनन्द दे सकें।

मैंने वाणी को मना लिया कि पहले मैं अपने भाई से चुदूंगी, उसके बाद वाणी !

वाणी ने सहमति जता दी।

उसके बाद मैं यश को और भी कई मौके देने लगी मगर यश शायद इसी परेशानी में था कि मैं उसकी बहन हूँ और वो मुझे कैसे चोद सकता है। मैं समझ गई कि मुझे ही पहल करनी होगी इसके लिए मैंने पापा को बोला कि मुझे कुछ काम है इसलिए आप मम्मी को रविवार के दिन घर से बाहर ले जाना।

पापा ने बिना कारण जाने हाँ कर दी, इसके बाद मैं रविवार का इन्तजार करने लगी।

इतवार को सुबह ही पापा मम्मी को लेकर एक रिश्तेदार के यहाँ चले गए, उस वक्त यश सो रहा था। मैंने सोचा कि यही सही वक्त है, मैंने अपनी एक सेक्सी सा ब्रा-पेंटी का सेट निकाल कर पहना और सिर्फ ब्रा-पेंटी में यश के कमरे की तरफ चल दी।

मैंने यश को आवाज लगते हुए कहा- यश, दूध पी लो।

जैसे ही यश ने आँखें खोली, मेरे इस रूप को देख कर दंग रह गया और अपनी आँखें फेर ली।

मैंने पूछा- यश। आँखें क्यों फेर ली, वैसे तो रोजाना मेरे शरीर को छुप-छुप कर देखते रहते हो।

इस पर यश कुछ नहीं बोला। मुझे लगा कि मैंने गलती कर दी, यश तो बहुत ज्यादा शरमा रहा है इसलिए मैं वहां से चली गई और अपने कमरे में आकर सिगरेट के कश लेने लगी।

थोड़ी देर में यश मेरे कमरे में आया और बोला- अगर मम्मी-पापा को पता चला कि हम दोनों कुछ गलत काम कर रहे हैं तो हमारी खैर नहीं।

मैंने उसे कुछ नहीं बताया और कहा- अगर हम दोनों में से कोई नहीं बताएगा तो उन्हें पता कैसे चलेगा।

मेरी यह बात सुनते ही यश ने अपनी टी-शर्ट उतारी, जिसके कारण उसकी चौड़ी छाती सामने आ गई, मैंने भी उसका इसके जवाब में अपनी ब्रा उतार दी और सिगरेट एक तरफ फेंकते हुए उसकी तरफ बढ़ी और उसकी बाहों में समां गई और अपने आपको यश को समर्पित कर दिया।

इसके बाद मैंने यश से कहा- अब मुझे अपनी बहन मत समझना !

तो वो बोला- अब जब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ तो तू मेरी बहन नहीं, रखैल है, आज मैं तुझे ऐसे चोदूँगा जैसे एक कुत्ता कुतिया को चोदता है।

मैं कुछ बोलती इससे पहले ही उसने मेरे होंठ अपने होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए और अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल डालकर मेरा मुँह रौंदने लगा। बीच-बीच कई बार उसने और कई बार मैंने अपना थूक एक-दूसरे के मुंह में डाला। हम काफी देर तक एक-दूसरे को चूमते रहे, फ़िर यश ने अपना हाथ मेरे चूचों की तरफ बढ़ाया और मेरा दायाँ स्तन पकड़ कर दबाने लगा और अपना दूसरा हाथ मेरी पेंटी के अंदर डालकर उंगली से मुझको चोदने लगा।

मैंने भी उसका उत्साह बढ़ाने के लिए उसकी अंडरवियर में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया। मेरा स्पर्श लगते ही उसका लंड पूरी तरह से तन गया। मैंने अपने आपको को यश से छुडाया और उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। यश काफी देर तक मेरा मुँह चोदता रहा और कुछ देर के बाद एक लंबी सी धार मेरे मुंह के अंदर ही छोड़ दी मगर उसका लंड अभी भी कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा था।

उसने मुझे उठाया और दीवार से सटा दिया और मेरे चूतड़ों से मुझे उठाया और चूमता हुआ बिस्तर पर पटक दिया और बिना कंडोम के अपना 8 इंच लंबा लंड मेरी चूत में पेल दिया और करीब 20-25 मिनट तक मुझे चोदता रहा, इसी बीच मैं झड़ गई और उसका और मेरा पानी मेरी जांघों पर बहने लगा। झड़ने के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया और मेरी जांघों पर बहते पानी को चाटने लगा।

इसके बाद उस दिन यश ने दो बार और मुझे चोदा।

इसके बाद हम दोनों से साथ में मिल कर स्नान किया, स्नान के दौरान मैंने यश को बताया- वाणी तुमसे चुदना चाहती है !

