Monday, 23 September 2013

रूही की चुदाई

मैंने अभी अपनी इंजीनियरिंग पूरी की है। मैं अब एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ। जहाँ मैं काम करता हूँ वहाँ एक से एक लड़कियां आती हैं। मैं दिखने में बहुत आकर्षक हूँ, मैं जिम जाता हूँ इसलिए बढ़िया तंदुरुस्त शरीर बहुत ही आकर्षक है इसलिए ज्यादातर लड़कियां मेरी तरफ़ आकर्षित हो जाती हैं।

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मेरी कंपनी में एक बहुत ही सुंदर लड़की है जो मुझे अक्सर देखा करती थी। लेकिन मैं उससे ज्यादा भाव नहीं देता था। ऑफिस में मेरी सीट बहुत ही बढ़िया जगह पर थी, एकदम गर्ल्स टॉयलेट के सामने, इसलिए कई बार आती जाती लड़कियां मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी क्यूंकि मेरी नज़रें बहुत कुछ बयान करती थी।
एक दिन जब मैं ऑफिस से छुटी के वक्त जा रहा था अपनी गाड़ी में, तो अचानक उसी लड़की ने मुझे लिफ्ट के लिए हाथ दिया। मैंने भी ताव में आकर गाड़ी रोक दी।
उसने कहा- आप मुझे मेट्रो स्टेशन तक छोड़ सकते हैं मैं बहुत जल्दी में हूँ।
मैंने कहा- ओके सिट ! वो मेरे साथ आकर बैठ गई। वो उस दिन मेरा पसंदीदा काला टॉप नीली जींस पहन कर आई थी। उसके उभार देख कर अचानक मैं थोड़ा ललचा सा गया था, लेकिन मैंने ऐसा कुछ ज़ाहिर नही होने दिया। उसके साथ बहुत मज़ाक किया, वो बहुत इम्प्रेस हो गई और जाते वक्त अपना फ़ोन नम्बर मुझे दे गई, लेकिन मैंने उसे फिर भी कॉल नही किया।
अचानक एक दिन श्याम को मैंने देखा कि उसके नम्बर से मुझे कॉल आ रही है तो मैं हैरान रह गया। मैं समझ नहीं पाया कि उसे मेरा नम्बर कहाँ से मिला। मैंने कॉल उठाई तो कहने लगी- सुनील आज मेरा बर्थडे है और मैंने एक पार्टी रखी है, अगर तुम थोड़ा टाइम निकाल कर घर पर आ सकते हो तो मुझे बहतु अच्छा लगेगा। तो मैंने कहा- आ तो जाता पर मुझे तुम्हारा घर नहीं पता, मैं कैसे आऊँगा।
तो कहने लगी- टेक माय एड्रेस ! उसने अपना एड्रेस बताया। मैं टाइम पर पहुँच गया। मैंने उसके दरवाजे की घंटी बजाई। वो काला सूट पहने हुए थी और बेहद खूबसूरत लग रही थी।
मैंने कहा- हैप्पी बर्थडे रूही ! यू आर लुकिंग गुड !

उसने मुझे अन्दर आने को कहा। अन्दर आकर मैंने देखा कि अन्दर कोई नही है। मैंने पूछा- और कोई नही है घर में? उसने कहा मम्मी अभी बाहर गई है और पापा मेरे लिए कुछ सामान लेने गए हैं, आते ही होंगे। फ़िर मैंने पूछा- और कोई तुम्हारा दोस्त नहीं आया तो कहने लगी कि आते ही होंगे।
आज उससे देख कर मैं मदहोश सा महसूस कर रहा था। वो थोड़ी देर में मेरे लिए कुछ खाने को ले आई और मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने उससे फ़िर एक बार कहा कि आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो !
इतना कहते ही वो मेरे पास आ गई और मुझे गाल पे किस करके बोली- थैंक्यू !
उसकी ये हरकत काम कर गई मैंने आव देखा न ताव और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ़ खींचा और एक किस उसके होंठों पर दे दी। वो मेरी इस हरकत से एकदम घबरा गई और कहने लगी कि ये तुम क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- रूही तुम आज मुझे मत रोको और मैंने उससे एक और बार किस कर डाला। वो मुझे दूर धकेलने लगी लेकिन उसके हुस्न का जादू सा मुझ पर चल गया था मैंने फट से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और उसके होंठों को पागलो की तरह चूमने लगा। अब वो भी मान गई उससे भी मज़ा आने लगा।
मैंने कहा- रूही डार्लिंग ! आइ लव यू !
उसने कहा- ये सब ठीक नही !
मैंने उसे पकड़ कर सोफे पर डाल दिया और झट से उसके बोबों को दबाने लगा। क्या टाइट चुचे थे, छेड़ते ही मज़ा आ गया। मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी कमर से नीचे यौनमंडल में फंसा दिया। वो सिहर उठी, उसके रोंगटे खड़े हो गए। अब उससे भी मज़ा आ रहा था। मैंने मौका देखते ही उसकी मदमस्त गांड पर हाथ फेर दिया। उसके जिस्म से एक अच्छी सी खुशबू आ रही थी।
मैंने कहा- तुम्हें बुरा तो नही लगा रहा ना?
तो कहने लगी- मैंने तुमसे झूठ कहा था कि मेरा जन्मदिन है बल्कि मैं भी यही चाहती थी। मैं हस पड़ा और मैंने उसके यौनमंडल में ऊँगली घुसा दी लेकिन अब भी उसका कपड़े मेरे आड़े आ रहे थे। तो मैंने फट से उसकी सलवार नीचे को खींच दी। मैंने कहा तुम्हारे घर वाले तो नहीं आ जायेंगे?
वो बोली- मैंने सब सेटिंग कर रखी है वो दो दिन के लिए बाहर गए है जान !
अब मेरा रास्ता साफ़ था। मैंने उसकी कच्छी पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया। उससे मज़ा आने लगा मेरा एक हाथ अब भी उसकी चुचियों पर था मैंने उसका कमीज़ भी उतार दिया जैसे ही मैंने उसके बोबो को देखा तो देखता ही रह गया। इतने बड़े गोल मटोल चुचे मैंने पहले नही देखे थे। मैंने कहा- तुस्सी छा गए !

