Saturday, 19 October 2013

बुर में कीड़े रेंग रहे हैं

यह कहानी एक गांव की है, जिस गांव के लोग किसी जमाने में अपने बेटे बेटियों को खेलने कूदने का वक्त नहीं देते थे, पर उस गांव के लड़के-लड़कियाँ आज खेल-खा रहे हैं, हर लड़का फोन लेकर किसी न किसी लड़की से बात करता रहता है, लड़कियों की बुर हमेशा खुजलाती रहती है, लड़के तो क्या हर बूढ़े-जवान इससे तंग आ चुके हैं।

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सोहन कहता : अरे देख, दीवान साहब की लड़की बुर खुजला रही है !

सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता !

यह बिमारी लड़कियों क्या गांव की महिलाओं को भी लग चुकी थी, जहाँ देखो फोन पर बतियाती रहती, और बुर को मसलती रहती।

एक बार सोहन ने गांव की महिला शीला को बुर मसलते देख लिया, बस वह जाकर उसे इशारा करने लगा, लण्ड पर हाथ फेरने का इशारा पाकर पहले तो वह बौखलाई, फिर बोली : देख, मैं श्यामू से बात दूंगी !

श्यामू उसका यार था जिससे वह फोन पर बात करती थी।

सोहन ने कहा : देखो, अगर बताना है तो बता दो ,लेकिन इससे भी अच्छा यह होगा कि बात तो तुम फोन पर करो उससे, लेकिन चुदवाओ मुझसे ! वैसे भी अकेले बुर मसलती हो, मुझसे मसलवा लो क्या फर्क पड़ेगा।

आखिर शीला मान गई, रात को वो छत पर फोन लगा कर बतियाती और श्यामू मजा लेता ! पर असली मजा तो सोहन ही लेता था।

श्यामू : और जानेमन, क्या कर रही हो?

शीला : बुर में कीड़े रेंग रहे हैं।

श्यामू : लाओ, मैं खुजा दूँ।

शीला : क्या फोन में उंगली डालोगे?

सोहन : नहीं बुर में डालूँगा।

सोहन खड़े-खड़े शीला को सीने से चिपका लेता है और शीला की गांड के नीचे से बुर को खुजाने लगता है।

शीला : खुजाओगे बस, डालोगे नहीं?

श्यामू : बस यह समझ लो कि उंगली तुम्हारी बुर में गई !

सोहन श्यामू की बात सुनते ही अपनी उंगली शीला की बुर में डाल देता है।

शीला : धीरे, तुम्हारी उंगली तो बहुत मोटी है।

श्यामू : मेरी उंगली तो बहुत पतली है।

शीला : तो क्या हुआ मुझे तो बहुत जोर से लग रही है ना !

श्यामू : अच्छा अपने कपड़े उतारो !

शीला : अभी नहीं !

सोहन अपने हाथ में फोन लेकर काट देता है और कहता है : अभी नहीं तो कभी नहीं !

सोहन शीला के ब्लाऊज को खींच कर खोल देता है और चुच्चों को मस्ती से दबाने लगता है, चूचे बड़े और भारी होने के कारण कभी ऊपर उठते तो कभी नीचे गिर जाते।

शीला सोहन के बाँहों में झूल गई, फोन का मजा अब असली में आने लगा था।

वो अपने चूतड़ों को रगड़ने लगी फिर सोहन ने शीला के लहंगे को खींचा और उतार दिया। शीला चड्डी में थी कि तभी फोन आ गया, शीला फोन उठाने गई तो सोहन ने अपने एक उंगली चड्डी में फंसा कर चड्डी खींच ली, शीला नंगी हो गई।

शीला बोली : मुझे शर्म आ रही है, कम से कम फोन तो उठा लेने दो !

सोहन शीला आंटी को बाहों में उठा कर कहता है : लाओ मैं तुम्हें ले चलता हूँ, लेकिन एक शर्त पर, तुम्हें मेरे लंड पर बैठना होगा !

