Friday, 20 December 2013

घर जेसा मज़ा और कहाँ

Ghar Jaisa Maja Aur Kahan

   
हेल्लो दोस्तों.. मेरा नाम शाहिद ख़ान है. में हेदराबाद का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 22साल है. मेरी यह पहली स्टोरी है. में एक पठान खानदान से हूँ. मेरी हाईट 5.10 है. आप लोग तो जानते ही है की पठान कितने गोरे होते है. उसी तरह में भी बिल्कुल गोरा रंग का हूँ और स्मार्ट लड़का हूँ. मेरी कॉलेज मे मेरी पर्सनॅलिटी देखकर नज़ाने कितनी लड़कियाँ मुझे प्रपोज़ कर चुकी है. मेरा लंड 8’’इंच लंबा और 3’’ इंच मोटा है. उसका टोपा टमाटर की तरह लाल और सेक्सी है. जो भी मेरा लंड देखता है उसे मुह मे लेने की सोचता है।


चलो अब मेरी फॅमिली के बारे मे बताता हूँ. मेरे फेमेली मे तीन बहन, में, और मम्मी पापा है. पापा पुणे की एक प्राइवेट कंपनी मे इंजिनियर थे वो ज्यादातर काम के सिलसिले मे घर से बाहर ही रहते थे. मेरी माँ एक स्कूल की प्रिन्सिपल थी. वो सुबह 9 बजे को ऑफीस जाकर 5 बजे को घर आती थी. उनका नाम सईदा है. उनकी उम्र 48 साल है. मेरी बड़ी बहन जो कि 24 साल है. उनका नाम महजबीन है. उनका फिगर 38 30 39 है. उनकी शादी हुये 4साल हुये थे. लेकिन अब तक उनको औलाद नही थी. उन्हे बच्चो से बहुत प्यार है. वो दिखने मे हिन्दी फिल्म की हेरोइन ममता कुलकर्णी की जैसे दिखती है. वो हमारे ही शहर मे अपने पति के साथ रहती थी. और मेरी दूसरी छोटी बहन का नाम है फलखनाज़ उसकी उम्र की थी. उसका फिगर 36 28 37 है. वो +1 पढ़ रही थी. जो रोज बुरखे मे कॉलेज जाती थी. और मेरी तीसरी बहन जिसका नाम महनाज़ है. वो भी लगभग उसी उम्र की है उसका फिगर 32 26 34 है. वो स्कूल मे 10th क्लास पढती है।


में घर मे सबसे ज़्यादा मेरी दूसरी बहन फलखनाज़ से क्लोज़ रहता हूँ. हम लोग स्टडी करते वक्त मिल के बैठ के पड़ाई करते थे. लेकिन मुझे क्या पता के ये पड़ाई हमे चुदाई तक लेकर जाएगी. चलो दोस्तों में तुम्हे अपनी बहन के फिगर और उसके सेक्सी बॉडी के बारे मे बताता हूँ. फलक की हाईट 5.7 है रंग एकदम गोरा. लंबे घने बाल जैसे काली घटा हो, आँखे जैसे हिरन की आँख जैसी लगती है. और उसका फिगर तो भारी चूची 36 कमर 28 कूल्हे 37 जो बहुत से है. फलक का फिगर देख के तो बूढ़े का लंड भी खड़े होकर उसे चोदने को तेयार हो जाये. गली के सारे लड़कों का उसे चोदने का सपना था।


