Wednesday, 11 September 2013

गाँव में चुदाई

हम गाँव में रहते थे जब मैंने मेट्रिक की परीक्षा पास की तो मेरे माता पिता ने मुझे शहर में रहने वाले मेरे बड़े भैया के पास पढने भेज दिया मेरे भैया की अभी ६ महीने पहले शादी हुयी थी मेरे भैया एक मलटी नेशनल कंपनी में काम करते थे जिस कारण वह रात को भी कभी कभी घर नहीं आते थे।

एक दिन मैं मेरे दोस्त के साथ रांड चोदने गया मैंने एक लड़की पसंद की और उसका दाम दौ सौ रूपये दौ घंटे का तय हुआ मैं उसे कमरे में लेकर गया और उसे नंगा कर दिया उसके बूब्स दबाने लगा बूब्स दबाते दबाते हुए मैंने उसका नाम पुछा तो उसने रानो बताया मैं चौंक गया क्यूंकि मेरी भाभी जो कि बहुत सुंदर थी उनक नाम भी रानो था। उसके बूब्स दबाते समय सब चिल्लाने लगे भागो भागो मैंने खिड़की में से झांक कर देखा तो वहां पुलिस की रेड पड़ी है। मैं जैसे तैसे वहां से जान छुड़ाकर भागा घर पंहुचा तो रात के ११ बज चुके थे।

मैंने सोचा कि भैया भाभी को शक न हो जाये मैंने डोर बेल बजायी तो कोई ने कुछ रिस्पोंस ही नहीं दिया। तो मैं पाईप के सहारे चढकर छत पर पंहुचा और नीचे उतर कर अपने कमरे में जाने लगा तो मेरी नज़र भैया भाभी के कमरे पर गयी मैंने देखा कि कमरे कि लाईट जल रही मैंने सोचा कि भैया तो गए हुए हैं और भाभी लाईट बंद करना भूल गयी। मैं लाईट बंद करने गया तो देखा कर चौंक गया भाभी सो रही थी और उनकी साडी घुटनों से भी ऊपर थी और उनका पल्लू भी ठीक नहीं था मुझे भाभी की चिकनी चिकनी टांगे देख कर रानो का चेहरा याद आने लगा कुछ देर भाभी को घूरने के बाद मैं उनके कमरे में घुसा और उनके पेरों के पंजो को चूमने लगा
मैंने हिम्मत करके भाभी कि साडी ऊपर उठाने की कोशिश की और कुछ देर बाद मैंने वह ऊपर उठाई तो मैं यह देखा कर दंग रह गया कि भाभी ने नीचे पेंटी भी नहीं डाल रखी थी। मैं उनकी उस चिकनी चूत को देखने लगा और उन्होंने आज ही उस की तेल से मालिश की थी इसलिए वह बिलकुल चिकनी थी मैंने लाईट बंद की और कमरे में से पेंसिल टॉर्च लाकर उनकी चूत को देखने लगा।

काफी देर देखने के बाद मेरा उसे किस करने का मन किया तो मैंने उस पर एक किस कर दी उनकी चूत की भीनी भीनी खुशबू ने मुझे उनकी चूत चाटने पर मजबूर कर दिया चूत चाटते समय मेरा लंड कड़क होकर लोहे की तरह तन गया तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पेंट की जिप खोल के उसे बाहर निकाला और उसे एक हाथ से सहलाने लगा तभी भाभी ने नींद में मेरा लंड पकड़ लिया और कहने लगी की जानेमन आज सेक्स करने का इरादा नहीं है क्या मैंने सोचा मुझे

भैया समझ रही और इस बात का फायदा उठाते हुए मैं मुह से कुछ ना बोला क्यूँ की मेरी पोल खुल सकती थी मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया और उनके बूब्स चूसने लगा और भाभी मेरे लंड को सहला रही थी इसी बीच भाभी बोली देवर जी अब रहा नहीं जाता ये तुम्हारा ८ लम्बा मेरी चूत में डाल कर इस की प्यास बुझा दो मैं भाभी के मुह से यह सुनकर चौंक गया गया और बोला भाभी आप ने कैसे और कब जाना की ये भैया नहीं मैं हूँ भाभी बोली की जब तुम मेरे कमरे में आए थे मैं तब ही जान गयी थी की तुम हो दरअसल मैंने ही दरवाजा खुला छोड़ रखा था की तुम आओ और मैंने ही जान बुझ कर अपनी साडी घुटनों से ऊपर कर रखी थी की तुम मेरी इन मस्त और चिकनी टांगो को देखा कर मुझे चोदने का मन बना लो
मैं बोला की भाभी अपने तो मुझसे तो चुदवाने की फुल प्लानिंग कर रखी थी ।

