Friday, 20 December 2013

घर जेसा मज़ा और कहाँ

Ghar Jaisa Maja Aur Kahan

   
हेल्लो दोस्तों.. मेरा नाम शाहिद ख़ान है. में हेदराबाद का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 22साल है. मेरी यह पहली स्टोरी है. में एक पठान खानदान से हूँ. मेरी हाईट 5.10 है. आप लोग तो जानते ही है की पठान कितने गोरे होते है. उसी तरह में भी बिल्कुल गोरा रंग का हूँ और स्मार्ट लड़का हूँ. मेरी कॉलेज मे मेरी पर्सनॅलिटी देखकर नज़ाने कितनी लड़कियाँ मुझे प्रपोज़ कर चुकी है. मेरा लंड 8’’इंच लंबा और 3’’ इंच मोटा है. उसका टोपा टमाटर की तरह लाल और सेक्सी है. जो भी मेरा लंड देखता है उसे मुह मे लेने की सोचता है।


चलो अब मेरी फॅमिली के बारे मे बताता हूँ. मेरे फेमेली मे तीन बहन, में, और मम्मी पापा है. पापा पुणे की एक प्राइवेट कंपनी मे इंजिनियर थे वो ज्यादातर काम के सिलसिले मे घर से बाहर ही रहते थे. मेरी माँ एक स्कूल की प्रिन्सिपल थी. वो सुबह 9 बजे को ऑफीस जाकर 5 बजे को घर आती थी. उनका नाम सईदा है. उनकी उम्र 48 साल है. मेरी बड़ी बहन जो कि 24 साल है. उनका नाम महजबीन है. उनका फिगर 38 30 39 है. उनकी शादी हुये 4साल हुये थे. लेकिन अब तक उनको औलाद नही थी. उन्हे बच्चो से बहुत प्यार है. वो दिखने मे हिन्दी फिल्म की हेरोइन ममता कुलकर्णी की जैसे दिखती है. वो हमारे ही शहर मे अपने पति के साथ रहती थी. और मेरी दूसरी छोटी बहन का नाम है फलखनाज़ उसकी उम्र की थी. उसका फिगर 36 28 37 है. वो +1 पढ़ रही थी. जो रोज बुरखे मे कॉलेज जाती थी. और मेरी तीसरी बहन जिसका नाम महनाज़ है. वो भी लगभग उसी उम्र की है उसका फिगर 32 26 34 है. वो स्कूल मे 10th क्लास पढती है।


में घर मे सबसे ज़्यादा मेरी दूसरी बहन फलखनाज़ से क्लोज़ रहता हूँ. हम लोग स्टडी करते वक्त मिल के बैठ के पड़ाई करते थे. लेकिन मुझे क्या पता के ये पड़ाई हमे चुदाई तक लेकर जाएगी. चलो दोस्तों में तुम्हे अपनी बहन के फिगर और उसके सेक्सी बॉडी के बारे मे बताता हूँ. फलक की हाईट 5.7 है रंग एकदम गोरा. लंबे घने बाल जैसे काली घटा हो, आँखे जैसे हिरन की आँख जैसी लगती है. और उसका फिगर तो भारी चूची 36 कमर 28 कूल्हे 37 जो बहुत से है. फलक का फिगर देख के तो बूढ़े का लंड भी खड़े होकर उसे चोदने को तेयार हो जाये. गली के सारे लड़कों का उसे चोदने का सपना था।


जब वो घर मे चलती है तो उसके मोटे मोटे चूतड ऐसे हिलते थे की मर्द की जवानी को सवाल करते थे. मुझे लगता था की उसे पीछे से जाकर आगे की और झुकाकर कुत्ते की तरह उसका बुरखा कमर तक उठा कर उसकी गांड मे मेरा मोटा लंड डाल के चोद डालूं. एक दिन हम लोग मम्मी के ऑफीस जाने के बाद पड़ाई करने के लिए बैठ गये जब मेरी छोटी बहन भी चली गयी थी कोचिंग को. में और फलक ही घर मे रह गए. क्युकी मेरे और फलक के एग्जाम नजदीक होने की वजह से क्लास ठीक तरह से नही चल रही थी. इसलिए हम लोग अपने घर मे ही स्टडी करने लगे थे. हम दोनो एक दूसरे के बगल मे बैठ के पड़ाई करने लगे अचानक फलक का नर्म हाथ मेरी कमर पर टच होने लगा तो में डिस्टर्ब होने लगा और में गर्म होने लगा और उससे पूछने लगा के फलक मुझे एक बात सच सच बताओ तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या… उसने कहा क्यू भाईजान ऐसा क्यू पूछ रहे हो आप अचानक… तो मैने कहा कुछ नही ऐसे ही पूछ रहा हूँ… तो उसने कहा नही भाईजान मेरा मेरा भी बॉयफ्रेंड नही है… मैने कहा तुम्हे अपने कॉलेज मे कोई लड़का अच्छा लगता है… नही भाईजान कोई अच्छा नही लगता लेकिन… करके बोलती बोलती चुप हो गई तो मैने कहा हाँ हाँ बोलो ना लेकिन क्या..?


तो उसने कहा जाने दो ना भाईजान ये सब आप क्यू पूछ रहे हो छोड़ो ना भाईजान आप भी.. करके खामोश होने लगी तो मैने कहा क्या तुम्हे मुझ पर विस्वास नही है क्या बोलो में किसी से नही कहूँगा.. इसके बारे मे सिर्फ़ अपनी दोस्ती से पूछ रहा हूँ अगर तुम्हे पसंद नही तो छोड़ दो.. करके नाराज होने का नाटक कर के उधर मुह करके बैठ गया तो उसने फिर से कहा नही भाईजान आप नाराज़ ना हो में बोलती हूँ… मुझे बहुत सारे लड़के घूर के देखते हे तो अच्छा लगता है… लड़के तुम्हे कहा पर घूर के देखते है फलक… उसने यह बात सुनकर शरमाते हुए धीमे स्वर मे कहा मेरी छाती पर… तो मैने कहा क्या तुम्हे अच्छा लगता है जब लड़के तुम्हारी छाती पर घूरने लगते है… उसका चेहरा यह बात सुनकर शर्म से लाल हो गया. और बोली हाँ भाईजान में जब कॉलेज मे जाती हूँ तो सब लड़के मेरी छाती को ऐसे घूरते है जैसे मेरी छाती से  खलेंगे… यहा तक की मेरे टीचर भी मुझे एसी निगाहो से देखते है… मुझे उस वक्त ऐसा लगता है जैसे मेरी छाती मे कोई तीर से वार कर रहा है और मेरे सारे बदन मे ऐसा लगता हे जैसे कोई आग लगी हो… मेरा सारा बदन कापने लगता है. और मुझे ये सब अच्छा लगता है मुझे समज़ मे नही आता की मुझे पहले ऐसा नई नही लगता था आजकल ऐसा क्यू लगता है लेकिन एक बात कह सकती हूँ जो कुछ भी मुझे हो रहा है मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.