तो यश तुरंत मान गया। स्नान के बाद मैंने यश के सामने वाणी को फोन मिलाया और बोली- यश तुम्हें चोदने के लिए तैयार है।

वो बोली- आज नहीं, मगर अगले सन्डे को हम चुदाई का प्रोग्राम बनाते हैं।

यश भी इस बात को मान गया।

यश शायद वाणी का दीवाना था इसलिए सन्डे का बेसब्री से इन्तजार करने लगा। इसी बीच उस हफ्ते यश ने मुझे कई बार चोदा, अब तो मैं सच में यश की रखैल बन चुकी थी क्योंकि जब मर्जी मेरे मुंह में अपना लंड डाल देता और मुझे चूसने को बोलता !

मेरे बूब्स तो उसे अब दूध की डेरी लगते थे। हम दोनों के कमरे साथ नहीं थे फिर भी हम एक-दूसरे से मजे लेने का मौका नहीं छोड़ते थे।

आखिर सन्डे आ गया, हम दोनों ने पापा-मम्मी को बहाना बनाया और वाणी के घर चल दिए। वाणी भी पहले से ही तैयार थी, उसने

पहले ही इंतजाम कर रखा था और घर पर कोई नहीं था। जब हम वाणी के घर पहुँचने वाले थे तो मैंने वाणी को फोन कर दिया, घर पहुँचते ही मैंने घंटी बजाई और जब मैंने और यश ने वाणी को देखा तो देखते ही रह गए क्योंकि बदन ढकने के नाम पर वाणी ने अपने बूब्स पर दो गुलाब चिपका रखे थे और पेंटी भी नहीं पहनी थी।

जैसे ही हम अंदर घुसे वाणी ने वो दोनों गुलाब हटा कर हम दोनों को एक-एक गुलाब पकड़ा दिया और वो पूरी नंगी हो गई।

यश ने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और सीधा वाणी के पर टूट पड़ा।

मैं भी वाणी के चुच्चे देखकर काफी उत्साहित हो चुकी थी, यश ने तुरंत अपने कपड़े उतारे, इतने में उत्साह के कारण मैं वाणी के कोमल नाजुक होंठ चूसने लगी, हम दोनों को इस मुद्रा में देख यश पागल हो गया एक ही झटके में अपना 8 इंच का लंड वाणी की चूत में पेल दिया।

इतना लंबा और मोटा होने के कारण वाणी चिल्ला उठी, और मुझे खुद से जोर से चिपका लिया। यश काफी देर तक वाणी को चोदता रहा, जब उसने देखा कि वाणी अब और नहीं सह सकती वो हट गया और मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा।

मैं समझ गई कि यश मेरी गांड मारना चाहता है, यह पहली बार था जब मैं गांड मरवाने वाली थी इसलिए मुझे डर लग रहा था।

मैंने यश से क्रीम इस्तेमाल करने को कहा, इस पर यश ने मुठ मारते-मारते अपना लेस मेरी गांड में उंडेल दिया और हाथों से ही लेस रगड़ने लगा, जिसके कारण मेरी गांड का छेद चिकना हो गया, और फिर यश धीरे-धीरे करके मेरी गांड में अपना लंड घुसाने लगा। काफी देर तक वो मेरी गांड मारता रहा इसके बाद उसने वाणी की भी गांड मारी।

फिर हम तीनों एक साथ नहाए और एक दौर और चुदाई करने के बाद मैं और यश वापिस घर आ गए।

उस दिन के बाद से यश रोजाना या हर दूसरे दिन मुझे चोदता है।


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आई. लव. यू

दोस्तो मेरा नाम सोनिया है, मैं हरियाणा की रहने वाली हूँ, बहुत सुन्दर और रंग की गोरी हूँ, मुझे देख कर लड़के सपने में ना जाने क्या क्या करते हैं। मेरा कद 5 फीट 6 इंच है, सुडौल और कसी हुई छाती 34 नंबर की ब्रा पहनती हूँ। मेरा जिस्म का हर एक अंग भगवान ने बड़ी फ़ुर्सत से बनाया है। मैं अन्तर्वासना की नई पाठिका हूँ, मैंने आज तक सिर्फ़ चार लड़कों से चुदाई करवाई है। मैं आज मेरी पहली चुदाई के बारे में बताने वाली हूँ !
जब मैं 18 साल की हुई थी तो मैंने अपने जन्मदिन की पार्टी एक दिन पहले रखी थी, हमारे घर के पास के ही एक होटल में ! हम 4 दोस्त मैं रमन ऋतु और विकी ! ऋतु और विकी का चक्कर तो बहुत दिन से चल रहा था, अब मैं भी बालिग हो गई थी तो मेरी चूत में भी खुजली होने लगी थी, मैं भी अब किसी लड़के के साथ प्यार करना चाहती थी और चुदाई करवाना चाहती थी।
पार्टी में हम चारों जाकर बैठ गये एक अलग से कॅबिन में और खाना ऑर्डर किया। वेटर के जाने के बाद ऋतु और विकी चूमाचाटी करने लगे और रमन मेरी तरफ देखने लगा। वो मेरे पास ही एक ही सोफे पर बैठा था। उसने धीरे से मेरा हाथ छू लिया, मुझे झटका सा लगा लेकिन मैंने उसे कुछ नहीं कहा तो उसने मेरे हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ भी डाल ली।