वोह बोली की देवर जी अब फालतू की बाते करके अपना और मेरा समय खराब मत करो और मेरे इस मस्त हुस्न का फायदा उठाओ मैंने वैसा ही किया इतना कहने पर मैं भाभी के मस्त बूब्स चूसने लगा और भाभी मेरा ८ लम्बा लंड सहलाने लगी फिर मैंने भाभी की चूत पर हाथ रखा दिया तो भाभी बोली इस में बहुत गर्मी है इसकी आग आज बुझा दो। मैं पहले तो भाभी की चूत में ऊँगली करता रहा तो भाभी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईइआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी फिर मैंने भाभी की चूत पर मुह लगाकर उसे चाटा और जब भाभी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी तो वह बोली की जानेमन अब मत तड़पाओ मुझे तुम्हारा यह ८ लम्बा लंड मेरी चूत में डालो

मैंने भाभी की चूत पर लंड रखकर जोर से झटका मारा तो भाभी चीख पड़ी मर गैईईईईईईई मैंने भाभी की एक न सुनी और १५ मिनट तक भाभी की चुदाई करता रहा छोड़ते समय मैंने भाभी से पूछ लिया की इतने सुंदर पति के होते हुआ भी आप मुझसे क्यूँ चुदवा रही हैं भाभी बोली की पति तो सुंदर है पर पति का लंड कोई काम का नहीं वह तो दो चार झटके में ही स्खलित हो जाता है। शादी के बाद से आज अपने जिन्दगी की सबसे अच्छी चुदाई तुमसे करवाई है और मुझे आज ही सही मायनों में आज ही चुदाई का असली अर्थ आज ही मालूम पड़ा


अब जब भी भैया काम से बाहर जाते है तो मैं भाभी को वह सुख देता हूँ जो उन्हें भैया नहीं दे पाते और अब भाभी भी मुझे बहुत प्यार करती है

पड़ोस में रहने वाली भाभी

मेरा नाम नन्द है, मैं ग्वालियर में रहता हूँ। मुझे पहली बार सेक्स का अनुभव करने का मौका तब मिला जब मैं २१ वर्ष का था, आज मैं वह अनुभव आप सब से बाँटने जा रहा हूँ। इस समय मेरी उम्र २३ साल की है और मेरा शरीर तंदुरुस्त है और मेरी लम्बाई ५'९" है।

