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Tuesday, 24 September 2013
Grand मस्ती
लो दोस्तों, मेरा नाम नील है और मै एक कॉलेज मे पढता हु
और मै बायोलोजी का छात्र हु | सब लोग जानते है, कि बायोलोजी क्लास मे नहीं पढी जाती
है, वो हमेशा ही लैब मे और क्लास के बाहर ही पढी जाती है | मै अपनी क्लास का सबसे मेधावी
छात्र था और सब लोग मुझ से काफी खुश रहते थे | मेरी क्लास मे, एक बड़ी खुबसूरत लड़की
थी सीमा; सब लोग उसपर जान देते थे और उसको अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए तड़पते थे,
लेकिन वो किसी को घास नहीं डालती थी | लेकिन, सीमा ने मेरी किस्मत का दरवाजा खटखटाया
और मुझे उसे चोदने का मौका मिला और मैने भी उस मौके के मस्त तरीके से भुनाया |
हुआ यू था, कि क्लास के फाईनल पेपर थे और हम सब को एक प्रोजेक्ट
पर काम करना था और उस प्रोजेक्ट पर किसी को अकेले काम नहीं करना था, बल्कि दो लोगो
को एक साथ काम करना था | सीमा जितनी खुबसूरत थी, उतनी ही चालू भी थी और उसने बायोलोजी
के टीचर से बात करके मुझे अपनी टीम मे रख लिया, ताकि उसका प्रोजेक्ट आसानी से हो जाए
और उसको पुरे नंबर मिल जाये | मुझे लड़कियों से बात करने मे थोड़ी शर्म आती थी, तो
मुझे जब पता चला कि सीमा मेरे साथ, मेरी टीम मे है, तो मुझे बड़ा अजीब सा लगा | लेकिन
सीमा खुश थी | हम सब लैब मे चले गये और अपना-अपना काम करने लगे | मैने सीमा को कुछ
समझाया, और खुद दूसरा काम करने लगा | मेरा लगभग सारा काम पूरा हो चुका था, बस सीमा
का काम ख़त्म होते ही, हमारा उस दिन का काम खत्म होने वाला था, जब मैने सीमा की तरफ
देखा तो उसने मुझे मद्दत के लिए बोला | मुझे सीमा और अपने टीचर पर बहुत गुस्सा आया,
कि दोनों ने मुझे कहाँ फसा दिया; लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और मै सीमा के पीछे
गया और उसका हाथ पकड़कर प्रयोग करने लगा | उस समय मेरे मन कोई गलत ख्याल नहीं था, लेकिन
प्रयोग के समय, मै सीमा की शरीर से चिपक गया था और मेरा आगे शरीर का हिस्सा उसके शरीर
के पीछे के हिस्से से चिपक गया था, उस वजह से मेरा लंड उसकी गांड से चिपक चुका था और
उसको भी अपनी गांड की लकीर पर मेरे लंड का अहसास हो रहा था |
मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा की गांड पर अपनी
दस्तक दे रहा था | सीमा ने कुछ नहीं बोला और हमने प्रयोग पूरा कर लिया और हम दोनों
बिना कुछ बोले और सुने अपने-अपने घर चले गये | अगले दिन, फिर से वही बात हुआ, उस बार
सीमा ने जानबूझ कर ऐसा किया | उसने प्रयोग ना होने का नाटक किया और मैने फिर से उसका
हाथ पकड़कर प्रयोग करवाना शुरू कर दिया | आज वो जान-बुझकर हिल रही थी और उसकी गांड
मेरे लंड को रगड़ रही थी | उस दिन तो मेरा लंड पहले दिन की अपेक्षा ज्यादा खड़ा हो
गया और सीमा की चूत पर जोर-जोर से टक्कर मारने लगा | सीमा ने अपनी आँखे बंदकर ली और
उस पल का मजा उठाने लगी | मेरी सीट सबसे कोने मे होती थी, वहा पर मुझे कोई नहीं देख
सकता था | मैने ये टेबल जानबूझकर, अपने लिए ली थी, ताकि मै अपने पढाई के अलावा भी प्रयोग
कर सकू |
मेरी टेबल के पास ही, मेरी टीचर के बाथरूम का दरवाजा था
| जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मै बाथरूम मै गुस गया और मैने वहा पर बड़ा ही कामुक हस्त्मथुन
किया | जब मै बाहर आया, तो मेरे चेहरे पर ख़ुशी और संतोष के भाव थे, लेकिन मेरी गलती
से मेरी पेंट पर एक दाग आ गया | जब, सीमा ने वो दाग देखकर तो बोली; सब अकेले-अकेले,
पप्पू को क्यों कस्ट दिया, मुझे बोल देते; मै तुम्हारी मद्दत कर देती और खिलखिलाकर
हसने लगी और आँख मार ली |
मुझे बड़ा अजीब सा लगा और मैने दूसरी तरफ मुह फेर लिया
| मै सीमा से नज़रे नहीं मिला पा रहा था और मुझे एक गलती का अहसास हो रहा था, लेकिन
सीमा को तो जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा, वो तो बस मज़े ले रही थी | जाते हुए, सीमा ने
मुझे अपने घर आने के लिए बोला और मुझे पढाई मे उसकी मद्दत करने को कहा | मै शाम का
इंतज़ार करने लगा, दो बार लंड रगड़ने के बाद मेरे मन मे गुदगुद्दी होने लगी थी और हस्त्मथुन
करते हुए, मुझे बार-बार सीमा की याद आ रही थी और मेरे मन मे, उसको असकी मे चोदने का
ख्याल आने लगे थे | शाम, मै बड़ा तैयार होकर सीमा के यहाँ पंहुचा, सीमा ने दरवाजा खोला,
उसको देखकर मेरा मुह खुला रह गया | सीमा ने बड़ी ही मस्त और कामुक नाईटी पहनी हुई थी
और वो पारदर्शी थी और उसमे से उसका एक-एक अंग नज़र आ रहा था और उसके कामुक अंगो को
