Saturday, 3 January 2015

यहाँ भी चुदी और वहाँ भी-1


मेरे भैया के एक मित्र राजीव मुझे कम्प्यूटर पढ़ाया करते थे। रोज सवेरे स्कूल जाने से पहले मैं एक घण्टे के लिये वहाँ जाती थी। मैं बाहरवीं कक्षा की छात्रा हूँ। ऐसा नहीं है कि कभी मैं चुदी ही नहीं ! मैं कुछ दिन पहले भावना में बह कर अपने चाचा के लड़के से चुदा बैठी थी, बस तब से मेरी चूत इस छोटी सी ही उमर में आग का गोला बनी हुई थी। रात को अक्सर गन्दे ख्यालों से घिर कर मेरी चूत में से पानी निकल जाता था। मेरा मन हमेशा ही गन्दे और वासनायुक्त से विचलित होता रहता था। मैं साधारणतया एक गुलाबी रंग का स्ट्रेच टाईट्स पहनती थी और ऊपर एक कसा हुआ बनियान नुमा टॉप होता था। मुझे उस समय तक नहीं पता था कि मेरे चूतड़ों की गोलाइयाँ उस टाईट्स में बड़े गोल गोल और बीच में बम्बास्टिक गहराई दिखा करती थी। इसी अनजाने में जाने कितने लोगों की नजरे मेरे नक्शों को बड़े चाव से निहारती थी। इन सबका आनन्द लेने वालों में खुद राजीव भी एक था।
एक दिन सवेरे सोफ़े पर बैठ कर राजीव मुझे कम्प्यूटर पढ़ा रहे थे तो मैंने उसकी जेब से कुछ छोटी सी चीज निकल कर सोफ़े पर गिरते देख ली और वो सरक कर सोफ़े के पीछे दरार में घुस गई। मैंने जान लिया था कि वो एक पेन ड्राईव है, जिसे वो बहुत सम्भाल कर रखता था। बात बस इतनी सी ही थी कि मैंने उसे चुपके से उठा ली।
जी हाँ !
जैसे ही राजीव किसी काम से उठ कर अन्दर गया मैनें फ़ुर्ती से वो पेन ड्राईव उठा ली और जेब में रख ली। मैं ट्यूशन के बाद घर गई तो मैंने भैया को आवाज दी।
"भैया, आज मैं राजीव की पेन ड्राईव लाई हूँ। इसमे जरूर कोई ना कोई ना सोफ़्टवेयर होगा, या कोई खास चीज होगी, नहीं तो गाने तो होंगे ही। चल जरा देखते हैं !"
"अरे वाह, वो तो कम्प्यूटर का मास्टर है, कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही !" भैया भी बहुत खुश हो गया।
 
अभी तो सवेरे के नौ ही बजे थे, पेन ड्राईव देखने के लिये हमारे पास बहुत समय था। हम दोनों भाग कर पहली मंजिल पर अपने कमरे में आ गये। भैया ने कम्प्यूटर ऑन कर दिया। मैंने जल्दी से वो पेन ड्राईव लगा दी। भैया भी मेरे पीछे आ कर खड़ा हो गया। उसमे अधिकतर तो छोटी छोटी फ़िल्मे थी और कुछ सोफ़्टवेयर थे। मैंने सारे सोफ़्टवेयर अपने कम्प्यूटर ने कॉपी कर लिये।
"भैया, यह तो कोई फ़िल्म लगती है?" मैंने भैया से कहा।
"हाँ हाँ लगा तो !"
वो फ़िल्म तो ब्ल्यू फ़िल्म निकली। उसमे तो चुदाई के दृश्य थे। मेरा दिल तो धक से रह गया।
"अरे रुक जा यशोदा, थोड़ी तो देखने दे !" भैया ने चुदाई के दृश्य देखते ही कहा।
मैं चुदाई के दृश्य देख कर बहुत शरमा रही थी। मेरा जिस्म तो जैसे शर्म से दोहरा ही होता चला गया। भैया मेरे पीछे मुझसे सट कर खड़े थे और वो तो जैसे उसे देखने में मग्न हो गये थे और बन्द ही नहीं करने दे रहे थे। धीरे धीरे मैंने भी उसे देख ली और गर्म होने लगी। मेरी रग-रग में तरंगें सी उठने लगी। मेरे तन में कामवासना की बिजली सी कौंधने लगी। जिस्म में जैसे चींटियाँ काटने लगी। फिर भैया के शरीर का स्पर्श मुझे रोमांचित करने लगा। मेरे छोटे से उरोज तन से गये। चुचूक कड़े होने लगे। मेरी आँखें जलने लगी। भैया का भी लण्ड कड़क हो गया था और वो जोश में मेरी कमर पर उसे दबाने लगा था। मेरा दिल धाड़-धाड़ कर करके धड़कने लगा था। मेरे हाथ कांपने लगे थे। चुदाई की लालसा से मेरी योनि लप लप करने लग गई थी।
तभी अनजाने में भैया के दोनों हाथ मेरे सनसनाते हुये उरोजों के उभार पर आ गये और फिर उसने उन्हें दबा दिया। मेरी काम ज्वाला भड़क सी उठी। उसका लण्ड कठोर हो कर जैसे मेरी कमर में ही घुसने लगा था।
"यशोदा, इस फ़िल्म में यह कैसा जादू है, कुछ करने को मन कर रहा है।" उसकी कमर कुछ कुछ कुत्ते की तरह चलने लगी थी।
"भैया, नहीं करो, मैं तो तुम्हारी बहन हूँ ना, ऐसे मत सीना दबाओ।"
मैं जोश में लहराने लग गई थी। मेरा मन अब चुदने को होने लगा था। तन में बिजली की चटखन होने लगी थी।
"बहुत अच्छा लग रहा है बहना !" भैया वासना में डूब कर डूबते उतराते हुये जैसे कसमसा रहे थे।
"मुझे भी बहुत मजा आ रहा है, पर तुम मेरे भाई हो ना आह रे, अब बस करो, ओह नहीं थोड़ा सा और करो !"