मैंने अपना कुँवारापन अपनी पड़ोस में रहने वाली भाभी के साथ खोया। उनकी सुन्दरता के बारे में क्या बताऊँ आप लोगों को ! फिगर ३५-३०-३६ की होगी। उनके मनमोहक शरीर को देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। उनके साथ सेक्स करकने की तमन्ना दिल में कब से थी। उनकी उम्र ३० साल की होगी।
एक दिन ऐसा आया जब मुझे उनके बदन को चूमने का मौक़ा मिला। भैया एक बिज़नेसमैन हैं और वो सुबह ही निकल जाते हैं। उनके २ बच्चे भी स्कूल चले जाते हैं। सुबह जब वह कपड़े सुखाने आती है, तब मैं हमेशा उनकी चूचियों और पेट को देखा करता हूँ। उन्होंने कई बार शायद मुझे देखा भी है कि मैं उन्हें छुप कर उन्हें देखता हूँ, पर उन्होंने कभी किसी से कुछ कहा नहीं। उनके मम्मों को देख कर उनका दूध पीने की इच्छा जाग जाती है। तो दोस्तों आपको अधिक बोर नहीं करते हुए मैं आपको अपना अनुभव सुनाता हूँ।
एक दिन की बात है, मुझे शहर में किसी काम से बाहर जाना था। घर में माँ और पिताजी दोनों ही नहीं थे, और घर में हेलमेट भी नहीं था और कविता भाभी के घर में सिर्फ कविता भाभी ही थी। मुझे अचानक याद आया कि भाभी के घर हेलमेट हो सकता है। तो मैं घर पर ताला लगा कर भाभी के घर हेलमेट लेने चला गया। भाभी कपड़े धो रही थी। जब वह कपड़े धोते हुए उठी तो उनकी साड़ी एक ओर हटी हुई थी और मुझे उनकी दोनों चूचियाँ ब्लाऊज़ में से दिखाई दे रहे थे। मन हो रहा था कि दूध पी लूँ। मैं उन्हें टकटकी लगा कर देखता जा रहा था, भाभी ने भी यह ग़ौर किया और अपनी साड़ी ठीक करते हुए मुझसे काम पूछा।
मैंने बताया कि हेलमेट चाहिए। भाभी ने कहा कि हेलमेट तो कमरे के ऊपर स्टोर में रखा है, चढ़कर उतारना पड़ेगा। भाभी और मैं कमरे में आ गए। मैं एक कुर्सी लेकर आ गया। भाभी ने मुझसे पूछा,"तुम रोज़ मुझे छुप-छुप कर क्यों देखते हो?"
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर भाभी से क्या कहूँ,"आप बहुत सुन्दर हैं और आपका शरीर ऐसा है कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए। भैया बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें आप जैसी पत्नी मिलीं।"
भाभी ने एक शरारत भरी मुस्कान से मुझे देखा. मैंने उनसे कहा कि मैं उन्हें एक बार चूमना चाहता हूँ। उन्होंने थोड़ा झिझकते हुए हामी भर दी। मैंने उनके गालों पर चूम लिया और उसके साथ ही अपना एक हाथ उनकी कमर पर रख दिया और सहलाने लगा।
भाभी ने हँस कर कहा, "अब ठीक है, या कुछ और भी करना है?"
मन तो कर रहा था कि कह दूँ, पर हिम्मत नहीं हो रही थी। तो मैंने भी हँस कर कह दिया, "अनुमति मिल जाए तो सब कुछ कर दूँगा।"
वह मुझे शैतान कह कर कुर्सी पर चढ़ गई। अब भाभी अपने दोनों हाथ ऊपर कर के हेलमेट तलाश कर रही थी। उसे इस अवस्था में खड़ा देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया। मैं उनके मम्मों और पेट को ही देखे जा रहा था। पहली बार मैंने उन्हें इतने नज़दीक से देखा था। अब मेरा नियंत्रण छूट रहा था। तभी भाभी ने मुझसे कहा कि कुर्सी हिल रही है, मुझे आकर पकड़ लो, नहीं तो मैं गिर जाऊँगी।
अब क्या था, मैंने भाभी की गाँड के नीचे से इस तरह पकड़ा कि मेरा चेहरा उनके पेट के सामने रहे। मेरे और उसके पेट के बीच कुछ ही सेन्टीमीटर का फ़ासला था। अब मेरा नियंत्रण छूट गया और मैंने भाभी के पेट पर चूम लिया।
भाभी सहम गई पर कुछ कहा नहीं। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने उसके पेट पर किस करना शुरु कर दिया। मैं उन्हें पेट पर चूम रहा था और उनकी नाभि को खा रहा था। अब वो मेरा सिर पकड़ कर अपने पेट से चिपकाने लगी और लम्बी-लम्बी साँसों के साथ हल्की सिसकियाँ लेने लगी।
उन्हें भी बड़ा मज़ा आ रहा था। १५ मिनटों तक उनके पेट को खाने के बाद वह कुर्सी पर बैट गई और मुझसे लिपट गई। अब मुझे हरी झंडी मिल गई थी। मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और उसकी साड़ी भी। वह सच में कितनी सेक्सी लग रही थी - काम की देवी। मैं उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी प्रत्युत्तर देने लगी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके गले से होते हुए उसकी चूचियों तक पहुँचा।
उसकी चूचियों को चूसता और दबारा रहा और वह सिसकियाँ निकालती रही। अब मैंने उसकी ब्लाउज़ उतार दी और पेटीकोट में घुस कर उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा। अब मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया। उसकी चूत में अपनी ऊँगलियाँ प्रविष्ट कर दीं और लगभग १५ मिनट तक उसे उँगली से ही चोदा। उसकी चूत को खूब चाटा।
वह उउम्म्म्म्म.... आहहहहहहह ओओओह्ह्ह्हहहह, और चाटो! की आवाज़ निकाल रही थी। उसका पानी एक बार निकल गया। मैंने वो पूरा पी लिया। अब उसे भी मेरा लंड चूसने था। मेरा लंड साढ़े छः इंच का है। हम 69 की मुद्रा में आ गए। मैं उसकी चूत खा रहा था और वह मेरा लंड। इसी तरह २० मिनट के बाद वो मुझसे कहने लगी कि और मत तड़पाओ, मुझे जल्दी से चोट दो।
मैंने अपने लंड का सिरा उसकी चूत पर रखा, उसके पाँवों को पैला दिया और ज़ोर के धक्के के साथ लौड़ा अन्दर पेल दिया। वह चिल्लाई और तड़पने लगी। कहने लगी कि धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उसे चोदता चला गया। थोड़ी देर के बाद वह भी मस्त हो गई और गाँड हिला-हिला कर साथ देने लगी। उसके मुँह से ओओहहहह... आआआआहहहह... और ज़ोर से... हाएएएएए.... म्म्म्म्महह्हहहहह... आआआआआहहहहह की आवाज़ें निकलना रुक ही नहीं रहीं थीं। और अब मैं उसकी एक चूची को मसल रहा था और दूसरे को चूस रहा था। उसकी घुँडियों को काट रहा था। उसे चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही बह गया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
वह मुझसे खुश थी। उस दिन के बाद जब भी मुझे मौक़ा मिलता है, मैं जाकर उसका दूध ज़रूर पीता हूँ और उसे चोदता भी हूँ।


