यह कहानी ही नहीं बल्कि हकीकत है। वैसे तो मेरी सभी कहानियाँ
सच्ची होती हैं झूठ लिख कर क्या फायदा !
नए पाठकों को अपना परिचय करवा देता हूँ।
मेरे नाम हैरी है पंजाब का रहने वाला हूँ, उम्र 28 साल है।
यह कहानी उस समय की है जब मैं सेक्स में अनाड़ी हुआ करता
था, मेरी उम्र तब 18 साल की थी।
मेरे घर से साथ वाले घर में एक सिख परिवार रहता था, उस परिवार
में अंकल आंटी और उनका बेटा सनी रहता था, अंकल कनाडा में रहते थे, कभी कभी ही भारत
आते थे।
सनी मेरा अच्छा मित्र था, उसकी मम्मी के नाम मोना था, मैं
उन्हें मोना आंटी कहता था।
मोना आंटी की उम्र तब 43 की थी और उनकी चूचियाँ तो कमाल
की थी, 40 इन्च की चूचियाँ और गाण्ड भी 40 की ही होगी।
बड़ी मस्त चीज थी मोना आंटी, वो थोड़े भरे शरीर की थी, गोरी-चिट्टी
थी।
मैंने कभी भी मोना आंटी को गलत नज़र से नहीं देखा था, मैं
उनके घर अक्सर आता जाता था।
कुछ दिनों बाद सनी का भी वीजा लग गया कनाडा का तो वो कनाडा
पढ़ने चले गया।
मैं ही उसे दिल्ली एयरपोर्ट छोड़ कर आया। अब मेरा दिल नहीं
लगता था क्योंकि मैं और सनी अकसर साथ ही रहा करते थे।
कुछ दिन बीत गए, एक दिन मोना आंटी रात को घर आई और मेरी
मम्मी से कहने लगी- बहन जी, सनी के जाने के बाद बिल्कुल भी दिल नहीं लगता अब ! और मेरी
तबीयत भी कुछ दिनों से अच्छी नहीं चल रही है।
मोना आंटी ने कहा- बहन जी, अगर हैरी को मेरे घर सोने के
लिए कुछ दिनों के लिए भेज देती तो बहुत मेहरबानी होती।
मम्मी ने कहा- बहन जी, मेहरबानी कैसी? यः भी तो आपके बेटे
जैसा है !
मम्मी ने मुझे आवाज़ लगाई, कहा- हैरी, तुम आंटी के घर जा
कर सो जाया करो कुछ दिन ! आंटी की तबीयत ठीक नहीं है।
मैं अपनी किताबें लेकर आंटी के घर चला गया।
आंटी ने टीवी आन कर दिया, मैं टीवी देखने लगा।
आंटी ने कहा- हैरी, तुम कपड़े बदल लो !
मैंने कहा- ठीक है आंटी, पर जल्दी में मैं कपड़े लाने भूल
गया। जाकर ले आता हूँ।
आंटी ने कहा- रहने दो ! सनी के बहुत पजामे हैं, वही पहन
लेना।
और मोना आंटी सनी का पजामा लेकर आई।
मैंने पैंट खोल कर पजामा पहन लिया और बनियान पहन कर टीवी
देखने लगा।
मोना आंटी भी आ गई थोड़ी देर में और वो टीवी देखने लगी।
टीवी देखते-देखते मैंने कहा- आंटी, मैं तो सोने जा रहा हूँ,
कहो तो टीवी बंद कर दूँ?