ये कहते ही वो हस पड़ी। उसने काले रंग की पैन्टी पहनी थी। मैंने उसके चुचों को मसलते हुए उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। वो पहले से उबाल में थी। उसकी योनि अकड़ के फूल चुकी थी जैसे किसी ने हवा भर दी हो। मैंने हाथ फिराया तो थोड़ा सा पानी मेरे हाथ पर लग गया। मेरा लंड खड़ा हो गया उसने भी हिम्मत करके मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगी। वो एक नम्बर की झूठी और चुदक्कड लग रही थी मुझे। अब मैंने खींच कर उसकी कच्छी उतार दी। वाह ! क्या बुर पायी थी उसने, एकदम गोरी साफ़। मैंने उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया अब उससे मज़ा आने लगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। वो मेरी बॉडी देख कर दंग रह गई कहने लगी- जैसी सोची वैसी ही पायी। तूने मुझ बहुत तड़पाया है सुनील राजा! आज मैं अपनी सारी प्यास बुझाऊंगी। इतना कहकर उसने मेरा कच्छा नीचे खींच दिया और मेरा तडकता हुआ ७ इंच का लंड बाहर आ गया। इतना मोटा लंड देख कर वो घबरा गई और कहने लगी- अब आएगा खेल में मज़ा , कहकर उसने मेरा लंड अपने मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया वह क्या मज़ेदार था वो पल वो मेरा लंड अपने हलक में भी ले जा रही थी मैंने भी उसके चुचे दबाना शुरू कर दिया आह ...... ऊह.... उम्म...सो गुड और उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।
जब मैं बस झड़ने ही वाला था तब मैंने उससे रोका पर वो न रुकी और सारा रस पी गई मैंने भी उससे उठा कर लेटा दिया अब वो अपनी योनि खुजाने लगी। मैं समझ गया और मैंने अपनी जीभ उसके योनि से सटा दी और उसके दाने को ज़ोर से चूसने लगा उसकी तड़प बढ़ गई। वो अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी हा ...येही .........हाँ ......बस यहीं ............. मेरे राजा ......अब मेरे शरीर की आग बुझा दो अब नही रहा जाता आह .........ओह .....सुनील माय डीयर !
लेकिन मैं भी पूरा शैतान था इतनी आराम से नही माना, उसकी गांड में अब मैंने ऊँगली घुसा दी और चूत चाटता रहा। अब वो पागल हो गई और अपने चूतड़ हवा में झुलाने लगी। मैंने एक हाथ उसके मुंह में भी डाल दिया क्यूंकि वो अब चिल्लाने लगी थी। वो शरबत बना के लायी थी मेरे लिए, मैंने उस पर नज़र गड़ाई और थोड़ा सा शरबत उसके चुचों पर डाल दिया और पीने लगा। वो मेरी इस हरकत पर हस पड़ी, बोली- तुम बहुत किताबें पढ़ते हो?
क्या? मैंने कहा- बस जान तुम्हारे लिए!
वो हस पड़ी। मैंने अब उससे सीधा लेटा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। वो डर गई। मैंने कहा डरो मत, मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगा मैंने उसकी यौनमंडल पर अपना लंड फिराया और एक झटके से आधा लण्ड पेल दिया। वो चिल्लाने ही वाली थी कि मैंने उसके मुंह में अपना हाथ दांतों के बीच में डाल दिया और उसके कंधे पर हाथ रख कर एक और झटके के साथ अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया। ये करते ही उसकी चींख निकल गई और आँखों से आंसू बहने लगे। वो एक कुवांरी लड़की थी, मैं तो यूंही उसे पुराना माल समझ रहा था। वो रोने लगी- इसस .....नही .....आ ..राम ..से मैंने अब अपना लंड बाहर निकाला तो उसकी चूत से बहुत सा खून बाहर आ गया। उसकी चूत एकदम लाल हो गई