ये बात मेरी सहेलियो से पूछी तो उन्होने कहा इस उम्र मे ये सब होता है इसका एक ही इलाज है की तुम किसी को बॉयफ्रेंड बना कर उसके साथ खूब एंजाय करो जैसे हम सब करते है… तो मैने कहा यह तो तुम्हारी सहेलियो ने अच्छी बात बताई है तुम कोई बॉयफ्रेंड को बनाकर उसके साथ एंजाय क्यू नही करती.. तो उसने चोक कर कहा भाईजान आप भी मुझे ये ही कह रहे है जोकि मेरी सहेलियो ने कहा… इससे हमारे खानदान की इज़्जत मिट्टी मे मिल जाएगी किसी को पता चल गया तो अम्मी और अब्बू का सिर शर्म और बदनामी से झुक जाएगा… करके अपना डर जताया. तो मैने कहा तुम एक बात मुझे सच सच बताओ क्या तुम किसी लड़के के सात एंजाय करना चाहती हो या नही… भाईजान करना तो चाहती हूँ मगर… तो मैने कहा अगर मगर कुछ नही बोलो इसके लिए मेरी पास एक उपाय है अगर तुम्हे पसंद होतो में तुम्हे बता सकता हूँ… जिससे हमारे खानदान की इज़्ज़त भी ना जाए और किसी को पता भी ना चले और तुम्हारी क्वाहिश भी पूरी हो ज़ाये… तो वो इंटरेस्टिंग स्वर मे बोलने लगी क्या भाईजान ऐसा भी कोई रास्ता हे सच मे जल्दी बोलिए ना भाईजान… क्या है.. बोलो ना… तो में कहने लगा के तुम्हे एक ऐसा लड़का चाहिए जो तुम्हारे घर मे आने जाने से और तुम्हारे साथ घूमने से कोई कुछ भी बुरा ना समझे और किसी को शक तख ना हो.. ऐसे लड़के के साथ तुम एंजाय कर सकती हो…


तो वो पूछने लगी लेकिन ऐसा लड़का है कहा तो मेंने कहा और कहा तुम्हारे सामने तो है वो लड़का… इस बात को सुनते ही वो चोक गई और कहने लगी भाईजान आप तो मेरे सगे भाई हो ये सब मेरे से करने की नही बल्कि सोचना तक भी पाप है… तो में कहने लगा देखो हम भाई बहन से पहले तुम एक लड़की हो और में एक लड़का जो एक दूसरे की इच्छा को पूरा कर सकते है. और कोई प्रॉब्लम्स भी नही आएगी क्युकी हम दोनों पर कोई शक भी नही करेगा.. और बाहर के लड़को से सेक्स करने मे कोई बीमारी भी हो सकती है आजकल चारों तरफ एड्स फैला हुआ है… और बाहर के लड़के तुम्हे ब्लेकमैल भी करके अपने दोस्तों के सात तुम्हे सेक्स करने पर मजबूर कर सकते है. जब घर मे खाना हो तो होटल जाने का क्या मतलब हुआ तोड़ा सोच के तो देखो में सही कहा रहा हूँ या झूट… मेरी यह सब बाते कहने से फलक कुछ देर खामोश रही और सोचने लगी तो में समझ गया की अब यही मोखा है अपनी सालोँ की इच्छा पूरा करने का जब तक मोका हाथ से जाए मैने उसके कमर पर अपने हाथ डाल के मसलने लगा।


तो वो एकदम से कापने लगी आँख बंद करने लगी और कुछ ऐतराज नही किया. तो मेरी हिम्मत और बडने लगी और मैने उसे मेरी बाहो मे लेने लगा और उसकी रसबरे पिंक होंठो पर अपनी होंठो से चुम्मा देकर उसके होंठो को चूसने लगा. तो उसका चेहरा शर्म से लाल होने लगा उसके साँसे तेज होने लगी और उसका बदन कापने लगा. उसके सारे बदन से सेक्स का बुखार चड़ने लगा. और मेरे शरीर मेभी 240वोल्ट्स का करंट धोड़ने लगा. ऐसा सोच के की में अपने सग़ी बहन का बदन को चूम रहा हूँ. उसे अपनी बाहो मे लेकर बेड पर ले गया और सुला के उसकी कमीज़ को उतारने लगा. मेरे हाथ काप रहे थे जो थोड़ी देर मे अपनी 17साल की सग़ी छोटी बहन की चुचियाँ देखने और चूमने जा रहा हूँ जो के मेरे लिए कल तक ये एक कभी ना पूरा होने वाला सपना था जो आज हक़ीकत मे बदलने वाला था।

वो चूची जो आज तक किसी और ने छुए थे. कसे हुवे चुचि थे. तो मैने फलक का कमीज़ ऊपर तक उठाके उसे खोल दिया तो में देखकर चोंक गया की अंदर ब्लॅक कलर का ब्रा पहनी हुए थी जिसमे से उसकी चुचियाँ दिख रहे थे. मुझे ऐसा लगने लगा अगर में जल्द उसका ब्रा नही खोल के उन्हे आज़ाद नही किया तो चूची ब्रा को तोड़कर बाहर आजाएँगे. तो मैने फ़ौरन ब्रेक हुक्स खोल दिया और उन्हे क़ैद से आज़ाद किया. जब मैने चुचियो को अपने हाथो से टच किया तो वो बहुत गर्म थे. 36 साइज के भरे भरे चुचिया मोटे मोटे थे. उसके चुचि के उपर पिंक कलर मे अंगूर के दाना बराबर का था जिसे देख के मेरा मन उन्हे मेरे मुह मे लेकर चूसने को कर रहा था. में फ़ौरन उन्हे मेरे मुह मे लेकर चूसने लगा तो फलक के मुह से धीमी आवाज़ मे सिसकारी निकलने लगी.. सस्स…आहह.. भाइईइ…जान… धीरे करो…

में इस तरह 10 मिनिट तक उसकी चुचियो को चूसने लगा और धीरे धीरे अपना दाया हाथ उसके पेट पर उसके बाल तक लेकर गया और उसके बालो को सहलाने लगा. वो एकदम गर्म होने लगी और जोर से सिसकियाँ लेने लगी. मैने अपना हाथ और तोड़ा नीचे ले गया और उसकी सलवार मे से उसकी चूत तक लेकर गया तो में चोंक गया उसकी चूत तो गर्म खड़ाई की तरह जल रही थी और मेरे हाथ को टकराने लगी. में उसकी चूत को सहलाने लगा तो उसकी सिसकियाँ और ज्यादा हो गयी. बोलने लगी की भाईजान…. आह या अल्ला… कुछ कीजिए नही तो में मर जाउंगी…. आहहा…उई… माँ….. चूत मेसे चिकना लावा मेरे हाथ को महसूस होने लगा.  मेने उसके सलवार का नाडा खोल डाला और उसने अपनी कमर को तोडा उपर उठा दिया ताकि में आसानी से उसका सलवार उतार सकूँ।


