Tuesday, 17 September 2013

अलका. भाभी. को. माँ. बनाया

यह घटना अब से ५ महीने पहले हुई जब हमारी कॉलोनी में एक भाभी रहने को आई थी। भाभी तो पूछो मत ! मादकता उनके बदन में कूट-कूट के भरी थी। चूची उनकी थी ३८डी, कमर ३२ और गांड तो क़यामत थी उनकी ४० साइज़ की। चलती तो क़यामत लगती थी। उनके आने के कुछ दिनों में उनकी दोस्ती हमारे परिवार से हो गई।
भाभी बहुत चंचल स्वभाव की थी। उमर यही कोई ३० साल के आस पास थी। धीरे धीरे वो हमसे भी खूब बातें करने लगी थी क्यूंकि उनके कंप्यूटर को मैं ठीक कर देता था सो वो मुझसे काफी करीब थी।
एक बार उनके कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई थी। सो वो मम्मी से बोली कि सतीश से कह के मेरा कंप्यूटर ठीक करवा दो।
तो मैं दोपहर को उनके घर गया। वो बड़ी सेक्सी नाईट गाउन पहन के घर पर थी और वो मुझे अपने कंप्यूटर के पास ले गई। मैं उनके कंप्यूटर को ठीक करने लगा। उसको फॉर्मेट करना था। सो मैंने भाभी जी से कहा भाभी जी आपका कोई महत्वपूर्ण फाइल हो तो बैक-अप ले लो, सिस्टम फॉर्मेट करना पड़ेगा तो वो बोली- कुछ पर्सनल फाइल हैं तुम हटो तो मैं बैक-अप ले लूँ। मैं कुर्सी से हट के खड़ा हो गया और वो अपनी व्यक्तिगत फाइलों का बैक-अप लेने लगी थी। उसमें बहुत सारी सेक्स कहानियाँ और पॉर्न तस्वीरें थी जो गलती से खुल गई।
मैंने उनसे कहा- भाभी, अगर ऐसी फाइल्स है तो आप बैकअप रहने दो ! मैं आपको ढेर सारी दे दूँगा।
वो बोली- ठीक है ! और कंप्यूटर से हट गई।
तभी मैंने पूछा- भाभी ! भइया कहाँ हैं? तो वो बोली- ना जाने कहाँ गए हैं। उनके होने और ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम कंप्यूटर ठीक करो !
तो मैंने कंप्यूटर को फॉर्मेट कर के लोडिंग पर लगा दिया और भाभी से बोला- मैं अभी घर से आपके लिए कुछ फाइल्स ले कर आता हूँ !
तो वो बोली- अरे इतनी क्या जल्दी है? बाद में दे देना।
मैंने कहा- अरे भाभी ! आप देखो ! मुझे अच्छा लगेगा कि कम से कम मेरा कल्लेक्शन किसी के काम तो आएगा !
और यह कह के मैं घर से अपने डीवीडी का बॉक्स ले आया और उन्हें दे दिया कि आप देखो। जब देख लें तो मैं और दे दूंगा। वो बोली- ठीक है ! और उसे आलमारी में रख दिया।
मैंने उनका कंप्यूटर ठीक कर दिया और चला आया।
अगले दिन वो मेरे घर आई और मेरे से बोली- उसमें कुछ फाइल खुल नहीं रही हैं।
मैं समझ गया कि उसमें कुछ मोबाइल वाली फाइल थी जो अलग मीडिया प्लेयर पर खुलती थी। सो मैं मीडिया प्लेयर लेकर उनके घर गया और इंस्टाल कर के जाने लगा तो वो बोली- इसे ओपरेट कैसे करते हैं?
मैंने कहा- भाभी, सेक्स क्लिप है ! मैं आपके सामने कैसे ओपरेट कर पाऊंगा?