मैंने एक बार फ़िर उससे चोदना शुरू कर दिया। उसका शरीर अकड़ने लगा लेकिन उसके धक्के कम नही हुए हाँ ..........धीरे .......से मैंने उससे धीरे धीरे झुकाना शुरू कर दिया अपनी और और उसकी टांगो को अपने कंधे पर रख दिया अब उसका दर्द बढ़ गया और मज़ा भी वो अपनी तरफ़ से धक्के लगाने लगी हा ......हा .....हए....माँ .... मैं गई और इतना कह कर वो झड़ गई और थोडी देर में मैं भी ठंडा हो गया। वो मुझ पर गिर गई और मुझे चूमने लगी आइ लव यू सुनील ....................आइ लव यू टु रूही ...इतना कह कर मैंने उसे उल्टा लिटा दिया और उसके शरीर पर मालिश करने लगा वो फ़िर मुझ से लिपट गई मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया मैंने उससे झुका दिया और उसके गांड पे थूक दिया ये क्या कर रहे हो मैंने उसकी गाडं को मसला तो उसे मज़ा आने लगा मैंने अब अपना लंड उसकी गांड पर रखा और अन्दर घुसाना चाहा पर उसकी गांड बहुत टाइट थी आराम से नही घुस रहा था। मैं अब सीधा लेट गया और उससे ऊपर आने को कहा वो मान गई और उसने अपनी गांड मेरे लंड पे टिका दी वाह क्या जन्नत थी मैंने उससे रोक कर अपने आप से धक्के लगाने शुरू कर दिए उसे अब मैं बहुत अच्छा लगा रहा था हम्म .....हम्म ...इस ...हम्म ....हा ..गर्र ....हम्म ..इस और १५ मिनट में मैं झड़ गया उसके बाद हम दोनों ने साथ में शोवेर लिया और मैं अपने घर चल गया।

Sunday, 22 September 2013

भाभी की बहन पूनम

बात मार्च 2007 की है, मैं कई वर्ष बाद अपने मामा जी के घर गया था जोकि एक गाँव में है, वहाँ पर मेरी एक प्यारी भाभी हैं, वे तब 23 वर्ष की थी, मेरी उनसे अच्छी पटती थी, उनकी छोटी बहन पूनम उनके पास रहने आई हुई थी। वह लगभग 20 वर्ष की हसीन और चंचल लड़की थी। मेरे मामा का बेटा जिसका नाम राजू है, तब वह गुड़गाँव में जॉब करता था और हफ्ते में केवल एक दिन के लिए ही रविवार को घर पर आता था।

मैं रविवार को गया था इसलिए मैं सारे दिन उसके साथ रहा, अगले दिन वह गुड़गाँव चला गया। मैं भी घर जाने को तैयार हो गया मगर मामा जी ने मुझे रोक लिया और घर पर फोन कर दिया कि राज 3-4 दिन बाद आएगा।

अब घर पर मैं, मामा जी, भाभी और उनकी बहन पूनम ही थे। मैं दिन में कुछ समय मामा जी के साथ रहा फिर वे कहीं चले गये। अब मैं भाभी और उनकी बहन के साथ था। हम आंगन में बैठे थे, तभी भाभी बोली- देवर जी, क्या आपका किसी लड़की के साथ सम्बन्ध है?

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मैं अचानक चौंक गया और बोला- भाभी, आप क्या बोल रही हो?

भाभी बोली- मैं यही तो पूछ रही हूँ कि तुम्हारी किसी लड़की से दोस्ती है या नहीं?

मैंने कहा- भाभी दोस्ती और सम्बन्ध में बहुत अन्तर है।

तभी पूनम ने कहा- जब लड़की और लड़के में दोस्ती होती है तो सम्बंध तो बन ही जाते हैं।

मैने कहा- तुम्हारी किसी से दोस्ती है?

वो बिंदास बोली- तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं !

हमारी ऐसे ही मजाक चलती रही। मैं रात को मामा जी के साथ आंगन में सोया, भाभी और पूनम कमरे में।

सुबह मामा जी खेतों पर चले गए मैं घर पर ही रहा। भाभी घर के कामों में व्यस्त थी, मैं पूनम के पास बैठ गया।

वो बोली- राज जी, कैसे परेशान से हो?

मैं बोला- रात को नींद नहीं आई, मच्छरों ने सोने नहीं दिया।

पूनम बोली- मच्छरों ने या किसी और ने?

"मतलब?"

" किसी लड़की की यादों ने?"

अब मुझे पूनम से बात करने में मजा आ रहा था, मैं बोला- हाँ मुझे तुम सपने में परेशान कर रही थी।

"मैं आपके सपने में आई थी?"

"हाँ, तुम आई थी !"

"मैंने आपके सपने में क्या किया?"

"तुमने मुझे किस किया और !"