जब वो घर मे चलती है तो उसके मोटे मोटे चूतड ऐसे हिलते थे की मर्द की जवानी को सवाल करते थे. मुझे लगता था की उसे पीछे से जाकर आगे की और झुकाकर कुत्ते की तरह उसका बुरखा कमर तक उठा कर उसकी गांड मे मेरा मोटा लंड डाल के चोद डालूं. एक दिन हम लोग मम्मी के ऑफीस जाने के बाद पड़ाई करने के लिए बैठ गये जब मेरी छोटी बहन भी चली गयी थी कोचिंग को. में और फलक ही घर मे रह गए. क्युकी मेरे और फलक के एग्जाम नजदीक होने की वजह से क्लास ठीक तरह से नही चल रही थी. इसलिए हम लोग अपने घर मे ही स्टडी करने लगे थे. हम दोनो एक दूसरे के बगल मे बैठ के पड़ाई करने लगे अचानक फलक का नर्म हाथ मेरी कमर पर टच होने लगा तो में डिस्टर्ब होने लगा और में गर्म होने लगा और उससे पूछने लगा के फलक मुझे एक बात सच सच बताओ तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या… उसने कहा क्यू भाईजान ऐसा क्यू पूछ रहे हो आप अचानक… तो मैने कहा कुछ नही ऐसे ही पूछ रहा हूँ… तो उसने कहा नही भाईजान मेरा मेरा भी बॉयफ्रेंड नही है… मैने कहा तुम्हे अपने कॉलेज मे कोई लड़का अच्छा लगता है… नही भाईजान कोई अच्छा नही लगता लेकिन… करके बोलती बोलती चुप हो गई तो मैने कहा हाँ हाँ बोलो ना लेकिन क्या..?


तो उसने कहा जाने दो ना भाईजान ये सब आप क्यू पूछ रहे हो छोड़ो ना भाईजान आप भी.. करके खामोश होने लगी तो मैने कहा क्या तुम्हे मुझ पर विस्वास नही है क्या बोलो में किसी से नही कहूँगा.. इसके बारे मे सिर्फ़ अपनी दोस्ती से पूछ रहा हूँ अगर तुम्हे पसंद नही तो छोड़ दो.. करके नाराज होने का नाटक कर के उधर मुह करके बैठ गया तो उसने फिर से कहा नही भाईजान आप नाराज़ ना हो में बोलती हूँ… मुझे बहुत सारे लड़के घूर के देखते हे तो अच्छा लगता है… लड़के तुम्हे कहा पर घूर के देखते है फलक… उसने यह बात सुनकर शरमाते हुए धीमे स्वर मे कहा मेरी छाती पर… तो मैने कहा क्या तुम्हे अच्छा लगता है जब लड़के तुम्हारी छाती पर घूरने लगते है… उसका चेहरा यह बात सुनकर शर्म से लाल हो गया. और बोली हाँ भाईजान में जब कॉलेज मे जाती हूँ तो सब लड़के मेरी छाती को ऐसे घूरते है जैसे मेरी छाती से  खलेंगे… यहा तक की मेरे टीचर भी मुझे एसी निगाहो से देखते है… मुझे उस वक्त ऐसा लगता है जैसे मेरी छाती मे कोई तीर से वार कर रहा है और मेरे सारे बदन मे ऐसा लगता हे जैसे कोई आग लगी हो… मेरा सारा बदन कापने लगता है. और मुझे ये सब अच्छा लगता है मुझे समज़ मे नही आता की मुझे पहले ऐसा नई नही लगता था आजकल ऐसा क्यू लगता है लेकिन एक बात कह सकती हूँ जो कुछ भी मुझे हो रहा है मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.