Monday, 9 September 2013

अवैध. संबंध

इस दुनिया में क्या हो सकता है और क्या नहीं, इसकी जानकारी हमें होनी ही चाहिए, तभी हम हमारे सम्बन्धों का निर्वहन ठीक तरह से कर पायेंगे।

खैर जो भी हो, मेरे जीवन में एक घटना घटी, सच्ची है, इसका यकीन आप खुद करेंगे।

मैं नॉएडा में सॉफ्टवेयर इन्जिनीयर हूँ, अपने मम्मी पापा एवं छोटी बहन शीतल के साथ रहता हूँ। मम्मी-पापा ज्यादातर नॉएडा से गाँव आते जाते रहते हैं, क्यूंकि हमारे काफी रिश्तेदार अब भी हमारे पुश्तैनी गाँव में रहते हैं, उन्हें वहीं ज्यादा आनंद आता है।

हमारे ताऊ जी की साली का बेटा महिंदर गुड़गाँव में ही एम आर है, उसका हमारे घर काफी आना जाना है, हम दोनों बहन-भाइयों के साथ काफी जुड़ाव है। चूँकि पुरानी रिश्तेदारियाँ काफी घनिष्ट होती थी, या होती हैं, दूर दूर के लोगों की 8-10 दिन मेहमाननवाजी करना आम होता था, लेकिन अब वो बात नहीं रही, सब व्यस्त हो गए हैं।

महिंदर की मुझसे भी अच्छी पटती थी और शीतल से भी, वो अक्सर कंपनी की गिफ्टें लाता रहता, कभी कभी खाने पीने की चीज़ें, फिर धीरे धीरे मुझे दाल में कुछ काला नज़र आने लगा, उसका कारण मेरी गैरहाजिरी में उसका आना था, मैंने सोचा ऐसा सोचना ठीक नहीं क्यूंकि हम तीनों बचपन से साथ खेलें हैं, मतलब बड़े हुए हैं।

लेकिन फिर भी शक तो शक ही होता है, उसे जितनी जल्दी दूर कर लिया जाए उतना ठीक !

एक दिन मैंने महिंदर की कार को हमारे सोसाइटी की पार्किंग में देखा, यह वक्त शीतल के घर पर अकेले होने का था और मेरे आफिस में होने का ! और अब जैसा समझ आ रहा था कि महिंदर शीतल के पास होगा ही।

कुछ देर मैंने सोसाइटी के क्लब में स्नूकर खेला और महिंदर की गाड़ी पर नज़र रखी। पूरे एक घंटे बाद महिंदर प्रसन्न मुद्रा में मोबाइल की स्क्रीन देखता हुआ नीचे आया, गाड़ी स्टार्ट की और चला गया।

मुझे घर पहुँचने में अभी पूरे 35 मिनट बाकी थे, मैं अपने टाइम पर घर पहुँचा तो शीतल ने 5 मिनट घंटी बजाने पर दरवाज़ा खोला, बोली- आप भी न भैया, मैं नहा रही थी।

मैंने चाय पीते हुए शीतल से पूछा- महिंदर बहुत दिनों से नहीं आया?

तो वह बोली- महिंदर भाई आज ही आये थे, दस मिनट बैठ कर चले गए, कहने लगे, तू पढ़ाई कर, मैं यहाँ से निकल रहा था, सोचा मिलता चलूँ !

शाम को मम्मी-पापा गाँव से आ गए, मैंने बात को ढील दी, मैं दूसरे काम में व्यस्त हो गया, अब एक झूठ तो पकड़ा गया था क्यूंकि महिंदर पूरे एक घंटे तो मेरे सामने ही रुका था, और यह बात भी तय थी कि यह रास लीला बहुत सफाई से काफी लम्बे अरसे से चल रही थी, फिर भी मुझे पूरी सफाई चाहिए थी, फिर मैंने ठान लिया कि मम्मी पापा के गाँव जाते ही अब हकीकत का पता लगा कर ही रहूँगा।

हमारे फ्लैट की दो चाभियाँ हैं, और फ्लैट अन्दर बाहर दोनों तरफ से लाक हो सकता है। एक दिन मैंने योजना बनाई, शीतल से कहा- मैं कंपनी के काम से क्लायंट से मिलने मेरठ जा रहा हूँ, रात नौ बजे तक आऊँगा, तू कॉलेज से आकर घर में ही रुकना, कोई परेशानी हो तो मुझे फ़ोन कर देना या महिंदर को बुला लेना।

मेरा इतना कहने पर शीतल ने भोली सूरत से हाँ कर दी, जबकि उसकी आँखों में खुशी साफ़ दिखाई दे रही थी। फिर वो मेरे रहते कॉलेज चली गई, मैं तैयार होकर बाहर सिगरेट पीकर आया, शीतल को कॉलेज के लिए निकलता देख मैं वापस आया, ताला खोला और स्टोर रूम में जाकर बैठ गया। मेरा मोबाइल ज्यादातर साइलेंट मोड पर ही रहता है।