मेरी बात सुन कर वो शरमा गई और नीचे देखने लगी। तभी मामा जी आ गये, पूनम वहाँ से चली गई।

मैंने मामा जी के साथ खाना खाया और गाँव में उनके साथ घूमने चला गया पर मेरा मन पूनम के पास जाने को कर रहा था, पता नहीं मुझे क्या हो गया था।

हम शाम को वापस आए तो मामा जी अपने रोजमर्रा के काम निपटा रहे थे। पता नहीं पूनम अब मेरे पास क्यो नहीं आ रही थी। वो जब मेरे सामने से निकलती तो मुझे चोर नजरों से देखती जिससे मेरी धड़कन और तेज हो जाती।

मामा जी मेरे पास आए और बोले- राज बेटा, मैं आज रात को खेतों पर रहूँगा खेतो में पानी करना है।

यह बात सुन कर मुझे अन्दरूनी खुशी हुई।

रात को मामा जी चले गए। भाभी जी मेरे पास आई और बोली- देवर जी, आप हमारे साथ अन्दर कमरे में सो जाना ! पूनम कह रही थी कि आपको मच्छरों की वजह से नींद नहीं आई।

मुझे लगा जैसे मेरे मन की मुराद पूरी हो गई हो। उन्होंने कमरे में तीन चारपाई बिछा दी। भाभी और पूनम अगल्बगल वाली चारपाइयों पर थी। मैं पूनम के पीछे वाली पर अब मेरा और पूनम का सर पास पास था। काफी देर तक बातें की फिर सोने लगे।

मुझे नींद नहीं आ रही थी, मेरे हाथ चारपाई से नीचे पीछे की तरफ थे तभी मुझे लगा की जैसे किसी ने मेरे हाथों को छुआ हो। मैं सोच ही रहा था कि फिर से कुछ चीज मेरे हाथों से टकराई। अब की बार स्पर्श कुछ पल लम्बा था। मेरी धड़कनें तेज हो गई।

कमरे में चाँद की चाँदनी का उजाला था जो खिड़की से होकर आ रहा था, रोशनी कम थी। मैंने पीछे देखा तो पूनम के हाथ भी पीछे की तरफ चारपाई से नीचे थे। अब मेरे मन में अजीब सी हलचल होने लगी। कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ पीछे की तरफ बढ़ाए और पूनम के हाथों के पास ले जाकर धीरे से उन्हें छुआ। मेरी धड़कनें और तेज हो गई ओर गला सूख सा गया। मैंने हिम्मत करके उसके हाथ पकड़ लिए कुछ पल रुकने के बाद मैंने उसके हाथ अपनी तरफ खींचे, उसने समर्पित विरोध किया। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैं उसकी उँगली अपने मुँह में डालकर चूसने लगा, मुझे एक अजीब सा आनन्द आने लगा। मैं धीरे धीरे अपने हाथ उसके कंधों पर ले गया और उसकी गर्दन के आसपास हाथ फिराने लगा। उसने विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं अपने हाथों को उसके उभारों की गोलाई तक ले गया और उन्हें प्यार से मसलने लगा।

अब मैं अपनी चारपाई से उठ कर उसकी चारपाई के पास गया और धीरे से उसके पास लेट गया।

मेरे लेटते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। हमारी साँसें बहुत तेज चल रही थी। मैंने अपने हाथ से उसका कमीज निकाल दिया और उसकी गोलाइयों को आजाद करके उन्हें अपने हाथों में समा लिया।

क्या एहसास था वो ! जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। मैंने अपने लब उसके लबों पर रख दिये और उनका रस पीने लगा। मुझे ऐसा लगा जैसे दुनिया में इससे ज्यादा नशा और किसी चीज में ना हो।

धीरे धीरे मेरे हाथ फिसलते गए। अब मेरा हाथ उसकी सलवार के ऊपर से उसकी योनि के पास गया तो उसने मुझे कसकर भींच लिया। वो मदहोश हो चुकी थी, उसके शरीर से एक अजीब सी पर मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी।

अब तक मेरा बुरा हाल हो चुका था। मैंने उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा। वह सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोल कर उसकी सलवार उसकी एक टांग से बाहर निकाय दी और उसकी योनि को प्यार से सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपनी पैंट भी निकाल दी, मैं नीचे से नंगा हो गया। फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया। उसने उसे हल्का सा दबाया, उसके दिल की धड़कनें बढ़ गई थी और उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया। इसके साथ ही उसने अपने पैर ऊपर उठाए और मेरे पैरों पर लपेट लिए, बोली- कब तक मेरी परीक्षा लोगे?