ये बात मेरी सहेलियो से पूछी तो उन्होने कहा इस उम्र मे ये सब होता है इसका एक ही इलाज है की तुम किसी को बॉयफ्रेंड बना कर उसके साथ खूब एंजाय करो जैसे हम सब करते है… तो मैने कहा यह तो तुम्हारी सहेलियो ने अच्छी बात बताई है तुम कोई बॉयफ्रेंड को बनाकर उसके साथ एंजाय क्यू नही करती.. तो उसने चोक कर कहा भाईजान आप भी मुझे ये ही कह रहे है जोकि मेरी सहेलियो ने कहा… इससे हमारे खानदान की इज़्जत मिट्टी मे मिल जाएगी किसी को पता चल गया तो अम्मी और अब्बू का सिर शर्म और बदनामी से झुक जाएगा… करके अपना डर जताया. तो मैने कहा तुम एक बात मुझे सच सच बताओ क्या तुम किसी लड़के के सात एंजाय करना चाहती हो या नही… भाईजान करना तो चाहती हूँ मगर… तो मैने कहा अगर मगर कुछ नही बोलो इसके लिए मेरी पास एक उपाय है अगर तुम्हे पसंद होतो में तुम्हे बता सकता हूँ… जिससे हमारे खानदान की इज़्ज़त भी ना जाए और किसी को पता भी ना चले और तुम्हारी क्वाहिश भी पूरी हो ज़ाये… तो वो इंटरेस्टिंग स्वर मे बोलने लगी क्या भाईजान ऐसा भी कोई रास्ता हे सच मे जल्दी बोलिए ना भाईजान… क्या है.. बोलो ना… तो में कहने लगा के तुम्हे एक ऐसा लड़का चाहिए जो तुम्हारे घर मे आने जाने से और तुम्हारे साथ घूमने से कोई कुछ भी बुरा ना समझे और किसी को शक तख ना हो.. ऐसे लड़के के साथ तुम एंजाय कर सकती हो…


तो वो पूछने लगी लेकिन ऐसा लड़का है कहा तो मेंने कहा और कहा तुम्हारे सामने तो है वो लड़का… इस बात को सुनते ही वो चोक गई और कहने लगी भाईजान आप तो मेरे सगे भाई हो ये सब मेरे से करने की नही बल्कि सोचना तक भी पाप है… तो में कहने लगा देखो हम भाई बहन से पहले तुम एक लड़की हो और में एक लड़का जो एक दूसरे की इच्छा को पूरा कर सकते है. और कोई प्रॉब्लम्स भी नही आएगी क्युकी हम दोनों पर कोई शक भी नही करेगा.. और बाहर के लड़को से सेक्स करने मे कोई बीमारी भी हो सकती है आजकल चारों तरफ एड्स फैला हुआ है… और बाहर के लड़के तुम्हे ब्लेकमैल भी करके अपने दोस्तों के सात तुम्हे सेक्स करने पर मजबूर कर सकते है. जब घर मे खाना हो तो होटल जाने का क्या मतलब हुआ तोड़ा सोच के तो देखो में सही कहा रहा हूँ या झूट… मेरी यह सब बाते कहने से फलक कुछ देर खामोश रही और सोचने लगी तो में समझ गया की अब यही मोखा है अपनी सालोँ की इच्छा पूरा करने का जब तक मोका हाथ से जाए मैने उसके कमर पर अपने हाथ डाल के मसलने लगा।


तो वो एकदम से कापने लगी आँख बंद करने लगी और कुछ ऐतराज नही किया. तो मेरी हिम्मत और बडने लगी और मैने उसे मेरी बाहो मे लेने लगा और उसकी रसबरे पिंक होंठो पर अपनी होंठो से चुम्मा देकर उसके होंठो को चूसने लगा. तो उसका चेहरा शर्म से लाल होने लगा उसके साँसे तेज होने लगी और उसका बदन कापने लगा. उसके सारे बदन से सेक्स का बुखार चड़ने लगा. और मेरे शरीर मेभी 240वोल्ट्स का करंट धोड़ने लगा. ऐसा सोच के की में अपने सग़ी बहन का बदन को चूम रहा हूँ. उसे अपनी बाहो मे लेकर बेड पर ले गया और सुला के उसकी कमीज़ को उतारने लगा. मेरे हाथ काप रहे थे जो थोड़ी देर मे अपनी 17साल की सग़ी छोटी बहन की चुचियाँ देखने और चूमने जा रहा हूँ जो के मेरे लिए कल तक ये एक कभी ना पूरा होने वाला सपना था जो आज हक़ीकत मे बदलने वाला था।