इस पर वो बोली- तुम करो, कोई बात नहीं। अब हम दोस्त है और अब तुम मुझे अलका कह के बुलाओ। भाभी लोगों के सामने बोला करो।
मैंने कहा- ठीक है !
और मैंने वो फाइल रन कर दी और भाभी मेरे साथ बैठ के वो फाइल देखने लगी और फाइल देखते देखते मैं भी उत्तेजित हो गया था। वैसे मैं तो भाभी को देख के हमेशा उत्तेजित रहता हूँ, पर उनके साथ मूवी देखने में तो मेरी हालत ख़राब हो गई थी। भाभी मेरी तड़प देख के मुस्कुरा रही थी और बोली- कोई मस्त लड़के की मूवी दिखाओ।
मैंने पूछा- भाभी कैसे लड़के की ?
तो वो बोली- अपनी उम्र के लड़के की मूवी दिखाओ।
तो मैंने एक मूवी ढूंढ निकाली और प्ले कर दी।
अलका भाभी बोली- सतीश, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं।
तो वो बोली- यह मूवी तुम देखते हो?
मैंने कहा- हाँ।
उसने फिर पूछा- उसके बाद तुम्हारा मन नहीं करता कुछ करने को?
मैंने कहा- करता तो बहुत है पर कर भी क्या सकता हूँ?
इस पर वो बोली- फिर तुम क्या करते हो?
मैंने शर्म के मारे अपना सर झुका लिया तो वो बोली- शरमाओ नहीं, क्या हाथ से हिलाते हो?
मैंने कहा- हाँ।
उसने कहा- ये बुरी बात है। इससे तुम में कमजोरी आ जायेगी और शादी के बाद तुम्हारी बीवी की हालत मेरे जैसे हो जायेगी।
मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं !
तो बोली- मेरे पति भी मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते। हाथ से हिला हिला कर उन्होंने अपना सामान ख़राब कर लिया है और अब वो खड़ा भी नहीं होता है और मुझे बैंगन या मूली से काम चलाना पड़ता है। अगर तुम्हें जरूरत हो तो मेरे पास आ जाना, मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। वैसे भी अब हम दोस्त हैं।
इतना कह के वो रसोईघर से पानी लेने अपनी गांड मटकाती हुई चली गई जिसे मैं देख के पागल हो रहा था।
वो रसोईघर से दो गिलास शर्बत लेकर आई और एक मुझे दिया, दूसरा खुद पीने लगी।
तब मैंने पूछा- भाभी, आप मेरी कैसे हेल्प कर सकती हो?
वो बोली- कैसी हेल्प चाहते हो?
मैंने कहा- भाभी आप बुरा मान जाओगी।
तो बोली- नहीं।
मैंने कहा- भाभी, मैंने आज तक किसी भी औरत या लड़की को असल में नंगी नहीं देखा है। क्या मैं आपको देख सकता हूँ?
उसने कहा- जरूर !
और खड़ी हो गई, बोली- लो, तुम खुद देख लो जैसे देखना हो।
मैंने जल्दी से गिलास खाली किया और उनके पास खड़ा हो गया। उन्होंने खुद ही मेरा हाथ पकड़ के अपनी चूची पर रख दिया और बोली- यह पसंद है? लो दबाओ और मज़ा लो।
मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा। बड़ी टाइट और मस्त चूचियाँ थी उनकी। मजा आ गया था।
hindisexstory69