"आह्ह्ह, मेरी प्यारी बहना, घर की बात है बस चुपके चुपके लण्ड ले लेना, बस एक बार अपनी चूत में मेरा लण्ड ले लो।"
उसके हाथ मेरे जिस्म पर कसने लगे। उसने मुझे कमर पकड़ कर उठा लिया और बिस्तर पर लेटा दिया। मैं कामुक हो कर भैया से चिपकती जा रही थी। अब वो मेरे ऊपर चढ़ गया और बेतहाशा चूमने लगा। मेरी चूत गीली हो गई थी।
अभी अभी जैसा मैंने फ़िल्म में देखा था। मैंने कहा,"भैया, अपना लण्ड तो चूसने दो, मजा आयेगा।"
उसने जल्दी से खुद के कपड़े उतार दिये। तब मैंने भी अपने कपड़े उतार दिये। आह ! मेरी फ़ुद्दी कैसी पानी पानी हो रही थी। भैया का गोरा लण्ड कैसा मस्त हो कर लहरा रहा था। उसने उल्टा सुल्टा पोज बना कर लण्ड को मेरे मुख की ओर कर
दिया और खुद का मुख मेरी फ़ुद्दी की तरफ़ कर दिया। उसने अपने चूतड़ मेरे मुख पर दबा दिये। लण्ड मेरे मुख में आ चुका था। तभी मेरी चूत को एक ठण्डा सा मीठा सा अहसास हुआ। उसकी जीभ मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रही थी। उसने मेरी चूत चाटनी आरम्भ कर दी थी। मैं उसका लण्ड फ़िल्म की भांति मस्ती से मुख में लेकर गपागप चाट रही थी।
वो बेकाबू सा होने लगा था। मुझे लगा कि उसका लण्ड मुझे चोदने के लिये तड़प रहा था। उसे तब कुछ भी ना सूझा, उसने पलट कर मुझे दबा लिया,"बस बहना बस ! अब नहीं रहा जाता है।" उसका स्वर काम आवेग से थरथरा रहा था।
"भैया, मुझसे भी नहीं रहा जा रहा है !" मैं भी चुदाने को आतुर आवेश से कांप रही थी।
उसने मुझे लिपटा लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। तभी उसका सख्त लण्ड की मिठास मेरी चूत में महसूस होने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत में घुसता जा रहा था। मैं बेसुध होने लगी थी। काम में अंधी हो कर भाई से ही चुदवा रही थी। शरीर आग का गोला बन गया था। फिर मेरी चूचियों को उसका नोचना खसोटना मुझे जन्नत की सैर करा रहा था। चूत उछल उछल कर भरपूर जवाब दे रही थी। कस कर चुदाई हो रही थी। मैं अपनी सुध-बुध खो चुकी थी। कमरे में भीगी चूत की फ़च फ़च आवाजें गूंजने लगी। जब मैं झड़ गई और मुझे होश आया तो भैया शॉट पर शॉट मार रहे थे। मैं लस्त सी नीचे चूत की पिटाई सह रही थी। कुछ देर में वो भी झड़ गया। कामवासना का यह दौर समाप्त हो चुका था।
हम दोनों लपक कर उठे और कम्पयूटर बन्द कर दिया। समय देखा तो बारह बजने वाले थे। हमारी स्कूल की शिफ़्ट साढ़े बारह बजे आरम्भ होती थी। हम दोनों जल्दी से तैयार हुए और मोटर साईकल से स्कूल आ गये। मुझे छोड़ता हुआ वो अपने कॉलेज चला गया।
स्कूल में राजीव मुझे गुस्से से देख रहा था। उसे देख कर मेरी तो हवा ही ढीली हो गई, डांट जो पड़ने वाली थी।
"मेरी पेन ड्राईव तुम्हारे पास है ना?"