वो चूची जो आज तक किसी और ने छुए थे. कसे हुवे चुचि थे. तो मैने फलक का कमीज़ ऊपर तक उठाके उसे खोल दिया तो में देखकर चोंक गया की अंदर ब्लॅक कलर का ब्रा पहनी हुए थी जिसमे से उसकी चुचियाँ दिख रहे थे. मुझे ऐसा लगने लगा अगर में जल्द उसका ब्रा नही खोल के उन्हे आज़ाद नही किया तो चूची ब्रा को तोड़कर बाहर आजाएँगे. तो मैने फ़ौरन ब्रेक हुक्स खोल दिया और उन्हे क़ैद से आज़ाद किया. जब मैने चुचियो को अपने हाथो से टच किया तो वो बहुत गर्म थे. 36 साइज के भरे भरे चुचिया मोटे मोटे थे. उसके चुचि के उपर पिंक कलर मे अंगूर के दाना बराबर का था जिसे देख के मेरा मन उन्हे मेरे मुह मे लेकर चूसने को कर रहा था. में फ़ौरन उन्हे मेरे मुह मे लेकर चूसने लगा तो फलक के मुह से धीमी आवाज़ मे सिसकारी निकलने लगी.. सस्स…आहह.. भाइईइ…जान… धीरे करो…

में इस तरह 10 मिनिट तक उसकी चुचियो को चूसने लगा और धीरे धीरे अपना दाया हाथ उसके पेट पर उसके बाल तक लेकर गया और उसके बालो को सहलाने लगा. वो एकदम गर्म होने लगी और जोर से सिसकियाँ लेने लगी. मैने अपना हाथ और तोड़ा नीचे ले गया और उसकी सलवार मे से उसकी चूत तक लेकर गया तो में चोंक गया उसकी चूत तो गर्म खड़ाई की तरह जल रही थी और मेरे हाथ को टकराने लगी. में उसकी चूत को सहलाने लगा तो उसकी सिसकियाँ और ज्यादा हो गयी. बोलने लगी की भाईजान…. आह या अल्ला… कुछ कीजिए नही तो में मर जाउंगी…. आहहा…उई… माँ….. चूत मेसे चिकना लावा मेरे हाथ को महसूस होने लगा.  मेने उसके सलवार का नाडा खोल डाला और उसने अपनी कमर को तोडा उपर उठा दिया ताकि में आसानी से उसका सलवार उतार सकूँ।


मैने सलवार उतार दिया तो उसने सफ़ेद कलर की पेंटी पहने हुए थी. मेरा लंड उसके नंगी जांघो को देखकर एकदम खड़ा हो गया. मैने अपनी कमसिन बहन की जांघो पर अपनी जीभ से भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगा. और उसकी पेंटी गीली हो चुकि थी. मैने उसकी पेंटी उतार दी. और उसकी नंगी चूत को देखकर मेरे होश तो उड़ गये. मुझे अभी भी यकीन नही हो रहा था की में अपनी सग़ी बहन का नंगा जिस्म और उसकी नंगी चूत देख रहा हूँ. मैने जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया. मेरी बहन की निगाहे मेरी लंड पर पड़ी और वो डर गई और कहने लगी की भाईजान ये आपका औज़ार मेरी चूत मे जाएगा तो मेरी नन्ही चूत तो फट जाएगी… मुझे छोड़ दो भाईजान… करके बोलने लगी तो मैने कहा मेरी प्यारी बहना तुमने मेरे लंड को तो देख लिया लेकिन अपनी चूत के बारे मे तुम्हे नही मालूम है… यह दिखने मे छोटी है लेकिन मेरे लंड से भी बड़ा लंड भी अगर होतो उसको भी ये खा लेगी… यही कुदरत का नियम है…