करीब एक घंटे बाद महिंदर का फ़ोन आया- कहाँ हो यार? चलो आज तुम्हें शालोम (दिल्ली का एक अच्छा रेस्तराँ) में भोजन करवाते हैं। मैंने कहा- मैं तो मेरठ जा रहा हूँ, रास्ते में हूँ, मोदीनगर क्रास कर गया, फिर कभी चलेंगे, और हाँ शीतल आज अकेली है, उधर से निकलो तो थोड़ा ध्यान रखना, घर हो आना।

मेरे फ़ोन काटते ही शीतल घर आ गई, अब में होशियार हो गया, उसके ठीक 30 मिनट बाद दरवाजे की घण्टी बजी, बिल्कुल यह महिंदर ही था। कुछ देर तक कुछ आवाजें ही नहीं आई, फिर मैंने ताक-झाँक शुरू की, बेडरूम की तरफ से गया, परदे के पीछे से देखा कि महिंदर शीतल को पीछे से पकड़े हुए है और उसकी गर्दन चूम रहा है, शीतल का बदन अकड़ता जा रहा है, कह रही थी- बस बस ! अब नहीं आःह्ह्ह !

मेरा दिमाग घूम गया, एकदम चक्कर आ गए, मैं उन्हें रोकने ही जा रहा था कि मेरे मन में ख्याल आया कि अपनी बहन को इस हालत में रंगे हाथों पकड़ूं या नहीं।

तभी महिंदर बोला- आज तो डरने की कोई बात नहीं है, हमेशा की तरह जल्दी नहीं मचाएंगे, दिल से प्रेम रस पियेंगे !

अब रोकने से कोई फ़ायदा नहीं था क्यूंकि शीतल आज कोई पहली बार सम्भोग नहीं कर रही थी।

धीरे धीरे मैं कामुक हो चला, अपने लिंग को वहीं खड़ा खड़ा मसलने लगा, शीतल का टाप उतर चुका था, महिंदर अब उसकी स्पोर्टी ब्रा के स्ट्रिप उतार रहा था, नीली जींस और दूधिया चिकने नंगे बदन पर सोने की चेन में शीतल कोई अप्सरा लग रही थी, यकीन मानो मैंने आज तक किसी जवान लड़की को नग्न अपने सामने नहीं देखा था, ब्ल्यू फ़िल्म दूसरी बात है।

उसके स्तन हल्के पीले थे, उन पर भूरे रंग के निप्पल कुछ लाली लिए हुए थे, महिंदर उन पर अपने उंगलियों के पौर गोल गोल घुमा रहा था, फिर उसने निप्पल को चुसना शुरू किया, शीतल लम्बी लम्बी सिसकियाँ ले लेकर" आह मम्मी अआः " कर रही थी।

फिर नीचे आकर महिंदर ने उसकी जींस का बटन खोला, शीतल आँख बन्द कर गुस्से वाला चेहरा बना कर खड़ी थी, महिंदर ने उसे पलंग पर बिठा कर जींस नीचे सरकाई और उसकी योनि को मुट्ठी में भींचने लगा, फिर पेंटी उतार कर, शीतल की टाँगें चौड़ी की, शीतल स्पंदन के झटके ले रही थी, फिर योनि की फांकें चौड़ी कर वह मेरी बहन की चूत के अन्दर हल्की हल्की फूंक मारने लगा, हल्की हल्की ठंडी हवा शीतल को मदमस्त कर रही थी, उसकी गरम योनि को राहत मिल रही थी, वो हवा में अपने बालों को झटक रही थी, आँखें बन्द थी, शीतल कोहनियों के बल पलंग पर पैर फैलाये हुई थी, अब शायद महिंदर उसनी योनि को चूसने लगा था।

शीतल पहले तो जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी, पूरे घर में आवाज गूँज रहीं थी, फिर अपनी कमर को चलाने लगी। तब महिंदर ने योनि में उंगली डाल दी, शीतल ने उसे धक्का दिया, महिंदर ने अपने लिंग निकाल कर शीतल को उलटा किया, घोड़ी बनाया और फिर अपने हाथ की बड़ी अंगुली से उसकी योनि पर थूक लगाया, फिर अपने लिंग पर धीरे धीरे डालते हुए महिंदर पूछ रहा था- जा रहा है? बोल गया?

शीतल हुंह हुंह कर रही थी, अधिक चिकनाई की वजह से लिंग बार बार फिसल रहा था। मैं ऊपर होने के वजह से सब कुछ साफ़ साफ़ देख पा रहा था। बस अब शीतल का चेहरा नहीं दिख रहा था, उसकी योनि थोड़ी थोड़ी दिख रही थी। महिंदर का लिंग पूरा साफ़ दिख रहा था।

शीतल बोली- रुको, मैं ऊपर आती हूँ उस दिन जैसे !