मैंने सर झुका कर हामी भर दी।
"तुमने उसे देखा तो नहीं?"
पहले तो मैंने हाँ कर दी, फिर जल्दी से सर घुमा कर ना कह दी। राजीव मुस्करा भर दिया।
"देखो किसी को किसी को कहना नहीं, कल सवेरे उसे ले आना !"
मेरी चोरी पकड़ी गई थी। ना करने की मुझमे हिम्मत ही नहीं थी। क्या करती झूठ तो पकड़ा ही जाता ना। अब राजीव तो जान ही चुका है कि मैंने वो नंगी चुदाई वाली फ़िल्म जरूर ही देखी होगी।
अब ... ? ... अब वो मुझे नंगी करके चोदेगा क्या।
दिल में गुदगुदी सी हुई। भैया ने आज जो मेरी चुदाई कर दी थी, मुझे बहुत अजीब सा लग लग रहा था। कहीं कोई भाई बहन को भी चोद सकता है। पर भैया ने चोदा तो मजा तो बहुत आया था ना। पता नहीं वो मुझे आगे भी चोदेगा या नही। उसे चुदाने के लिये तो पटाना ही पड़ेगा। फिर मैं एक ख्याल से घबरा भी गई कि कहीं वो मम्मी पापा से तो नहीं कह देगा। लेकिन क्यों कहेगा?
उसे मेरी चूत के मज़े नहीं लेने क्या?
बस सारे दिन मैं इसी ख्यालात से उलझी रही। स्कूल में जरा भी मन नहीं लगा।
शाम को घर लौटते समय मैंने भैया से कहा,"भैया, देखो मम्मी पापा से कुछ मत कहना।" मैंने डरते हुये भैया से विनती की।
"अरे पागल हो गई है क्या। यह भी कोई कहने की बात है?" भैया ने मुझे झिड़क दिया।
"भैया एक बात और ! आगे भी क्या तुम ऐसा करोगे?" मैंने झिझकते हुये पूछ ही लिया।
"मेरी बहना, तुझे तो रोज ही चोदूंगा, मन तो करता है तेरा पूरा ही बाजा बजा डालू, पर हाँ जब तू कहेगी तो ही !" भैया ने लापरवाही से जवाब दिया।
आह, मेरे दिल का बोझ हल्का हो गया। फिर रात को भैया ने मुझे जी भर कर रात भर कर चोदा और मेरी एक बार गाण्ड भी बजा दी। उस रात को जैसे हमने अपनी सुहागरात ही मना ली हो। जिंदगी में पहली बार रात भर इतना मजा किया। सवेरे मैंने अपना बदन खुला-खुला सा महसूस किया। चूत में एक शान्ति सी महसूस हुई।

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जिंदगी में पहली बार रात भर इतना मजा किया। सवेरे मैंने अपना बदन खुला-खुला सा महसूस किया। चूत में एक शान्ति सी महसूस हुई। सवेरे उठते ही मैं नहा धोकर ट्यूशन के लिये राजीव के घर आ गई। रास्ते भर यही सोचती रही कि राजीव को मैं क्या जवाब दूंगी। जाने अब मेरे साथ क्या करेगा। उंह ! मुझे चोदने की कोशिश करेगा तो चुदवा लूंगी ! और क्या? एक से भले दो। पर अगर कहीं मुझे डांट पड़ी तो...?
कमरे में घुसने पहले मेरी गाण्ड फ़ट रही थी कि जाने वो क्या कहेगा। पर कमरे में घुसते ही राजीव बहुत ही प्यार से बोला,"यशोदा, मेरी पेन ड्राईव लाई हो?" उसकी प्यार भरी आवाज से मेरा डर निकल सा गया। मैंने सर हिला कर हाँ कह दी। वो मुस्करा कर बोला,"कितनी फ़िल्में देखी?"
"जी... जी ... बस दो ... नहीं नहीं एक भी नहीं !" मैं हकला सी गई।
"आ जाओ, यहाँ बैठो, मजा आया था?"