लेकिन हाँ पहली बार तुम्हे इसे लेने मे तोड़ा दर्द ज़रूर होगा बाद मे मज़ा आएगा करके मैने उसे तसल्ली दिया. उसके चूत के करीब गया और उसकी चूत को घोर से देखने लगा. उसकी चूत पिंक कलर मे थी. चूत पर छोटे छोटे बाल उगे हुवे थे. उसका नंगा बदन ऐसा लगता जैसे संगमरमर से तराशा हुआ कोई मूर्ती हो. में उसकी चूत को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दिया. उसकी चूत गीली हो रही थी. थोड़ी देर बाद उसकी चूत मे से एक गर्म लावा जैसा सफेद चीकना रस निकला. मेने उसे पी लिया जिसका स्वाद तोडा नमकीन था. और मेरी बहन बोलने लगी की भाईजान में अब नही रह सकती खुदा के लिय अपना औजार मेरी इस गर्म चूत मे डाल दो… में समज गया की अब लोहा गर्म है यही मौखा है मेरी बहन को चोदने का. में उसके रूम से उसका बॉडी लोशन का डिब्बा ले आया और मेरे लंड पर लोशन लगाया और उसकी चूत पर भी तोड़ा लोशन लगाया उसके कमर के नीचे एक तकिया रख दिया ताकि उसकी चूत तोड़ा उपर उठ जाए और मुझे उसे चोदने मे आसानी हो. और मेरा लंड का सूपड़ा उसकी गर्म चूत के होल पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उसकी गर्म और मासूम चूत के पतले होंठो को चीरते हुवे अंदर चला गया. उसके मूह से जोरदार चीख निकल गई .या..अल्ला..अहह..मुझे बचा ले…अहहाआहह…उई..आई… में मर गई भाईजान…. में थोड़ी देर रुक गया और उसकी चूची चूसता रहा तो वो थोड़ी ही देर मे फिर से गर्म होने लगी।


तो मैने मौखा पाकर फिर अपना आधा लंड उसकी मासूम चूत मे घुसेड डाला और आगे पीछे हिलाने लगा. थोड़ी देर के बाद वो मज़े लेने लगी और में खूब चोदने लगा उसे. 15मिनट के बाद में फ्री हो गया. उसकी चूत मे अपना लंड का रस छोड़ दिया. इस तरह मैने उसे करीबन 4 बार चोदा उस दिन मेरी कमसिन बहन को. और में कहने लगा मुबारक हो आज तुम एक लड़कि से औरत बन गई हो. मेरी बहन ने मेरे माँथे पर एक प्यार भरा चुम्मा दिया. और खुशी से आँसू निकल आए और कहने लगी मुझे आपने आज वो खुशी दी हे भाईजान जो मैने आजतक ना सुनी हे ना महसूस किया है… 




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Saturday, 19 October 2013

बुर में कीड़े रेंग रहे हैं

यह कहानी एक गांव की है, जिस गांव के लोग किसी जमाने में अपने बेटे बेटियों को खेलने कूदने का वक्त नहीं देते थे, पर उस गांव के लड़के-लड़कियाँ आज खेल-खा रहे हैं, हर लड़का फोन लेकर किसी न किसी लड़की से बात करता रहता है, लड़कियों की बुर हमेशा खुजलाती रहती है, लड़के तो क्या हर बूढ़े-जवान इससे तंग आ चुके हैं।

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सोहन कहता : अरे देख, दीवान साहब की लड़की बुर खुजला रही है !

सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता !

यह बिमारी लड़कियों क्या गांव की महिलाओं को भी लग चुकी थी, जहाँ देखो फोन पर बतियाती रहती, और बुर को मसलती रहती।

एक बार सोहन ने गांव की महिला शीला को बुर मसलते देख लिया, बस वह जाकर उसे इशारा करने लगा, लण्ड पर हाथ फेरने का इशारा पाकर पहले तो वह बौखलाई, फिर बोली : देख, मैं श्यामू से बात दूंगी !

श्यामू उसका यार था जिससे वह फोन पर बात करती थी।

सोहन ने कहा : देखो, अगर बताना है तो बता दो ,लेकिन इससे भी अच्छा यह होगा कि बात तो तुम फोन पर करो उससे, लेकिन चुदवाओ मुझसे ! वैसे भी अकेले बुर मसलती हो, मुझसे मसलवा लो क्या फर्क पड़ेगा।

आखिर शीला मान गई, रात को वो छत पर फोन लगा कर बतियाती और श्यामू मजा लेता ! पर असली मजा तो सोहन ही लेता था।

श्यामू : और जानेमन, क्या कर रही हो?