मैने सलवार उतार दिया तो उसने सफ़ेद कलर की पेंटी पहने हुए थी. मेरा लंड उसके नंगी जांघो को देखकर एकदम खड़ा हो गया. मैने अपनी कमसिन बहन की जांघो पर अपनी जीभ से भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगा. और उसकी पेंटी गीली हो चुकि थी. मैने उसकी पेंटी उतार दी. और उसकी नंगी चूत को देखकर मेरे होश तो उड़ गये. मुझे अभी भी यकीन नही हो रहा था की में अपनी सग़ी बहन का नंगा जिस्म और उसकी नंगी चूत देख रहा हूँ. मैने जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया. मेरी बहन की निगाहे मेरी लंड पर पड़ी और वो डर गई और कहने लगी की भाईजान ये आपका औज़ार मेरी चूत मे जाएगा तो मेरी नन्ही चूत तो फट जाएगी… मुझे छोड़ दो भाईजान… करके बोलने लगी तो मैने कहा मेरी प्यारी बहना तुमने मेरे लंड को तो देख लिया लेकिन अपनी चूत के बारे मे तुम्हे नही मालूम है… यह दिखने मे छोटी है लेकिन मेरे लंड से भी बड़ा लंड भी अगर होतो उसको भी ये खा लेगी… यही कुदरत का नियम है…


लेकिन हाँ पहली बार तुम्हे इसे लेने मे तोड़ा दर्द ज़रूर होगा बाद मे मज़ा आएगा करके मैने उसे तसल्ली दिया. उसके चूत के करीब गया और उसकी चूत को घोर से देखने लगा. उसकी चूत पिंक कलर मे थी. चूत पर छोटे छोटे बाल उगे हुवे थे. उसका नंगा बदन ऐसा लगता जैसे संगमरमर से तराशा हुआ कोई मूर्ती हो. में उसकी चूत को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दिया. उसकी चूत गीली हो रही थी. थोड़ी देर बाद उसकी चूत मे से एक गर्म लावा जैसा सफेद चीकना रस निकला. मेने उसे पी लिया जिसका स्वाद तोडा नमकीन था. और मेरी बहन बोलने लगी की भाईजान में अब नही रह सकती खुदा के लिय अपना औजार मेरी इस गर्म चूत मे डाल दो… में समज गया की अब लोहा गर्म है यही मौखा है मेरी बहन को चोदने का. में उसके रूम से उसका बॉडी लोशन का डिब्बा ले आया और मेरे लंड पर लोशन लगाया और उसकी चूत पर भी तोड़ा लोशन लगाया उसके कमर के नीचे एक तकिया रख दिया ताकि उसकी चूत तोड़ा उपर उठ जाए और मुझे उसे चोदने मे आसानी हो. और मेरा लंड का सूपड़ा उसकी गर्म चूत के होल पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उसकी गर्म और मासूम चूत के पतले होंठो को चीरते हुवे अंदर चला गया. उसके मूह से जोरदार चीख निकल गई .या..अल्ला..अहह..मुझे बचा ले…अहहाआहह…उई..आई… में मर गई भाईजान…. में थोड़ी देर रुक गया और उसकी चूची चूसता रहा तो वो थोड़ी ही देर मे फिर से गर्म होने लगी।


तो मैने मौखा पाकर फिर अपना आधा लंड उसकी मासूम चूत मे घुसेड डाला और आगे पीछे हिलाने लगा. थोड़ी देर के बाद वो मज़े लेने लगी और में खूब चोदने लगा उसे. 15मिनट के बाद में फ्री हो गया. उसकी चूत मे अपना लंड का रस छोड़ दिया. इस तरह मैने उसे करीबन 4 बार चोदा उस दिन मेरी कमसिन बहन को. और में कहने लगा मुबारक हो आज तुम एक लड़कि से औरत बन गई हो. मेरी बहन ने मेरे माँथे पर एक प्यार भरा चुम्मा दिया. और खुशी से आँसू निकल आए और कहने लगी मुझे आपने आज वो खुशी दी हे भाईजान जो मैने आजतक ना सुनी हे ना महसूस किया है… 




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Saturday, 19 October 2013

बुर में कीड़े रेंग रहे हैं

यह कहानी एक गांव की है, जिस गांव के लोग किसी जमाने में अपने बेटे बेटियों को खेलने कूदने का वक्त नहीं देते थे, पर उस गांव के लड़के-लड़कियाँ आज खेल-खा रहे हैं, हर लड़का फोन लेकर किसी न किसी लड़की से बात करता रहता है, लड़कियों की बुर हमेशा खुजलाती रहती है, लड़के तो क्या हर बूढ़े-जवान इससे तंग आ चुके हैं।

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सोहन कहता : अरे देख, दीवान साहब की लड़की बुर खुजला रही है !

सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता !

यह बिमारी लड़कियों क्या गांव की महिलाओं को भी लग चुकी थी, जहाँ देखो फोन पर बतियाती रहती, और बुर को मसलती रहती।

एक बार सोहन ने गांव की महिला शीला को बुर मसलते देख लिया, बस वह जाकर उसे इशारा करने लगा, लण्ड पर हाथ फेरने का इशारा पाकर पहले तो वह बौखलाई, फिर बोली : देख, मैं श्यामू से बात दूंगी !

श्यामू उसका यार था जिससे वह फोन पर बात करती थी।

सोहन ने कहा : देखो, अगर बताना है तो बता दो ,लेकिन इससे भी अच्छा यह होगा कि बात तो तुम फोन पर करो उससे, लेकिन चुदवाओ मुझसे ! वैसे भी अकेले बुर मसलती हो, मुझसे मसलवा लो क्या फर्क पड़ेगा।

आखिर शीला मान गई, रात को वो छत पर फोन लगा कर बतियाती और श्यामू मजा लेता ! पर असली मजा तो सोहन ही लेता था।

श्यामू : और जानेमन, क्या कर रही हो?

शीला : बुर में कीड़े रेंग रहे हैं।

श्यामू : लाओ, मैं खुजा दूँ।

शीला : क्या फोन में उंगली डालोगे?