शीला मान गई, सोहन कुर्सी पर बैठा और अपने लंड का सुपारा बाहर निकाल लिया।

शीला अपनी दोनों टांगों को खोल कर, सोहन की तरफ मुँह करके कुर्सी पर बैठने लगी तो सोहन ने कहा : एक काम करो, सुपारा अपनी बुर में फंसा लो !

शीला क्या करती, सुपारा अपनी बुर में फंसा लिया।

शीला को हल्का दर्द महसूस हुआ तो सोहन ने अपने ओंठों से शीला के ओंठ जकड़ लिए।

शीला अपनी बुर में गर्म गर्म डण्डा महसूस कर रही थी।

शीला बोली : अब चलो, मैं फोन उठा लूँ !

सोहन ने शीला को उठाया तो इस चक्कर में लंड बुर से आधा निकल कर फिर से घुस गया, अब सोहन अपने कदम बढ़ाता तो शीला की बुर की चुदाई होती !

शीला फोन तक पहुँचते ही मस्त हो चुकी थी, शीला सोहन के ओंठों को चूसते हुए बोली : एक बार मेरी बुर को चोद दो, फिर मैं बाद में फोन उठाऊँगी।

सोहन खुश हो गया, अब वो शीला को बेडरूम में ले गया और शीला को बोला : तू तो मस्त रंडी लगती है।

शीला बोली : तू भी तो रंडा है, इतना बड़ा लुंड घुसाया मेरी बुर में, अभी तक चिल्ला रही है !

सोहन प्यार से पुचकारते हुए : शीला, वो तो मैं तेरी खुजली मिटा रहा था।

शीला बोली : एक काम कर, फिर से डाल और जम कर खुजली मिटा !

सोहन शीला की बुर में लंड को घुसेड़ कर जो भका-भक अंदर बाहर करता रहा।

शीला बोली : आह आ आह तेरा बांस तो बहुत गर्म है मेरी तो बुर को मलाई की तरह मथ रहा है।

सोहन शीला की गांड को दबाते हुए : मजा तो तेरी गांड भी ले रही है !

शीला ने सोहन को झरते हुए बाँहों में दबा लिया।

सोहन बोला : मेरा लंड तो झरा ही नहीं?

शीला : तो फिर मेरी बुर तो गीली हो गई है।

सोहन : कोई बात नहीं मैं मार लूँगा !

अब शीला की बुर फच-फच करने लगी, सोहन झरा तो पानी बाहर आने लगा, शीला मस्त हो गई।


सोहन ने इधर श्यामू को फोन लगा दिया, श्यामू शीला को फिर से गर्म करने लगा इस तरह सोहन ने गरम तवे पर रोटी सेंकी।

मेरी चुदने की इच्छा

हम तीन, हम दो और हमारा एक बेटा ढाई साल का, भोपाल में रहते हैं। इसी घर में मेरे जेठ जी का परिवार हम से ऊपर वाली मंज़िल पर रहता है। उससे ऊपर की मंजिल पर घरेलू नौकर का कमरा है। जेठ जी का बड़ा बेटा हरीश उन्नीस साल का है, उसने इस बार बी बी ए के दूसरे साल की परीक्षा दी है।

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जब जब भी मेरे पति टूअर पर जाते रहते थे तो हरीश मेरा बहुत ख्याल रखने लगा था, किसी भी काम को दौड़कर करने को तैयार रहता था और इसी कोशिश में रहता था कि वो मेरे आस पास ही रहे। मुझे भी उसकी कम्पनी में मज़ा आता था।

इसी साल की सर्दियों में दिसंबर 2012 में एक बार शाम के समय वो मेरे पास मेरे बेडरूम में आया, उस समय नौ बजे होंगे, मैं कोई सीरियल देख रही थी अपनी रजाई या लिहाफ जो भी आप उसे कहते हो, में घुस कर बैठी हुई।

मैंने हरीश से कहा- बहुत ठण्ड है, तुम भी रजाई में आ जाओ, कम से कम अपने पैर तो अन्दर कर लो।