मैंने अपना लंड पकड़ कर उसकी योनि के छेद पर रखा और जैसे ही मैं उसे अन्दर डालने वाला था, मुझे लगा जैसे भाभी जाग गई है। हम शान्त लेटे रहे एक ही झटके में हमारा नशा उतर गया और हमें डर लगने लगा।

तभी भाभी उठ कर कमरे से बाहर चली गई। हमने जल्दी से अपने कपड़े सही किए और मैं अपनी चारपाई पर आकर लेट गया।

भाभी कमरे में आई, इधर उधर देख कर अपनी चारपाई पर लेट गई और करवटें बदलने लगी। दोस्तो, अब तक हमारी हसीन रात का अन्त हो चुका था। मन एक अन्जान से दुःख में डूब रहा था पर हर अंधेरी रात के बाद उजियारा फिर आता है। मेरे जीवन में भी वो अदभुत उजियारा फिर आया, पर कैसे, यह मैं आपको फिर कभी बताऊँगा।


Saturday, 21 September 2013

आपी की चूत

मेरा नाम आरिफ है, बीस वर्ष का हूँ, मेरे लिंग की लम्बाई 9 इन्च है और मोटा है।

मेरे घर में अम्मी, अब्बू और नसरीन आपी हैं। आपी की शादी हो चुकी थी और वो यहाँ इम्तिहान देने आई हुई थी।

उसी दौरान एक दिन जब अम्मी-अब्बू निकाह में गए थे, तो आपी नहाने गई थी। जब वो नहाकर आने लगी तब अचानक फिसल गई और उनकी कमर में चोट आ गई। आपी सिर्फ तौलिया लपेटे हुई बाहर निकल आई थी। जब वो गिर गई तब मुझे आवाज दी, तब मैं उनके पास गया तो देख कर दंग रह गया। आपी का तौलिया खुल गया था और उनके चुच्चे नज़र आ रहे थे।

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मैं उनके उभारों को देखता रह गया।

आपी ने कहा- क्या देख रहा है?

फिर उन्होंने तौलिये से अपनी छाती को ढका और बोली- मैं फ़िसल गई हूँ और तू मुझे घूर रहा है? चल मुझे उठा !

मैंने आपी को बोला- पहले अपने बदन को तो ढक लो !

तब उन्होंने कहा- मुझे उठा तो पहले !

मैंने आपी को बोला- अपने सीने पर हाथ रख लो ताकि तौलिया दुबारा न गिरे !

मैंने उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें उठाया तब मेरा लण्ड उनकी गांड में सैट गया।

फिर उन्होंने कहा- तू बाहर जा, मैं कपड़े पहन लूँ !

मैं बाहर चला गया।

आपी ने कपड़े पहन लिए तो फिर आपी पास जाकर मैंने पूछा- कैसे गिर गई थी?

वो कहने लगी- कमर में बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- आप झंडू बाम लगा लो !

उन्होंने कहा- मैं खुद नहीं लगा सकती, तू ही लगा दे !

आपी ने सलवार-सूट पहन रखा था, मैंने आपी से कहा- आप अपनी सलवार खोलो, तब ही तो मैं बाम लगाऊँगा।

आपी ने कहा- ठीक है, पहले एक चादर लाकर दे !

तब मैंने एक चादर आपी को दी तो आपी ने कहा- तू उधर देख, मुझे शरम आ रही है।

मैं घूम गया, आपी ने अपनी सलवार खोल कर नीचे कर ली और ऊपर से चादर डाल कर बोली- चल अब लगा दे !

मैं बोला- आपी, कैसे लगाऊँ? तुमने तो चादर डाल रखी है।

तब आपी ने कहा- मैंने सलवार नीचे कर ली है और पैंटी नहीं पहनी है।

तब मैंने थोड़ा सा बाम निकला और चादर के अन्दर हाथ डाला तो सीधे उनके चूतड़ों पर हाथ गया।

आपी ने कहा- क्या कर रहा है?

मैंने धीरे से बोला- गलत से लग गया !

फिर मैं कमर पर मालिश करने लगा, फिर धीरे धीरे उनके कूल्हों पर मालिश करने लगा। आपी ने कुछ नहीं कहा, मैं मालिश करते करते चूतड़ों की दरार में उंगली डालने लगा।

इस तरह करते करते मैंने चादर उठा कर देखा तो उसकी गांड गजब चमक रही थी।

मेरा लंड खड़ा हो चुका था, मैंने अपनी ज़िप खोल कर आपी के ऊपर जब लंड सटाया तब उन्होंने कहा- यह गलत है ! तू अपनी चेन बंद कर, तब तुझे एक बात बताती हूँ।

मैंने अपनी ज़िप बंद कर ली, तब आपी ने कहा- तू उपर से मजे ले ले !

तब मैं अपनी पैंट उतार कर अंडरवीयर में हो गया और टीशर्ट भी उतार दिया, आपी को बोला- चलो, अब मेरे ऊपर बैठ जाओ।

आपी बोली- ठीक है !

आपी मेरे ऊपर बैठ गई तो थोड़ा सा लण्ड उनकी चूत में घुस गया और मैं उसी तरह धक्के मारने लगा और उसके बूब्स को चूसने लगा।

कुछ देर बाद मैंने आपी को बोला- तुम लेट जाओ !

और मैं उनकी चिकनी चूत को चाटने लगा। फिर उनकी चूत पर अपना लंड अंडरवीयर पहने ही रख दिया, अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा।

आपी पूरी तरह गर्म हो गई थी, उन्होंने बोला- मुझे भी वो डण्डा तो दिखा !