महिंदर चित लेट गया, शीतल ने खुद अपने हाथ से टटोल कर लिंग को योनि में फंसाया और बैठती चली गई। शीतल महिंदर की तरफ झुकी थी, महिंदर कूल्हे उचका रहा था।

दस मिनट बाद दोनों स्खलित हो गए, शायद शीतल तो हो ही गई थी क्यूंकि वो अब अकड़ी हुई सिर्फ महिंदर को रोकने की कोशिश में थी।

फिर दोनों उठे, शीतल की गोरी जांघों पर वीर्य था जो योनि में से रिस रिस कर आ रहा था। आधा घंटा दोनों फिर ऐसे ही पड़े रहे, फिर जाकर नहाये, महिंदर जरूरी काम की वजह बता कर कॉफी पीकर चला गया, शीतल बेडरूम में जाकर सो गई।

जब उसके खर्राटों की आवाज़ आने लगी तो मैं बाहर निकल गया।

दो दिन बाद शनिवार को मम्मी पापा गाँव से वापस आ गए, मैंने इशारों में मम्मी को शीतल और महिंदर के ऊपर शक होने की बात बताई। अगली सुबह पापा का मुँह चढ़ा हुआ था, महीने भर बाद शीतल की शादी का इश्तेहार अखबार में था और उसके चार महीने बाद यानि आज से एक महीने पहले शीतल की शादी बड़ी धूमधाम से हो गई।

सब खुश थे, महिंदर भी खुश दिखा, शीतल भी ! हालांकि शीतल समझ चुकी है कि मैं सब जानता हूँ, वो अब मुझसे झेंपती है, महिंदर से हमारे सम्बन्ध अब तनाव पूर्ण हैं, अभी चार दिन पहले ही शीतल और हमारे जमाई साहब उसी बेडरूम में जब सो रहे थे तो मुझे सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि बताइए 'यह है दुनिया !'


जब एक सभ्य समाज में आप बर्बर प्रजातियों की तरह अपनी बहन-बेटियों पर हिंसा नहीं करना चाहते तो कम से कम उन्हें संभाल कर रखिये क्यूंकि एक सीमा एक मर्यादा के बाद सिर्फ एक ही रिश्ता बचता है 'औरत और मर्द का रिश्ता !'

मेरी. साली. सीमा

मेरी एक साली है सीमा (नाम बदला हुआ है), जो मुझसे उम्र में कुछ महीने बड़ी है। जब मेरी शादी हुई थी, तब मैं उसे दीदी कहता था क्योंकि मेरी बीवी भी उसको दीदी कहती है।

लेकिन वह एक गजब का माल है, उसका फिगर बहुत अच्छा तो नहीं है लेकिन उसकी सूरत बहुत सेक्सी है और उसी से मेरे दिल में उसको चोदने का ख्याल आ गया। तब से मैंने उसको दीदी बोलना छोड़ दिया और उसको नाम से बुलाने लगा।

उसके शरीर का वर्णन तो करना ही पड़ेगा, वह थोड़ी मोटी है, उसके चूतड़ भी थोड़े ज्यादा बड़े हैं लेकिन उसके बूब्स छोटे हैं पर मस्त साइज़ के हैं।

यह किस्सा तब हुआ जब मैं उनके घर अकेले गया हुआ था एक ही दिन के लिए। दिन में उसका पति ऑफिस में और बेटी स्कूल गए तो मैंने एक योजना बनाई।

वैसे मैं आपको बता दूँ कि मैं एक आम इंसान हूँ और मेरा लंड भी 6" है कोई 8-10" का चूत फाड़ू लण्ड नहीं है, लेकिन मैं इसका इस्तेमाल करना बहुत खूब जानता हूँ।

तो जैसे ही उसका पति ऑफिस गया, मैं नहाने चला गया और अपने कपड़े बाहर ही छोड़ दिए, सिर्फ तौलिया लेकर चला गया जिससे कोई शक न हो। उनके घर में दो बाथरूम हैं, एक बेडरूम में और एक बाहर ! बाहर वाला पैसेज में है लेकिन मैं अन्दर वाले में गया।

मैं जब नहा कर निकला तो थोड़ी देर बेडरूम में ही रुका रहा और सीमा के आने का इंतज़ार करने लगा।

मुझे ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और वो कुछ सामान लेने बेडरूम की तरफ आई। उसकी आहट से अंदाजा लगा कर मैं जल्दी में बेडरूम से निकला। मैंने तौलिया लपेटा था और अन्दर कुछ नहीं पहना था। जैसे ही वो मेरे सामने आई, मैं उससे टकरा गया और एक हाथ से तौलिया नीचे गिरा दिया।