मुझे तब भी बुरा नहीं लगा तो उसका हौंसला और ज़्यादा बढ़ने लगा। मैं उसकी तरफ देखने लगी तो उसने शरमा कर निगाहें नीचे कर ली पर मेरा हाथ नहीं छोड़ा। मैं धीरे से उसकी तरफ सरक ली और दूसरा हाथ उसके हाथ के ऊपर रख कर उसका हौंसला और बढ़ा दिया।

उसने देखते ही मेरी जांघ पर हाथ रख दिया, ऋतु और विकी अपने में व्यस्त थे, मैंने उसका हाथ अपनी जांघ से तुरंत हटा दिया। फिर खाना आ गया और हमने खाना खाया। जाते जाते रमन ने मुझसे कहा कि वो मुझे रात को 12 बजे कॉल करेगा और मैं उसकी कॉल पिक कर लूँ !मैंने हामी भरी और अपनी स्कूटी लेकर वहाँ से निकल गई। रमन के हाथ पकड़ने ने मेरे अंदर एक अजब सा एहसास पैदा कर दिया था, मैं उसे चूमना चाहती थी पर वहाँ से निकल आई। मुझे उसका हाथ अब भी मेरे हाथ में ही महसूस हो रहा था।

रात को 12 बजे उसका कॉल आया, मैंने बजते ही पिक कर लिया और हेलो बोला। तो उसने तो मेरा सपना ही पूरा कर दिया, फोन उठाते ही उसने मुझे 'आई लव यू !' बोला !मैंने भी बिना कुछ देर किए उसे 'आई लव यू टू !' बोल दिया। फिर उसने मेरा जन्मदिन विश किया और हमने अगले दिन मिलने का वादा कर लिया।

अगले दिन उसके घर पर कोई नहीं था तो उसने मुझे अपने घर बुला लिया और मैं दौड़ी दौड़ी चली भी गई। जाते ही मैंने डोरबेल बजाई तो उसने दरवाजा खोला और बोला- वेलकम जान !

वो बहुत ही सुंदर लग रहा था, गोरा बदन लाल होंठ थे, उसे देख कर मैं तो बस उसे चूमने के लिए बावली हो गई पर मैंने चुम्बन नहीं किया और अंदर जाकर खड़ी हो गई। उसने दरवाजा बंद किया और मुड़ते ही मुझे गले से लगा लिया। उसके गले से लगने के बाद मुझे एहसास हुआ कि आज तक मैं अधूरी सी थी।

मैं आँख बंद करके उसके गले लगी हुई थी तो उसने 'आई लव यू !' बोला और चुम्बन करने लगा। मैंने पहले तो उसको मना कर दिया तो उसने बोला- आज तो तुम जवान हो गई हो ! आज तो मत रोको !

तो मैंने भी उसका साथ दिया। वो बहुत तेज तेज मेरे होंठ चूस रहा था और मैं बस आँख बंद करके पूरा मज़ा ले रही थी।

यह चुम्बन मेरे जीवन का पहला अनुभव था जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया। फिर उसका हाथ मेरी चूचियों की तरफ बढ़ने लगा। मेरी कसी हुई चूचियों को उसने सहलाना शुरू कर दिया, मेरी तो साँस ही फूल गई और मैं बुरे तरह से काँपने लगी। मुझे मज़ा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था।

उसने मेरा टॉप उतार दिया और मैंने उसे कुछ भी नहीं कहा, मैं शायद उसमें डूब चुकी थी, उसने मेरी छाती को चूमा और फिर चूचियों को ब्रा के उपर से चूमना शुरू किया और दाँत भी गाड़ने लगा। मैंने उसका सिर पकड़ा हुआ था।

फिर उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरे चूचे ब्रा से आज़ाद कर दिए, अब मेरे चूचे हवा में थे और वो बारी बारी से उन्हें चूस रहा था और मैं मज़ा ले रही थी।

फिर वो मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर ले गया और मेरे ऊपर आकर मेरे होंठ चूसने लगा। उसने अपनी टी शर्ट निकाल दी और मैं भी उसको अपने से चिपका कर खूब चूस रही थी।

फिर वो एकदम से खड़ा हुआ और अपना लोअर उतार दिया। उसका लण्ड अंडरवीयर में से बाहर निकालने को बेचैन था तो मैंने उसको कहा- ये सब मैं नहीं कर सकती !