तब मैंने अपना लंड निकाल कर उनके हाथ में दे दिया और आपी उसे चूसने लगी।

अब हम 69 की हालत में थे। फिर मैंने आपी को बोला- आपी, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, मैं तुम्हारी चूत नहीं मारूँगा, सिर्फ एक बार अपनी गांड मरवा लो !

आप बोली- चल ठीक है। बस मेरी गांड मारना और मेरी चूत की तरफ ध्यान भी मत करना, वरना अब्बू से कह दूँगी।

तब मैंने कहा- ठीक है, सिर्फ गांड मारूंगा !

आपी घोड़ी बन गई, मैं लंड उनकी गांड में न डाल कर चूत में घुसाने लगा, तब आपी बोली- यह मेरी चूत है, गांड थोड़ा ऊपर है।

फिर मैंने गांड में लंड एक बार में ही घुसा दिया तो आपी जोर जोर से चिल्लाने लगी, बोली- कुत्ता ! बहनचोद, रंडी समझ लिया है क्या ?? आपा हूँ तेरी ! रंडी नहीं कि तूने एक बार में ही लंड घुसा दिया।

मैं आपी से बोला- नसरीन डार्लिंग, नौशे भाई से मरवाती हो तो कुछ नहीं? मैं मारूँ तो बहनचोद?

और धक्के लगाने लगा।

आपी आह उहं उहं उहं उहं उहं की आवाज निकालने लगी।

आपी बोली- देख, मैंने अभी तक तेरे नौशे भाई से गांड नहीं मरवाई थी, तूने सबसे पहले ही मेरी गांड मारी है।

तब मैंने कहा- अगर नौशे भाई को पता चल गया कि मैंने आपकी गांड मारी है तब तुम क्या कहोगी?

तब आपी ने कहा- गांड मारने पे ये पता नहीं चलता है कि गाण्ड किसी ने पहले मारी हुई है ! अगर मेरी शादी होने से पहले अगर तूने मेरी चूत को चोदा होता तब पता चल जाता ! अब तू मेरी चूत भी चोदेगा तो पता नहीं चलेगा, क्यूंकि मेरे मियाँ ने मेरी सील तोड़ दी है।

मैं गांड मार ही रहा था कि अचानक मैं बोला- जब पता ही नहीं चलेगा, तब चूत भी मरवा लो !

आपी बोली- चल ठीक है, मार ले !

मैंने उनकी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया और चोदने लगा। फिर धीरे धीरे मैंने अपना माल अंदर ही गिरा दिया और आपी भी झड़ गई।

Thursday, 19 September 2013

नौ रातो की बेवफाई

गुजरात में नवरात्री के कुछ माह बाद गर्भपात की संख्या में वृद्धि होती है !” गुजरात राज्य के बाल एवं महिला विकास मंत्री द्वारा दिए गए इस बयांन ने पुरे देश में बवाल खड़ा कर दिया! क्योंकी यह बयान गुजरात राज्य के मंत्री द्वारा दिया गया था इसलिए इसे प्रसारमध्यमो ने कुछ ज्यादा ही प्रसिद्धी दे दी! पूरा गुजरात नवरात्रि के तय्यारी में जुट गया था! गुजरात ही क्यों पूरा देश नवरात्री के स्वागत के लिए तैयार हो रहा था! सारे देश में नवरात्री अलग अलग ढंग से मनाई जाती है! पच्छिम बंगाल में देवी दुर्गा पूजा का आयोजन होता है! 

तामिलनाडू के घर घर में कोलू दिखाया जाता है! आंध्र, कर्नाटक और केरला में नवरात्री के नौ दिन और रात में अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है! लेकिन गुजरात की बात ही कुछ और है! सारी गुजराती लडकिया और औरते नवरात्री में सारी रात गरबा एवं डांडिया खेलती है!

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हर एक लड़की या औरत डांडिया नाच के दौरान कहा जाती है, क्या करती है इस पर ध्यान रखना संभव नहीं होता! नवरात्री के कुछ माह बाद गुजराती नवयुवतियों के कतार निजी गर्भपात केन्द्रों के बाहर लग जाती है! कुछ पति और माँ बाप अपनी औरत या लड़की डांडिया नाच के दौरान कहा गायब हो जाती है इसपर ध्यान रखने के लिए निजी जासूसों का सहारा लेते है! अधिकतम महिलाये डांडिया नाच के दौरान गायब हो जाती है और जीवन का आनंद पा लेती है! यह औरते अपने मित्र, मालिक, सहकर्मी, नौकर या फिर अनजान व्यक्ति से भी अपने शरीर की भूक मिटती है!लड़किया और महिलाओ की तो आपस में यह स्पर्धा लगी रहती है की कौन ज्यादा से ज्यादा मर्दों से साथ रात बिताती है!