फिर मैंने उनकी नाइटी उठाई और उनकी चिकनी टांगों को सहलाने लगा तो वो मेरे करीब आ गई और जींस के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- तुम्हारा लंड कितना बड़ा है?
मैंने कहा- 6
का !
तो बोली- क्या मैं देख सकती हूँ?
मैं बोला- भाभी पहले मैं आपको देखूंगा, फिर आप मुझे देख लेना।
बोली- ठीक है।
और यह कहकर उन्होंने अपना गाउन उतार दिया और काले रंग के लेसयुक्त ब्रा पैंटी में खड़ी हो गई। वो बला की खूबसूरत लग रही थी। मैं उनको पैर से लेके सर तक चूमता रहा और वो सीईईईईईई आह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कर रही थी।
फिर मैंने उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। पूरे बदन में एक भी दाग नहीं था। और चूचियाँ जैसे हिमालय पर्वत की तरह सर उठाये खड़ी थी।
मैं उन्हें देख कर पागल हो गया था। उन्हें उनके बेडरूम में ले गया और उनको चूमने और चाटने लगा। मैं उनकी चूत के पास आया और उनकी चूत को चाटने लगा तो उन्होंने मुझे अपने पैरो से दबा लिया। बोलने लगी- खूब चाटो मेरे राजा मेरी चूत को, मैं बहुत प्यासी हूँ मेरी प्यास बुझा दो !
और मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
५ मिनट में वो मेरे मुँह में झड़ गई और मैं उनके चूत के अमृत को चाट के पी गया।
फिर उसने उठ के मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को मुँह में लेकर चाटने लगी, डाबर हनी की बोतल निकाल लाई और मेरे लंड पर डाल कर खूब चाटने लगी। तभी कुछ देर बाद मैंने कहा- अलका भाभी, मेरा होने वाला है !
तो उन्होंने कहा- मेरे मुँह में झड़ो ! मैं तुम्हारा अमृत पीना चाहती हूँ !
और वो मेरे लंड को तब तक चूसती रही जब तक मैं उनके मुँह में झड़ नहीं गया।
वो मेरा लंड लगातार चूस रही थी, जब तक मेरा लंड दोबारा खड़ा नहीं हो गया। उसके बाद वो बेड पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरे लंड को अपनी चूत में रगड़ने लगी। मैंने पूछा- भाभी ! क्या मैं आपको चोद सकता हूँ?
वो बोली- और नहीं तो क्या तेरा लौड़ा मैं अपनी चूत पर इसीलिए तो घिस रही हूँ। बहनचोद चोद मुझे !
मैंने कहा- भाभी क्या आपको पसंद है गन्दी बात करना?
तो वो बोली- इसी में तो मजा है असली चुदाई का। खूब गालियाँ देके मुझे चोद और अपनी रखैल बना ले मुझे।
फिर मैंने उनकी टाँगे फैलाई और अपना लौड़ा उनकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी- अरे भोसड़ी के ! फ्री की चूत समझ के फाड़ने लग गया। अरे मादरचोद ! आराम से चोद, मैं कोई भागे थोड़ी जा रही हूँ। मेरी चूत फट रही है निकाल ले अपना लौड़ा, मुझे नहीं चुदवाना तेरे से !
पर मैंने उनकी एक न सुनी और धीरे धीरे अपना पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चूची के रस को पीने लगा।
थोड़ी देर में उनका दर्द कम हो गया तो वो गांड उछालने लगी और मुझे बोली- खाली डाले पड़ा रहेगा या फिर चोदेगा भी मुझे?
तो मैंने अपना लंड निकाला और एक बार में पूरा लंड उनकी चूत में पेल दिया और उन्हें जम के चोदने लगा और वो भी बहुत बड़ी चुद्दकड़ थी। खूब गांड उछाल के चुदवा रही थी और साथ में गालियाँ दे रही थी, और जोर से चोदने को कह रही थी।
मैंने उन्हें १० मिनट तक खूब जम के चोदा और वो लगातार अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और पेलो, फाड़ दो मेरी चूत को, चिथड़े उड़ा दो आज इस निगोड़ी के ! इसने मुझे बड़ा दुःख दिया है। आज, सतीश, इससे मत छोड़ना। इसे फाड़ देना अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा- अलका मैं झड़ने वाला हूँ।
वो बोली- मेरी चूत में झड़ो, मुझे तुमसे बच्चा पैदा करना है, तुम्हारे भैया को मैं संभाल लूंगी, फिलहाल तुम मुझे चोदो और मेरी बुर को सींच दो अपने पानी से।
और मैं उन्हें चोदते चोदते उनकी चूत में झड़ गया। और उन्हीं के ऊपर लेट के उनको किस करने लगा।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मुझे आपकी गांड बड़ी प्यारी लगती है क्या मैं आपकी गांड मार सकता हूँ?
इस पर बोली- अरे मादरचोद ! आज चूत दी तो गांड के पीछे पड़ गया? चल कल मेरी गांड भी मार लेना। अब ये जिस्म तेरा हैं, तू जैसे चाहे मुझे चोद सकता है।
दोस्तो, उसके बाद मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं अलका भाभी को चोदता हूँ.. और अब वो मेरे बच्चे की माँ भी बनने वाली है। वो अब मुझसे काफी खुश है और मुझे ही अपना सब कुछ मानती है…