तो उसने कहा- ये सब करने के लिए ही तो तुझे बुलाया है।

उसने मेरी पैंट निकाल दी। मैंने उसे रोकने की नाकाम सी कोशिश की पर उसने झटके देकर मेरी पैंट निकाल दी। अब मैं सिर्फ़ काली पैंटी में थी और वो सिर्फ़ अंडरवियर में था।

उसने मेरी पेंटी के ऊपर से ही ही मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मैं भी बहुत कामुक हो गई थी। उसने मेरी पेंटी भी उतार दी और अपना अंडर वियर भी ! उसका बड़ा सा मोटा लण्ड मेरे सामने लहरा रहा था, उसने मेरा सिर पकड़ा और लण्ड को चूसने के लिए बोला तो मैं डर गई और चूसने के लिए मना किया और अपना मुँह बंद रखा।

फिर उसके काफ़ी मिन्नत करने के बाद मैंने उसके लण्ड को चूमा और फिर मुंह में लेकर कुल्फ़ी की तरह से चूसने लग गई। वो भी मेरा सिर पकड़ कर बहुत ज़ोर से धक्के मार रहा था, मेरे मुँह में दर्द होने लगा था तो मैंने उसे बस करने को कहा और वो मान भी गया।

मेरी चूत में बहुत खुजली होने लगी तो मैंने उसे मेरी चूत चाटने को बोला तो झट से मेरी टाँगों को फैलाकर मेरी चूत को चाटने लगा। मुझे गुदगुदी होने लगी और मज़ा भी आ रहा था। वो मेरे छेद में अपनी जीभ को आगे-पीछे कर रहा था।

मैंने उसके सिर को पकड़ कर उससे हटने को कहा तो उसने अपना लण्ड फिर से मुँह में डाल दिया। मैं फिर से चूसने लगी। फिर उसने मेरी टाँगें फैलाई और अपना लण्ड मेरे चूत के छेद पर रखा और धक्का मारा। मुझे बहुत दर्द हुआ।

जब उसका कड़क लण्ड मेरी चूत को फाड़ कर अंदर गया था, मेरी आखें निकल आई थी, मैंने पूरा ज़ोर लगाकर उसे हटा दिया और उसको एक थप्पड़ मारा।

उसने मुझे कुछ नहीं कहा और आराम से मेरी चूत को सहलाने लगा। उसमें से खून निकल रहा था और मैं दर्द में कराह रही थी तो उसने मुझे चुप कराया और चूमने लगा। मैं भी उसका साथ देने लगी।

उसने फिर से मेरी चूत की तरफ़ इशारा किया, वो भी अब दर्द से शांत हो चुकी थी, मैं भी चुदना चाहती थी तो मैंने उसको बोला- आराम आराम से करना !

तो उसने बड़े ही प्यार से अपना लण्ड छेद पर लगाया और आराम से धक्का दिया, तोड़ा दर्द हुआ पर मैंने सहन कर लिया। फिर उसने थोड़ा सा थूक टपकाया और आगे पीछे करने लगा। मुझे पहली बार जन्नत का एहसास हो रहा था तो मैंने उसे थोड़ा और अन्दर डालने को कहा। उसने हल्का सा झटका और मारा और आहिस्ता आहिस्ता उसने अपना 7 इंच का लण्ड मेरी चूत में पूरा घुसा दिया और जबरदस्त झटके मारने लगा। मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी, मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था, बीच बीच में वो मुझे किस भी कर रहा था।

फिर उसके मुख से आहें निकलने लगी और वो मेरे अंदर ही झड़ गया और मैं बिल्कुल उसके साथ ही झड़ गई। वो हार कर मेरे ऊपर पड़ गया। मैंने उसको ज़ोर से बाहों में भर लिया।


उसने पूछा- मज़ा आया?

तो मैंने उसे किस कर लिया और ज़ोर से किस करने लग गई। उसने अपना लण्ड अभी तक निकाला नहीं था। फिर उसने अपना लण्ड निकाला जो अब सिकुड़ गया था और मेरी बगल में आकर लेट गया। फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसे चूमने लगी।

और जल्दी से बेड से नीचे उतर कर बाथरूम में चली गई। उसके बाद वो भी बाथरूम में आ गया। हम दोनों साथ साथ नहाए और चाय पी। फिर मैं अपने घर चली गई। मैं बहुत ज़्यादा खुश थी अपनी पहली चुदाई करवा के !