शीला : बुर में कीड़े रेंग रहे हैं।

श्यामू : लाओ, मैं खुजा दूँ।

शीला : क्या फोन में उंगली डालोगे?

सोहन : नहीं बुर में डालूँगा।

सोहन खड़े-खड़े शीला को सीने से चिपका लेता है और शीला की गांड के नीचे से बुर को खुजाने लगता है।

शीला : खुजाओगे बस, डालोगे नहीं?

श्यामू : बस यह समझ लो कि उंगली तुम्हारी बुर में गई !

सोहन श्यामू की बात सुनते ही अपनी उंगली शीला की बुर में डाल देता है।

शीला : धीरे, तुम्हारी उंगली तो बहुत मोटी है।

श्यामू : मेरी उंगली तो बहुत पतली है।

शीला : तो क्या हुआ मुझे तो बहुत जोर से लग रही है ना !

श्यामू : अच्छा अपने कपड़े उतारो !

शीला : अभी नहीं !

सोहन अपने हाथ में फोन लेकर काट देता है और कहता है : अभी नहीं तो कभी नहीं !

सोहन शीला के ब्लाऊज को खींच कर खोल देता है और चुच्चों को मस्ती से दबाने लगता है, चूचे बड़े और भारी होने के कारण कभी ऊपर उठते तो कभी नीचे गिर जाते।

शीला सोहन के बाँहों में झूल गई, फोन का मजा अब असली में आने लगा था।

वो अपने चूतड़ों को रगड़ने लगी फिर सोहन ने शीला के लहंगे को खींचा और उतार दिया। शीला चड्डी में थी कि तभी फोन आ गया, शीला फोन उठाने गई तो सोहन ने अपने एक उंगली चड्डी में फंसा कर चड्डी खींच ली, शीला नंगी हो गई।

शीला बोली : मुझे शर्म आ रही है, कम से कम फोन तो उठा लेने दो !

सोहन शीला आंटी को बाहों में उठा कर कहता है : लाओ मैं तुम्हें ले चलता हूँ, लेकिन एक शर्त पर, तुम्हें मेरे लंड पर बैठना होगा !

शीला मान गई, सोहन कुर्सी पर बैठा और अपने लंड का सुपारा बाहर निकाल लिया।

शीला अपनी दोनों टांगों को खोल कर, सोहन की तरफ मुँह करके कुर्सी पर बैठने लगी तो सोहन ने कहा : एक काम करो, सुपारा अपनी बुर में फंसा लो !

शीला क्या करती, सुपारा अपनी बुर में फंसा लिया।

शीला को हल्का दर्द महसूस हुआ तो सोहन ने अपने ओंठों से शीला के ओंठ जकड़ लिए।

शीला अपनी बुर में गर्म गर्म डण्डा महसूस कर रही थी।

शीला बोली : अब चलो, मैं फोन उठा लूँ !

सोहन ने शीला को उठाया तो इस चक्कर में लंड बुर से आधा निकल कर फिर से घुस गया, अब सोहन अपने कदम बढ़ाता तो शीला की बुर की चुदाई होती !

शीला फोन तक पहुँचते ही मस्त हो चुकी थी, शीला सोहन के ओंठों को चूसते हुए बोली : एक बार मेरी बुर को चोद दो, फिर मैं बाद में फोन उठाऊँगी।

सोहन खुश हो गया, अब वो शीला को बेडरूम में ले गया और शीला को बोला : तू तो मस्त रंडी लगती है।

शीला बोली : तू भी तो रंडा है, इतना बड़ा लुंड घुसाया मेरी बुर में, अभी तक चिल्ला रही है !

सोहन प्यार से पुचकारते हुए : शीला, वो तो मैं तेरी खुजली मिटा रहा था।

शीला बोली : एक काम कर, फिर से डाल और जम कर खुजली मिटा !