देखकर मेरे मेरे लंड मे कसाव शुरू हो गया | सीमा ने एक प्यारी सी मुस्कान दी और मुझे
अंदर बुला लिया | सीमा ने अंदर सिर्फ ब्रा-पेंटी ही पहनी हुई थी और मुझे उसके बावजूद
उसका एक-एक अंग का कटाव नज़र आ रहा था |
मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था और सीमा मुस्कुरा रही थी
| हम दोनों ने पढना शुरू किया | पढाई शरीर मे बदलाव के बारे मे था और सीमा मुझे बड़े
ही मादक नजरो से देखने लगी | जब औरत के शरीर के बदलाव के बारे बात हुई, तो उसने एक
ही झटके मे अपने सारे कपडे उतार दिये और अपने एक-एक अंग को छुने लगी और मुझे दिखाने
लगी | और फिर वो मेरे पास आयी और बोली तुम भी एकदम गधे हो, साले लंड को इतना कस्ट दे
रहे हो और उसने मेरा लंड पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसको खीचना शुरू कर दिया
| मेरा लंड, अब सीमा के हाथ मे झटके मार रहा था | पता नहीं क्यों, सीमा के सामने मै
कुछ कर नहीं पा रहा था और उसको रोकने की हिम्मत नहीं हो रही थी | सीमा ने एक ही झटके
मे अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी | उसके मोटे और गोरे चुचे देखकर
और उनपर गुलाबी निप्पल देखकर मेरे मुह से लार टपकने लगी | उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं
था और उसकी गोरी चूत पर गुलाबी से लकीर देखकर, मेरा लंड मेरी पेंट फाड़ने को बेताब
था |
सीमा ने एक ही झटके मे, मेरी पेंट उतार दी और मेरे कुछ करने
से पहले ही, मेरे लंड को आज़ाद कर दिया | मेरा सावला सा मोटा सा लंड देखकर, सीमा की
आँखों मे चमक आ गयी और उसने मेरे बचेकुचे कपडे भी उतार दिये | अब हम दोनों ही पुरे
नंगे थे और सीमा ने मेरा लंड अपने हाथो मे ले रखा था और उसको अपने चूत पर रगड़ रही
थी | मैने अब आगे बढकर सीमा का चेहरा अपने हाथो मे ले लिया और उसके होठो पर अपने होठ
रख दिये और उनको मस्ती मे चूसने लगा आआ…ओऊ….हम
दोनों का शरीर मस्ती मे हिलने लगा था और सीमा मेरा लंड अब भी अपनी चूत से रगड़ रही
थी | मैने उस मौके का फायदा उठाया और उसके हाथ मे ही, अपनी गांड को जोर से धक्का मार
दिया और मेरा लंड, सीमा की चूत मे ssrrrrrrrrrr…..करता हुआ घुस गया | सीमा के मुह से
चिक निकल गयी ईईईईईई………ईईईईए………aaaaaaahhhhhhhh………….मर गयी
और मेरी गांड लगातार चल रही थी और हम दोनों ही मस्ती मे अपनी गांड हिला रहे थे ऊऊ…..एस…….ओऊ…..वाह…….सीमा…….नील….आ….मर
गी…जोर
से..तेजी से….और
कुछ ही मिनटों मे सीमा ने अपनी गांड को और जोर से हिलाना शुरू कर दिया और एक गरम पिचकारी
के साथ, उसका वीर्य उसकी चूत से बाहर आ गया | मेरा लंड भी चिकना हो चुका था और उसकी
चूत मे फिसलने लगा | मैने अपने लंड बाहर निकल लिया और अपने हाथ से सीमा के ऊपर मुठ
मारने लगा | कुछ सेकेण्ड बाद ही, मेरे लंड से एक गरम पिचकारी, सीमा के पेट पर गिर गयी
और सीमा चिल्ला उठी आआआआअ…………………oooohhhhhh…बहुत ही गरम है |
हम दोने के चेहरे से एक ख़ुशी की लहर थी और संठुति थी |
मै जमीन पर गिर पड़ा और सीमा भी मेरे ऊपर आकर लेट गयी | हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही
लेते रहे और फिर से संभोग किया | आह भी हम दोनों मस्त संभोग करते है और मज़े लेते है
|
बोस की बेटी की चुदाई
पिछले महीने एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर
पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़, वो
और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी
घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं
खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स
पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स
पढ़ाऊं।
फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो।
मुझे सटरडे - सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी।
मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी
होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी
देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।
थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन
में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने
जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप
ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था।
जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं
अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी
छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार
बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।
वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने
उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर
आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया।
रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे
से पढ़ाया।
रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स
करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे
समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा
था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी
थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़
कर रही थी।
अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो
आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको
पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता
रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार
से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने
अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित
हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।
थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर
से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे
से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको
मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से
घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे
पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।
पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा
के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो
अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने
से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के
साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा
लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा
लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३०
मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।
फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो
मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु
किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ
करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी
पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी
पैंट उतारकर अपने तने हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर
लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं
उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।
थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर
उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात
नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह
में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने
के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से उसकी चूत
को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला
दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल
कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में
पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।
अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया।
उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना
लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा
खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर
में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी
भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।
फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर
अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम
में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश
हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर
उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी
को बता दे।
अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस
में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई
फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ
कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने
शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा
तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया।
मोना आंटी और उनकी चूचियाँ
यह कहानी ही नहीं बल्कि हकीकत है। वैसे तो मेरी सभी कहानियाँ
सच्ची होती हैं झूठ लिख कर क्या फायदा !