इसके बाद मैंने अपने मामा के लड़के से कैसे चुदाई करवाई, अगली कहानी में लिखूँगी।


भाभी. की. चुदाई

मेरा नाम संजू है, हरियाणा का रहने वाला हूँ पर पिछले दो साल से दिल्ली में रह रहा हूँ।

यह बात चार साल पहले की है जब मैं मास्टर डिग्री के फाइनल इयर में पढ़ रहा था। मैं पेयिंग गेस्ट रहता था। जहाँ पर रहता था, वहाँ सबसे मेरे अच्छे ताल्लुकात बन गए थे।

मेरे कमरे के सामने एक युवा नवविवाहित जोड़ा रहता था। भाभी का क्या कहना, देखने से ही तन बदन में आग सी लग जाती थी ! क्या मस्त मस्त चूचियाँ थी, मस्त मस्त चूतड़ थे !

मैं अक्सर अपनी खिड़की से उनको देख कर मुठ मारा करता था और सोचा करता था कि काश एक बार मौका मिल जाए तो जिंदगी बन जाए।

मैं अकसर उनके घर शाम को चला जाता था, भैया के साथ बातचीत होती थी, तब भाभी पानी का गिलास लेकर आती थी तो उनके हाथ को छूने का मौका मिल जाता था।
हुआ यों कि होली का त्योहार था, भैया को तीन दिन पहले ऑफ़िस के काम से कोलकाता जाना पड़ गया और मेरा भी घर जाने का प्रोग्राम बन गया था तो मैं उस दिन शाम को भैया-भाभी से मिलने के लिए चला गया।

तब भाभी बोली- तेरे भैया तो कोलकाता चले गये हैं मुझे यहाँ अकेली को छोड़ कर !

तो मैंने उसी समय पॉइंट मार दिया- मैं भी बहुत अकेला महसूस करता हूँ, हर रात काटने को आती है, ना ही नींद आती है।

तो भाभी फट से बोली- जब सुबह सुबह मैं काम कर रही होती हूँ तो तुम्हारी खिड़की हल्की सी खुली होती है, तुम मुझे देखते हो?

मैं घबरा गया और खड़ा हो गया, मेरे छोटे उस्ताद भी अपनी पोज़िशन में खड़े थे, भाभी ना जाने कब से नोट कर रही थी मेरी हरकतों को !

मैं हकलाते हुए बोला- नहीं तो भाभी !

भाभी बोली- बनो मत, मैं पागल नहीं हूँ।

तो मैंने बोल दिया भाभी को- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, आपको गले लगाने का मन करता है।

तो भाभी बोली- चलो ठीक है, इस होली पर मिल लेना गले जी भर कर !

मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मैंने मौका ताड़ते हुए भाभी को बोला- एक ग्लास पानी मिलेगा?

तो भाभी रसोई की तरफ चल पड़ी, मैं दरवाजे के पीछे छिप कर खड़ाअ हो गया। जब भाभी पानी लेकर आई तो मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और हड़बड़ाहट में भाभी घूम गई, उनके हाथ से पानी मेरे ऊपर गिर गया तो भाभी बोली- आज ही होली मन गई ये तो !

मैंने बोला- हाँ जी, तो मेरी हग?

और इतना कहते ही मैं भाभी को अपने बाहों में क़ैद कर लिया, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थी तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ पड़ी और मैंने उनकी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया। शुरू में तो उन्होंने बहुत रोका पर मैं रुकने वाला कहाँ था।

धीरे धीरे वो भी गर्म होने लगी और उनकी आँखें बंद होने लगी। मेरे हाथ उनके कूल्हों को सहलाने लगे, मेरा हथियार उसकी जाँघों में घुस रहा था, भाभी उसको महसूस कर रही थी और वो मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी।

मैं उनको अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर ले गया और उनके ब्लाऊज के ऊपर से उनके उभारों को मसलने लगा। धीरे धीरे मैंने उसके ब्लाऊज़ के हुक खोले, ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी एक चूची को बार निकाला और चूसने लगा।

मैं छोटे बच्चे की तरह उनके निप्पल को चूसे जा रहा था और एक हाथ से उनकी साड़ी पर से उनकी जांघें सहलाने लगा। भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही।

थोड़ी देर बाद मैंने भाभी का ब्लाउज़ और ब्रा बिल्कुल उतार दी तो भाभी ने मेरी पैन्ट का हुक खोल कर जिप भी खोल दी और मेरे कच्छे में से मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया।

भाभी बोली- साला पूरा खड़ा हो गया है !