यह देख कर उसकी चीख निकल गई, लेकिन मैंने तुरंत उसको बाहों में ले लिया और बोला कि मैं जब तक तौलिया नहीं उठाता, वो मुझ से चिपकी रहे जिससे उसे कुछ न दिखे।लेकिन साँसें तो उसकी भी फूल गई थी, वो कुछ नहीं बोली। मैं धीरे धीरे नीचे बैठने लगा और ऐसा कर समय मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पर सरक रहे थे। मैं नीचे जाते हुए उसकी गर्दन के पास रुका और अपनी गरम साँसें छोड़ी, वो थोड़े सिहर गई, उसके रोंगटे मैं साफ़ देख पा रहा था।

फिर मैंने अपने होंठ उसके कानों के पास लगाये और वो थोड़ा हिल गई लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं उसका चेहरा तो नहीं देख पा रहा था लेकिन मुझे पूरा एहसास था कि वो आँखें बंद करके खड़ी है। फिर मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और उसके एक मम्मे के पास से धीरे धीरे सरक रहा था। उसकी अब साँसें तेज हो रही थी और मेरा निशाना ठीक लग रहा था।

जैसे ही मैं उसके मम्मे के सामने आया तो मैंने देखा कि उसकी चूची खड़ी है, तो मैं समझ गया कि काम हो रहा है। उसने सलवार कमीज पहन रखी थी और उसका कपड़ा भी पतला था। मैंने उसकी चूची पर से जाते हुए उसे धीरे से छू लिया, उसके बदन में एक लहर दौड़ गई जो मैंने अपने हाथों में महसूस की। फ़िर मैं और आगे बढ़ा और उसके पेट को अपने होंठ और नाक से गुदगुदाते हुए नीचे जा रहा था और साथ ही साथ मैंने उसकी पीठ पर अब धीरे से दबाव बढ़ा दिया था। फिर मैंने हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और धीरे से दबा दिया। मैं उसकी गांड में हलचल महसूस कर रहा था। फिर मैं धीरे धीरे हाथ उसकी जांघों के पीछे वाले भाग तो सहलाते हुए नीचे ले गया। और तभी मैंने ऊपर देखा तो वो मुझे ही देख रही थी और उसके चेहरे पर वासना झलकने लगी थी।

मैंने तौलिया उठाया और फिर धीरे धीरे ऊपर उठा, लेकिन इस बार उसकी आँखों से आँखें मिलाते हुए !

ऊपर जाते समय भी मैंने उसके निप्प्ल पर होंठ रगड़ दिए। इधर मेरा शैतान पूरा खड़ा हो चुका था और उठते वक़्त उसकी कमीज ऊपर उठाता चला गया और उसकी टांगों के बीच में फंस गया। मैं ऐसे ही एक मिनट खड़ा रहा, फिर उसके होठों पे होंठ रख दिए। वो पहले तो कुछ नहीं बोली फिर एकदम से दूर होकर बोली- यह ठीक नहीं है, हमें यह सब नहीं करना चाहिए..

ऐसे तो हर लड़की बोलती है, मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने आगे बढ़ कर उसको कमर से पकड़ लिया और कहा- तुम मेरी आधी घरवाली तो हो ही, अब क्या शरमाना !

और फिर से उसके होंठ चूसने लगा।

इस बार वो ज्यादा विरोध नहीं कर पाई और फिर उसने भी साथ देना शुरू कर दिया। फिर क्या था, मैंने उसको पकड़ कर बेड पर बैठा दिया और उसके होंठ गर्दन और चेहरे पर चूमना चालू कर दिया।

फिर मैंने उसके कपरे उतार कर उसको ब्रा और पैंटी में कर दिया। मैं तो पूरा नंगा था ही। फिर धीरे धीरे उसके पीठ पर सहला कर उसके शरीर में लहरें पैदा करने लगा, उसकी पीठ पर बीच में चूम लेता तो उसको कर्रेंट जैसा लगता और वो मचल जाती।

फिर मैंने उसको उल्टा लेटा कर उसकी ब्रा खोल दी और पूरी पीठ पर चूमना और चाटना चालू कर दिया जिससे वह मचल रही थी। बीच में से मैं एक हाथ उसकी जांघों पर भी घुमा देता और अपने नाखूनों से खरोंचता, जिससे उसके शरीर में सिहरने बंद ही न हो रही थी। फिर अचानक मैंने एक हाथ से उसका एक मम्मा पकड़ लिया, इस अचानक हमले से वो पागल हो उठी और बोली- अब और कितना तरसाओगे?