सोहन : नहीं बुर में डालूँगा।

सोहन खड़े-खड़े शीला को सीने से चिपका लेता है और शीला की गांड के नीचे से बुर को खुजाने लगता है।

शीला : खुजाओगे बस, डालोगे नहीं?

श्यामू : बस यह समझ लो कि उंगली तुम्हारी बुर में गई !

सोहन श्यामू की बात सुनते ही अपनी उंगली शीला की बुर में डाल देता है।

शीला : धीरे, तुम्हारी उंगली तो बहुत मोटी है।

श्यामू : मेरी उंगली तो बहुत पतली है।

शीला : तो क्या हुआ मुझे तो बहुत जोर से लग रही है ना !

श्यामू : अच्छा अपने कपड़े उतारो !

शीला : अभी नहीं !

सोहन अपने हाथ में फोन लेकर काट देता है और कहता है : अभी नहीं तो कभी नहीं !

सोहन शीला के ब्लाऊज को खींच कर खोल देता है और चुच्चों को मस्ती से दबाने लगता है, चूचे बड़े और भारी होने के कारण कभी ऊपर उठते तो कभी नीचे गिर जाते।

शीला सोहन के बाँहों में झूल गई, फोन का मजा अब असली में आने लगा था।

वो अपने चूतड़ों को रगड़ने लगी फिर सोहन ने शीला के लहंगे को खींचा और उतार दिया। शीला चड्डी में थी कि तभी फोन आ गया, शीला फोन उठाने गई तो सोहन ने अपने एक उंगली चड्डी में फंसा कर चड्डी खींच ली, शीला नंगी हो गई।

शीला बोली : मुझे शर्म आ रही है, कम से कम फोन तो उठा लेने दो !

सोहन शीला आंटी को बाहों में उठा कर कहता है : लाओ मैं तुम्हें ले चलता हूँ, लेकिन एक शर्त पर, तुम्हें मेरे लंड पर बैठना होगा !

शीला मान गई, सोहन कुर्सी पर बैठा और अपने लंड का सुपारा बाहर निकाल लिया।

शीला अपनी दोनों टांगों को खोल कर, सोहन की तरफ मुँह करके कुर्सी पर बैठने लगी तो सोहन ने कहा : एक काम करो, सुपारा अपनी बुर में फंसा लो !

शीला क्या करती, सुपारा अपनी बुर में फंसा लिया।

शीला को हल्का दर्द महसूस हुआ तो सोहन ने अपने ओंठों से शीला के ओंठ जकड़ लिए।

शीला अपनी बुर में गर्म गर्म डण्डा महसूस कर रही थी।

शीला बोली : अब चलो, मैं फोन उठा लूँ !

सोहन ने शीला को उठाया तो इस चक्कर में लंड बुर से आधा निकल कर फिर से घुस गया, अब सोहन अपने कदम बढ़ाता तो शीला की बुर की चुदाई होती !

शीला फोन तक पहुँचते ही मस्त हो चुकी थी, शीला सोहन के ओंठों को चूसते हुए बोली : एक बार मेरी बुर को चोद दो, फिर मैं बाद में फोन उठाऊँगी।

सोहन खुश हो गया, अब वो शीला को बेडरूम में ले गया और शीला को बोला : तू तो मस्त रंडी लगती है।

शीला बोली : तू भी तो रंडा है, इतना बड़ा लुंड घुसाया मेरी बुर में, अभी तक चिल्ला रही है !

सोहन प्यार से पुचकारते हुए : शीला, वो तो मैं तेरी खुजली मिटा रहा था।

शीला बोली : एक काम कर, फिर से डाल और जम कर खुजली मिटा !

सोहन शीला की बुर में लंड को घुसेड़ कर जो भका-भक अंदर बाहर करता रहा।

शीला बोली : आह आ आह तेरा बांस तो बहुत गर्म है मेरी तो बुर को मलाई की तरह मथ रहा है।

सोहन शीला की गांड को दबाते हुए : मजा तो तेरी गांड भी ले रही है !

शीला ने सोहन को झरते हुए बाँहों में दबा लिया।

सोहन बोला : मेरा लंड तो झरा ही नहीं?

शीला : तो फिर मेरी बुर तो गीली हो गई है।

सोहन : कोई बात नहीं मैं मार लूँगा !

अब शीला की बुर फच-फच करने लगी, सोहन झरा तो पानी बाहर आने लगा, शीला मस्त हो गई।


सोहन ने इधर श्यामू को फोन लगा दिया, श्यामू शीला को फिर से गर्म करने लगा इस तरह सोहन ने गरम तवे पर रोटी सेंकी।

मेरी चुदने की इच्छा

हम तीन, हम दो और हमारा एक बेटा ढाई साल का, भोपाल में रहते हैं। इसी घर में मेरे जेठ जी का परिवार हम से ऊपर वाली मंज़िल पर रहता है। उससे ऊपर की मंजिल पर घरेलू नौकर का कमरा है। जेठ जी का बड़ा बेटा हरीश उन्नीस साल का है, उसने इस बार बी बी ए के दूसरे साल की परीक्षा दी है।

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जब जब भी मेरे पति टूअर पर जाते रहते थे तो हरीश मेरा बहुत ख्याल रखने लगा था, किसी भी काम को दौड़कर करने को तैयार रहता था और इसी कोशिश में रहता था कि वो मेरे आस पास ही रहे। मुझे भी उसकी कम्पनी में मज़ा आता था।

इसी साल की सर्दियों में दिसंबर 2012 में एक बार शाम के समय वो मेरे पास मेरे बेडरूम में आया, उस समय नौ बजे होंगे, मैं कोई सीरियल देख रही थी अपनी रजाई या लिहाफ जो भी आप उसे कहते हो, में घुस कर बैठी हुई।

मैंने हरीश से कहा- बहुत ठण्ड है, तुम भी रजाई में आ जाओ, कम से कम अपने पैर तो अन्दर कर लो।

पता नहीं क्यूँ वो थोड़ी दूरी बनाये रखता था, इसलिए शर्माते हुए बोला- मैं ठीक हूँ।

फिर भी मेरे कहने पर वो मेरे बगल में नहीं बैठ कर पैरों की तरफ बैठ गया और मेरी जेठानी जी ने जो मैसेज दिया था, उसे बता कर जाने की बात बोलने लगा।

मैंने उसे थोड़ा रुकने को कहा क्यूँकि आज मैं उसे कोरा कोरा जाने देने के मूड में नहीं थी। मेरा मन इस लड़के को फ़ंसाने को तो बहुत दिनों से मचल रहा था पर आज जैसा मोका भी नहीं मिला और कुछ करने से डरती भी रही। इसको फंसाने का सीधा सा और जरुरी सा कारण यह था कि यह लड़का पूरी तरह जवान और खूबसूरत तो था ही, घर के घर में ही उपलब्ध भी था, किसी भी समय और इस पर किसी को कोई शक भी नहीं होता। उससे चुदाई के प्रोग्राम की बात करते रहना भी आसान था।