राजीव ने जब मुझे नहीं डांटा तो मेरी हिम्मत खुलने लगी, अब मैंने धीरे से नीचे देखते हुये मुस्करा कर कहा,"सर, अच्छी फ़िल्में थी, बहुत आनन्द आया देख कर !" उसने धीरे से मेरे गले में हाथ डाल दिया और प्यार से बोला,"अब सजा तो इसकी मिलेगी ही, बोलो तैयार हो?" "जी, मैं समझी नहीं, पर प्लीज मुझे डांटना मत, डांट से मुझे बहुत डर लगता है !" मैं समझते हुये भी मुस्करा कर बोली। "कोई बात नहीं, पहले यह डर अपने अन्दर से निकाल दो कि मैं तुझे डाँटूंगा !" उसने मेरे उरोजों पर नजर गड़ाते हुए कहा। आह ! अब आयेगा मजा तो ! मैं पलक झपकते ही समझ गई कि अब यहाँ भी चुदने वाली हूँ। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मेरी किस्मत खुल गई है। कहाँ तो एक के भी सपने देखना मुहाल था और एकदम से दो दो मिल रहे हैं। राजीव ने अपने हाथ मेरे वक्ष पर रख दिए। "देखो सर, गुदगुदी नहीं करना मेरे दुद्धू पर !" मैंने अपना टाईट बनियाननुमा टॉप उतार दिया। अरे यह क्यों उतार रही हो? राजीव बोला, लेकिन मेरे छोटे छोटे नींबू जैसे उरोजों को देख कर वो मचल सा गया। उसके हाथ मेरे नर्म पेट और उरोजों पर फ़िसलने लगे। मेरे तन में फिर से तरंगें उठने लगी। मेरी फ़ुद्दी फ़ड़क उठी थी। बीच-बीच में मैं उसका हाथ रोकने की नाकाम कोशिश भी कर रही थी। पर दिल से चाह रही थी कि आज इसे चक्कर में ले लूँ तो आगे मजे ही मजे हैं। उसके हाथ मेरे निम्बुओं को घुमा घुमा कर सहला रहे थे। सरकते सरकते उसका एक हाथ मेरी फ़ुद्दी पर आ गया। "यह तो गीली है यशोदा, तुम्हारी फ़ुद्दी तो चू रही है?" "आह्ह्ह, अरे हटो ... गुदगुदी हो रही है।" मैंने खड़े खड़े ही कहा।
अब कोई फ़ुद्दी पर गुदगुदी करेगा तो उसमे से रस तो निकलेगा ही ना। मेरी स्लेक्स में उभरे गाण्ड के मस्त गोल गोल उभार और बीच में एक जान लेने वाली दरार जो राजीव को घायल कर देती थी, उस पर उसका आक्रमण वाजिब भी था और उसके दिल को ठण्डा करने वाला भी था। उसकी अंगुलियाँ मेरी चूत को सहला रही थी और दाने को हिला देने से मेरे शरीर में बिजलियाँ तड़पने लगी। मेरा हाथ अपने आप ही उसके लौड़े पर आ गया और उसका कड़ा लण्ड दब गया। उसने भी भाव विभोर होते हुये मेरी स्लेक्स नीचे करके सरका दी दी और धीरे से अपना लण्ड मेरे खिले हुये चूतड़ों के बीच दबा दिया। मुझे दोनों गोलों के बीच उसके लण्ड की मोटाई महसूस होने लगी थी। मैं झुकती चली गई और उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसता चला गया। गाण्ड की मस्त गहराई में जाकर उसके लण्ड ने मेरी गाण्ड का छेद खिला दिया। मैं जैसे मस्ती से निहाल हो गई। लण्ड छेद को चीर कर अन्दर घुसता चला गया और अब उसका लण्ड मेरी गाण्ड को पेल रहा था।
मुझे धीमी धीमी मीठी सी सिरहन होने लगी थी। मुझे गाण्ड मराने का अनुभव नहीं था, पर जैसा कि लोग कहते थे कि इसमें लण्ड खाने से बहुत तकलीफ़ होती है, मुझे ऐसा कुछ नहीं लगा। बल्कि एक मधुर सी गाण्ड में आग लग गई।
कुछ देर तो वो मेरी गाण्ड मारता रहा फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर मेरी चूत में पीछे से ही घुसेड़ दिया। मुझे एक तेज मीठी सी उत्तेजना हुई और मुख से निकल पड़ा,"चोद दो मेरे राजा, बहुत मजा आ रहा है।" "भोसड़ी की, चुदक्कड़ रांड, अब तक कहाँ थी रे तू, साली को अब तक तो चोद चोद कर रण्डी बना देता।" "तो अब चोद दे राजा !" उसकी भाषा आम लड़कों की तरह की भाषा थी। उसकी गालियाँ मुझे अच्छी लगी। मुझे आज तक ऐसा सम्बोधन किसी ने नहीं किया था। उसकी स्पीड बढ़ती गई और मैं झुकती गई। यहाँ तक कि मैंने मेज़ पर अपने दोनों हाथ रख दिए और टांगें चौड़ा दी। भला कौन कहेगा कि ये गुरू और शिष्या हैं। तब मेरी चूत का रस निकलने को होने लगा। मेरा हाल बुरा हो रहा था। मुझे लगा कि बस अब झड़ने ही वाली हूँ, मैं बेचैनी से तड़प उठी। फिर मेरी चूत को मैंने झड़ने से रोकने की भी कोशिश की, पर हाय राम, इस पर किसका जोर चलता है। मैं जोर से झड़ने लगी। "आह्... आह ... बस , बस ... राजीव सर ! मैं तो गई... आह !" मैं झड़ती जा रही थी, मेरा रस छूटता ही जा रहा था। तभी राजीव के लण्ड ने भी फ़ुहार छोड़ दी। उसका लण्ड हवा में लहराता हुआ, वीर्य की वर्षा कर रहा था। उसका अधिकतर मेरी पीठ पर गिर रहा था। उसने अपने मन की कर ली थी। फिर उसने रुमाल से मेरी पीठ को पोंछ डाला और मेरी स्लेक्स वापिस ऊपर सरका दी। "बिना बात ही चोद दिया ना मुझ गरीब को !" मैंने यूँ ही बनावटी नखरे दिखाये। "चोरी की सजा थी यह ! फिर तुम्हारी इस स्लेक्स ने तो मेरी जान निकाल रखी थी।" "सर जी, फिर तो चोरी रोज करनी पड़ेगी?" "क्या जरूरत है? अब तो बिना चोरी किये ही तुम्हें चोद दूँगा, बस यह स्लेक्स जरूर पहनना, इससे मेरा लण्ड टन्न से खड़ा हो जाता है।" "धत्त सर जी ! आप कैसा बोलते हैं !" कह कर मैं राजीव से लिपट गई और उसे चूमने लगी। देखा आपने, उस छोटी सी, पिद्दी सी, मूंगफ़ली जैसी चीज पेन ड्राईव के खातिर मुझे ये दो इंच मोटे और सात आठ इंच लम्बे लम्बे लौड़ो से चुदना पड़ा। रात को भैया फ़ोड़ता है तो दिन को राजीव बजा देता है। अपने भाई से भी चुदना पड़ा और यहाँ मास्टर जी की तो जैसे लॉटरी ही लग गई। यहाँ भी चुदी और वहाँ भी चुद गई मैं तो। और तो और ! अब तो रोज ही चुद रही हूँ।

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Sunday, 21 December 2014

मेरी चुदास

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अंकल ने मम्मी को रंडी बनाया


हाय दोस्तों में विजय आपको एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। जो मेरे घर में मेरी आँखो के सामने मेरी मम्मी के साथ हुई है। ये एक सच्ची घटना है जो मेरे एक अंकल ने मेरी मम्मी को चोद कर की है और इसमे मेरी मम्मी और अंकल दोनो ही शामिल थे, ये घटना उस समय की है जब मेरे पापा आउट ऑफ स्टेशन गये थे, मेरे एक अंकल है जो हमारे ही शहर में रहते है उनका नाम राज है। वो अक्सर हमारे घर आते रहते है, वो पापा के बहुत अच्छे दोस्त है। मैने कई बार नोटीस किया है कि वो मेरी मम्मी को गंदी नज़रो से देखते है और हमेशा टच करने का मौका ढूंढते है। मेरी मम्मी का नाम वीना है, वो एक बड़ी सेक्सी घरेलू औरत है वो हमेशा साड़ी पहनती है और साड़ी हमेशा से अपनी कमर के नीचे बाँधती है, इतनी नीचे कि कभी कभी उनकी झांटे भी हल्की सी दिखाई देती है उनके बूब्स 40 साइज़ के है और उनकी गांड 42 मेरी मम्मी का रंग गोरा है। मतलब वो एक मस्त चोदने वाली औरत है। मुझे मालूम है हमारे पड़ोस में कई लोग उन्हे देख कर आहें भरते है और उनके बारे में गंदी सोच रखते है। अब में आपको कहानी बताता हूँ, सर्दी के दिन थे। में मेरे एग्जाम चल रहे थे तो में सारा दिन और सुबह जल्दी उठकर पड़ाई करता हूँ। उस दिन शाम को खाना ख़ाकर करीब नो बजे में सोने चला गया था और करीब आधे घंटे बाद डोरबेल बजी तो मेरी नींद खुल गयी थी। अब मैने सोचा चलो अब उठ ही गया हूँ तो टॉयलेट होकर आता हूँ।
http://hindisexstory69.blogspot.in/
 तभी में उठकर बाहर आने लगा तो देखा की अंकल राज आए हुए है। तभी मैने सोचा इतनी रात को वो क्या करने आए है, अब में वहीं पर खड़ा हो गया और देखने लगा मम्मी ने कहा कि बोलो कैसे आना हुआ, तभी अंकल राज ने कहा कि में देखने आया हूँ कि तुम ठीक हो ना, क्योंकि तुम्हारे पति बाहर गये हुए है ना, मम्मी ने बोला कि तुम्हे मेरी चिंता करने की ज़रुरत नहीं है में ठीक हूँ। मम्मी और राज अंकल की बातें सुनकर में हैरान हो गया था, मैने सोचा कि ज़रूर कोई बात है, तभी मैने सब सच देखने का फ़ैसला किया था और वहीं पर खड़ा हो गया। तभी राज ने कहा कि तुम इतना गुस्सा क्यों करती हो क्या में तुम्हे पसंद नहीं हूँ, मम्मी ने कहा कि तुमने जो न्यू ईयर की पार्टी में हरकत की थी में वो कैसे भूल सकती हूँ और तुम मेरे बारे में इतना गंदा कैसे सोच सकते हो में तुम्हारे फ्रेंड की बीवी हूँ, मम्मी ने कहा कि अगर में सही वक़्त पर तुम्हे नहीं रोकती तो तुम मेरे साथ बहुत कुछ ग़लत कर देते। राज ने कहा कि वो बात खत्म हो गयी है और मैने जो किया वो अपने होश में नहीं किया लेकिन में अभी में होश हूँ। http://hindisexstory69.blogspot.inतभी मम्मी ने कहा कि तुम्हारा क्या मतलब है, अभी विजय घर पर है कुछ करने की कोशिश मत करना, अब राज ने कहा विजय सो रहा है और में जाकर देखता हूँ और तभी राज मुझे देखने के लिए मेरे रूम में अंदर आया, तभी में भी जाकर बेड पर लेट गया और सोने का नाटक करने लगा था। राज ने मुझे दो तीन आवाज़े मारी लेकिन में नहीं उठा तो वो वहाँ से चला गया था और मम्मी को जाकर कहने लगा कि वो गहरी नींद में सो रहा है और सुबह ही उठेगा। तभी मम्मी ने कहा कि इसका क्या मतलब अब राज ने कहा कि जो न्यू ईयर पार्टी में नहीं हो पाया था, मेरे पास आज उसे आज पूरा करने का मौका है। मम्मी ने कहा कि क्या आज तुम्हारा दिमाग़ ठीक है ना, में आज तुम्हे कुछ नहीं करने दूंगी, तभी राज मम्मी के पास http://hindisexstory69.blogspot.inआया और मम्मी का हाथ मरोड़कर पीठ पर लगा कर बोला कि नहीं करने देगी तो में ज़बरदस्ती करूँगा क्योंकि में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। में अब तुम्हरे बिना नहीं जी सकता हूँ, अब मम्मी को बहुत दर्द होने लगा था, तभी मम्मी ने कहा कि तुम प्लीज़ ऐसा मत करो वरना विजय जाग जाएगा। अब राज ने कहा कि तुम ज्यादा चिल्लाओगी तो वो ज़रुर जाग जाएगा अब तुम चुपचाप चलो बेडरूम मे और राज मम्मी को उठाकर बेड रूम मे ले गया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया था। अब में कुर्सी लगा कर रोशनदान में से देखने लगा था। राज ने मम्मी को अपनी बाँहों मे जकड़ रखा था, मम्मी छुड़ाने का बहुत प्रयास कर रही थी, लेकिन सारी कोशिश नाकाम थी, अब उसने मम्मी के लिप को चूसना शुरू कर दिया था और दस मिनट तक चूसता रहा मम्मी ने कहा कि प्लीज़ मत करो ये सब पाप है कुछ तो शरम करो प्लीज़ राज, उसने कहा कि कुछ नहीं होगा बस तुम वैसा करो जैसा में कहता हूँ। अब वो मम्मी के बूब्स दबाने लगा था और मम्मी सिसकियां भरने लगी थी, वो ज़बरदस्ती मम्मी का हाथ अपने लंड पर रख देता और उसे पकड़ाने की कोशिश करता मम्मी तो जैसे उसके हाथ की गुड़िया बनकर रह गयी थी। तभी उसने कहा कि वीना प्लीज़ एक बार मेरा लंड पकड़ो प्लीज़ उस दिन भी तुमने नहीं पकड़ा था, प्लीज़ फिर मम्मी ने कहा कि नहीं में नहीं कर सकती हूँ मुझे शरम आती है। तभी उसने कहा कि किस बात की शरम इस कमरे में तो में और तुम ही तो है और कोई भी नहीं है और वैसे भी उस दिन मैने तुम्हारे बूब्स तो देख ही लिए थे। तभी मम्मी ने कहा कि प्लीज़ उस समय सभी लोग थे, राज ने कहा कि अभी कोई नहीं है प्लीज एक बार मेरा कहा मान लो प्लीज़ मुझे पता है तुमने कई महीनो से सेक्स नहीं किया तुम्हे भी ज़रुरत है एक लंड की, तो फिर मम्मी ने अपना फेस निचे कर दिया था। अब राज समझ गया की बात बन गयी है। अब उसने अपने कपड़े उतारे और अंडरवियर जैसे ही उतारा तो मम्मी ने उसका लंड देख और हैरान रह गयी और तभी बोली कि इतना लम्बा और मोटा लंड उसका लंड 9 इंच का था, राज ने कहा कि क्यों क्या हुआ तुमने लंड कभी नहीं देखा तुम्हरे पति का कितना है, अब मम्मी बोली इससे तो आधा है, राज को जोश आ गया और मम्मी को बोला प्लीज़ मेरा लंड पकड़ कर हिलाओ मम्मी भी एकदम राज़ी हो गयी थी, अब राज बेड पर लेट गया और मम्मी ने उसका लंड पकड़ कर हिलाने लगी थी, तभी राज बोलो अर्रे वाह तुम तो मेरी एक अच्छी बीवी की तरह लंड पकड़ कर हिलाने लगी हो, राज ने बोला कि तुम्हे तुम्हारे बेटे की कसम है बताओ कि सच तुम्हे भी ज़रुरत है एक प्यार की जो तुम्हे संतुष्ट कर दे। तभी मम्मी बोली कि सच कहूँ तो मुझे भी जरूरत है, आख़िर में भी औरत हूँ मेरी भी इच्छा है, में न्यू ईयर वाले दिन भी मजे कर रही थी लेकिन सभी लोगो के होने वजह से में मजबूर थी, में समझ चुकी थी कि तुम्हारा लंड कोई साधारण लंड नहीं है। जब मैने तुम्हारा लंड पेंट के बाहर से पकड़ा था। राज ने कहा कि तो प्लीज़ आज सारी इच्छा पूरी कर लो, अब मम्मी उसका लंड ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी थी। राज कहने लगा आह आह वीना प्लीज़ ऐसे ही करो, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। आहह वीना तुम्हारे हाथ कितने मुलायम है, प्लीज़ मम्मी ने उसका लंड हटाते हुए कहा कि राज तुम तो मुझसे मूठ मरवा रहे हो, तभी राज ने कहा कि प्लीज़ रूको मत वीना प्लीज़ अहहाः मम्मी ने कहा कि रूको में तुम्हारा लंड मुहं में ले लेती हूँ ओर हिलाती हूँ। अब मम्मी ने उसका लंड अपने मुहं में ले लिया और उसको चूसने लगी थी अंदर बाहर करने लगी थी। अब ऐसा लग रहा था कि मम्मी एक्सपर्ट है लंड को चूसने मे, अब राज ने कहा कि प्लीज़ ज़ोर से करो।http://hindisexstory69.blogspot.in मम्मी ने कहा कि में जितना अंदर ले सकती थी मैने ले लिया है, अब राज ने अपना सारा गंदा पानी मम्मी के मुहं में छोड़ दिया था, अब मम्मी का मुहं उसके पानी से भर गया था, तभी राज ने कहा कि प्लीज़ वीना तुम ये सब पी जाओ मम्मी ने कहा कि ठीक है और धीरे धीरे सारा पानी पी गई। फिर राज ने मम्मी का ब्लाउज उतार दिया और ब्रा भी अब ब्रा खुलते ही मम्मी के बूब्स बाहर आ गये थे। राज ने कहा कि वीना तुम्हारे बूब्स तो लाजवाब है, मम्मी बोली तुम तो उस दिन इन्हे कसकर दबा चुके हो, राज ने कहा कि तुम्हारे बूब्स पर ये निशान मम्मी ने कहा कि उस दिन तुमने ही तो काट लिया था, पता है कितना दर्द हुआ था। अब दो मिनट तक राज मम्मी के बूब्स चूसने लगा था और निप्पल पर काटने लगा था। मम्मी करहाने लगी थी, प्लीज़ आराम से करो ना अब तो ये सिर्फ़ तुम्हारे है। वो मम्मी की गर्दन पर किस करने लगा था और काटने लगा मम्मी तो पागल हो गयी थी, उसने कहा वीना प्लीज़ मुझे काटने दो तुम्हारे बूब्स पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। अब मम्मी ने कहा कि कर लो लेकिन आराम से राज ने मम्मी की साड़ी भी उतार दी और पेटिकोट और पेंटी भी अब मम्मी बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी, अब राज के सामने तभी वो मम्मी से कहने लगा कि वीना तुम्हारी चूत कितनी प्यारी है, मम्मी ने कहा कि प्लीज़ राज इसे और प्यार करो मम्मी की चूत पर ढेर सारे बाल थे, राज मम्मी की चूत को चाटने लगा था और उसमे उंगली देने लगा और मम्मी आहे भरने लगी थी राज प्लीज़ ओाहह फिर राज ने मम्मी के दोनो हाथ मम्मी की साड़ी से बेड से बांध दिए थे। तभी मम्मी ने कहा कि ये क्यों कर रहे हो, अब राज ने कहा कि मुझे ऐसे