Wednesday, 11 September 2013

भतीजी की चुदाई

मैं अपने भाई बहनों में सबसे छोटा हूँ। उस समय मेरी भतीजी कोमल जिसकी उम्र उस वक्त करीब 20 साल होगी, उसका कद करीब ५ फुट ४ इंच है, बचपन से मैं उसे गोद में खिलाता आ रहा था, वो बचपन से रात को वो ज्यादातर मेरे साथ ही खेलते खेलते चिपक कर सो जाती थी, उस वक्त तो मुझे कुछ खास महसूस नहीं होता था। लेकिन जब उसके बूब्स करीब संतरे के आकार के हो गए तो रात को जब वो चिपक के सोती तो मेरी हालत ख़राब हो जाती।

हालाँकि तब तक मैं कई लड़कियों को चोद चुका था, तथा कइयों की तो सील भी मैंने ही तोड़ी थी, क्योकि हमारा बिजनेस ही ऐसा था, हमारा रेडीमेड कपड़े बनाने का कारखाना है और हमारे यहाँ मशीनो पर सिर्फ़ लड़कियाँ ही काम करती हैं, हम ज्यादातर कुंवारी लड़कियों को ही काम पर रखते हैं, क्योकि एक तो कम पगार पर मिल जाती थी तथा दूसरे शादी होने पर अपने आप साल दो साल में काम छोड़ कर चली जाती थी। ज्यादातर हमारे यहाँ १८-२० साल की लड़कियाँ काम करती थी।

खैर ये कहानिया मैं आपको बाद मैं लिखूंगा, तो मैं बता रहा था कि रात को जब मेरी भतीजी मुझे चिपक के सोती तो उसके बूब्स मेरे सीने में दब जाते थे, उसे इस बारे में पता था या नहीं लेकिन इस हरकत से मेरा ७ लंबा हथियार खड़ा हो जाता और मुझे डर रहता कि कहीं उसका हाथ या पैर मेरे लंड को छू न जाए।

एक रात को जब उसे नींद आ चुकी तो मैंने धीरे से अपना हाथ उसके एक बूब्स पर रख दिया उसके बूब्स कमाल के सख्त थे। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिय। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी नाईट शर्ट के बटन खोल दिए और शमीज के ऊपर से उसके बूब्स को काफी देर तक दबाता रहा, उसने कोई हरकत नहीं की। इससे आगे बढ़ने की मेरी हिम्मत नहीं हुई आख़िर मैंने मूठ मार कर अपने को शांत किया और सो गया।

दूसरे दिन रात को फ़िर में उसके सोने का इंतजार करने लगा कि अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख लिया और नींद में होने का नाटक किए हुए सोती रही। मुझे समझ में आ गया कि कल रात को उसे सब कुछ मालूम हो चुका था, फ़िर क्या था मैंने उसके नाईट शर्ट के बटन खोल दिए और देख कर हैरान रह गया कि आज उसने अन्दर शमीज ही नहीं पहनी थी। मेरे हाथ सीधे उसके अनछुए बूब्स पर थे, उसके छोटे छोटे पिंक कलर के निप्पल देख कर मेरे तो होश उड़ गए। उस रात मैंने उसके बूब्स को खूब मसला और मुँह में लेकर चूसा भी लेकिन वो सोती रही।

मैंने धीरे से उसके पजामे के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रखा तो मुझे लगा जैसे फूली हुई गद्दी पर हाथ रखा हो, मैंने धीरे से उसके पजामे के अन्दर हाथ डालने की कोशिश की तो वो दूसरी तरफ़ करवट बदल कर ओढ़ कर सो गई, आख़िर उस दिन भी मैंने मूठ मार कर अपने को शांत किया और सो गया।

अगले दिन से उसका व्यव्हार मेरे साथ कुछ बदल सा गया और वो बार-बार चाचू-चाचू कहकर मेरे साथ चिपकने लगी, मैं समझ गया कि अब इसको चोदने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा लेकिन मौका हाथ नहीं लग रहा था क्योंकि उसी कमरे में मेरे पिताजी भी सोते थे, इसलिए केवल बूब्स दबाकर तथा चूत ऊपर से दबाकर ही संतोष करना पड़ता था, अब तक हम खुल गए थे लेकिन हर बार वो इससे आगे बढ़ने के लिए मना कर देती।

आख़िर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया, भइया व भाभी शादी में मुंबई गए थे, पिताजी कारखाने में चले गए, घर पर सिर्फ़ मैं और कोमल ही थे। सुबह १० बजे का वक्त होगा, पिताजी के जाने के बाद जब वो नहाने जा रही थी तो मैंने उसे पकड़ लिया और चूमने लगा। तो वो बोली चाचू मुझे छोड़ो! मुझे नहाना है! मैंने कहा चलो आज साथ नहाते हैं, तो वो शरमा गई, क्योंकि आज तक हमने रात में ही सब कुछ किया था। मैं उसके साथ बाथरूम में घुस गया और उसके कपड़े उतारने लगा। वो न ना करती रही लेकिन मैंने उसकी पेंटी छोड़ कर सब कपड़े उतार दिए और अपने भी अंडरवियर छोड़कर सब कपड़े उतार दिए।

वो शरमा रही थी लेकिन मैंने उसकी एक चूची एक हाथ में तथा दूसरी मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसे भी मजा आने लगा। मैंने जैसे ही उसकी पेंटी को हाथ लगाया उसने कहा चाचू ये सब नहीं !