मैंने कहा- जान, बस तुम मजा लो, मैं तुम्हें जन्नत की सैर करवा दूँगा।

फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी गांड सहलाने और नोचने लगा। थोड़ी देर यह सब करने के बाद मैंने उसको सीधा किया और उसके सारे कपड़े उतार दिए। फिर उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने लण्ड पर रख दिया, तो वो भी उसको धीरे धीरे सहलाने लगी। मैं अब उसके पैरों के तरफ से उसके ऊपर हाथ फिराने लगा लेकिन इस बात का ध्यान रख कर कि चूत को हाथ न लगे। फिर धीरे से मैंने अपना मुँह उसके एक निप्पल पर रख दिया। उसकी सांस तो जैसे अटक ही गई और मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।

फिर धीरे से मैंने अपनी जीभ उसके निप्पल पर लगाई और चाटने-चूसने लगा। थोड़ी देर दोनों मम्मों को चाटता चूसता रहा। बीच में उसकी पेट को भी चाट लेता। इस समय मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूत पर घूमना चालू किया, एकदम चिकनी चूत थी, एक भी बाल नहीं, मुझे ऐसी ही चूत पसंद है।

फिर मैंने उसकी टाँगें खोली और हाथ से उसकी चूत को दबा दिया, उसकी तो हालत ख़राब हो रही थी, जैसे ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, मुझे उसकी चूत का रस हाथ में लगा, उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। फिर मैंने ज्यादा वक़्त न बर्बाद करते हुए उसके पेट पर जीभ से गुदगुदी करना चालू कर दिया और अचानक जीभ उसकी चूत पर लगा दी।उसको तो जैसे कर्रेंट ही लग गया, वह एकदम उछल पड़ी। मैंने उसकी चूत ऊपर से थोड़ी देर चूसी.. दोनों पंखुड़ियाँ चूस चूस कर चूत फुला दी, फिर अपनी जीभ उसकी चूत में प्रवेश करवा दी। यह तो उसके लिए जन्नत की सैर थी, वह मुँह से सिसकारियाँ लेने लगी और गांड उठा उठा कर चटवाने लगी। उसकी चूत का स्वाद तो गजब था, और वो लगातार पानी छोड़ रही थी। मुझे चूत रस पीना बहुत अच्छा लगता है।

फिर मैंने उसके दाने पर जीभ लगाई तो वो एक मिनट में झड़ गई और मैं सारा पानी चाट गया। उसकी चूत इतनी संवेदनशील हो गई थी कि वो मुझे हाथ भी नहीं लगाने दे रही थी। फिर उसने मेरा लण्ड चूसना चालू कर दिया, वो तो ऐसे टूट पड़ी कि कई दिनों से भूखी हो।

थोड़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और उसको फिर से तैयार करने लगा। थोड़ी देर में वो फिर से तैयार थी। इस बार मैंने फिर से थोड़ी देर उसकी चूत चाटी और अपना लण्ड उसकी बुर पर रगड़ने लगा। वो बोली- अब और न तरसाओ, जल्दी से डाल दो।

मैंने कहा- जल्दी क्या है रानी, पूरा मजा लेंगे ! फिर कब मौका लगे पता नहीं !

फिर थोड़ी देर में मैंने उसके छेद पर लण्ड रख कर थोड़ा से अन्दर डाला जिससे उसकी चीख निकल गई, दर्द से नहीं मजे से ! और फिर मैंने आधा लण्ड अन्दर डाल दिया और वहीं रुक गया। फिर उसको मैंने बाहर खीचा और एक ही झटके में पूरा अन्दर डाल दिया। उसकी फिर से चीख निकल गई क्योंकि अब लण्ड पूरा अन्दर तक उसको मज़ा दे रहा था, उसकी प्यास बुझा रहा था।

फिर मैंने झुक कर उसके होंठ चूसना चालू किया और धीर धीरे लंड को हरकत दी। उसकी तो फिर से हालत ख़राब हो गई। मैंने उसको बहुत मजे दे और लेकर चोदा। उसकी चूत तो नहर बन गई थी और पानी पे पानी छोड़ रही थी। मेरा पूरा लंड भीग गया था और झांटें भी गीली हो गई थी। इसका वैसे मज़ा ही कुछ और है।

मैंने उसको करीब 15 मिनट चोदा, इस दौरान वो फिर से झड़ गई थी और अब मेरी बारी थी। मेरा लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और वीर्य उफान पर था, फिर मैंने उसको जोर से धक्के लगाना चालू किया और पूछा- कहाँ निकालूँ?

तो वो बोली- पीना है, मुँह में निकालो।

तो मैंने कहा- तैयार रहो !

और फिर कुछ तेज झटके मार के लंड उसके मुँह में दे दिया। जैसे ही उसने चूसा मेरा सार माल निकल गया, मैंने 4-5 पिचकारियाँ मारी और वह सारा पी गई, ऐसा लगा कि कुछ निकला ही नहीं, उसका मुख एकदम साफ़ था और मेरा लौड़ा भी।


फिर हम एक दूसरे से चिपक कर पड़े रहे और मैं उसके बदन से खेलता रहा।