Saturday, 19 October 2013

मेरी चुदने की इच्छा

हम तीन, हम दो और हमारा एक बेटा ढाई साल का, भोपाल में रहते हैं। इसी घर में मेरे जेठ जी का परिवार हम से ऊपर वाली मंज़िल पर रहता है। उससे ऊपर की मंजिल पर घरेलू नौकर का कमरा है। जेठ जी का बड़ा बेटा हरीश उन्नीस साल का है, उसने इस बार बी बी ए के दूसरे साल की परीक्षा दी है।

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जब जब भी मेरे पति टूअर पर जाते रहते थे तो हरीश मेरा बहुत ख्याल रखने लगा था, किसी भी काम को दौड़कर करने को तैयार रहता था और इसी कोशिश में रहता था कि वो मेरे आस पास ही रहे। मुझे भी उसकी कम्पनी में मज़ा आता था।

इसी साल की सर्दियों में दिसंबर 2012 में एक बार शाम के समय वो मेरे पास मेरे बेडरूम में आया, उस समय नौ बजे होंगे, मैं कोई सीरियल देख रही थी अपनी रजाई या लिहाफ जो भी आप उसे कहते हो, में घुस कर बैठी हुई।

मैंने हरीश से कहा- बहुत ठण्ड है, तुम भी रजाई में आ जाओ, कम से कम अपने पैर तो अन्दर कर लो।

पता नहीं क्यूँ वो थोड़ी दूरी बनाये रखता था, इसलिए शर्माते हुए बोला- मैं ठीक हूँ।

फिर भी मेरे कहने पर वो मेरे बगल में नहीं बैठ कर पैरों की तरफ बैठ गया और मेरी जेठानी जी ने जो मैसेज दिया था, उसे बता कर जाने की बात बोलने लगा।

मैंने उसे थोड़ा रुकने को कहा क्यूँकि आज मैं उसे कोरा कोरा जाने देने के मूड में नहीं थी। मेरा मन इस लड़के को फ़ंसाने को तो बहुत दिनों से मचल रहा था पर आज जैसा मोका भी नहीं मिला और कुछ करने से डरती भी रही। इसको फंसाने का सीधा सा और जरुरी सा कारण यह था कि यह लड़का पूरी तरह जवान और खूबसूरत तो था ही, घर के घर में ही उपलब्ध भी था, किसी भी समय और इस पर किसी को कोई शक भी नहीं होता। उससे चुदाई के प्रोग्राम की बात करते रहना भी आसान था।

मेरे दिमाग में ये सारी चीज़े एक साथ घूम रही थी। उस दिन चुदाई के लिए भी मैं बहुत उतावली थी। वो नहीं आता तो मैं किसी और तरह अपनी आग शांत करती पर भाग्य से वही आ गया जिसके लंड की कल्पना ही मैं करती रहती थी कि फुल साइज़ का हो गया होगा या नहीं।

मुझसे रहा नहीं गया, मेरा मुझ पर ही जैसे काबू ही नहीं रह गया था, मैंने रजाई के अन्दर से ही अपना पैर लम्बा करके उसकी टांगों के बीच में रखा और अंगूठे से उसका लंड ज़िप के ऊपर से ही टटोलने लगी। मेरा पैर लगते ही उसका लण्ड तनने लगा और एक मिनट में ही वो पैंट फाड़ने को तैयार था। हरीश पहले तो थोड़ा असहज सा हुआ फिर सब समझ गया और उसने अपनी ज़िप खोल दी।लंड आज़ाद होकर मेरे पैर को गर्मी दे रहा था। बच्चा तो सो गया था, हरीश फटाफट मेरे बाजू में आकर बोला- चाची, तूने आज बहुत उपकार किया, मैं तो कबसे तुझको चोदने की सोचता रहता था।

वो बोला- चाची, अब देर न कर, आज ही शुरुआत करूँगा। मेरी तो यह सुहागरात ही समझो, मेरी पहली चुदाई है, चाची तुम ही गाइड करो।

मैं तो खुद ही चुदने को मरी जा रही थी, मैंने कहा- तू तो आज मज़ा ले बस।

हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतारे और मैंने आज पहली बार उसका लंड देखा था, यह तो मेरे पति के लंड से थोड़ा पतला तो था पर लम्बा बहुत था और मेरे लिए तो जैसे उम्मीद से बड़ी कोई चीज़ मिल गई हो। मैंने उसके लण्ड को ऐसा पकड़ा जैसे अभी खा जाऊँगी, मुँह में भर कर चूसने लगी और हरीश का मुँह अपनी चूत के दाने को चूसने पर लगा दिया।