लेकिन मैं जानता था कि आज मौका है, जो करना है आज ही कर लेना है !

मैंने कहा- कुछ नहीं होगा और जबरन उसकी पेंटी में हाथ डाल दिया। उसकी चूत पर नरम नरम रोयें जैसे छोटे छोटे बाल आना शुरू ही हुए थे, मैंने देखा उसकी चूत पूरी तरह गीली हो रही थी। मैंने उसकी पेंटी उतार दी तो उसने अपनी आँखे बंद करली। मैंने घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत को देखा और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा वो सिसकारियाँ भरने लगी और मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबा लिया।

मैंने उसे कहा- चलो अन्दर बेडरूम में चलते हैं। वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसे उठाया और अन्दर कमरे में बिस्तर पर ले आया। उसने आँखे बंद कर रखी थी, मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उसकी बगल में लेट गया। धीरे धीरे उसकी चूत सहलाते हुए मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया, उसने उसे पकड़ लिया लेकिन कुछ कर नहीं रही थी। मैंने उसे लंड मुंह में लेने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया।

मैंने फ़िर उसकी चूत चाटते हुए एक अंगुली उसकी चूत में डाल दी। उसने धीरे से उफ़ किया लेकिन कुछ बोली नहीं, मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा, धीरे धीरे उसे भी मजा आने लगा। फ़िर मैंने उठ कर अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और उसके पैरों को चौड़ा करके बीच में बैठ गया। वो आँखे बंद करके पड़ी रही। मैंने अपने ७ लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर रखा और थोड़ा सा जोर लगाया ही था कि वो बोली- चाचू दर्द हो रहा है, जबकि लंड तो अभी पूरा बाहर ही था।

खैर मैंने थोडी देर उसके बूब्स दबाये और फ़िर थोड़ा जोर लगाया वो फ़िर बोलने लगी कि दर्द होता है। उसकी चूत इतनी टाईट थी कि लंड का टोपा भी अन्दर नही घुस रहा था, मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे बातों में लगाया तथा उसे कहा कि वो जोर से मुझे बाँहों में भर ले। जैसे ही उसने मुझे बाँहों में लिया, मैंने पूरी ताकत से शोट मारा उसके मुँह से चीख निकल गई मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था, वो नीचे छटपटाने लगी लेकिन मैंने उसे जकड़ रखा था, वो रोने लगी और कहने लगी चाचू आप बहुत गंदे हो, आगे से मैं आपके पास कभी नहीं आउंगी। मैंने अपना लंड और आगे नहीं दबाया और उतने ही लंड से उसको चोदता रहा।

धीरे धीरे उसे भी अच्छा लगने लगा, उसकी बाहें फ़िर मेरी पीठ पर कस गई, जैसे ही उसने अपनी पकड़ टाईट की, मैंने एक जोरदार शोट पूरा लंड बाहर निकाल कर लगा दिया। उसके मुँह से हिचकी सी निकली और वो फ़िर रोने लगी लेकिन अब मैं रुकने वाला नहीं था। मैं उसको पूरी ताकत से चोदे जा रहा था। करीब १० मिनट बाद उसने मुझे फ़िर बाँहों में भर लिया और अपनी टांगे और चौड़ी कर ली।
अचानक उसकी चूत मेरे लंड को भींचने लगी और वो मुझसे बुरी तरह से चिपक गई। मैं भी आने वाला था, मैंने झटके से अपना लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर अपना सारा माल उड़ेल दिया। मेरा लंड बुरी तरह दर्द कर रहा था तथा खून से लाल हो रहा था। ५ मिनट तक हम वैसे ही बेड पर पड़े रहे। जब उठने लगे तो कोमल उठ नहीं पा रही थी।


जब हमने बेड की तरफ़ देखा तो हमारे होश उड़ गए पूरी बेडशीट लाल हो चुकी थी, यह देख कोमल घबरा गई और फ़िर रोने लगी, मैंने उसे समझाया और चद्दर बदली, मैंने उसकी चूत पर नहाने के बाद रुई लगाई उससे चला नहीं जा रहा था, मैंने उसे पेनकिलर गोली दी, शाम तक काफी आराम हो गया, उसके बाद ४ दिन तक उसने मुझे हाथ भी नहीं लगाने दिया, लेकिन पांचवे दिन के बाद हमारा खेल फ़िर शुरू हो गया जो करीब ७ साल तक उसकी शादी तक चला।