आंटी ने कहा- हाँ, कर दो ! मैंने तो सोचा कि तू देखेगा इसलिए
बंद नहीं किया था।
मैंने टीवी बंद कर दिया।
आंटी का बेड बड़ा था एक छोर पर आंटी और एक छोर पर मैं सो
गया।
मैं गहरी नींद में सो गया, अचानक मुझे रात में अपने शरीर
पर कुछ महसूस हुआ।
मैंने थोड़ी आँख खोल कर देखा तो यह तो मोना आंटी का हाथ था
हो मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लण्ड को छू रही थी और मसल रही थी।
मुझे अच्छा लगा, मैंने आँखें बंद रखी और देखने लगा कि वो
और क्या-क्या करती हैं।
मेरा लण्ड भी एकदम खड़ा हो गया था, अब शायद आंटी को भी अंदाजा
लग गया था कि मैं झूठ मूठ सो रहा हूँ।
आंटी ने मेरे कच्छे में हाथ डाल दिया और मेरे लण्ड को जोर
जोर से मसलने लगी।
कुछ देर बाद आन्टी ने मेरा कच्छा पूरा निकाल दिया, मैं नीचे
से पूरा नंगा हो चुका था।
मोना आंटी ने भी अपने सारे कपड़े खोल रखे थे, मोना आंटी मेरे
लण्ड को अपने होंठों में लेकर चाटने लगी और अपने मुँह से लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
मोना मेरा लण्ड जोर जोर से चूस रही थी, उनके मुँह की गर्मी से अचानक मेरे लण्ड में
मेरा माल आंटी के मुँह में गिर गया, मैं शांत हो गया। मोना ने मेरे माल की एक बूंद
भी नहीं छोड़ी और लण्ड साफ़ कर दिया अपने जीभ से।
फिर वो मेरे साथ में ही हो गई।
मैंने सोचा अगर अब कुछ करेंगी तो अबकी पक्का मैं भी नहीं
छोड़ूँगा, भूल जाऊँगा कि वो मेरे दोस्त की माँ हैं, अगर इन्हें कुछ शर्म नहीं है तो
मैं क्यों करूं।
मोना कहाँ मानने वाली थी !
अभी दस मिनट भी नहीं बीते होंगे, वो फिर से मेरे लण्ड को
सहलाने लगी। उनका हाथ लगते ही थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर से सलामी देना लगा।
अब मैं भी जाग गया, मैंने कहा- आंटी, क्या कर रही हैं आप?
मुझे नंगा क्यों किया?
मैंने ऐसे ही झूठ का नखरा किया।
मोना कहने लगी- हैरी, मुझे मालूम है कि तू उस समय भी जग
रहा था जब मैं तेरा लण्ड चूस रही थी, फिर यह नखरा क्यों?
मैंने कहा- पर आंटी !
मोना ने कहा- पर-वर कुछ नहीं ! मजे कर ! मैंने भी बहुत दिनों
से चुदवाया नहीं है, तुझे तो मालूम है तेरे अंकल इंडिया आते हैं, तभी वो चोदते हैं।
मैंने भी कुछ नहीं कहा।
आंटी पूरी नंगी क़यामत लग रही थी, बुर पर बड़े बड़े बाल थे
आंटी के, आंटी ने कहा- हैरी, चल मेरे मोमे दबा और चूस ! तुझे मजा आएगा।
मैं मोना के दोनों मोमे दबाने लगा पागलो की तरह, कभी एक
तो कभी दोनों मोम्मे दबाने लगा। आंटी के मोम्मे बहुत बड़े थे 40 के थे और आंटी की गाण्ड
भी मोटी थी।
मैं कभी आंटी के चूचे दबाता तो कभी चूसता।
आंटी ने कहा- हैरी, जोर से चूस मेरे चुच्चों को ! निकाल
दे सारा दूध इनमें से ! बहुत दिनों से किसी ने नहीं पिया इन्हें !
मैं भी जोश में आ गया, मैं मोना के स्तनों को जोर-जोर से
चूसने लगा।आंटी मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर लगाने लगी, मेरी उंगली पकड़ कर अपनी
चूत में घुसाने लगी।
मैंने भी जम कर मोना का दूध पिया।
आंटी कहने लगी- चल हट हैरी ! जरा अब मेरी चूत चाट !
मैंने कहा- नहीं मैं नहीं चाटूँगा !
आंटी ने कहा- चाट ना ! चटवाने का बहुत दिल कर रहा है !