व्व्वाआह्ह ! क्या आनन्द आ रहा था ! मैं सिसकारी भर रही थी और हरीश का तो हांफ-हांफ कर बुरा हाल थ। पर वो बहुत एन्जॉय कर था।

अब मैंने उसे मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ने का निमंत्रण अपनी टाँगें चौड़ी करके चूत को थोड़ा ऊपर उभारते हुए दिया। वो इस निमंत्रण को तत्काल समझ गया और उसने फटाफट मेरी टांगों को फैलाकर ऊपर उठाते हुए अपने लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का दिया। उसका लंड पहली बार में ही आधा तक घुस गया।

यह उसका पहला ही अनुभव था, वो बहुत अधिक उत्तेजित होकर लंड को चूत में पेलने के लिए बेताब था और उसका लंड भी अब उसके काबू में नहीं था इसलिए बिना रुके उसने लगातार जोर जोर के धक्के मरना शुरु कर दिया। उसका लंड मेरी चूत में ऐसा ऊपर नीचे कूद रहा था जैसे कोई गाड़ी का पिस्टन चल रहा हो।

वाह ! मैं तो नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर उसके ही रंग में मिल कर चूत को उसकी चाहत की गिफ्ट दिलवा रही थी। मैं भी और हरीश भी जोर जोर से चुदाई की रफ़्तार के साथ ही खूब मोनिंग यानी आअह्ह ऊउह्ह कर रहे थे।

घर में तो कोई था ही नहीं इसलिए खुलकर जी भर कर आवाज़ें और किलकारियाँ मार रहे थे। इसी मुद्रा में चुदाई करते करते हरीश भी और मैं भी लगभग एक साथ ही झड़े तो वो नज़ारा तो देखने लायक था और हमेशा याद भी रहेगा।

हरीश तो ऐसा काम्पने लगा आनन्द के मारे कि जैसे कोई जंग जीती हो।

मैंने भी अपने जीवन में जितनी भी चुदाई करवाई हो और वे एक से बढ़ कर एक नई मुद्रा की हो, पर यह सादी सी चुदाई फिर भी कभी भूल नहीं पाऊँगी।


अब हरीश का रास्ता खुल गया है, जब भी उसका मन होता है या मेरी चुदने की इच्छा होती है तो वो तत्काल आकर मेरी चूत की और अपने लंड की प्यास बुझा देता है। हम अब रोज़ नए नए प्रयोग भी करते रहते हैं, जब भी मेरा आदमी टूर पर जाता है तो उनका यह भतीजा अपनी चाची की भरपूर चुदाई करके मज़ा देता है।

Tuesday, 24 September 2013

लड़की को उत्तेजित करने का तरीका

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Grand मस्ती

लो दोस्तों, मेरा नाम नील है और मै एक कॉलेज मे पढता हु और मै बायोलोजी का छात्र हु | सब लोग जानते है, कि बायोलोजी क्लास मे नहीं पढी जाती है, वो हमेशा ही लैब मे और क्लास के बाहर ही पढी जाती है | मै अपनी क्लास का सबसे मेधावी छात्र था और सब लोग मुझ से काफी खुश रहते थे | मेरी क्लास मे, एक बड़ी खुबसूरत लड़की थी सीमा; सब लोग उसपर जान देते थे और उसको अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए तड़पते थे, लेकिन वो किसी को घास नहीं डालती थी | लेकिन, सीमा ने मेरी किस्मत का दरवाजा खटखटाया और मुझे उसे चोदने का मौका मिला और मैने भी उस मौके के मस्त तरीके से भुनाया |