नए पाठकों को अपना परिचय करवा देता हूँ।
मेरे नाम हैरी है पंजाब का रहने वाला हूँ, उम्र 28 साल है।
यह कहानी उस समय की है जब मैं सेक्स में अनाड़ी हुआ करता
था, मेरी उम्र तब 18 साल की थी।
मेरे घर से साथ वाले घर में एक सिख परिवार रहता था, उस परिवार
में अंकल आंटी और उनका बेटा सनी रहता था, अंकल कनाडा में रहते थे, कभी कभी ही भारत
आते थे।
सनी मेरा अच्छा मित्र था, उसकी मम्मी के नाम मोना था, मैं
उन्हें मोना आंटी कहता था।
मोना आंटी की उम्र तब 43 की थी और उनकी चूचियाँ तो कमाल
की थी, 40 इन्च की चूचियाँ और गाण्ड भी 40 की ही होगी।
बड़ी मस्त चीज थी मोना आंटी, वो थोड़े भरे शरीर की थी, गोरी-चिट्टी
थी।
मैंने कभी भी मोना आंटी को गलत नज़र से नहीं देखा था, मैं
उनके घर अक्सर आता जाता था।
कुछ दिनों बाद सनी का भी वीजा लग गया कनाडा का तो वो कनाडा
पढ़ने चले गया।
मैं ही उसे दिल्ली एयरपोर्ट छोड़ कर आया। अब मेरा दिल नहीं
लगता था क्योंकि मैं और सनी अकसर साथ ही रहा करते थे।
कुछ दिन बीत गए, एक दिन मोना आंटी रात को घर आई और मेरी
मम्मी से कहने लगी- बहन जी, सनी के जाने के बाद बिल्कुल भी दिल नहीं लगता अब ! और मेरी
तबीयत भी कुछ दिनों से अच्छी नहीं चल रही है।
मोना आंटी ने कहा- बहन जी, अगर हैरी को मेरे घर सोने के
लिए कुछ दिनों के लिए भेज देती तो बहुत मेहरबानी होती।
मम्मी ने कहा- बहन जी, मेहरबानी कैसी? यः भी तो आपके बेटे
जैसा है !
मम्मी ने मुझे आवाज़ लगाई, कहा- हैरी, तुम आंटी के घर जा
कर सो जाया करो कुछ दिन ! आंटी की तबीयत ठीक नहीं है।
मैं अपनी किताबें लेकर आंटी के घर चला गया।
आंटी ने टीवी आन कर दिया, मैं टीवी देखने लगा।
आंटी ने कहा- हैरी, तुम कपड़े बदल लो !
मैंने कहा- ठीक है आंटी, पर जल्दी में मैं कपड़े लाने भूल
गया। जाकर ले आता हूँ।
आंटी ने कहा- रहने दो ! सनी के बहुत पजामे हैं, वही पहन
लेना।
और मोना आंटी सनी का पजामा लेकर आई।
मैंने पैंट खोल कर पजामा पहन लिया और बनियान पहन कर टीवी
देखने लगा।
मोना आंटी भी आ गई थोड़ी देर में और वो टीवी देखने लगी।
टीवी देखते-देखते मैंने कहा- आंटी, मैं तो सोने जा रहा हूँ,
कहो तो टीवी बंद कर दूँ?
आंटी ने कहा- हाँ, कर दो ! मैंने तो सोचा कि तू देखेगा इसलिए
बंद नहीं किया था।
मैंने टीवी बंद कर दिया।
आंटी का बेड बड़ा था एक छोर पर आंटी और एक छोर पर मैं सो
गया।
मैं गहरी नींद में सो गया, अचानक मुझे रात में अपने शरीर
पर कुछ महसूस हुआ।
मैंने थोड़ी आँख खोल कर देखा तो यह तो मोना आंटी का हाथ था
हो मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लण्ड को छू रही थी और मसल रही थी।
मुझे अच्छा लगा, मैंने आँखें बंद रखी और देखने लगा कि वो
और क्या-क्या करती हैं।
मेरा लण्ड भी एकदम खड़ा हो गया था, अब शायद आंटी को भी अंदाजा
लग गया था कि मैं झूठ मूठ सो रहा हूँ।
आंटी ने मेरे कच्छे में हाथ डाल दिया और मेरे लण्ड को जोर
जोर से मसलने लगी।
कुछ देर बाद आन्टी ने मेरा कच्छा पूरा निकाल दिया, मैं नीचे
से पूरा नंगा हो चुका था।
मोना आंटी ने भी अपने सारे कपड़े खोल रखे थे, मोना आंटी मेरे
लण्ड को अपने होंठों में लेकर चाटने लगी और अपने मुँह से लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
मोना मेरा लण्ड जोर जोर से चूस रही थी, उनके मुँह की गर्मी से अचानक मेरे लण्ड में
मेरा माल आंटी के मुँह में गिर गया, मैं शांत हो गया। मोना ने मेरे माल की एक बूंद
भी नहीं छोड़ी और लण्ड साफ़ कर दिया अपने जीभ से।
फिर वो मेरे साथ में ही हो गई।
मैंने सोचा अगर अब कुछ करेंगी तो अबकी पक्का मैं भी नहीं
छोड़ूँगा, भूल जाऊँगा कि वो मेरे दोस्त की माँ हैं, अगर इन्हें कुछ शर्म नहीं है तो
मैं क्यों करूं।
मोना कहाँ मानने वाली थी !
अभी दस मिनट भी नहीं बीते होंगे, वो फिर से मेरे लण्ड को
सहलाने लगी। उनका हाथ लगते ही थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर से सलामी देना लगा।
अब मैं भी जाग गया, मैंने कहा- आंटी, क्या कर रही हैं आप?
मुझे नंगा क्यों किया?
मैंने ऐसे ही झूठ का नखरा किया।
मोना कहने लगी- हैरी, मुझे मालूम है कि तू उस समय भी जग
रहा था जब मैं तेरा लण्ड चूस रही थी, फिर यह नखरा क्यों?
मैंने कहा- पर आंटी !
मोना ने कहा- पर-वर कुछ नहीं ! मजे कर ! मैंने भी बहुत दिनों
से चुदवाया नहीं है, तुझे तो मालूम है तेरे अंकल इंडिया आते हैं, तभी वो चोदते हैं।
मैंने भी कुछ नहीं कहा।
आंटी पूरी नंगी क़यामत लग रही थी, बुर पर बड़े बड़े बाल थे
आंटी के, आंटी ने कहा- हैरी, चल मेरे मोमे दबा और चूस ! तुझे मजा आएगा।
मैं मोना के दोनों मोमे दबाने लगा पागलो की तरह, कभी एक
तो कभी दोनों मोम्मे दबाने लगा। आंटी के मोम्मे बहुत बड़े थे 40 के थे और आंटी की गाण्ड
भी मोटी थी।
मैं कभी आंटी के चूचे दबाता तो कभी चूसता।
आंटी ने कहा- हैरी, जोर से चूस मेरे चुच्चों को ! निकाल
दे सारा दूध इनमें से ! बहुत दिनों से किसी ने नहीं पिया इन्हें !
मैं भी जोश में आ गया, मैं मोना के स्तनों को जोर-जोर से
चूसने लगा।आंटी मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर लगाने लगी, मेरी उंगली पकड़ कर अपनी
चूत में घुसाने लगी।
मैंने भी जम कर मोना का दूध पिया।
आंटी कहने लगी- चल हट हैरी ! जरा अब मेरी चूत चाट !
मैंने कहा- नहीं मैं नहीं चाटूँगा !
आंटी ने कहा- चाट ना ! चटवाने का बहुत दिल कर रहा है !