सोहन शीला की बुर में लंड को घुसेड़ कर जो भका-भक अंदर बाहर करता रहा।

शीला बोली : आह आ आह तेरा बांस तो बहुत गर्म है मेरी तो बुर को मलाई की तरह मथ रहा है।

सोहन शीला की गांड को दबाते हुए : मजा तो तेरी गांड भी ले रही है !

शीला ने सोहन को झरते हुए बाँहों में दबा लिया।

सोहन बोला : मेरा लंड तो झरा ही नहीं?

शीला : तो फिर मेरी बुर तो गीली हो गई है।

सोहन : कोई बात नहीं मैं मार लूँगा !

अब शीला की बुर फच-फच करने लगी, सोहन झरा तो पानी बाहर आने लगा, शीला मस्त हो गई।


सोहन ने इधर श्यामू को फोन लगा दिया, श्यामू शीला को फिर से गर्म करने लगा इस तरह सोहन ने गरम तवे पर रोटी सेंकी।

मेरी चुदने की इच्छा

हम तीन, हम दो और हमारा एक बेटा ढाई साल का, भोपाल में रहते हैं। इसी घर में मेरे जेठ जी का परिवार हम से ऊपर वाली मंज़िल पर रहता है। उससे ऊपर की मंजिल पर घरेलू नौकर का कमरा है। जेठ जी का बड़ा बेटा हरीश उन्नीस साल का है, उसने इस बार बी बी ए के दूसरे साल की परीक्षा दी है।

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जब जब भी मेरे पति टूअर पर जाते रहते थे तो हरीश मेरा बहुत ख्याल रखने लगा था, किसी भी काम को दौड़कर करने को तैयार रहता था और इसी कोशिश में रहता था कि वो मेरे आस पास ही रहे। मुझे भी उसकी कम्पनी में मज़ा आता था।

इसी साल की सर्दियों में दिसंबर 2012 में एक बार शाम के समय वो मेरे पास मेरे बेडरूम में आया, उस समय नौ बजे होंगे, मैं कोई सीरियल देख रही थी अपनी रजाई या लिहाफ जो भी आप उसे कहते हो, में घुस कर बैठी हुई।

मैंने हरीश से कहा- बहुत ठण्ड है, तुम भी रजाई में आ जाओ, कम से कम अपने पैर तो अन्दर कर लो।

पता नहीं क्यूँ वो थोड़ी दूरी बनाये रखता था, इसलिए शर्माते हुए बोला- मैं ठीक हूँ।

फिर भी मेरे कहने पर वो मेरे बगल में नहीं बैठ कर पैरों की तरफ बैठ गया और मेरी जेठानी जी ने जो मैसेज दिया था, उसे बता कर जाने की बात बोलने लगा।

मैंने उसे थोड़ा रुकने को कहा क्यूँकि आज मैं उसे कोरा कोरा जाने देने के मूड में नहीं थी। मेरा मन इस लड़के को फ़ंसाने को तो बहुत दिनों से मचल रहा था पर आज जैसा मोका भी नहीं मिला और कुछ करने से डरती भी रही। इसको फंसाने का सीधा सा और जरुरी सा कारण यह था कि यह लड़का पूरी तरह जवान और खूबसूरत तो था ही, घर के घर में ही उपलब्ध भी था, किसी भी समय और इस पर किसी को कोई शक भी नहीं होता। उससे चुदाई के प्रोग्राम की बात करते रहना भी आसान था।

मेरे दिमाग में ये सारी चीज़े एक साथ घूम रही थी। उस दिन चुदाई के लिए भी मैं बहुत उतावली थी। वो नहीं आता तो मैं किसी और तरह अपनी आग शांत करती पर भाग्य से वही आ गया जिसके लंड की कल्पना ही मैं करती रहती थी कि फुल साइज़ का हो गया होगा या नहीं।