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हुआ यू था, कि क्लास के फाईनल पेपर थे और हम सब को एक प्रोजेक्ट पर काम करना था और उस प्रोजेक्ट पर किसी को अकेले काम नहीं करना था, बल्कि दो लोगो को एक साथ काम करना था | सीमा जितनी खुबसूरत थी, उतनी ही चालू भी थी और उसने बायोलोजी के टीचर से बात करके मुझे अपनी टीम मे रख लिया, ताकि उसका प्रोजेक्ट आसानी से हो जाए और उसको पुरे नंबर मिल जाये | मुझे लड़कियों से बात करने मे थोड़ी शर्म आती थी, तो मुझे जब पता चला कि सीमा मेरे साथ, मेरी टीम मे है, तो मुझे बड़ा अजीब सा लगा | लेकिन सीमा खुश थी | हम सब लैब मे चले गये और अपना-अपना काम करने लगे | मैने सीमा को कुछ समझाया, और खुद दूसरा काम करने लगा | मेरा लगभग सारा काम पूरा हो चुका था, बस सीमा का काम ख़त्म होते ही, हमारा उस दिन का काम खत्म होने वाला था, जब मैने सीमा की तरफ देखा तो उसने मुझे मद्दत के लिए बोला | मुझे सीमा और अपने टीचर पर बहुत गुस्सा आया, कि दोनों ने मुझे कहाँ फसा दिया; लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और मै सीमा के पीछे गया और उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करने लगा | उस समय मेरे मन कोई गलत ख्याल नहीं था, लेकिन प्रयोग के समय, मै सीमा की शरीर से चिपक गया था और मेरा आगे शरीर का हिस्सा उसके शरीर के पीछे के हिस्से से चिपक गया था, उस वजह से मेरा लंड उसकी गांड से चिपक चुका था और उसको भी अपनी गांड की लकीर पर मेरे लंड का अहसास हो रहा था |

मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा की गांड पर अपनी दस्तक दे रहा था | सीमा ने कुछ नहीं बोला और हमने प्रयोग पूरा कर लिया और हम दोनों बिना कुछ बोले और सुने अपने-अपने घर चले गये | अगले दिन, फिर से वही बात हुआ, उस बार सीमा ने जानबूझ कर ऐसा किया | उसने प्रयोग ना होने का नाटक किया और मैने फिर से उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करवाना शुरू कर दिया | आज वो जान-बुझकर हिल रही थी और उसकी गांड मेरे लंड को रगड़ रही थी | उस दिन तो मेरा लंड पहले दिन की अपेक्षा ज्यादा खड़ा हो गया और सीमा की चूत पर जोर-जोर से टक्कर मारने लगा | सीमा ने अपनी आँखे बंदकर ली और उस पल का मजा उठाने लगी | मेरी सीट सबसे कोने मे होती थी, वहा पर मुझे कोई नहीं देख सकता था | मैने ये टेबल जानबूझकर, अपने लिए ली थी, ताकि मै अपने पढाई के अलावा भी प्रयोग कर सकू |
मेरी टेबल के पास ही, मेरी टीचर के बाथरूम का दरवाजा था | जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मै बाथरूम मै गुस गया और मैने वहा पर बड़ा ही कामुक हस्त्मथुन किया | जब मै बाहर आया, तो मेरे चेहरे पर ख़ुशी और संतोष के भाव थे, लेकिन मेरी गलती से मेरी पेंट पर एक दाग आ गया | जब, सीमा ने वो दाग देखकर तो बोली; सब अकेले-अकेले, पप्पू को क्यों कस्ट दिया, मुझे बोल देते; मै तुम्हारी मद्दत कर देती और खिलखिलाकर हसने लगी और आँख मार ली |

मुझे बड़ा अजीब सा लगा और मैने दूसरी तरफ मुह फेर लिया | मै सीमा से नज़रे नहीं मिला पा रहा था और मुझे एक गलती का अहसास हो रहा था, लेकिन सीमा को तो जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा, वो तो बस मज़े ले रही थी | जाते हुए, सीमा ने मुझे अपने घर आने के लिए बोला और मुझे पढाई मे उसकी मद्दत करने को कहा | मै शाम का इंतज़ार करने लगा, दो बार लंड रगड़ने के बाद मेरे मन मे गुदगुद्दी होने लगी थी और हस्त्मथुन करते हुए, मुझे बार-बार सीमा की याद आ रही थी और मेरे मन मे, उसको असकी मे चोदने का ख्याल आने लगे थे | शाम, मै बड़ा तैयार होकर सीमा के यहाँ पंहुचा, सीमा ने दरवाजा खोला, उसको देखकर मेरा मुह खुला रह गया | सीमा ने बड़ी ही मस्त और कामुक नाईटी पहनी हुई थी और वो पारदर्शी थी और उसमे से उसका एक-एक अंग नज़र आ रहा था और उसके कामुक अंगो को देखकर मेरे मेरे लंड मे कसाव शुरू हो गया | सीमा ने एक प्यारी सी मुस्कान दी और मुझे अंदर बुला लिया | सीमा ने अंदर सिर्फ ब्रा-पेंटी ही पहनी हुई थी और मुझे उसके बावजूद उसका एक-एक अंग का कटाव नज़र आ रहा था |

मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा मुस्कुरा रही थी | हम दोनों ने पढना शुरू किया | पढाई शरीर मे बदलाव के बारे मे था और सीमा मुझे बड़े ही मादक नजरो से देखने लगी | जब औरत के शरीर के बदलाव के बारे बात हुई, तो उसने एक ही झटके मे अपने सारे कपडे उतार दिये और अपने एक-एक अंग को छुने लगी और मुझे दिखाने लगी | और फिर वो मेरे पास आयी और बोली तुम भी एकदम गधे हो, साले लंड को इतना कस्ट दे रहे हो और उसने मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसको खीचना शुरू कर दिया | मेरा लंड, अब सीमा के हाथ मे झटके मार रहा था | पता नहीं क्यों, सीमा के सामने मै कुछ कर नहीं पा रहा था और उसको रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी | सीमा ने एक ही झटके मे अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी | उसके मोटे और गोरे चुचे देखकर और उनपर गुलाबी निप्पल देखकर मेरे मुह से लार टपकने लगी | उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी गोरी चूत पर गुलाबी से लकीर देखकर, मेरा लंड मेरी पेंट फाड़ने को बेताब था |

सीमा ने एक ही झटके मे, मेरी पेंट उतार दी और मेरे कुछ करने से पहले ही, मेरे लंड को आज़ाद कर दिया | मेरा सावला सा मोटा सा लंड देखकर, सीमा की आँखों मे चमक आ गयी और उसने मेरे बचेकुचे कपडे भी उतार दिये | अब हम दोनों ही पुरे नंगे थे और सीमा ने मेरा लंड अपने हाथो मे ले रखा था और उसको अपने चूत पर रगड़ रही थी | मैने अब आगे बढकर सीमा का चेहरा अपने हाथो मे ले लिया और उसके होठो पर अपने होठ रख दिये और उनको मस्ती मे चूसने लगा आआओऊ.हम दोनों का शरीर मस्ती मे हिलने लगा था और सीमा मेरा लंड अब भी अपनी चूत से रगड़ रही थी | मैने उस मौके का फायदा उठाया और उसके हाथ मे ही, अपनी गांड को जोर से धक्का मार दिया और मेरा लंड, सीमा की चूत मे ssrrrrrrrrrr…..करता हुआ घुस गया | सीमा के मुह से चिक निकल गयी ईईईईईई………ईईईईए………aaaaaaahhhhhhhh………….मर गयी और मेरी गांड लगातार चल रही थी और हम दोनों ही मस्ती मे अपनी गांड हिला रहे थे ऊऊ..एस…….ओऊ..वाह…….सीमा…….नील.आ.मर गीजोर से..तेजी से.और कुछ ही मिनटों मे सीमा ने अपनी गांड को और जोर से हिलाना शुरू कर दिया और एक गरम पिचकारी के साथ, उसका वीर्य उसकी चूत से बाहर आ गया | मेरा लंड भी चिकना हो चुका था और उसकी चूत मे फिसलने लगा | मैने अपने लंड बाहर निकल लिया और अपने हाथ से सीमा के ऊपर मुठ मारने लगा | कुछ सेकेण्ड बाद ही, मेरे लंड से एक गरम पिचकारी, सीमा के पेट पर गिर गयी और सीमा चिल्ला उठी आआआआअ…………………oooohhhhhh…बहुत ही गरम है |


हम दोने के चेहरे से एक ख़ुशी की लहर थी और संठुति थी | मै जमीन पर गिर पड़ा और सीमा भी मेरे ऊपर आकर लेट गयी | हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही लेते रहे और फिर से संभोग किया | आह भी हम दोनों मस्त संभोग करते है और मज़े लेते है |

बोस की बेटी की चुदाई

पिछले महीने एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़, वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।
फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे - सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।
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थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।
वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।
रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।
अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।
थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।
पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।
फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।
थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।
अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।
फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।

अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया।