Sunday, 4 January 2015

प्यारा दोस्त और दीदी -2

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दीदी ने धीरे से आंखे खोली,"राजू ... क्या हुआ ... ये सिर्फ़ तोलिया लपेटे क्यूँ घूम रहे हो ... ?"
मैं थोड़ा नर्वस हो गया। पर रवि बोल उठा,"दीदी ... आप लेटी रहो ... राजू ... चल कर ना ... "
मैंने दीदी की चूंचियों की तरफ़ हाथ बढ़ाया। दीदी सब समझ चुकी थी। मुस्करा उठी ...
मेरे हाथ उसके बोबे तक आ चुके थे ...
"राजू ... घबरा मत ... पकड़ ले और दबा दे ... !"
मेरी हिम्मत खुल गई," दीदी ... थेन्क्स ... " और मैंने धीरे से दीदी के बोबे पकड़ कर दबा दिये।
"अरे, शरमा मत ... मसल दे ... मजा ले ले दीदी का ... और मजा दे दे दीदी को ... " दीदी सिसक उठी, जाने कब से बेचारी चुदासी थी ...
उसने मेरा तौलिया उतार दिया और रवि ने मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया ...
"बस बस ... चढ़े ही जा रहे हो ... " वो उठ कर बैठ गई ... और भाग कर अपना दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। रवि ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसका एक चूतड़ दबा लिया।
"दीदी, आपकी बाटिया यानी चूतड़ सोलिड हैं ... बॉल भी बड़े कसे हुए हैं ...! "
"तू भी तो रवि सोलिड है ... भैया की अभी गाण्ड मारी है ना ... उसकी बाटिया मेरी जैसी ही तो है ... !"
"दीदी ... आपने सब देखा है क्या ... " मैं चौंक गया। दीदी मुस्कुरा उठी।
"राजू जवानी लगी है अभी ... इसमें सब चलता है ... देख मैं भी अभी चूत मरवाऊंगी और इसकी प्यास बुझाउंगी, रवि से गाण्ड मरवाउंगी ... साला हरामी मस्त गाण्ड चोदता है !" और खिलखिला कर हंस पड़ी।
रवि से हट कर दीदी मेरे पास आई,"भैया ... पहले आपका हक बनता है ... देखो प्यार से चोदना ... तेरी मस्त चूतड़ो की तो मैं भी दीवानी हूँ !"
"और मैं भी दीदी ... तेरी चूतड़ो की गहराई देख कर तो मेरा लण्ड कब से चोदने को बेताब हो रहा था।"
"हाय रे भैया, तो देरी किस बात की है ... चोद दे ना ... " और वो मेरे से लिपट पड़ी।
मैंने उसे तुरन्त घोड़ी बनाया और और उसे अपने से चिपका लिया। रवि लपक कर आया और नीचे से मेरा कड़क लौड़ा उसकी चूत के द्वार पर रख दिया।
"मार राजू ... चोद दे दीदी को ... पर देख प्यार से ... दीदी अपनी ही है ... " रवि के स्वर में प्यार झलक रहा था।
मैंने धीरे से लण्ड दीदी की चूत में ठेल दिया।
लण्ड का प्रवेश होते ही उसके मुख से प्यारी सी सिसकारी निकली और उसने प्यार भरी निगाहों से मुझे देखा,"भैया ... रहम मत करना ... साले लौड़े को जोर से ठोक दे ... बहुत महीनों बाद लौड़ा खा रही हूं !"
"हाय दीदी ... ये लो ... मुझे भी मत रोकना ... मेरा तो रोम रोम सुलग रहा है ... पहली बार मुझे भी कोई चूत मिली है ... !"
मैंने जोर लगा कर लण्ड चूत की जड़ तक बैठा दिया। रवि ने मेरी गाण्ड सहलानी चालू कर दी। उसका लण्ड भी बेकाबू हो रहा था। मैंने दीदी की चूंचिया दबा कर पकड़ ली और मसलते हुए पूरी ताकत से लौड़ा खींच कर दे मारा।
"आह राजू ... ये हुई ना बात ... अब ढेर सारे जोर की ठोकरे दे मार ... साली चूत को मजा आ जाये ... "
मैं जैसे ये सुनते ही पगला गया ... जोर जोर से उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ कर चोदने लगा ... पर जवानी तो दीदी पर पूरी तरह से छाई हुई थी ... उसकी चूत लपक लपक कर लौड़ा ले रही थी। तभी मुझे लगा रवि भी अपना संयम खो बैठा और उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।
"राजू प्लीज ... तेरे गोल गोल चूतड़ मारने को कर रहा है ... !" रवि ने कहा।
"अरे रुक जा साले ... दीदी की गाण्ड और भी मस्त है ... ठहर जरा ... दीदी, आप दोनो छेद से मजा लो ना ... "
दीदी तो वासना की आग में जली जा रही थी ...
"हाय आगे से और पीछे से ... दोनो तरफ़ से चोदोगे ... माँ मेरी ... चल पोजिशन ले ... आज तो तुम दोनों मुझे मस्त करके ही छोड़ोगे !"
मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया और दीदी ने ऊपर आ कर मेरा लण्ड चूत में डाल लिया और पूरा घुसेड़ कर जड़ तक बैठा लिया ... और दोनों पांव से अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये। रवि तुरन्त लपक कर बिस्तर पर चढ़ गया और उसकी खुले हुये चूतड़ो के पट में लण्ड रख दिया। दीदी ने रवि को देखा और मुस्कुरा दी और लण्ड गाण्ड में सरक गया।
"हाय रवि ... भारी है ... पर हां, कस के गाण्ड मारना ... ये जवान लड़की की गाण्ड है ... खूब लेती है और भरपूर लेती है !"
रवि तो सुनते ही जोश में आ गया और पहले धीरे धीरे और फिर जो जोर पकड़ा तो दीदी को भी मजा आ गया। अपनी गाण्ड उभार कर चुदाने लगी।
"वाकई, राजू ... दीदी की गाण्ड तो मस्त है ... जबरदस्त चोदने लायक है ...! " मैं नीचे उसके बोबे मसल मसल कर लण्ड उछाल उछाल कर दीदी को चोद रहा था। दीदी दोनों तरफ़ से चुद कर मस्त हो चली थी।
अब मुझे लगा कि मेरी नसें खिंचने लगी हैं ... सारा कुछ लण्ड के रास्ते निकलने वाला है ... मैं सिसक उठा,"दीदी ... प्यारी दीदी ... मेरा तो निकला ... हाय ... "
दीदी मुझसे चिपक गई ... "राजू ... निकाल दे ... मस्त हो जा ... रवि है ना, वो चोद देगा ... तू झड़ जा ... आराम से ... हां"
"दीदी ... तेरी तो ... हाय ... भेन की चूत ... मैं गया ... अरे रे रे रे ... ओह्ह्ह्ह्ह्ह हा हाऽऽऽऽऽ।" और मेरा वीर्य छुट पड़ा ... दीदी ने मेरा लौड़ा बाहर निकाल दिया ... सारा वीर्य उसकी चूत के आस पास निकलता रहा। इतने में रवि ने गाण्ड से लण्ड निकाल कर दीदी की चूत में घुसेड़ दिया।
"आह्ह्ह साला हरामी रवि ... मेरी चूत मार रहा है ... "
"दीदी, अब आपकी बारी है माल निकालने की ... "
"तेरे को कैसे पता ... मैया री ... अह्ह्ह् ... साला ... रवि ... चोद दे रे ... जोर से ... मार और मार... भैया "
और मेरे से से जोर से लिपट गई ... और दीदी का पानी छुट गया ... दीदी मेरे से लिपट कर बल खाती हुई झड़ने लगी।
"दीदी ... मेरा लण्ड ... गया रे ... निकला मेरा भी ... ओये रे ... चल निकल ... हाऽऽऽऽऽऽ ... " और रवि ने लण्ड चूत से बाहर निकाला और दीदी की गाण्ड पर फ़ुहारें छोड़ दी ... दीदी मुझे दबाये लेटी रही ... रवि उठ कर बैठ गया।
"अब हो गया ... सबका माल निकल गया ... चलो उठो" रवि ने हांक लगाई।
दीदी ने मेरे ऊपर से सर उठाया और मुझे आंखो से जी भर कर देखा, और मुस्कराने लगी।
मुझे चूमते हुये बोली,"आप बहुत प्यारे हैं भैया ... दीदी की प्यास बुझा दी और एक रवि जैसा गाण्ड की प्यास बुझाने वाला दोस्त भी दे दिया ... क्यो रवि ... है ना !"
"दीदी ... आप के तो हम दास है ... बस आप तो आदेश दे दे ना ... लण्ड हाजिर है ... "
दीदी हंस पड़ी और मुझे फिर से चूम लिया। वो मेरे ऊपर से हट गई और रवि को लिपट कर प्यार करने लगी। मैंने बड़ी मुश्किल से दोनों को अलग किया।
"चल साले तौलिया लपेट और निकल यहाँ से ... अब तो रोज का प्रोग्राम रहेगा ... उतावाला मत हो !"
रवि बड़ी आसक्ति भरी नजरों से दीदी को देखता हुआ कमरे से बाहर आ गया।
हम बिस्तर पर जा कर जैसे लुढ़क पड़े, और नींद की आगोश में चले गये ... अचानक मेरी नींद रात को खुल गई ... देखा तो रवि पास में नहीं था ... मैंने जल्दी से उसे तलाशा ... तभी दीदी के कमरे से सिसकियाँ सुनाई दी ... अन्दर देखा तो मस्त चुदाई चल रही थी ... मैं उनके पास गया"शश्श्श्श्श्श्श ... चुप ... ।"
"भैया ... प्लीज करने दो ... रहा नहीं गया ना ... "
"चुप ... बाहर तक सिसकारी की आवाजें आ रही हैं ... चुप से चोदा-चादी करो ... शोर नहीं ... वरना ऐसा पिटोगे कि सब भूल जाओगे ... " मैंने दरवाजा बाहर से बंद कर किया ... अब वो दोनों बिना आहें भरे ... चुदाई कर रहे थे ... ।

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