मैंने अपनी पैंट और कच्छा एकदम से उतारा और बिना कुछ कहे अपना सात इन्च का लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी।

मैंने भाभी के बाकी के सारे कपड़े उतार दिए।

कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड दो इन्च अंदर चला गया। पर मैं एकदम कराह उठा क्योंकि यह मेरी पहली चुदाई थी।

उनके होंटों को मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। कुछ देर में मेरा दर्द खत्म हो चुका था।

मौका सम्भालते हुए मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था। और अब भाभी भी कराह रही थी।

वो बोली- तुम्हारे भैया कभी कभी ही सेक्स करते हैं, आज तक मुझे प्रेगनेन्ट नहीं कर सके ! उनका घुसते ही छूट जाता है और मैं ऐसे ही रह जाती हूँ ! प्लीज़ आज मेरी जी भरकर मारो, मेरी प्यास बुझा दो !

हम दोनों सिसकारियाँ भर रहे थे !

मैं तो चुदाई में जुटा हुआ था गरम खून है तो जिसके किए कब से तड़फ़ रहा था, उसको कैसे छोड़ता। मैं भाभी को जी भरकर प्यार कर रहा था, उनकी आँखों में आंसू थे पता नहीं दर्द के, या आनन्द के या अपने पति से बेवफ़ाई के गम के !

कुछ देर तक मैं ऐसे ही उन्हें पेलता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता रहा।

कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी, जोरदार चुदाई में भाभी एक बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूँ?

भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही कर दो ! और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी। उस रात मैं भाभी के पास ही रुक गया क्योंकि दोनों ही थक कर चूर हो चुके थे। फिर रात को भाभी को कई बार ठोका।उनकी बुर सूज कर मोटी हो गई थी। इस तरह हमारा से सिलसिला चार दिन तक चलता रहा। मुझे तो जन्नत मिल गई थी।

इसके बाद मैं मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बन चुकी है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं।

अब भाभी मुंबई जा चुकी है भैया के साथ, और यह लंड आज भी उनको याद करके सलामी देता है, अब मेरी उमर 26 साल हो चुकी है उसके बाद मुझे कभी मौका नहीं मिला कि किसी के साथ सेक्स कर पाऊँ।

दोस्तो, आपको मेरी आपबीती कहानी के रूप में कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें !

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Saturday, 7 September 2013

लड़की. को. क्लास. में. चोदा

दोस्तो, मैं 26 साल का एक अच्छी पर्सनैलिटी वाला इंसान हूँ ! बात तब की है जब मैं कोटा के एक कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में पढ़ाता था। मुझे देख कर इंस्टिट्यूट की कई लड़कियाँ मुझसे फ्लर्ट भी किया करती थी कभी-कभी !
लेकिन मुझे नहीं लगता था कि मैं इतना अच्छा दिखता हूँ कि इतनी सुन्दर और मुझसे काफ़ी कम उम्र की लड़कियों को अपनी ओर आकर्षित कर सकूँ !
खैर फिर भी जब भगवान किसी पर मेहरबान होता है तो कोई क्या कर सकता है !
मेरे साथ एक लड़का भी हुआ करता था जो मेरे असिस्टेंट के रूप में प्रेक्टिकल क्लास में मेरी मदद कर दिया करता था, उसका नाम मनीष है।
बात मई के महीने की है जब हमारे इंस्टिट्यूट का मालिक किसी काम से जयपुर गया हुआ था।
क्लास में दो नई लड़कियों ने एडमिशन लिया जो दोनों बहनें थी और कोटा के पास के एक गाँव की रहने वाली थी तथा पास में ही कमरा लेकर अपनी कॉलेज की पढ़ाई भी कर रही थी। उन दोनों ने बताया कि उनके एक्जाम ख़त्म हो चुके थे इसलिए वो कंप्यूटर भी सीखना चाहती थी। वो दोनों थी तो गाँव की रहने वाली लेकिन इतनी खूबसूरत थी कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उनके कपड़े पहनने के ढंग से वो गाँव की नहीं लगती थी बातचीत में भी अच्छी ही थी।
लगभग दो हफ्ते तक तो उन दोनों की क्लास ठीक ठाक चली लेकिन एक दिन उन्होंने बताया कि गाँव से उनके पापा का कॉल आया है कि गाँव में किसी परिचित की लड़की की शादी होने वाली है इसलिए तुम एक महीने में ही अपनी क्लास पूरी करके गाँव आ जाओ !
उन दोनों में एक लड़की जिसका नाम दीपिका (बदला हुआ नाम) था बहुत सेक्सी थी जिसे देख कर कभी-कभी मेरे लंड में हलचल होने लगती थी।
वो शायद मुझसे आकर्षित थी इसलिए जब भी में पास बैठ कर उन्हें कुछ समझाता तो वो मुझसे सट जाती और अपने शरीर को धीरे-धीरे मुझसे रगड़ने लगती थी। कुछ दिनों तक तो मैंने उसके इस सिग्नल का कोई मतलब नहीं निकाला, मैं इन सब बातों से अन्जान बना रहा !
एक दिन उन्होंने कहा- सर हमारा कोर्स जल्दी ख़त्म करो, पापा हमें वापिस बुला रहे हैं !
और एक दिन शनिवार को किसी त्यौहार का अवकाश होने की वजह से इंस्टिट्यूट के सभी स्टुडेंट्स से आने के लिए मना कर दिया सिवाय उन दोनों के क्योंकि उन दोनों का कोर्स जल्दी ख़त्म करना था इसलिए उनसे कह दिया- शनिवार को तुम आ जाना तुम्हें एक्स्ट्रा पढ़ा दूँगा !
शनिवार का दिन आ ही गया, वो दोनों इतनी सेक्सी ड्रेस पहन कर आई कि मेरा दिमाग पूरी तरह हिल गया।
दीपिका सफ़ेद टॉप और ब्लू जींस में और उसकी बहन मीना गुलाबी जालीदार सलवार सूट में आई थी !
उन्हें इस तरह देख कर मेरे मन में एक खुराफात पैदा हुई कि क्यों न मौके का फायदा उठा कर दीपिका को आज अपने वश में कर लिया जाये !
कंप्यूटर लैब तीन हिस्सों में बंटी थी एक रूम थोड़ा अंदर था जिसमें दो कंप्यूटर रखे हुए थे और एक रूम अलग था जिसमे कुछ पुराने कंप्यूटर और पुराना फ़र्नीचर आदि पड़े हुए थे ! मैंने उन दोनों के बीच में बैठ कर बाहर के कंप्यूटर में कुछ समझाया !
कुछ देर तक में ऐसे ही बैठा रहा और दीपिका की बहन दूसरे कंप्यूटर पर गाना सुनने लगी उसका ध्यान पूरी तरह गाने पर ही था और दीपिका चुपचाप बैठी थी ! उसने अपना एक हाथ अपनी जांघ पर सीधा रखा हुआ था।
मैं धीरे धीरे गर्म होने लगा और जब मन पर काबू न रहा तो अपना हाथ धीरे से उसकी जांघ पर रखे हाथ पर रख दिया।
शायद वो भी यही चाहती थी और हम एक दूसरे के हाथों को हाथ में कस कर ऐसे ही बैठे रहे।
मैंने उसे कहा- मीना को इस कंप्यूटर पर गाने सुनने दो, हम अंदर वाले कंप्यूटर पर चलते हैं उसमें भी अच्छे गाने हैं !
मैं उसे अंदर वाले रूम में ले गया और एक कंप्यूटर स्टार्ट किया जिसमे मैंने एक-दो सेक्सी ब्लू फिल्म डाल रखी थी। मैंने उसे कहा- एक अच्छी मूवी है वो दिखाता हूँ तुम्हें !
वो प्यार से बोली- तो जल्दी दिखाओ ना प्लीज़ !
मैंने ब्लू फिल्म चालू कर दी तो वो बोली- मुझे पहले मालूम था कि आप यही दिखाने वाले हो !
फिल्म में लड़की लड़के का लंड मसल मसल कर चूस रही थी।
इधर दीपिका धीरे-धीरे गर्म होने लगी ! उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मादक नजरों से मेरी ओर देखने लगी।
मुझसे भी रहा नहीं गया और उसे अपनी बाहों में लेकर जोर जोर से उसके होंठों और चेहरे को चूमने लगा।
फिल्म के दूसरे सीन में लड़का लड़की की गुलाबी चूत को बुरी तरह चाट रहा था ! यह देख कर मैंने अपना एक हाथ उसके टॉप में घुसा दिया और उसके मस्त और मोटे-मोटे बूब्स दबाने लगा।