मेरे दिमाग में ये सारी चीज़े एक साथ घूम रही थी। उस दिन चुदाई के लिए भी मैं बहुत उतावली थी। वो नहीं आता तो मैं किसी और तरह अपनी आग शांत करती पर भाग्य से वही आ गया जिसके लंड की कल्पना ही मैं करती रहती थी कि फुल साइज़ का हो गया होगा या नहीं।

मुझसे रहा नहीं गया, मेरा मुझ पर ही जैसे काबू ही नहीं रह गया था, मैंने रजाई के अन्दर से ही अपना पैर लम्बा करके उसकी टांगों के बीच में रखा और अंगूठे से उसका लंड ज़िप के ऊपर से ही टटोलने लगी। मेरा पैर लगते ही उसका लण्ड तनने लगा और एक मिनट में ही वो पैंट फाड़ने को तैयार था। हरीश पहले तो थोड़ा असहज सा हुआ फिर सब समझ गया और उसने अपनी ज़िप खोल दी।लंड आज़ाद होकर मेरे पैर को गर्मी दे रहा था। बच्चा तो सो गया था, हरीश फटाफट मेरे बाजू में आकर बोला- चाची, तूने आज बहुत उपकार किया, मैं तो कबसे तुझको चोदने की सोचता रहता था।

वो बोला- चाची, अब देर न कर, आज ही शुरुआत करूँगा। मेरी तो यह सुहागरात ही समझो, मेरी पहली चुदाई है, चाची तुम ही गाइड करो।

मैं तो खुद ही चुदने को मरी जा रही थी, मैंने कहा- तू तो आज मज़ा ले बस।

हम दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतारे और मैंने आज पहली बार उसका लंड देखा था, यह तो मेरे पति के लंड से थोड़ा पतला तो था पर लम्बा बहुत था और मेरे लिए तो जैसे उम्मीद से बड़ी कोई चीज़ मिल गई हो। मैंने उसके लण्ड को ऐसा पकड़ा जैसे अभी खा जाऊँगी, मुँह में भर कर चूसने लगी और हरीश का मुँह अपनी चूत के दाने को चूसने पर लगा दिया।

व्व्वाआह्ह ! क्या आनन्द आ रहा था ! मैं सिसकारी भर रही थी और हरीश का तो हांफ-हांफ कर बुरा हाल थ। पर वो बहुत एन्जॉय कर था।

अब मैंने उसे मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ने का निमंत्रण अपनी टाँगें चौड़ी करके चूत को थोड़ा ऊपर उभारते हुए दिया। वो इस निमंत्रण को तत्काल समझ गया और उसने फटाफट मेरी टांगों को फैलाकर ऊपर उठाते हुए अपने लंड को चूत के मुँह पर रख कर धक्का दिया। उसका लंड पहली बार में ही आधा तक घुस गया।

यह उसका पहला ही अनुभव था, वो बहुत अधिक उत्तेजित होकर लंड को चूत में पेलने के लिए बेताब था और उसका लंड भी अब उसके काबू में नहीं था इसलिए बिना रुके उसने लगातार जोर जोर के धक्के मरना शुरु कर दिया। उसका लंड मेरी चूत में ऐसा ऊपर नीचे कूद रहा था जैसे कोई गाड़ी का पिस्टन चल रहा हो।

वाह ! मैं तो नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर उसके ही रंग में मिल कर चूत को उसकी चाहत की गिफ्ट दिलवा रही थी। मैं भी और हरीश भी जोर जोर से चुदाई की रफ़्तार के साथ ही खूब मोनिंग यानी आअह्ह ऊउह्ह कर रहे थे।

घर में तो कोई था ही नहीं इसलिए खुलकर जी भर कर आवाज़ें और किलकारियाँ मार रहे थे। इसी मुद्रा में चुदाई करते करते हरीश भी और मैं भी लगभग एक साथ ही झड़े तो वो नज़ारा तो देखने लायक था और हमेशा याद भी रहेगा।

हरीश तो ऐसा काम्पने लगा आनन्द के मारे कि जैसे कोई जंग जीती हो।

मैंने भी अपने जीवन में जितनी भी चुदाई करवाई हो और वे एक से बढ़ कर एक नई मुद्रा की हो, पर यह सादी सी चुदाई फिर भी कभी भूल नहीं पाऊँगी।


अब हरीश का रास्ता खुल गया है, जब भी उसका मन होता है या मेरी चुदने की इच्छा होती है तो वो तत्काल आकर मेरी चूत की और अपने लंड की प्यास बुझा देता है। हम अब रोज़ नए नए प्रयोग भी करते रहते हैं, जब भी मेरा आदमी टूर पर जाता है तो उनका यह भतीजा अपनी चाची की भरपूर चुदाई करके मज़ा देता है।

Tuesday, 24 September 2013

लड़की को उत्तेजित करने का तरीका

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Grand मस्ती

लो दोस्तों, मेरा नाम नील है और मै एक कॉलेज मे पढता हु और मै बायोलोजी का छात्र हु | सब लोग जानते है, कि बायोलोजी क्लास मे नहीं पढी जाती है, वो हमेशा ही लैब मे और क्लास के बाहर ही पढी जाती है | मै अपनी क्लास का सबसे मेधावी छात्र था और सब लोग मुझ से काफी खुश रहते थे | मेरी क्लास मे, एक बड़ी खुबसूरत लड़की थी सीमा; सब लोग उसपर जान देते थे और उसको अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए तड़पते थे, लेकिन वो किसी को घास नहीं डालती थी | लेकिन, सीमा ने मेरी किस्मत का दरवाजा खटखटाया और मुझे उसे चोदने का मौका मिला और मैने भी उस मौके के मस्त तरीके से भुनाया |