मैंने कहा- नहीं, ये बाल मेरे मुंह में जायेंगे, मुझे उल्टी
हो जायेगी।
आंटी के जबरदस्ती करने पर मैं मान गया और उनकी चूत चाटने
लगा, नमकीन सा कसैला सा स्वाद था।उनकी झाँटों के लम्बे-लम्बे बाल मेरे मुँह में जा
रहे था पर मुझे भी अब मोना की चूत चाटने में मजा आ रहा था। वो भी अपनी बुर फैला कर
चूत चटवा रही थी।
फिर आंटी ने कहा- बस कर हैरी ! आ अब चोद इसे ! चोद चोद कर
सारा पानी निकाल दे ! बहुत तंग करती है रे ये ! क्या करूँ !
आंटी ने अपने पैर ऊपर उठा लिए और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी
चूत में डाल लिया, मेरा लण्ड आसानी से आंटी की चूत में चला गया।
आंटी ने हल्का सा उई किया बस !
मैं अब धक्के लगाने लगा, आंटी भी मेरे हर धक्के का जवाब
अपने धक्के से दे रही थी। वो कह रही थी- चोद बेटा चोद ! हेयी ईए उईईईईए उफ्फ्फ्फफ्फ
जोर से ! मजा आ रहा है हैरी ! और जोर से बेटा यीईईईईई आयीईईईई उईईईईए मर गयी हाय !
फच फच कर रही थी आंटी की चूत चुदाई के वक्त !
बहुत मजे से हम दोनों चुदाई कर रहे थे।
आंटी फिर मेरे ऊपर आकर चुदने लगी, जोर जोर से कूद रही थी,
ऐसे लग रहा था जैसे शताब्दी ट्रेन हो !
मैं भी नीचे से अपना लण्ड उनकी चूत में दे दनादन मार रहा
था।
फिर आंटी ने कहा- बेटा, मैं अब झुक जाती हूँ, तू पीछे डाल
!
मैंने कहा- ठीक है !
मैं पीछे से आंटी की गाण्ड में लण्ड डालने लगा तो आंटी बोली-
यह क्या कर रहा है? चूत में डाल !
और मोना ने मेरा लण्ड पकड़ पर चूत में डलवा लिया।
मैंने कहा- आंटी, आप को गाण्ड भी बहुत प्यारी है और बड़ी
भी ! मुझे चोदनी है !
आंटी ने कहा- पहले मेरी चूत का पानी निकाल दे, अभी तो सारी
रात बाकी है, गाण्ड बाद में मार लेना !
मोना जोर जोर से मेरे लण्ड पर वार करने लगी, जोर जोर से
सिसकारियाँ ले ले कर आंटी ईईये ये ये यीईईई उईईई आआआ ऊऊऊऊ उफ्फ्फ्फ आयेच कर रही थी
और धक्के लगा रही थी और मैं भी आंटी की कमर पकड़ कर आंटी को जोर जोर से चोद रहा था।
मुझे लगा कि अब मेरी लण्ड का पानी निकलने वाला है तो मैं
और जोर जोर से आंटी को पेलने लगा। आंटी भी जोर जोर से धक्के मार रही थी।
मेरा गर्म माल आंटी की चूत में जाते ही आंटी का भी चूत ने
पानी छोड़ दिया और आंटी वहीं पर ही थक कर झुक कर आराम करने लगी।
फिर थोड़े देर बाद उठी और आंटी ने मेरे गाल पर एक चुम्मा
ले लिया और कहा- बेटा, बहुत मजा आया ! आज काफी दिनों बाद चुदी हूँ, शरीर हल्का हो गया
!
मैंने कहा- आंटी, मैंने तो आपकी गांड भी चोदनी है।
आंटी ने कहा- नहीं बेटा, बाद में ! अभी सो जा ! मैं खुद
ही जगा दूंगी, फिर चोद लेना।
फिर रात को मैंने खुद ही आंटी को जगाया और आंटी की गाण्ड
मारी। आंटी गाण्ड भी बहुत मजे से मरवा रही थी। वो कहानी बाद में !
फिर तो मैं बहुत दिनों तक आंटी की गाण्ड और चूत मारता रहा
!
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी मोना आंटी आप लोगों को?
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