पता नहीं क्यूँ वो थोड़ी दूरी बनाये रखता था, इसलिए शर्माते हुए बोला- मैं ठीक हूँ।

फिर भी मेरे कहने पर वो मेरे बगल में नहीं बैठ कर पैरों की तरफ बैठ गया और मेरी जेठानी जी ने जो मैसेज दिया था, उसे बता कर जाने की बात बोलने लगा।

मैंने उसे थोड़ा रुकने को कहा क्यूँकि आज मैं उसे कोरा कोरा जाने देने के मूड में नहीं थी। मेरा मन इस लड़के को फ़ंसाने को तो बहुत दिनों से मचल रहा था पर आज जैसा मोका भी नहीं मिला और कुछ करने से डरती भी रही। इसको फंसाने का सीधा सा और जरुरी सा कारण यह था कि यह लड़का पूरी तरह जवान और खूबसूरत तो था ही, घर के घर में ही उपलब्ध भी था, किसी भी समय और इस पर किसी को कोई शक भी नहीं होता। उससे चुदाई के प्रोग्राम की बात करते रहना भी आसान था।

मेरे दिमाग में ये सारी चीज़े एक साथ घूम रही थी। उस दिन चुदाई के लिए भी मैं बहुत उतावली थी। वो नहीं आता तो मैं किसी और तरह अपनी आग शांत करती पर भाग्य से वही आ गया जिसके लंड की कल्पना ही मैं करती रहती थी कि फुल साइज़ का हो गया होगा या नहीं।

मुझसे रहा नहीं गया, मेरा मुझ पर ही जैसे काबू ही नहीं रह गया था, मैंने रजाई के अन्दर से ही अपना पैर लम्बा करके उसकी टांगों के बीच में रखा और अंगूठे से उसका लंड ज़िप के ऊपर से ही टटोलने लगी। मेरा पैर लगते ही उसका लण्ड तनने लगा और एक मिनट में ही वो पैंट फाड़ने को तैयार था। हरीश पहले तो थोड़ा असहज सा हुआ फिर सब समझ गया और उसने अपनी ज़िप खोल दी।लंड आज़ाद होकर मेरे पैर को गर्मी दे रहा था। बच्चा तो सो गया था, हरीश फटाफट मेरे बाजू में आकर बोला- चाची, तूने आज बहुत उपकार किया, मैं तो कबसे तुझको चोदने की सोचता रहता था।

वो बोला- चाची, अब देर न कर, आज ही शुरुआत करूँगा। मेरी तो यह सुहागरात ही समझो, मेरी पहली चुदाई है, चाची तुम ही गाइड करो।

मैं तो खुद ही चुदने को मरी जा रही थी, मैंने कहा- तू तो आज मज़ा ले बस।

हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतारे और मैंने आज पहली बार उसका लंड देखा था, यह तो मेरे पति के लंड से थोड़ा पतला तो था पर लम्बा बहुत था और मेरे लिए तो जैसे उम्मीद से बड़ी कोई चीज़ मिल गई हो। मैंने उसके लण्ड को ऐसा पकड़ा जैसे अभी खा जाऊँगी, मुँह में भर कर चूसने लगी और हरीश का मुँह अपनी चूत के दाने को चूसने पर लगा दिया।

व्व्वाआह्ह ! क्या आनन्द आ रहा था ! मैं सिसकारी भर रही थी और हरीश का तो हांफ-हांफ कर बुरा हाल थ। पर वो बहुत एन्जॉय कर था।

अब मैंने उसे मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ने का निमंत्रण अपनी टाँगें चौड़ी करके चूत को थोड़ा ऊपर उभारते हुए दिया। वो इस निमंत्रण को तत्काल समझ गया और उसने फटाफट मेरी टांगों को फैलाकर ऊपर उठाते हुए अपने लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का दिया। उसका लंड पहली बार में ही आधा तक घुस गया।