मुझसे रहा नहीं गया, मेरा मुझ पर ही जैसे काबू ही नहीं रह गया था, मैंने रजाई के अन्दर से ही अपना पैर लम्बा करके उसकी टांगों के बीच में रखा और अंगूठे से उसका लंड ज़िप के ऊपर से ही टटोलने लगी। मेरा पैर लगते ही उसका लण्ड तनने लगा और एक मिनट में ही वो पैंट फाड़ने को तैयार था। हरीश पहले तो थोड़ा असहज सा हुआ फिर सब समझ गया और उसने अपनी ज़िप खोल दी।लंड आज़ाद होकर मेरे पैर को गर्मी दे रहा था। बच्चा तो सो गया था, हरीश फटाफट मेरे बाजू में आकर बोला- चाची, तूने आज बहुत उपकार किया, मैं तो कबसे तुझको चोदने की सोचता रहता था।

वो बोला- चाची, अब देर न कर, आज ही शुरुआत करूँगा। मेरी तो यह सुहागरात ही समझो, मेरी पहली चुदाई है, चाची तुम ही गाइड करो।

मैं तो खुद ही चुदने को मरी जा रही थी, मैंने कहा- तू तो आज मज़ा ले बस।

हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतारे और मैंने आज पहली बार उसका लंड देखा था, यह तो मेरे पति के लंड से थोड़ा पतला तो था पर लम्बा बहुत था और मेरे लिए तो जैसे उम्मीद से बड़ी कोई चीज़ मिल गई हो। मैंने उसके लण्ड को ऐसा पकड़ा जैसे अभी खा जाऊँगी, मुँह में भर कर चूसने लगी और हरीश का मुँह अपनी चूत के दाने को चूसने पर लगा दिया।

व्व्वाआह्ह ! क्या आनन्द आ रहा था ! मैं सिसकारी भर रही थी और हरीश का तो हांफ-हांफ कर बुरा हाल थ। पर वो बहुत एन्जॉय कर था।

अब मैंने उसे मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ने का निमंत्रण अपनी टाँगें चौड़ी करके चूत को थोड़ा ऊपर उभारते हुए दिया। वो इस निमंत्रण को तत्काल समझ गया और उसने फटाफट मेरी टांगों को फैलाकर ऊपर उठाते हुए अपने लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का दिया। उसका लंड पहली बार में ही आधा तक घुस गया।

यह उसका पहला ही अनुभव था, वो बहुत अधिक उत्तेजित होकर लंड को चूत में पेलने के लिए बेताब था और उसका लंड भी अब उसके काबू में नहीं था इसलिए बिना रुके उसने लगातार जोर जोर के धक्के मरना शुरु कर दिया। उसका लंड मेरी चूत में ऐसा ऊपर नीचे कूद रहा था जैसे कोई गाड़ी का पिस्टन चल रहा हो।

वाह ! मैं तो नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर उसके ही रंग में मिल कर चूत को उसकी चाहत की गिफ्ट दिलवा रही थी। मैं भी और हरीश भी जोर जोर से चुदाई की रफ़्तार के साथ ही खूब मोनिंग यानी आअह्ह ऊउह्ह कर रहे थे।

घर में तो कोई था ही नहीं इसलिए खुलकर जी भर कर आवाज़ें और किलकारियाँ मार रहे थे। इसी मुद्रा में चुदाई करते करते हरीश भी और मैं भी लगभग एक साथ ही झड़े तो वो नज़ारा तो देखने लायक था और हमेशा याद भी रहेगा।

हरीश तो ऐसा काम्पने लगा आनन्द के मारे कि जैसे कोई जंग जीती हो।

मैंने भी अपने जीवन में जितनी भी चुदाई करवाई हो और वे एक से बढ़ कर एक नई मुद्रा की हो, पर यह सादी सी चुदाई फिर भी कभी भूल नहीं पाऊँगी।


अब हरीश का रास्ता खुल गया है, जब भी उसका मन होता है या मेरी चुदने की इच्छा होती है तो वो तत्काल आकर मेरी चूत की और अपने लंड की प्यास बुझा देता है। हम अब रोज़ नए नए प्रयोग भी करते रहते हैं, जब भी मेरा आदमी टूर पर जाता है तो उनका यह भतीजा अपनी चाची की भरपूर चुदाई करके मज़ा देता है।