ही मज़ा आता है और मम्मी की टाँगे खोल दी मम्मी की बॉडी पर राज के काटने के बहुत से निशान थे। अब मम्मी ने कहा कि प्लीज़ राज मुझे मत तड़पाओ में नहीं रह पा रही हूँ। अब राज ने अपना लंड का टोपा खोला और मम्मी की चूत पर रगड़ने लगा था, मेरी मम्मी अब पागल हो गयी थी और मेरा लंड भी खड़ा हो गया था अपनी मम्मी का ये हाल देखकर। राज मम्मी की चूत पर लंड रगड़ते हुए कभी मम्मी के निपल्स दबाता और कभी चूत चाटता, अब उसने एक झटका मारा मम्मी चिल्ला उठी राज प्लीज़ अहहहहा आहहराम से प्लीज़ उसने 4-5 झटके मारे उसका लंड मम्मी की चूत में खो गया था, अब मम्मी चिल्लाने लगी थी प्लीज़ ज़ोर से चोदो मुझे राज जोर जोर से लंड हिलाने लगा और ज़ोर से झटके मारने लगा था और कह रहा था, वीना आई लव यू में तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ, प्लीज़ में तुम्हे किसी और से चुदते नहीं देख सकता हूँ, प्लीज़ किसी से मत चुदना अपने पति से भी नहीं प्लीज़ अहहा, मम्मी बोली कि तुमने मुझे मज़े दिए है में तुम्हारे सिवा किसी का लंड नहीं लूँगी। प्लीज़ अहहाहा प्लीज़ पूरे जोर से चोदो मुझे। करीब 15 मिनट तक राज मम्मी की चुदाई करता रहा लास्ट में वो मम्मी के ऊपर गिर गया और अब दोनो शांत हो गये थे। दोनो की साँसे बहुत तेज़ चल रही थी। http://hindisexstory69.blogspot.inराज मम्मी के लिप को चूसता रहा अब मम्मी भी साथ देने लगी थी। अहहह राज ने कहा कि वीना आज तुझे चोद कर मेरी इच्छा पूरी हुई है, मुझे आज बहुत मज़ा आ गया, तू तो एक बहुत अच्छी औरत है। तभी मम्मी ने बोला कि तुमने भी आज मुझे रंडी बना दिया है। मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि में किसी के लंड को मुहं में लूँगी, लेकिन तुमने मेरे साथ जो कुछ किया है उससे मुझे भी बहुत मज़ा आया है। आई लव यू राज में सिर्फ़ तुम्हारी हूँ, तुम मुझे जब मर्ज़ी करे चोद सकते हो, में तुम्हारी रंडी हूँ। मुझे इस लंड की ज़रुरत थी, राज ने मम्मी की चूत में से अपना लंड निकाला तो देखा कि मम्मी की चूत उसके गंदे पानी से भरी हुई थी, उसके लंड से उसका वीर्य निकल रहा था और तभी राज ने मम्मी की चूत की मोबाईल से विडीयो बनाई और टिशु पेपर से चूत को साफ किया था। अब मम्मी भी राज का लंड पकड़ कर साफ करने लगी थी, राज ने कहा कि ऐसे साफ नहीं करो, तभी मम्मी ने उसका लंड अपने मुहं में ले कर साफ किया और उस पर किस करने लगी थी। अब मम्मी ने बोला कि तुम आज मेरी गांड भी मारो में तुमसे ही चुदवाना चाहती हूँ। तभी राज बोला कि ठीक है, अब मम्मी घोड़ी बन गयी और राज ने मम्मी को कहा कि तुम गांड को चौड़ा करो अपने दोनों हाथो से। तभी मम्मी ने अपने दोनों हाथो से गांड को फैला दिया और राज ने जल्दी से गांड मे लंड घुसा दिया था। अब मम्मी दर्द के मारे रोने लगी थी और राज मम्मी की जोर जोर से धक्के देकर गांड मार रहा था। अब करीब दस मिनट चोदने के बाद वो शांत हो गया, शायद वो अब झड़ने वाला था और मम्मी बेड पर गिर गयी थी। अब मम्मी की गांड के छेद में से वीर्य निकल रहा था, अब राज ने बोला कि वीना तुम अब जाकर नहा लो, तभी मम्मी ने बोला कि तुम कहाँ पर जा रहे हो, अब उसने बोला कि में कहीं नहीं जा रहा हूँ, में तो तुम्हे आज सारी रात चोदुंगा। मम्मी ने बोला कि ठीक है और अपने दोनो पैरो से उसका लंड रगड़ने लगी और राज ने मम्मी की जाँघो पर काट लिया था। अब दोनो एक साथ नहाने चले गये और नहाते हुए भी चुदाई की ये मेरी मम्मी की चुदाई की कहानी थी। राज ने कई बार मम्मी को चोदा था और दूसरों से भी चुदवाया ।। 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