मुझे एक बार दिल्ली जाना था और में रात में मुंबई के एक होटल में ठहरा था! में भूल गया की वह नवरात्री का मौसम है और मेरे भाग्य में कुछ और ही लिखा था! मुझे सुबह की उड़ान पकड़नी थी इसलिए थोड़ी नींद मिलने के लिए में जल्दी सो गया! रात दस बजे मेरी नींद ढोल के आवाज ने तोड़ दी! में अपने बिस्तर में बैठकर सोचने लगा की क्या हुआ? में बाहर आया तो देखा नाच गाने की तय्यारिया हो रही थी! लोग समूह बना रहे थे!ढोलवाले जोर जोर से ढोल बजाकर लोगो का ध्यान आकर्षित करके उनको बुला रहे थे! फिर नाच गाना शुरू हो गया! वहा बहुत अदभुत नजारा था!मैंने सोचा ऐसे नज़ारे बार बार देखने को नहीं मिलते, इसलिए थोडा नाच गाना देख लू!

खुबसूरत, प्यारी सूरत वाली लडकिया और भाभियाँ हात में डंडिया लेकर संगीत के ताल पर नाच रही थी! मैंने उन्हे हात हिलाकर हैलो किया और हवा में इशारा करके फ़्लाइंग किस दिया! दो तीन लड़कियोने मेरे इशारो को हसकर प्रतिसाद दिया! पूरा गाना खत्म होने में एक घंटा लगा! फिर नया समूह बनाना सुरु हो गया!

अचानक एक लड़की जिसने मेरे इशारे को प्रतिसाद दिया था मेरे पास आयी और मुझसे गुजराती में कुछ बोलने लगी! में समझ नहीं पाया वो क्या बोल रही है इसलिए मैंने हिंदी में उसे पुछा तुजे क्या चाहिए? उसने मुझे पुछा क्या आप इस होटल में ठहरे हुए है? मैंने कहा हाँ? उसने पुछा क्या में आपके रूम में पानी पिने आ सकती हूँ? में बोला हां हां क्यों नहीं! में मेरी रूम की तरफ जो की पहले माले पर था दौड़ते हुए निकल पड़ा! वह लड़की मेरे पीछे पीछे दौड़ती हुई आ गई! मैंने दरवाजा खोला और जग में से पानी निकालकर ग्लास में भरकर उसे देने निकला! पर वो वहाँ नहीं थी वो मेरे बिस्तर में लेट गयी थी! वो बोली में बहूत थक गयी हु थोडा लेट जाती हु!

में उसके बाजु में बैठ गया! मेने देखा की वो एक २० साल के करीब की अच्छे खानदानी लड़की थी! बड़ी चूचियां, पतला पेट और कमर, बहोत मेकप! उसका ब्लाउज जो की बहोत सारे सजावटी सामान के सजा हुवा था, उसे अन्दर से चुभ रहा था! इसलिए उसने अपने ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए! अब उसकी बड़ी बड़ी चूचियां ब्रा से बाहर झांक रही थी! मैंने उससे पुछा क्या में तुम्हारी ब्रा खोलने में मदत कर सकता हु? उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और अपनी पीठ मेरे तरफ कर दी! मैंने झट से उसके ब्लाउज के निचले भाग को थोडा ऊपर किया और ब्रा का हूक खोजकर उसे खोल दिया! फिर वो पीठ के बल लेट गयी और मेरी तरफ आशा से देखने लगी! रूम का ऐसी फुल स्पीड पर था और रूम काफी ठंडा था! मैंने अपना हाथ उसके चुचियों पर गोलाकार घुमाना शुरू कर दिया! वो अपनी आखें थोड़ी मूंदकर मेरे स्पर्श का आनंद ले रही थी! उसके निप्पल कड़े हो गए थे! मुझे इतना इशारा काफी था, वो मेरे बिस्तर पर अपने पैर थोड़े फैलाकर मुझे निमंत्रित कर रही थी!

में उसके सामने आ गया और थोडा झुककर उसके चुचियों को अपने मुह में लेकर चूसने लगा! वो गरम सांसे निकालकर मेरे लैंड की तलाश में अपना हाथ मेरे पायजामे के नाड़े तक लेकर गई और मेरा नाडा खोलकर मेरा तना हुआ लंड अपने हात में पकड़ लिया! उसके इस आक्रमकता से में हैरान हो गया! मैंने भी अपनी आक्रमकता बधाई और उसका स्कर्ट और पेटीकोट ऊपर किया! अब उसकी खुबसूरत जांगे दिखाई दे रही थी! उन्हें सहलाने का मोह दबाकर मैंने उसकी गीली चड्डी उतार दी! मेरे सामने क्लीन शेव सुनहरी रंग की चूत थी! मैंने उसके पैरो को थोडा फैलाकर आगे की तैयारी सुरु कर दी! वो बोली जल्दी करो लोग मुझे ढूँढ़ते होंगे! मैंने अपना तना हुआ लंड उसके चूत के मुह पर रखकर जोर का झटका देकर अपना लंड उसके चूत में पूरा घुसा दिया! वो लड़की कुवारी तो नहीं थी लेकिन उसकी चूत काफी सख्त थी! उसकी सख्त चूत का में पूरा मजा ले रहा था!