मैंने कहा- नहीं, ये बाल मेरे मुंह में जायेंगे, मुझे उल्टी
हो जायेगी।
आंटी के जबरदस्ती करने पर मैं मान गया और उनकी चूत चाटने
लगा, नमकीन सा कसैला सा स्वाद था।उनकी झाँटों के लम्बे-लम्बे बाल मेरे मुँह में जा
रहे था पर मुझे भी अब मोना की चूत चाटने में मजा आ रहा था। वो भी अपनी बुर फैला कर
चूत चटवा रही थी।
फिर आंटी ने कहा- बस कर हैरी ! आ अब चोद इसे ! चोद चोद कर
सारा पानी निकाल दे ! बहुत तंग करती है रे ये ! क्या करूँ !
आंटी ने अपने पैर ऊपर उठा लिए और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी
चूत में डाल लिया, मेरा लण्ड आसानी से आंटी की चूत में चला गया।
आंटी ने हल्का सा उई किया बस !
मैं अब धक्के लगाने लगा, आंटी भी मेरे हर धक्के का जवाब
अपने धक्के से दे रही थी। वो कह रही थी- चोद बेटा चोद ! हेयी ईए उईईईईए उफ्फ्फ्फफ्फ
जोर से ! मजा आ रहा है हैरी ! और जोर से बेटा यीईईईईई आयीईईईई उईईईईए मर गयी हाय !
फच फच कर रही थी आंटी की चूत चुदाई के वक्त !
बहुत मजे से हम दोनों चुदाई कर रहे थे।
आंटी फिर मेरे ऊपर आकर चुदने लगी, जोर जोर से कूद रही थी,
ऐसे लग रहा था जैसे शताब्दी ट्रेन हो !
मैं भी नीचे से अपना लण्ड उनकी चूत में दे दनादन मार रहा
था।
फिर आंटी ने कहा- बेटा, मैं अब झुक जाती हूँ, तू पीछे डाल
!
मैंने कहा- ठीक है !
मैं पीछे से आंटी की गाण्ड में लण्ड डालने लगा तो आंटी बोली-
यह क्या कर रहा है? चूत में डाल !
और मोना ने मेरा लण्ड पकड़ पर चूत में डलवा लिया।
मैंने कहा- आंटी, आप को गाण्ड भी बहुत प्यारी है और बड़ी
भी ! मुझे चोदनी है !
आंटी ने कहा- पहले मेरी चूत का पानी निकाल दे, अभी तो सारी
रात बाकी है, गाण्ड बाद में मार लेना !
मोना जोर जोर से मेरे लण्ड पर वार करने लगी, जोर जोर से
सिसकारियाँ ले ले कर आंटी ईईये ये ये यीईईई उईईई आआआ ऊऊऊऊ उफ्फ्फ्फ आयेच कर रही थी
और धक्के लगा रही थी और मैं भी आंटी की कमर पकड़ कर आंटी को जोर जोर से चोद रहा था।
मुझे लगा कि अब मेरी लण्ड का पानी निकलने वाला है तो मैं
और जोर जोर से आंटी को पेलने लगा। आंटी भी जोर जोर से धक्के मार रही थी।
मेरा गर्म माल आंटी की चूत में जाते ही आंटी का भी चूत ने
पानी छोड़ दिया और आंटी वहीं पर ही थक कर झुक कर आराम करने लगी।
फिर थोड़े देर बाद उठी और आंटी ने मेरे गाल पर एक चुम्मा
ले लिया और कहा- बेटा, बहुत मजा आया ! आज काफी दिनों बाद चुदी हूँ, शरीर हल्का हो गया
!
मैंने कहा- आंटी, मैंने तो आपकी गांड भी चोदनी है।
आंटी ने कहा- नहीं बेटा, बाद में ! अभी सो जा ! मैं खुद
ही जगा दूंगी, फिर चोद लेना।
फिर रात को मैंने खुद ही आंटी को जगाया और आंटी की गाण्ड
मारी। आंटी गाण्ड भी बहुत मजे से मरवा रही थी। वो कहानी बाद में !
फिर तो मैं बहुत दिनों तक आंटी की गाण्ड और चूत मारता रहा
!
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी मोना आंटी आप लोगों को?