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हुआ यू था, कि क्लास के फाईनल पेपर थे और हम सब को एक प्रोजेक्ट पर काम करना था और उस प्रोजेक्ट पर किसी को अकेले काम नहीं करना था, बल्कि दो लोगो को एक साथ काम करना था | सीमा जितनी खुबसूरत थी, उतनी ही चालू भी थी और उसने बायोलोजी के टीचर से बात करके मुझे अपनी टीम मे रख लिया, ताकि उसका प्रोजेक्ट आसानी से हो जाए और उसको पुरे नंबर मिल जाये | मुझे लड़कियों से बात करने मे थोड़ी शर्म आती थी, तो मुझे जब पता चला कि सीमा मेरे साथ, मेरी टीम मे है, तो मुझे बड़ा अजीब सा लगा | लेकिन सीमा खुश थी | हम सब लैब मे चले गये और अपना-अपना काम करने लगे | मैने सीमा को कुछ समझाया, और खुद दूसरा काम करने लगा | मेरा लगभग सारा काम पूरा हो चुका था, बस सीमा का काम ख़त्म होते ही, हमारा उस दिन का काम खत्म होने वाला था, जब मैने सीमा की तरफ देखा तो उसने मुझे मद्दत के लिए बोला | मुझे सीमा और अपने टीचर पर बहुत गुस्सा आया, कि दोनों ने मुझे कहाँ फसा दिया; लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और मै सीमा के पीछे गया और उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करने लगा | उस समय मेरे मन कोई गलत ख्याल नहीं था, लेकिन प्रयोग के समय, मै सीमा की शरीर से चिपक गया था और मेरा आगे शरीर का हिस्सा उसके शरीर के पीछे के हिस्से से चिपक गया था, उस वजह से मेरा लंड उसकी गांड से चिपक चुका था और उसको भी अपनी गांड की लकीर पर मेरे लंड का अहसास हो रहा था |

मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा की गांड पर अपनी दस्तक दे रहा था | सीमा ने कुछ नहीं बोला और हमने प्रयोग पूरा कर लिया और हम दोनों बिना कुछ बोले और सुने अपने-अपने घर चले गये | अगले दिन, फिर से वही बात हुआ, उस बार सीमा ने जानबूझ कर ऐसा किया | उसने प्रयोग ना होने का नाटक किया और मैने फिर से उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करवाना शुरू कर दिया | आज वो जान-बुझकर हिल रही थी और उसकी गांड मेरे लंड को रगड़ रही थी | उस दिन तो मेरा लंड पहले दिन की अपेक्षा ज्यादा खड़ा हो गया और सीमा की चूत पर जोर-जोर से टक्कर मारने लगा | सीमा ने अपनी आँखे बंदकर ली और उस पल का मजा उठाने लगी | मेरी सीट सबसे कोने मे होती थी, वहा पर मुझे कोई नहीं देख सकता था | मैने ये टेबल जानबूझकर, अपने लिए ली थी, ताकि मै अपने पढाई के अलावा भी प्रयोग कर सकू |
मेरी टेबल के पास ही, मेरी टीचर के बाथरूम का दरवाजा था | जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मै बाथरूम मै गुस गया और मैने वहा पर बड़ा ही कामुक हस्त्मथुन किया | जब मै बाहर आया, तो मेरे चेहरे पर ख़ुशी और संतोष के भाव थे, लेकिन मेरी गलती से मेरी पेंट पर एक दाग आ गया | जब, सीमा ने वो दाग देखकर तो बोली; सब अकेले-अकेले, पप्पू को क्यों कस्ट दिया, मुझे बोल देते; मै तुम्हारी मद्दत कर देती और खिलखिलाकर हसने लगी और आँख मार ली |

मुझे बड़ा अजीब सा लगा और मैने दूसरी तरफ मुह फेर लिया | मै सीमा से नज़रे नहीं मिला पा रहा था और मुझे एक गलती का अहसास हो रहा था, लेकिन सीमा को तो जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा, वो तो बस मज़े ले रही थी | जाते हुए, सीमा ने मुझे अपने घर आने के लिए बोला और मुझे पढाई मे उसकी मद्दत करने को कहा | मै शाम का इंतज़ार करने लगा, दो बार लंड रगड़ने के बाद मेरे मन मे गुदगुद्दी होने लगी थी और हस्त्मथुन करते हुए, मुझे बार-बार सीमा की याद आ रही थी और मेरे मन मे, उसको असकी मे चोदने का ख्याल आने लगे थे | शाम, मै बड़ा तैयार होकर सीमा के यहाँ पंहुचा, सीमा ने दरवाजा खोला, उसको देखकर मेरा मुह खुला रह गया | सीमा ने बड़ी ही मस्त और कामुक नाईटी पहनी हुई थी और वो पारदर्शी थी और उसमे से उसका एक-एक अंग नज़र आ रहा था और उसके कामुक अंगो को देखकर मेरे मेरे लंड मे कसाव शुरू हो गया | सीमा ने एक प्यारी सी मुस्कान दी और मुझे अंदर बुला लिया | सीमा ने अंदर सिर्फ ब्रा-पेंटी ही पहनी हुई थी और मुझे उसके बावजूद उसका एक-एक अंग का कटाव नज़र आ रहा था |

मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा मुस्कुरा रही थी | हम दोनों ने पढना शुरू किया | पढाई शरीर मे बदलाव के बारे मे था और सीमा मुझे बड़े ही मादक नजरो से देखने लगी | जब औरत के शरीर के बदलाव के बारे बात हुई, तो उसने एक ही झटके मे अपने सारे कपडे उतार दिये और अपने एक-एक अंग को छुने लगी और मुझे दिखाने लगी | और फिर वो मेरे पास आयी और बोली तुम भी एकदम गधे हो, साले लंड को इतना कस्ट दे रहे हो और उसने मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसको खीचना शुरू कर दिया | मेरा लंड, अब सीमा के हाथ मे झटके मार रहा था | पता नहीं क्यों, सीमा के सामने मै कुछ कर नहीं पा रहा था और उसको रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी | सीमा ने एक ही झटके मे अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी | उसके मोटे और गोरे चुचे देखकर और उनपर गुलाबी निप्पल देखकर मेरे मुह से लार टपकने लगी | उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी गोरी चूत पर गुलाबी से लकीर देखकर, मेरा लंड मेरी पेंट फाड़ने को बेताब था |

सीमा ने एक ही झटके मे, मेरी पेंट उतार दी और मेरे कुछ करने से पहले ही, मेरे लंड को आज़ाद कर दिया | मेरा सावला सा मोटा सा लंड देखकर, सीमा की आँखों मे चमक आ गयी और उसने मेरे बचेकुचे कपडे भी उतार दिये | अब हम दोनों ही पुरे नंगे थे और सीमा ने मेरा लंड अपने हाथो मे ले रखा था और उसको अपने चूत पर रगड़ रही थी | मैने अब आगे बढकर सीमा का चेहरा अपने हाथो मे ले लिया और उसके होठो पर अपने होठ रख दिये और उनको मस्ती मे चूसने लगा आआओऊ.हम दोनों का शरीर मस्ती मे हिलने लगा था और सीमा मेरा लंड अब भी अपनी चूत से रगड़ रही थी | मैने उस मौके का फायदा उठाया और उसके हाथ मे ही, अपनी गांड को जोर से धक्का मार दिया और मेरा लंड, सीमा की चूत मे ssrrrrrrrrrr…..करता हुआ घुस गया | सीमा के मुह से चिक निकल गयी ईईईईईई………ईईईईए………aaaaaaahhhhhhhh………….मर गयी और मेरी गांड लगातार चल रही थी और हम दोनों ही मस्ती मे अपनी गांड हिला रहे थे ऊऊ..एस…….ओऊ..वाह…….सीमा…….नील.आ.मर गीजोर से..तेजी से.और कुछ ही मिनटों मे सीमा ने अपनी गांड को और जोर से हिलाना शुरू कर दिया और एक गरम पिचकारी के साथ, उसका वीर्य उसकी चूत से बाहर आ गया | मेरा लंड भी चिकना हो चुका था और उसकी चूत मे फिसलने लगा | मैने अपने लंड बाहर निकल लिया और अपने हाथ से सीमा के ऊपर मुठ मारने लगा | कुछ सेकेण्ड बाद ही, मेरे लंड से एक गरम पिचकारी, सीमा के पेट पर गिर गयी और सीमा चिल्ला उठी आआआआअ…………………oooohhhhhh…बहुत ही गरम है |