उसके मुह से अब जोर जोर से आहे निकल रही थी! मैंने उसे बहोत आराम से चोदा! मेरा एक हात उसकी चूत को बाजु से रगड़ रहा था! जैसे ही मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोडा वो आनंद के चरम सीमा तक पुहुच गयी! मुझे जड़ने में दस मिनट लगे और इस दौरान वो दो बार आनंद के चरम सीमा तक पहुच गयी! जब मैंने अपना लंड बाहर निकला तो उसने झट से बाथरूम कहा है पुछा, बाथरूम में गई और अपने को साफ किया, कपडे सवारकर बाहर आ गयी! मेरे गाल पर चुम्बन देकर मुझे धन्यवाद दिया, और बाहर भाग निकली! में उसे जाते हुए देख रहा था वो कब और कहाँ अँधेरे में भीड़ में खो गई मुझे पता नहीं लगा! में तो उसका नाम भी पूछना भूल गया!


मेरे भाग्य में उस रात और एक लड़की थी! मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैंने टाइमपास के लिए अपने लैपटॉप पर गूगल और याहू पर सर्फ़ करना शुरू किया! मैंने ‘नवरात्री गर्भपात’, ‘नवरात्री कंडोम्स’ इन शब्दों से गूगल और याहू पर सर्च करके गुजरात के संस्कृति के बारे में अनेक नए आयामोपर जानकारी प्राप्त की! थोड़ी देर बाद मैंने देखा की और एक लड़की मेरे रूम के तरफ दौड़ती हुई आ रही थी! में सोच में पड़ गया कि यह लड़की ठीक मेरे कमरे के तरफ ही कैसे आ रही है, में तो इसे नहीं जानता शायद ये पहले वाले लड़की कि दोस्त होगी! में उसके स्वागत के लिए दरवाजे पर खड़ा हो गया! उसने पिने के लिए पानी माँगा तो मेरा शक यकीन में बदल गया! में उसे बोला ठीक है अन्दर आओ! यह लड़की भी पहली वाली लड़की के उम्र के आसपास कि थी! वो दौड़कर सीधा बेडपर लेट गयी! मैंने उसे ग्लास भरकर पानी दिया जो उसने एक ज़टके में पी लिया! मैंने अपना हाथ उसके पेट के ऊपर रख दिया तो उसने मेरे को मुस्कुराकर देखा! मैंने उसे पुछा क्या तुम्हारी दोस्त ने तुमे मेरे पास पानी पिने भेजा है, वो मुस्काराकर हां बोली! में बोला ठीक है तो फिर मुड जाओ ताकि में तुम्हारे ब्रा का हूक खोल सकु!

वो मुड गयी और अपनी पीठ मेरे तरफ कर दी! मैंने ब्रा का हूक निकलके उसके चूचियों को ब्रा के चंगुल से मुक्त कर दिया! उसके निप्पल पहले से ही कड़े हो चुके थे! मैंने ज़ुखकर उनको चूसना चालू कर दिया! मैंने उसके स्कर्ट और पेटीकोट को ऊपर करके उसकी गीली चड्डी को उतार दिया! यह लड़की बहुत ही कामुक और कामक्रीड़ा में सहयोग देने वाली थी! उसने मेरे लंड को पकड़कर अपने चूत के छेद पर रख दिया और मुझे सुजाव दिया के में पीठ के बल लेट जाऊ और वो मेरे ऊपर घुड़सवारी करेगी! मैंने कहा ठीक है, जीवन में कभी कभी बदलाव अच्छा रहता है! यह लड़की जिसका नाम रति था उसने एक ही झटके में मेरा लंड अपने चूत में घुसाकर मुझे चोदना शुरू कर दिया! मुझे अनुभव हुआ कि वह एक तरबेज घुड़सवार है! मैंने उसकी चूचियों और निप्पलस को दबोचकर उसे प्रोसाहन दिया! बाहर के संगीत के लय में वो अपने बदन को हिला रही थी! उसके मुह से जोर जोर से ऑहे निकल रही थी! आखीर में जब वो आनंद के चरम सीमा तक पुह्ची तो उसने अपनी चूत मेरे लंड के बाहर निकल ली! मैंने उसे दुबारा चोदने कि इच्छा जताई तो उसने कहा अभी नहीं लोग उसे ढूँढ़ते होंगे, बाद में वो फिर आयेगी!

वो बिस्तर से कूदी बाथरूम में गयी अपने को साफ किया, कपडे सवारे! मेरे गाल पर चुम्बन देकर मुझे धन्यवाद् दिया और भीड़ में खो गयी! रात के एक बज चुके थे! मुझे बाद में उस रात और कोई लड़की नहीं मिली और मुझे भी सुभह कि उडान पकड़नी थी! इस दो लडकियों को चोदने का भाग्य मिलने से में खुश था! मैंने दिए बूजा दिए और भविष्य कि नवरात्री कि सारी राते फिर इसी होटल में बिताने के संकल्प करके में सो गया!