यह उसका पहला ही अनुभव था, वो बहुत अधिक उत्तेजित होकर लंड को चूत में पेलने के लिए बेताब था और उसका लंड भी अब उसके काबू में नहीं था इसलिए बिना रुके उसने लगातार जोर जोर के धक्के मरना शुरु कर दिया। उसका लंड मेरी चूत में ऐसा ऊपर नीचे कूद रहा था जैसे कोई गाड़ी का पिस्टन चल रहा हो।

वाह ! मैं तो नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर उसके ही रंग में मिल कर चूत को उसकी चाहत की गिफ्ट दिलवा रही थी। मैं भी और हरीश भी जोर जोर से चुदाई की रफ़्तार के साथ ही खूब मोनिंग यानी आअह्ह ऊउह्ह कर रहे थे।

घर में तो कोई था ही नहीं इसलिए खुलकर जी भर कर आवाज़ें और किलकारियाँ मार रहे थे। इसी मुद्रा में चुदाई करते करते हरीश भी और मैं भी लगभग एक साथ ही झड़े तो वो नज़ारा तो देखने लायक था और हमेशा याद भी रहेगा।

हरीश तो ऐसा काम्पने लगा आनन्द के मारे कि जैसे कोई जंग जीती हो।

मैंने भी अपने जीवन में जितनी भी चुदाई करवाई हो और वे एक से बढ़ कर एक नई मुद्रा की हो, पर यह सादी सी चुदाई फिर भी कभी भूल नहीं पाऊँगी।


अब हरीश का रास्ता खुल गया है, जब भी उसका मन होता है या मेरी चुदने की इच्छा होती है तो वो तत्काल आकर मेरी चूत की और अपने लंड की प्यास बुझा देता है। हम अब रोज़ नए नए प्रयोग भी करते रहते हैं, जब भी मेरा आदमी टूर पर जाता है तो उनका यह भतीजा अपनी चाची की भरपूर चुदाई करके मज़ा देता है।

Tuesday, 24 September 2013

लड़की को उत्तेजित करने का तरीका

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Grand मस्ती

लो दोस्तों, मेरा नाम नील है और मै एक कॉलेज मे पढता हु और मै बायोलोजी का छात्र हु | सब लोग जानते है, कि बायोलोजी क्लास मे नहीं पढी जाती है, वो हमेशा ही लैब मे और क्लास के बाहर ही पढी जाती है | मै अपनी क्लास का सबसे मेधावी छात्र था और सब लोग मुझ से काफी खुश रहते थे | मेरी क्लास मे, एक बड़ी खुबसूरत लड़की थी सीमा; सब लोग उसपर जान देते थे और उसको अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए तड़पते थे, लेकिन वो किसी को घास नहीं डालती थी | लेकिन, सीमा ने मेरी किस्मत का दरवाजा खटखटाया और मुझे उसे चोदने का मौका मिला और मैने भी उस मौके के मस्त तरीके से भुनाया |


http://hindisexstory69.blogspot.in/


हुआ यू था, कि क्लास के फाईनल पेपर थे और हम सब को एक प्रोजेक्ट पर काम करना था और उस प्रोजेक्ट पर किसी को अकेले काम नहीं करना था, बल्कि दो लोगो को एक साथ काम करना था | सीमा जितनी खुबसूरत थी, उतनी ही चालू भी थी और उसने बायोलोजी के टीचर से बात करके मुझे अपनी टीम मे रख लिया, ताकि उसका प्रोजेक्ट आसानी से हो जाए और उसको पुरे नंबर मिल जाये | मुझे लड़कियों से बात करने मे थोड़ी शर्म आती थी, तो मुझे जब पता चला कि सीमा मेरे साथ, मेरी टीम मे है, तो मुझे बड़ा अजीब सा लगा | लेकिन सीमा खुश थी | हम सब लैब मे चले गये और अपना-अपना काम करने लगे | मैने सीमा को कुछ समझाया, और खुद दूसरा काम करने लगा | मेरा लगभग सारा काम पूरा हो चुका था, बस सीमा का काम ख़त्म होते ही, हमारा उस दिन का काम खत्म होने वाला था, जब मैने सीमा की तरफ देखा तो उसने मुझे मद्दत के लिए बोला | मुझे सीमा और अपने टीचर पर बहुत गुस्सा आया, कि दोनों ने मुझे कहाँ फसा दिया; लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और मै सीमा के पीछे गया और उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करने लगा | उस समय मेरे मन कोई गलत ख्याल नहीं था, लेकिन प्रयोग के समय, मै सीमा की शरीर से चिपक गया था और मेरा आगे शरीर का हिस्सा उसके शरीर के पीछे के हिस्से से चिपक गया था, उस वजह से मेरा लंड उसकी गांड से चिपक चुका था और उसको भी अपनी गांड की लकीर पर मेरे लंड का अहसास हो रहा था |

मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा की गांड पर अपनी दस्तक दे रहा था | सीमा ने कुछ नहीं बोला और हमने प्रयोग पूरा कर लिया और हम दोनों बिना कुछ बोले और सुने अपने-अपने घर चले गये | अगले दिन, फिर से वही बात हुआ, उस बार सीमा ने जानबूझ कर ऐसा किया | उसने प्रयोग ना होने का नाटक किया और मैने फिर से उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करवाना शुरू कर दिया | आज वो जान-बुझकर हिल रही थी और उसकी गांड मेरे लंड को रगड़ रही थी | उस दिन तो मेरा लंड पहले दिन की अपेक्षा ज्यादा खड़ा हो गया और सीमा की चूत पर जोर-जोर से टक्कर मारने लगा | सीमा ने अपनी आँखे बंदकर ली और उस पल का मजा उठाने लगी | मेरी सीट सबसे कोने मे होती थी, वहा पर मुझे कोई नहीं देख सकता था | मैने ये टेबल जानबूझकर, अपने लिए ली थी, ताकि मै अपने पढाई के अलावा भी प्रयोग कर सकू |
मेरी टेबल के पास ही, मेरी टीचर के बाथरूम का दरवाजा था | जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मै बाथरूम मै गुस गया और मैने वहा पर बड़ा ही कामुक हस्त्मथुन किया | जब मै बाहर आया, तो मेरे चेहरे पर ख़ुशी और संतोष के भाव थे, लेकिन मेरी गलती से मेरी पेंट पर एक दाग आ गया | जब, सीमा ने वो दाग देखकर तो बोली; सब अकेले-अकेले, पप्पू को क्यों कस्ट दिया, मुझे बोल देते; मै तुम्हारी मद्दत कर देती और खिलखिलाकर हसने लगी और आँख मार ली |

मुझे बड़ा अजीब सा लगा और मैने दूसरी तरफ मुह फेर लिया | मै सीमा से नज़रे नहीं मिला पा रहा था और मुझे एक गलती का अहसास हो रहा था, लेकिन सीमा को तो जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा, वो तो बस मज़े ले रही थी | जाते हुए, सीमा ने मुझे अपने घर आने के लिए बोला और मुझे पढाई मे उसकी मद्दत करने को कहा | मै शाम का इंतज़ार करने लगा, दो बार लंड रगड़ने के बाद मेरे मन मे गुदगुद्दी होने लगी थी और हस्त्मथुन करते हुए, मुझे बार-बार सीमा की याद आ रही थी और मेरे मन मे, उसको असकी मे चोदने का ख्याल आने लगे थे | शाम, मै बड़ा तैयार होकर सीमा के यहाँ पंहुचा, सीमा ने दरवाजा खोला, उसको देखकर मेरा मुह खुला रह गया | सीमा ने बड़ी ही मस्त और कामुक नाईटी पहनी हुई थी और वो पारदर्शी थी और उसमे से उसका एक-एक अंग नज़र आ रहा था और उसके कामुक अंगो को देखकर मेरे मेरे लंड मे कसाव शुरू हो गया | सीमा ने एक प्यारी सी मुस्कान दी और मुझे अंदर बुला लिया | सीमा ने अंदर सिर्फ ब्रा-पेंटी ही पहनी हुई थी और मुझे उसके बावजूद उसका एक-एक अंग का कटाव नज़र आ रहा था |

मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा मुस्कुरा रही थी | हम दोनों ने पढना शुरू किया | पढाई शरीर मे बदलाव के बारे मे था और सीमा मुझे बड़े ही मादक नजरो से देखने लगी | जब औरत के शरीर के बदलाव के बारे बात हुई, तो उसने एक ही झटके मे अपने सारे कपडे उतार दिये और अपने एक-एक अंग को छुने लगी और मुझे दिखाने लगी | और फिर वो मेरे पास आयी और बोली तुम भी एकदम गधे हो, साले लंड को इतना कस्ट दे रहे हो और उसने मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसको खीचना शुरू कर दिया | मेरा लंड, अब सीमा के हाथ मे झटके मार रहा था | पता नहीं क्यों, सीमा के सामने मै कुछ कर नहीं पा रहा था और उसको रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी | सीमा ने एक ही झटके मे अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी | उसके मोटे और गोरे चुचे देखकर और उनपर गुलाबी निप्पल देखकर मेरे मुह से लार टपकने लगी | उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी गोरी चूत पर गुलाबी से लकीर देखकर, मेरा लंड मेरी पेंट फाड़ने को बेताब था |

सीमा ने एक ही झटके मे, मेरी पेंट उतार दी और मेरे कुछ करने से पहले ही, मेरे लंड को आज़ाद कर दिया | मेरा सावला सा मोटा सा लंड देखकर, सीमा की आँखों मे चमक आ गयी और उसने मेरे बचेकुचे कपडे भी उतार दिये | अब हम दोनों ही पुरे नंगे थे और सीमा ने मेरा लंड अपने हाथो मे ले रखा था और उसको अपने चूत पर रगड़ रही थी | मैने अब आगे बढकर सीमा का चेहरा अपने हाथो मे ले लिया और उसके होठो पर अपने होठ रख दिये और उनको मस्ती मे चूसने लगा आआओऊ.हम दोनों का शरीर मस्ती मे हिलने लगा था और सीमा मेरा लंड अब भी अपनी चूत से रगड़ रही थी | मैने उस मौके का फायदा उठाया और उसके हाथ मे ही, अपनी गांड को जोर से धक्का मार दिया और मेरा लंड, सीमा की चूत मे ssrrrrrrrrrr…..करता हुआ घुस गया | सीमा के मुह से चिक निकल गयी ईईईईईई………ईईईईए………aaaaaaahhhhhhhh………….मर गयी और मेरी गांड लगातार चल रही थी और हम दोनों ही मस्ती मे अपनी गांड हिला रहे थे ऊऊ..एस…….ओऊ..वाह…….सीमा…….नील.आ.मर गीजोर से..तेजी से.और कुछ ही मिनटों मे सीमा ने अपनी गांड को और जोर से हिलाना शुरू कर दिया और एक गरम पिचकारी के साथ, उसका वीर्य उसकी चूत से बाहर आ गया | मेरा लंड भी चिकना हो चुका था और उसकी चूत मे फिसलने लगा | मैने अपने लंड बाहर निकल लिया और अपने हाथ से सीमा के ऊपर मुठ मारने लगा | कुछ सेकेण्ड बाद ही, मेरे लंड से एक गरम पिचकारी, सीमा के पेट पर गिर गयी और सीमा चिल्ला उठी आआआआअ…………………oooohhhhhh…बहुत ही गरम है |


हम दोने के चेहरे से एक ख़ुशी की लहर थी और संठुति थी | मै जमीन पर गिर पड़ा और सीमा भी मेरे ऊपर आकर लेट गयी | हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही लेते रहे और फिर से संभोग किया | आह भी हम दोनों मस्त संभोग करते है और मज़े लेते है |