हम दोने के चेहरे से एक ख़ुशी की लहर थी और संठुति थी | मै जमीन पर गिर पड़ा और सीमा भी मेरे ऊपर आकर लेट गयी | हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही लेते रहे और फिर से संभोग किया | आह भी हम दोनों मस्त संभोग करते है और मज़े लेते है |

बोस की बेटी की चुदाई

पिछले महीने एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़, वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।
फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे - सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।
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थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।
वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।
रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।
अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।
थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।
पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।
फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।
थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।
अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।
फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।

अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया।

मोना आंटी और उनकी चूचियाँ

यह कहानी ही नहीं बल्कि हकीकत है। वैसे तो मेरी सभी कहानियाँ सच्ची होती हैं झूठ लिख कर क्या फायदा !
नए पाठकों को अपना परिचय करवा देता हूँ।
मेरे नाम हैरी है पंजाब का रहने वाला हूँ, उम्र 28 साल है।
यह कहानी उस समय की है जब मैं सेक्स में अनाड़ी हुआ करता था, मेरी उम्र तब 18 साल की थी।
मेरे घर से साथ वाले घर में एक सिख परिवार रहता था, उस परिवार में अंकल आंटी और उनका बेटा सनी रहता था, अंकल कनाडा में रहते थे, कभी कभी ही भारत आते थे।
सनी मेरा अच्छा मित्र था, उसकी मम्मी के नाम मोना था, मैं उन्हें मोना आंटी कहता था।
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मोना आंटी की उम्र तब 43 की थी और उनकी चूचियाँ तो कमाल की थी, 40 इन्च की चूचियाँ और गाण्ड भी 40 की ही होगी।
बड़ी मस्त चीज थी मोना आंटी, वो थोड़े भरे शरीर की थी, गोरी-चिट्टी थी।
मैंने कभी भी मोना आंटी को गलत नज़र से नहीं देखा था, मैं उनके घर अक्सर आता जाता था।

कुछ दिनों बाद सनी का भी वीजा लग गया कनाडा का तो वो कनाडा पढ़ने चले गया।

मैं ही उसे दिल्ली एयरपोर्ट छोड़ कर आया। अब मेरा दिल नहीं लगता था क्योंकि मैं और सनी अकसर साथ ही रहा करते थे।

कुछ दिन बीत गए, एक दिन मोना आंटी रात को घर आई और मेरी मम्मी से कहने लगी- बहन जी, सनी के जाने के बाद बिल्कुल भी दिल नहीं लगता अब ! और मेरी तबीयत भी कुछ दिनों से अच्छी नहीं चल रही है।

मोना आंटी ने कहा- बहन जी, अगर हैरी को मेरे घर सोने के लिए कुछ दिनों के लिए भेज देती तो बहुत मेहरबानी होती।

मम्मी ने कहा- बहन जी, मेहरबानी कैसी? यः भी तो आपके बेटे जैसा है !

मम्मी ने मुझे आवाज़ लगाई, कहा- हैरी, तुम आंटी के घर जा कर सो जाया करो कुछ दिन ! आंटी की तबीयत ठीक नहीं है।

मैं अपनी किताबें लेकर आंटी के घर चला गया।

आंटी ने टीवी आन कर दिया, मैं टीवी देखने लगा।

आंटी ने कहा- हैरी, तुम कपड़े बदल लो !

मैंने कहा- ठीक है आंटी, पर जल्दी में मैं कपड़े लाने भूल गया। जाकर ले आता हूँ।

आंटी ने कहा- रहने दो ! सनी के बहुत पजामे हैं, वही पहन लेना।

और मोना आंटी सनी का पजामा लेकर आई।

मैंने पैंट खोल कर पजामा पहन लिया और बनियान पहन कर टीवी देखने लगा।

मोना आंटी भी आ गई थोड़ी देर में और वो टीवी देखने लगी।

टीवी देखते-देखते मैंने कहा- आंटी, मैं तो सोने जा रहा हूँ, कहो तो टीवी बंद कर दूँ?

आंटी ने कहा- हाँ, कर दो ! मैंने तो सोचा कि तू देखेगा इसलिए बंद नहीं किया था।

मैंने टीवी बंद कर दिया।

आंटी का बेड बड़ा था एक छोर पर आंटी और एक छोर पर मैं सो गया।

मैं गहरी नींद में सो गया, अचानक मुझे रात में अपने शरीर पर कुछ महसूस हुआ।

मैंने थोड़ी आँख खोल कर देखा तो यह तो मोना आंटी का हाथ था हो मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लण्ड को छू रही थी और मसल रही थी।

मुझे अच्छा लगा, मैंने आँखें बंद रखी और देखने लगा कि वो और क्या-क्या करती हैं।

मेरा लण्ड भी एकदम खड़ा हो गया था, अब शायद आंटी को भी अंदाजा लग गया था कि मैं झूठ मूठ सो रहा हूँ।

आंटी ने मेरे कच्छे में हाथ डाल दिया और मेरे लण्ड को जोर जोर से मसलने लगी।

कुछ देर बाद आन्टी ने मेरा कच्छा पूरा निकाल दिया, मैं नीचे से पूरा नंगा हो चुका था।

मोना आंटी ने भी अपने सारे कपड़े खोल रखे थे, मोना आंटी मेरे लण्ड को अपने होंठों में लेकर चाटने लगी और अपने मुँह से लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मोना मेरा लण्ड जोर जोर से चूस रही थी, उनके मुँह की गर्मी से अचानक मेरे लण्ड में मेरा माल आंटी के मुँह में गिर गया, मैं शांत हो गया। मोना ने मेरे माल की एक बूंद भी नहीं छोड़ी और लण्ड साफ़ कर दिया अपने जीभ से।

फिर वो मेरे साथ में ही हो गई।

मैंने सोचा अगर अब कुछ करेंगी तो अबकी पक्का मैं भी नहीं छोड़ूँगा, भूल जाऊँगा कि वो मेरे दोस्त की माँ हैं, अगर इन्हें कुछ शर्म नहीं है तो मैं क्यों करूं।

मोना कहाँ मानने वाली थी !