उसके मुँह से नशीली सिसकारियाँ निकलने लगी, वो अब धीरे-धीरे 'आह आह' करने लगी।
इधर मेरा लंड जबरदस्त टाईट हो गया मैंने अपनी जींस का बटन खोल कर उसके एक हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया।
अब वो भी मेरे लंड को ठीक ब्लू फिल्म के उस सीन की तरह मसलने लगी और आगे-पीछे करने लगी ! मैंने भी उसकी जींस का बटन खोल कर उसकी चूत में एक उंगली घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगा।
हम दोनों इतने गर्म हो गए थे कि बस लंड को चूत में घुसने का और चूत को लंड लेने का इंतज़ार था !
लेकिन हमें यह भी डर था कि कहीं मीना अंदर ना आ जाये, इसलिए हमने केवल उंगलियों और एक दूसरे के हाथों से खुद को शांत किया !
थोड़ी देर बाद मेरा असिस्टेंट मनीष लैब में आया और मीना के पास बैठ गया वो भी मीना पर हाथ साफ़ करना चाहता था।
हम दोनों ने ही ये प्लान बनाया था इसलिए हमे बाहर ना पाकर वो समझ गया कि अंदर रूम में प्रोग्राम चल रहा है !
इधर वो मीना से कहने लगा कि इन्टरनेट पर कुछ अच्छी कहानियाँ हैं, वो दिखाता हूँ।
वो मान गई और गौर से कंप्यूटर में देखने लगी। मनीष ने अन्तर्वासना की सेक्सी स्टोरी उसके सामने ओपन कर दी।
वो कहानियाँ पढ़ कर गर्म हो गई और मनीष का भी काम हो गया।
मैंने चुपके से कमरे के गेट से देखा तो वो मीना के बूब्स मसल रहा था।
मैंने दीपिका से कहा- डरने की कोई बात नहीं है, बाहर मीना भी अपनी जवानी के मजे ले रही है !
मैंने मनीष को मोबाइल से मैसेज किया कि अपना प्रोग्राम रोक कर हमें उस कबाड़ वाले रूम में जाने दे क्योंकि यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि लैब में कोई आ नहीं सकता ! मुझे थोड़ा डर था।
मनीष ने ऐसा ही किया और हम दोनों उस रूम में आ गए जहाँ पुराना सामान रखा था। रूम में आते ही मैंने किवाड़ बंद कर दिए और फिर से अपना प्रोग्राम शुरू कर दिया।
दीपिका पहले ही गर्म थी वो मुझसे लिपट गई और हम दोनों एक दूसरे को फिर से चूमने चाटने लगे।
कमरे में एक पुरानी मेज थी उस पर मैंने उसे लेटा दिया, उसने कस कर मुझे खुद से चिपका लिया और धीरे से मेरे कान में कहा- अब और नहीं सहा जाता, जल्दी करो ना जो भी करना है !
मैंने उसका टॉप ऊपर खिसका दिया और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसके मोटे-मोटे चुच्चे चूसने लगा।
फिर मैंने उसकी जींस को खोल कर पूरा नीचे खिसका दिया और उसकी गर्दन पेट तथा कमर को चूमता हुआ उसकी चूत तक आ गया !
गाँव की होते हुए भी उसने अपनी चूत एकदम साफ़ कर रखी था शायद वो जानती थी कि ये जल्दी ही कली से गुलाब बनने वाली है !
मैंने उसकी चूत के दोनों होंठो को फ़ैला दिया और धीरे-धीरे उसे चाटने लगा ! दीपिका मस्ती में आह ! आह ! किये जा रही थी और मेरे सिर को पकड़ कर जोर से अपनी चूत की ओर दबा रही थी। मेरा लंड बहुत ही ज्यादा सख्त हो चुका था ओर उसमें से थोड़ा पानी भी बाहर निकल आया था।
मैंने लंड उसके मुंह में दे दिया वो जोर जोर से उसे चूसने लगी।
कुछ देर लंड चुसाने के बाद मैंने लंड उसकी चूत के मुँह पर टिका दिया और धीरे-धीरे रगड़ने लगा ! उसे मेरी इस हरकत से बहुत मजा आ रहा था तथा फिर लंड को उसकी चूत के छेद से सटा कर धीरे से एक धक्का लगाया। चूत टाईट होने की वजह से लंड बाहर की ओर फिसल गया।
दूसरी बार फिर धक्का लगाया तो लंड आधा अंदर घुस गया, दीपिका दर्द से तड़पने लगी और बोली- जल्दी बाहर निकालो इसे वरना मैं मर जाऊँगी ! प्लीज़ जल्दी बाहर निकालो ना....आह !
मैंने उसकी परवाह ना करते हुए एक ओर जोर से धक्का लगाया तो उसकी जान ही निकल गई ! उसने अपनी आँखें बंद कर ली और मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा ! थोड़ी देर बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ, वो मेरा साथ देने लगी और अपने चूतड़ हिला हिला कर उसने बहुत चुदाई करवाई मुझसे !
उस दिन मैंने उसे कमरे में ही दो बार चोदा।
उस दिन के बाद से हमारी कंप्यूटर क्लास कम ओर मौका मिलते ही सेक्स क्लास ही ज्यादा चलने लगी !
उधर मनीष ने भी दीपिका की बहन मीना को पटा कर एक बार चोद दिया !
इन्स्टिट्यूट के ही पास मेरा एक दोस्त रहता था अजय, उसके कमरे पर भी में उसे दोपहर में बुला कर कई बार चोद चुका हूँ।

पूरे महीने हमने बहुत बार एक साथ चुदाई की फिर वो दिन आ ही गया जब उन्हें गाँव जाना था सो उन्हें बस में बैठा कर में घर लौट आया। मुझे आज भी उसकी बहुत याद आती है पर उसका फ़ोन भी नहीं लग पाता है अब !

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