अभी दस मिनट भी नहीं बीते होंगे, वो फिर से मेरे लण्ड को सहलाने लगी। उनका हाथ लगते ही थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर से सलामी देना लगा।

अब मैं भी जाग गया, मैंने कहा- आंटी, क्या कर रही हैं आप? मुझे नंगा क्यों किया?

मैंने ऐसे ही झूठ का नखरा किया।

मोना कहने लगी- हैरी, मुझे मालूम है कि तू उस समय भी जग रहा था जब मैं तेरा लण्ड चूस रही थी, फिर यह नखरा क्यों?

मैंने कहा- पर आंटी !

मोना ने कहा- पर-वर कुछ नहीं ! मजे कर ! मैंने भी बहुत दिनों से चुदवाया नहीं है, तुझे तो मालूम है तेरे अंकल इंडिया आते हैं, तभी वो चोदते हैं।

मैंने भी कुछ नहीं कहा।

आंटी पूरी नंगी क़यामत लग रही थी, बुर पर बड़े बड़े बाल थे आंटी के, आंटी ने कहा- हैरी, चल मेरे मोमे दबा और चूस ! तुझे मजा आएगा।

मैं मोना के दोनों मोमे दबाने लगा पागलो की तरह, कभी एक तो कभी दोनों मोम्मे दबाने लगा। आंटी के मोम्मे बहुत बड़े थे 40 के थे और आंटी की गाण्ड भी मोटी थी।

मैं कभी आंटी के चूचे दबाता तो कभी चूसता।

आंटी ने कहा- हैरी, जोर से चूस मेरे चुच्चों को ! निकाल दे सारा दूध इनमें से ! बहुत दिनों से किसी ने नहीं पिया इन्हें !

मैं भी जोश में आ गया, मैं मोना के स्तनों को जोर-जोर से चूसने लगा।आंटी मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर लगाने लगी, मेरी उंगली पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने लगी।

मैंने भी जम कर मोना का दूध पिया।

आंटी कहने लगी- चल हट हैरी ! जरा अब मेरी चूत चाट !

मैंने कहा- नहीं मैं नहीं चाटूँगा !

आंटी ने कहा- चाट ना ! चटवाने का बहुत दिल कर रहा है !

मैंने कहा- नहीं, ये बाल मेरे मुंह में जायेंगे, मुझे उल्टी हो जायेगी।

आंटी के जबरदस्ती करने पर मैं मान गया और उनकी चूत चाटने लगा, नमकीन सा कसैला सा स्वाद था।उनकी झाँटों के लम्बे-लम्बे बाल मेरे मुँह में जा रहे था पर मुझे भी अब मोना की चूत चाटने में मजा आ रहा था। वो भी अपनी बुर फैला कर चूत चटवा रही थी।

फिर आंटी ने कहा- बस कर हैरी ! आ अब चोद इसे ! चोद चोद कर सारा पानी निकाल दे ! बहुत तंग करती है रे ये ! क्या करूँ !

आंटी ने अपने पैर ऊपर उठा लिए और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया, मेरा लण्ड आसानी से आंटी की चूत में चला गया।

आंटी ने हल्का सा उई किया बस !

मैं अब धक्के लगाने लगा, आंटी भी मेरे हर धक्के का जवाब अपने धक्के से दे रही थी। वो कह रही थी- चोद बेटा चोद ! हेयी ईए उईईईईए उफ्फ्फ्फफ्फ जोर से ! मजा आ रहा है हैरी ! और जोर से बेटा यीईईईईई आयीईईईई उईईईईए मर गयी हाय !

फच फच कर रही थी आंटी की चूत चुदाई के वक्त !

बहुत मजे से हम दोनों चुदाई कर रहे थे।

आंटी फिर मेरे ऊपर आकर चुदने लगी, जोर जोर से कूद रही थी, ऐसे लग रहा था जैसे शताब्दी ट्रेन हो !

मैं भी नीचे से अपना लण्ड उनकी चूत में दे दनादन मार रहा था।

फिर आंटी ने कहा- बेटा, मैं अब झुक जाती हूँ, तू पीछे डाल !

मैंने कहा- ठीक है !

मैं पीछे से आंटी की गाण्ड में लण्ड डालने लगा तो आंटी बोली- यह क्या कर रहा है? चूत में डाल !

और मोना ने मेरा लण्ड पकड़ पर चूत में डलवा लिया।

मैंने कहा- आंटी, आप को गाण्ड भी बहुत प्यारी है और बड़ी भी ! मुझे चोदनी है !

आंटी ने कहा- पहले मेरी चूत का पानी निकाल दे, अभी तो सारी रात बाकी है, गाण्ड बाद में मार लेना !

मोना जोर जोर से मेरे लण्ड पर वार करने लगी, जोर जोर से सिसकारियाँ ले ले कर आंटी ईईये ये ये यीईईई उईईई आआआ ऊऊऊऊ उफ्फ्फ्फ आयेच कर रही थी और धक्के लगा रही थी और मैं भी आंटी की कमर पकड़ कर आंटी को जोर जोर से चोद रहा था।

मुझे लगा कि अब मेरी लण्ड का पानी निकलने वाला है तो मैं और जोर जोर से आंटी को पेलने लगा। आंटी भी जोर जोर से धक्के मार रही थी।

मेरा गर्म माल आंटी की चूत में जाते ही आंटी का भी चूत ने पानी छोड़ दिया और आंटी वहीं पर ही थक कर झुक कर आराम करने लगी।

फिर थोड़े देर बाद उठी और आंटी ने मेरे गाल पर एक चुम्मा ले लिया और कहा- बेटा, बहुत मजा आया ! आज काफी दिनों बाद चुदी हूँ, शरीर हल्का हो गया !

मैंने कहा- आंटी, मैंने तो आपकी गांड भी चोदनी है।

आंटी ने कहा- नहीं बेटा, बाद में ! अभी सो जा ! मैं खुद ही जगा दूंगी, फिर चोद लेना।

फिर रात को मैंने खुद ही आंटी को जगाया और आंटी की गाण्ड मारी। आंटी गाण्ड भी बहुत मजे से मरवा रही थी। वो कहानी बाद में !

फिर तो मैं बहुत दिनों तक आंटी की गाण्ड और चूत मारता रहा !


तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी मोना आंटी आप लोगों को?